न्यायिक पुनरावलोकन से आप क्या समझते हैं ?

  1. न्यायिक पुनरावलोकन का अर्थ स्पष्ट कीजिए? » Nyaayik Punravalokan Ka Arth Spasht Kijiye
  2. सर्वोच्च न्यायालय के न्यायिक पुनरावलोकन के अधिकार का वर्णन कीजिए तथा इसका महत्व समझाइये।
  3. न्यायिक पुनरावलोकन क्या है समीक्षा कीजिए?
  4. न्यायिक पुनरावलोकन से आप क्या समझते हैं?
  5. न्यायिक पुनर्विलोकना क्या है ?
  6. न्यायिक पुनरावलोकन का अर्थ, परिभाषा एवं महत्व
  7. पुनरावलोकन क्या अर्थ है? – Expert
  8. न्यायिक पुनरावलोकन क्या है न्यायिक पुनरावलोकन की विशेषताएं


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न्यायिक पुनरावलोकन का अर्थ स्पष्ट कीजिए? » Nyaayik Punravalokan Ka Arth Spasht Kijiye

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। प्रगति उसे कहते कि अगर कोई किसी के ऊपर कोर्ट में केस चल रहा हो और अगर वह उसके छोटे लड़के कोर्ट से डिस्ट्रिक्ट लेवल स्टेट लाल के गुण सागर हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट में अगर किसी केस की अपील करें या केस दायर करें और उस पर सुनवाई होती है उस पर फेशियल की जांच होती है उसे न्यायिक पूर्वालोकन कहते हैं pragati use kehte ki agar koi kisi ke upar court mein case chal raha ho aur agar vaah uske chote ladke court se district level state laal ke gun sagar high court supreme court mein agar kisi case ki appeal kare ya case dayar kare aur us par sunvai hoti hai us par facial ki jaanch hoti hai use nyayik purvalokan kehte hain प्रगति उसे कहते कि अगर कोई किसी के ऊपर कोर्ट में केस चल रहा हो और अगर वह उसके छोटे लड़के क

सर्वोच्च न्यायालय के न्यायिक पुनरावलोकन के अधिकार का वर्णन कीजिए तथा इसका महत्व समझाइये।

सर्वोच्च न्यायालय के न्यायिक पुनरावलोकन के अधिकार का वर्णन कीजिए तथा इसका महत्व समझाइये। सम्बन्धित लघु उत्तरीय • न्यायिक समीक्षा के अधिकार से आप क्या समझते हैं ? • सर्वोच्च न्यायालय अपनी न्यायिक समीक्षा की शक्ति का प्रयोग कैसे करता है ? • वह अनुच्छेद कौन से हैं, जो न्यायालय को न्यायिक समीक्षा की शक्ति प्रदान करते हैं ? • न्यायिक समीक्षा के महत्व पर टिप्पणी कीजिए। • भारत में न्यायिक पुनरावलोकन पर टिप्पणी लिखिये। • न्यायिक समीक्षा की आलोचना किस आधार पर की जाती है ? • क्या न्यायालय किसी संसदीय कानून की समीक्षा कर सकता है ? • न्यायिक पुनरावलोकन का अर्थ बताइये। न्यायिक समीक्षा के अधिकार से अभिप्राय भारतीय सर्वोच्च न्यायालय को प्राप्त अनेक अधिकारों में से एक अधिकार न्यायिक समीक्षा (Judicial Review) का भी अधिकार है, जो अमेरिकी संविधान से प्रभावित है, यद्यपि अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय की तुलना में भारतीय सर्वोच्च न्यायालय की यह शक्ति अत्यन्त सीमित है, किन्तु फिर भी इस शक्ति ने भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में सर्वोच्च न्यायालय को अत्यधिक शक्तिशाली एवं महत्वपूर्ण बना दिया है। न्यायिक समीक्षा (पुनरावलोकन) सर्वोच्च न्यायालय की वह शक्ति है, जिसके आधार पर न्यायालय संसद द्वारा पारित कानूनों एवं सरकार के आदेशों की संवैधानिक वैधता की जांच करता है तथा यदि वे संविधान के प्रतिकूल हैं तो उन्हें अवैध घोषित करता है।सर्वोच्च न्यायालय संसद द्वारा पारित कानूनों तथा सरकार द्वारा जारी किये गये आदेशों की वैधता की जांच दो आधार पर करता है. • संसद ने जो 'कानून' बनाया अथवा सरकार ने जो आदेश जारी किया उसका उसे अधिकार था या नहीं। • संसद द्वारा बनाया गया कानून तथा सरकार द्वारा जारी किया गया आदेश कहीं मौलिक अधिकार...

