महावीर की जीवनी एवं उपदेशों का वर्णन करें

  1. महावीर स्वामी का जीवन परिचय, विचार एवं कार्य
  2. जैन धर्म का इतिहास और उसके सिद्धांत EXAM STORES
  3. वर्द्धमान महावीर के जीवन एवं उपदेशों का वर्णन करें। Varddhamaan mahavir ki jivan evan upadeshon ka varnan karen
  4. Mahaveer Swami
  5. महावीर के उपदेशों का वर्णन करें? » Mahavir Ke Upadeshon Ka Varnan Karen
  6. Hindi Mind
  7. महावीर कौन थे और महावीर की क्या शिक्षाएं थी?
  8. भगवान महावीर की जीवनी और शिक्षकों की विवेचना करें? » Bhagwan Mahavir Ki Jeevni Aur Shikshakon Ki Vivechna Kare


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महावीर स्वामी का जीवन परिचय, विचार एवं कार्य

जब भारतीय उपमहाद्वीप में धर्म में जाति-पांति तथा कर्मकाण्डों का जब बोलबाला हो रहा था. तब ब्राह्मणवादी हिन्दू धर्म से कुछ ऐसी शाखाएं प्रस्फुटित हुईं. जिन्होंने जाति तथा आडम्बरविहीन मानवतावादी धर्म की नींव रखी. इनमे से जैन धर्म का भी विशेष महत्त्वपूर्ण स्थान है. जैन धर्म के प्रणेता महावीर स्वामी थे, उनको जैन धर्म का 24वां तथा अन्तिम तीर्थकर माना जाता है. हम यहाँ महावीर स्वामी की जीवनी (Biography of Mahavir Swami). महावीर स्वामी की शिक्षाए, उनके विचार एवं कार्य की वो रोचक और अद्भुत जानकारी शेयर करने वाले है. जिसके बारे में आप अबसे पहले अनजान थे. तो दोस्तों चलते है और जानते है, महान तपस्वी महावीर स्वामी की आश्चर्यजनक जानकारी. जैन धर्म अपने सिद्धान्तों के आधार पर तो एक आदर्श धर्म है. किन्तु व्यावहारिक दृष्टि से नियमों तथा तपस्या की कठोरता एवं प्रचारको तथा सम्राटों के संरक्षण व प्रचार के अभाव में यह उत्तरोत्तर पतनोम्मुख हो गया. इसके समकक्ष प्रचलित बौद्ध धर्म अधिक व्यावहारिक व सरल होने के कारण लोकप्रिय हो चला था, जिसके फलस्वरूप जैन धर्म की उपेक्षा-सी हो गयी. महावीर स्वामी की पुत्री प्रियदर्शनी तथा दामाद से मतभेद होने के कारण उन्होंने अलग धर्म संघ बना लिया, जिसके कारण तथा अन्य कारणों से यह धर्म प्रभावित हुआ. किन्तु एकता, संगठन, साहित्य तथा दर्शन की दृष्टि से यह धर्म भारतीय धर्मो में श्रेष्ठ स्थान रखता है. जैन धर्म का कठोरता से पालन करने वाले अनुयायी आज भी भारतवर्ष में विद्यमान हैं. Biography of Mahavir Swami Summary नाम महावीर स्वामी उपनाम सन्मति, वर्धमान, महावीर, जितेन्द्र जन्म स्थान कुण्डग्राम, वैशाली, बिहार जन्म तारीख ईसा से 599 वर्ष पहले वंश इक्षवाकु माता का नाम त्रिशला पिता क...

जैन धर्म का इतिहास और उसके सिद्धांत EXAM STORES

जैन धर्म अति प्राचीन धर्म है। जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर वर्धमान महावीर थे। जैन अनुश्रुति के अनुसार जैन धर्म के संस्थापक प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव थे जो भारत के चक्रवर्ती सम्राट भरत के पिता थे। 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ थे। 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर महावीर का जीवनी 1. महावीर स्वामी का जन्म वैशाली के निकट कुंडग्राम (वज्जि संघ का गणतंत्र) ज्ञातृक क्षत्रिय कुल के प्रधान सिद्धार्थ के यहां 540 ईसवी पूर्व में हुआ था।महावीर के बचपन का नाम वर्धमान था। 2. 72 साल में महावीर की मृत्यु 468 ई. पू. में 3. इनके माता का नाम त्रिशला था। 4. महावीर स्वामी का विवाह यशोदा नामक राजकुमारी से हुआ था। 5. सत्य की खोज में महावीर स्वामी 30 वर्ष की आयु में गृह त्याग कर सन्यासी हो गए तथा 12 वर्ष की गहन तपस्या के पश्चात जंभियग्राम के निकट ऋजुपालिका नदी के तट पर एक वृक्ष के नीचे उन्हें सर्वोच्च ज्ञान ( कैवल्य )की प्राप्ति हुई। 6. इंद्रियों को जीतने के कारण वे जीन और महावीर कहलाए। 7. महावीर के पहले अनुयायी उनके दामाद जामिल बने। 8. महावीर ने अपने शिष्यों को 11 गणधरों में बांटा था। 9. मथुरा कला का संबंध जैन धर्म से है। 10. जैन तीर्थंकरों की जीवनी कल्पसूत्र में है। 11. जैन धर्म दो भागों में विभाजित है- श्वेतांबर जो सफेद कपड़े पहनते हैं और दिगंबर जो नग्न अवस्था में रहते हैं 12. इस धर्म में 24 तीर्थंकर हुए। 13. मोक्ष प्राप्त हो जाने के बाद महावीर स्वामी ने सुधर्मन को जैन संघ का प्रमुख बनाया था। महावीर के मृत्यु के बाद सुधर्मन ही जैन धर्म का थेरा अर्थात मुख्य उपदेशक हुआ। इस धर्म का दक्षिण भारत में प्रचार प्रसार ,भद्रबाहु के द्वारा किया गया। भद्रबाहु से ही प्रेरित होकर,चंदगुप्त मौर्य ने जैन धर्म को अपनाया था। जैनि...

वर्द्धमान महावीर के जीवन एवं उपदेशों का वर्णन करें। Varddhamaan mahavir ki jivan evan upadeshon ka varnan karen

सवाल: वर्द्धमान महावीर के जीवन एवं उपदेशों का वर्णन करें। वर्द्धमान महावीर जैन धर्म के संस्थापक और तीर्थंकर माने जाते हैं। उनका जन्म 599 ईसा पूर्व के लगभग वैशाली में हुआ था। उनके पिता का नाम सिद्धार्थ और माता का नाम त्रिशला था। उनके पिता को क्षत्रिय कुल में जन्म हुआ था। महावीर को बचपन से ही सत्य, अहिंसा, और परोपकार की प्रवृत्ति थी। उन्होंने 30 वर्ष की आयु में संसार का त्याग करके संन्यास ग्रहण किया। उन्होंने 12 साल तक कठोर साधना की। 42 वर्ष की आयु में, उन्हें केवलज्ञान प्राप्त हुआ, अर्थात्, समस्त प्रकृति का सम्पूर्ण ज्ञान। महावीर के उपदेशों का सार है - पंचमहाव्रत (अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह), पंचसमिति (इर्‍या-समिति, हस्‍त-समिति, मुख-समिति, पाद-समिति, परिग्रह-समिति), पंचसुत्र (सम्‍यक-दर्शन, सम्‍यक-ज्ञान, सम्‍यक-चारित्र, सम्‍यक-तप, सम्‍यक-लोक)। महावीर के मुताबिक, मोक्ष प्राप्ति के लिए मनुष्‍य को संसार से मुक्‍त होना होगा। मनुष्‍य को स्‍व-पर-हिंसा से परहेज करना होगा। मनुष्‍य को सत्‍ता, प्रतिष्‍ठा, मोह, ममता, स्‍पर्श-सुख से मुक्‍त होना होगा। महावीर 72 वर्ष की आयु में 527 ईसा पूर्व के लगभग पावापुरी में महानिर्वाण (मोक्ष) प्राप्‍त किए।