न्यायिक पुनरावलोकन क्या है समीक्षा कीजिए?

न्यायिक पुनरावलोकन का अर्थ | न्यायिक पुनरावलोकन से आप क्या समझते हैं | अमेरिकी और भारतीय अनुभव के आधार पर उसके व्यावहारिक स्वरूप का परीक्षण | अमरीका में न्यायिक पुनरावलोकन | भारत में न्यायिक पुनरावलोकन | न्यायिक पुनरावलोकन और संविधान • न्यायिक पुनरावलोकन का अर्थ (Meaning)- • अमरीका में न्यायिक पुनरावलोकन • भारत में न्यायिक पुनरावलोकन • न्यायिक पुनरावलोकन और संविधान • राजनीतिक शास्त्र – महत्वपूर्ण लिंक न्यायिक पुनरावलोकन का अर्थ ( Meaning)- एक स्वतन्त्र न्यायपालिका, जिसे कानूनों की व्याख्या और उनके क्रियान्वयन का अधिकार सौंपा गया हो, पाश्चात्य राजनीतिक व्यवस्थाओं के सर्वाधिक महत्त्व पूर्ण लक्षणों में से एक है। न्यायिक पुनरावलोकन कोई सामान्य शक्ति नहीं है वरन एक देश के राजनीतिक जीवन पर इसका निर्णायक सांविधानिक प्रभाव पड़ता है। न्यायिक पुनरावलोकन से आशय न्यायालयों की उस शक्ति से है जिसके आधार पर वे व्यवस्थापिका के उन कानूनों को अवैधानिक एवं अमान्य घोषित कर सकते हैं जो उनके मत में संविधान की किसी व्यवस्था के प्रतिकूल हों। न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति के अधीन न्यायालय संविधान की व्याख्या करते हैं और कानूनों तथा प्रशासनिक आज्ञाओं की वैधानिकता- अवैधानिकता का निर्णय करते हैं। इस अधिकार का प्रयोग देश के छोटे से छोटे न्यायालय भी अपने अधिकार क्षेत्र में आनेवाले मामलों में कर सकते हैं, परन्तु अन्तिम निर्णय सदैव सर्वोच्च न्यायालय का ही होता है। अमरीका में न्यायिक पुनरावलोकन (Judicial Review in the U. S. A.) न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति का सर्वोत्तम उदाहरण अमरीका में देखने को मिलता है। यहाँ न्यायपालिका के अतिशय प्रभाव और सम्मान का आधार यही शक्ति है, जिसके अधीन वह न्यायालय की व्याख्या करती...

न्यायिक पुनरावलोकन से आप क्या समझते हैं?

न्यायिक पुनरावलोकन से अभिप्राय: न्यायिक पुनरावलोकन का अभिप्राय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा संविधान एवं उसकी सर्वोच्चता की रक्षा करने की व्यवस्था है अर्थात् न्यायिक पुनरावलोकन अथवा न्यायिक समीक्षा के अधिकार का आशय सर्वोच्च न्यायालय के उस अधिकार से है जिसके अन्तर्गत वह व्यवस्थापिका द्वारा निर्मित कानूनों एवं कार्यपालिका द्वारा जारी आदेशों की वैधता को परीक्षण करता है कि कहीं वे संविधान का उल्लंघन तो नहीं करते। संविधान के अनुच्छेद 131 व 132 सर्वोच्च न्यायालय को क्रमशः संघ और राज्यों की विधि के न्यायिक पुनरावलोकन द्वारा मूल अधिकारों की रक्षा तथा सरकार के अंगों में अवरोध एवं सामंजस्य स्थापित करने के लिए न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति न्यायालय को देतेहैं।

न्यायिक पुनर्विलोकना क्या है ?

न्यायिक पुनर्विलोकना क्या है ? | Judicial Review विषय सूची 1. न्यायिक पुनर्विलोकना क्या है ? 2.न्यायिक पुनरावलोकन का क्या अर्थ है? 3.न्यायिक पुनर्विलोकन के सिद्धांत का प्रतिपादक कौन थे? 4.न्यायिक पुनरावलोकन का सर्वोत्तम उदाहरण क्या है? 5.न्यायिक समीक्षा से आप क्या समझते हैं? 6. अनुच्छेद 13 के अनुसार न्यायिक पुनर्विलोकना ? 7. Write a short note on Judicial Review. न्यायिक पुनर्विलोकना क्या है ? | Judicial Review न्यायिक पुनर्विलोकना क्या है – न्यायिक पुनर्विलोकन प्रो. कारविन के अनुसार, “न्यायिक पुनर्विलोकन की शक्ति न्यायालयों की वह शक्ति है जिसके अन्तर्गत विधानमण्डल द्वारा पारित अधिनियमों की संवैधानिक जाँच करते हैं। वे किसी ऐसी विधि को प्रवर्तित करने से भी इन्कार कर सकते हैं जो संविधान के उपबन्धों से असंगत हैं। यह कार्य न्यायालयों की साधारण अधिकारिता के अन्तर्गत आता है।” न्यायिक पुनर्विलोकन का सिद्धान्त सर्वप्रथम अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रतिपादित किया गया था। अमेरिका में यह सिद्धान्त महत्वपूर्ण बाद मारबरी बनाम मेडीसन में मुख्य न्यायाधीश मार्शल द्वारा प्रतिपादित किया गया था। इस बाद में न्यायालय का निर्णय सुनाते हुए मार्शल ने कहा था कि संविधान देश की सर्वोच्च विधि होता है। इसके अन्दर परिवर्तन एक विशेष प्रक्रिया द्वारा ही किया जा सकता है। यदि विधानमण्डल द्वारा निर्मित विधियाँ संविधान के उपबन्ध के विरुद्ध हैं तो न्यायालय उन विधियों को अवैध घोषित कर सकता है।” न्यायालय की यह शक्ति ही न्यायिक भारतीय संविधान में न्यायिक पुनर्विलोकन से सम्बन्धित स्पष्ट उपबन्ध संविधान में ही निहित हैं। इस सम्बन्ध में संविधान के अनुच्छेद 13 में प्रावधान उपबन्धित हैं। अनुच्छेद 13 के अनुसार...

न्यायिक पुनरावलोकन का अर्थ, परिभाषा एवं महत्व

न्यायिक पुनरावलोकन का अर्थन्यायिक पुनरावलोकन का अर्थ है किसी भी निर्णय की समीक्षा करना। न्यायिक पुनरावलोकन का उन देशों में काफी महत्व है जहाँ पर लिखित संविधान है, क्योंकि उन देशों मे सीमित सरकार की अवधारणा लागू होती है। न्यायिक पुनरावलोकन इस अर्थ मे माना जाता है कि इससे किसी विधायिका की शक्तियों की मान्यता कहाँ तक उचित है तथा सरकार के कार्यों की वैधता कहाँ तक है। विशेषकर संविधान के प्रावधानों के अनुरूप सरकार के कार्य संपन्न हो रहे हैं या नहीं इन सब कारणों के लिए न्यायालय को न्यायिक पुनरावलोकन की शक्तियाँ दी गयी है। न्यायिक पुनरावलोकन के बारे में अनेक विद्वानों ने अलग अलग परिभाषाएं दी हैं जो इसका अर्थ स्पष्ट करती है। न्यायिक पुनरावलोकन के बारे में परिभाषाएं दी गई हैं :- • अमेरिका के न्यायधीश मारबरी मार्शल ने न्यायिक पुनरावलोकन को परिभाषित करते हुए कहा है-”यह न्यायालय की ऐसी शक्ति है जिसमें यह किसी कानूनी या सरकासरी कार्य को असंवैधानिक घोषित कर सकती है जिसे यह देश की मूल विधि या संविधान के विरुद्ध समझती है।” • मुनरो के अनुसार-”न्यायिक पुनरावलोकन वह शक्ति है जिसके अन्तर्गत कांग्रेस द्वारा पारित किसी कानून अथवा राज्य के संविधान की किसी व्यवस्था या कानून जैसे प्रभाव वाले और किसी सार्वजनिक नियम के सम्बन्ध में यह निर्णय लिया जाता है कि वह संयुक्त राज्य के संविधान के अनुकूल है या नहीं।” • मैक्रिडिस तथा ब्राउन के अनुसार-”न्यायिक पुनरावलोकन का अर्थ न्यायधीशों की उस शक्ति में है जिसके अधीन वे एक उच्चतर कानून के नाम पर संविंधियों तथा आदेशों की व्याख्या कर सकें और संविधान के विरुद्ध पाने पर उन्हें अमान्य ठहरा सकें।” • डिमॉक के अनुसार-”न्यायिक पुनर्निरीक्षण, व्यवस्थापिका द्वारा निर्मित ...