Mahaveer Swami

Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • आज के आर्टिकल में हम महावीर स्वामी (Mahaveer Swami) की पूरी जानकारी पढ़ेंगे। इसमें हम महावीर स्वामी का जीवन परिचय (Mahaveer Swami Ka Jivan Parichay), महावीर स्वामी को ज्ञान की प्राप्ति (Mahaveer Swami Ko Gyan Ki Prapti), जैन धर्म (jain dharm), जैन धर्म का प्रचार (Jain Dharm Ka Prachar), महावीर स्वामी के उपदेश (Bhagwan Mahaveer Ke Updesh) के बारे में जानेंगे। महावीर स्वामी के बारे में पूरी जानकारी पढ़ें – Mahaveer Swami महावीर स्वामी का जीवन परिचय – Mahaveer Swami Ka Jivan Parichay जन्म – 540 ई. पू., चैत्र शुक्ल त्रयोदशी जन्मस्थान – वैशाली के निकट कुण्डग्राम मृत्यु – 468 ई. पू. (72 वर्ष), कार्तिक अमावस्या मृत्युस्थान – पावापुरी (बिहार) बचपन का नाम – वर्धमान अन्य नाम – वीर, अतिवीर, सन्मति, निकंठनाथपुत्त (भगवान बुद्ध), विदेह, वैशालियें जाति – ज्ञातृक क्षत्रिय वंश – इक्ष्वाकु वंश राशि – कश्यप पिता – सिद्धार्थ माता – त्रिशला/विदेहदत्ता भाई – नंदीवर्धन बहन – सुदर्शना पत्नी – यशोदा (कुण्डिय गोत्र की कन्या) पुत्री – अणोज्जा/प्रियदर्शना दामाद – जामालि (प्रथम शिष्य – प्रथम विद्रोही) गृहत्याग – 30 वर्ष की आयु में ज्ञान प्राप्ति की अवस्था – 42 वर्ष (12 वर्ष बाद) ज्ञान प्राप्ति – जृम्भिकग्राम के समीप ऋजुपालिका नदी के किनारे साल के वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्ति के बाद इनके नाम – जिन, अर्हत, महावीर, निर्गन्थ, केवलिन। प्रथम उपदेश – राजगृह के समीप विपुलांचल पर्वत में बराकर नदी के किनारे प्रथम वर्षावास – अस्तिका ग्राम में अन्तिम वर्षावास – पावापुरी प्रतीक चिह्न – सिंह महावीर स्वामी का जन्म कब हुआ – Mahaveer Swami Ka Janm Kab Hua Tha महावीर...

महावीर के उपदेशों का वर्णन करें? » Mahavir Ke Upadeshon Ka Varnan Karen

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। भगवान महावीर के बहुत सारे उपदेश हैं जैसे कि उनके प्रसिद्ध उपदेश हैं सत्य और अहिंसा और बहुत सारे उपदेशों हैं जैसे क्षमा आत्मा कर्म चोरी ना करना धर्म कर्मों का फल प्रमाद ना करना इत्यादि

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महावीर कौन थे और महावीर की क्या शिक्षाएं थी?

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भगवान महावीर की जीवनी और शिक्षकों की विवेचना करें? » Bhagwan Mahavir Ki Jeevni Aur Shikshakon Ki Vivechna Kare

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। महावीर स्वामी के बचपन का नाम वर्तमान था उनका जन्म ईसा के पास 99 वर्ष पूर्व वैशाली मैंने जो उत्तरी बिहार में है के अंतर्गत कुंड ग्राम में क्षत्रिय परिवार में हुआ था उनके पिता का नाम सिद्धार्थ और माता का नाम कृष्णा देवी था वर्तमान में बचपन से ही बुद्धिमान सदाचारी विवेकशील थे तभी वह जीवन मरण कर्म संयम इन सब बातों के बारे में सोचते रहते थे विचार विमर्श करते रहते थे वर्तमान का जो मन था वह घर में नहीं लगता था क्योंकि उस टाइम समाज में इतना आडंबर ऊंच-नीच की भावना लोगों का जो चरित्र है वह गिर गया था जो या होते थे और में जीव हत्या होती थी दुख देता था वह बोल के नाम पर जो पशुओं की हत्या करते हैं बलि चढ़ाते हैं वह सब गलत है उनके माता पिता की मृत्यु हो गई उसके बाद में उन्हें और भी ज्यादा मोह माया वह दूर हो गए और उन्होंने अपने परिवार को छोड़कर के नंदी वर्धन जो उनके बड़े भाई थे उनके आगे लेकर के सन्यास ले लिया वह भी सत्य और शांति की खोज में निकल गए उनका यह विचार था कि जब हम अपने फोटो तो पैसे से अपने मन के अंदर के काम क्रोध लोभ मोह माया मधु खत्म कर देंगे तो हम सत्य की खोज पा सकते हैं इतनी कठोर तपस्या करी थी कि और पकड़ लो तो पैसों को अपने बस में कर लिया था कि इस वजह से उन्हें महावीर यह जिंदगी जिंदगी जिसकी वजह से बाद में इसे उनके प्रवर्तक कौने दी उन्होंने उनके संप्रदाय को माना उसको जैन धर्म का नाम तभी दिया गया है क्योंकि जिन यानी जो अपने इंद्रियों को अपने वश में कर चुका हूं लेकिन जैनियों के माता के अनुसार तो यह भी जान जान से पहले भी इससे महावीर से पहले भी 23 तीर्थंकर हुए हैं ...