पुनरावलोकन क्या अर्थ है? – Expert

Table of Contents • • • • • • • • • • पुनरावलोकन क्या अर्थ है? दूसरे शब्दों में, न्यायिक पुनरावलोकन से तात्पर्य न्यायालय की उस शक्ति से है जिस शक्ति के बल पर वह विधायिका द्वारा बनाये कानूनों, कार्यपालिका द्वारा जारी किये गये आदेशों, तथा प्रशासन द्वारा किये गये कार्यों की जांच करती है कि वह मूल ढांचें के अनुरूप हैं या नहीं। न्यायिक पुनरावलोकन कहाँ से लिया गया? न्यायिक पुनरावलोकन की उत्पति सामान्यतः संयुक्त राज्य अमेरिका से मानी जाती है किन्तु पिनाँक एवं स्मिथ ने इसकी उत्पति ब्रिटेन से मानी है। 1803 मे अमेरिका के मुख्य न्यायधीश मार्शन ने मार्बरी बनाम मेडिसन नामक विख्यात वाद मे प्रथम बार न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति की प्रस्थापना की थी। न्यायिक पुनरावलोकन से आप क्या समझते हैं इसकी पूर्व शर्त क्या है? न्यायालय संविधान के संरक्षक के रूप में कार्य करता है। इस रूप में उसका यह दायित्व बनता है कि वह यह देखे कि किसी कानून के निर्माण में सांविधानिक सीमा का अतिक्रमण हुआ है या नहीं। विशेष रूप से मूलाधिकारों को इसके लिए चुना गया है। न्यायिक समीक्षा से आप क्या समझते हैं? न्यायिक समीक्षा से तात्पर्य किसी कानून या आदेश की वैधता की समीक्षा करने और उसे निर्धारित करने की न्यायपालिका की शक्ति से है। यूपीएससी पाठ्यक्रम में यह एक महत्वपूर्ण विषय है क्योंकि यह अक्सर समाचारों में देखा जाता है। न्यायिक पुनरावलोकन के अनेक उदाहरण हैं। READ: जिओ का सबसे सस्ता फोन कितने का आता है? एक न्यायाधीश को कौन हटा सकता है? उच्चतम न्यायालय (और उच्च न्यायालय) के एक न्यायाधीश को राष्ट्रपति द्वारा उनके पद से हटाए गए दुर्व्यवहार या अक्षमता के आधार पर ही हटाया जा सकता है। पुनरीक्षण और पुनर्विलोकन में क्या अंतर है? पुनर...

न्यायिक पुनरावलोकन क्या है न्यायिक पुनरावलोकन की विशेषताएं

भारत में न्यायिक पुनरावलोकन की उत्पत्ति को समझाते हुए, जस्टिस पी. बी. मुखर्जी ने स्पष्ट किया, भारत में यह संविधान ही है जो सर्वोच्च है और संसद के साथ-साथ राज्य विधान सभाओं को न केवल संविधान की सातवीं सूची में दर्ज तीन सूचियों में वर्णित उन संबंधित क्षेत्रों की सीमाओं के अंदर ही कार्य करना होता है, बल्कि इसके साथ-साथ संविधान के भाग III के अधीन दिए गए मौलिक अधिकारों को दी गई संवैधानिक सुरक्षा को विश्वसनीय बनाना होता है। न्यायालय किसी भी ऐसे कानून को रद्द कर देती हैं जोकि संविधान का उल्लंघन करने का दोषी पाया जाता है। न्यायिक पुनरावलोकन का संवैधानिक आधार संविधान का कोई भी एक अनुच्छेद न्यायालय की न्यायिक पुनरावलोकन की व्याख्या नहीं करता। इसकी संवैधनिक स्थिति और विधि अनुकूलता उन व्यवस्थाओं से उत्पन्न होती है जो यह घोषित करती है कि संविधान देश का सर्वोच्च कानून है और संविधान की सुरक्षा और व्याख्या करने की शक्ति सर्वोच्च न्यायालय के पास है। संविधान के कई अनुच्छेद न्यायिक पुनरावलोकन संवैधानिक आधार प्रदान करते हैं: 1. अनुच्छेद 13 (Article 13)–यह अनुच्छेद न्यायालय की न्यायिक पुनरावलोकन शक्ति को आधर प्रदान करता है। इसमें लिखा गया है : फ्राज्य ऐसा कोई कानून नहीं बनाएगा जो भाग III के द्वारा दिए अधिकारों को वापस लेता या कम करता हो और इस अनुच्छेद के उल्लंघन में बनाया कानून विरोध के कारण रद्द हो जाएगा। दूसरे शब्दों में यह निर्धारित करता है कि कानून, जौ मौलिक अधिकारों के विरुद्व हैं, रद्द किए जाते हैं। सर्वोच्च न्यायालय के पास उनकी संवैधानिकता का निर्णय करने की शक्ति है। 3. अनुच्छेद 131 और 132 (Article 131 & 132)–यह दो अनुच्छेद सर्वोच्च न्यायालय के प्रारंभिक और अपीलीय अधिकार-क्षेत्रों का क्...