ऑन लिबर्टी पुस्तक के लेखक

  1. [Solved] प्रसिद्ध उपन्यास 'मालगुडी डेज़' के लेखक कौ�
  2. भारतेंदु हरिश्चंद्र के मित्र का क्या नाम था?
  3. महावीर प्रसाद द्विवेदी


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[Solved] प्रसिद्ध उपन्यास 'मालगुडी डेज़' के लेखक कौ�

सही उत्तर आर.के. नारायण हैं। Important Points • प्रसिद्ध उपन्यास 'मालगुडी डेज' के लेखक आर. के. नारायणथे। • आर.के. नारायण को 1958 में 'द गाइड' के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त हुआ। • 1964 में, उन्हें पद्म भूषण मिला और 1980 में उन्हें रॉयल सोसाइटी ऑफ़ लिटरेचर द्वारा एसी बेन्सन पदक से सम्मानित किया गया। • आर.के. नारायण की प्रमुख साहित्यिक रचनाएँ इस प्रकार हैं- • उपन्यास - स्वामी एंड फ्रेंड्स, वेटिंग फॉर महात्मा, बैचलर ऑफ आर्ट्स, द गाइड, टॉकिटिव मैन आदि। • कथेतर साहित्य - रेलक्टेंट गुरु, माई डेटलेस डायरी, माई डेज आदि। • लघु कहानी संग्रह - मालगुडी डेज़, लॉली रोड और अन्य कहानियाँ, ए हॉर्स एंड टू गोट्स आदि। Key Points लेखक टिप्पणी और पुस्तक विक्रम सेठ 1988 - गोल्डन गेट के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार प्रमुख रचनाएँ - ए सुटेबल बॉय, एन इक्वल म्यूजिक, फ्राॅम हैवन लेक, टू लाइव्स आदि। आर.के. लक्ष्मण वह एक प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट थे वह अपनी रचना 'द कॉमन मैन' और टाइम्स ऑफ इंडिया मेंअपनी दैनिक कार्टून स्ट्रिप, ' यू सेड इट' के लिए जाने जाते थे। अनीता देसाई 1978 में 'फायर ऑन द माउंटेन' के लिए उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त हुआ। उन्हें द विलेज फॉर द सी के लिए ब्रिटिश गार्जियन पुरस्कार प्राप्त हुआ। महत्वपूर्ण कार्य - द ज़िगज़ैग वे, द आर्टिस्ट ऑफ डिसअपियरेंस, डायमंड डस्ट एंड अदर स्टोरीज़, जर्नी टू इटहाका, पीकॉक गार्डन आदि। Delhi Police Constable Exam Date Out (2023 cycle)! The exam is scheduled to be conducted on the 14th, 16th, 20th, 21st, 22nd, 23rd, 28th, 29th, 30th November and 1st, 4th, and 5th December 2023. The candidates must note that the Delhi Police Constable Application Wi...

भारतेंदु हरिश्चंद्र के मित्र का क्या नाम था?

नमस्कार दोस्तों ! आज हम आपको भारतेंदु हरिश्चंद्र के बारे में संक्षिप्त में बताएंगे तथा साथ ही इस प्रश्न का उत्तर भी देंगे कि भारतेंदु हरिश्चंद्र के मित्र का क्या नाम था? भारतेंदु हरिश्चंद्र का जन्म 9 सितंबर 1950 को हुआ था यह आधुनिक रचनाकार थे। इनके पिता का नाम गोपाल चंद्र था जो भी एक कवि थे जिन्होंने गिरिधरदास उपनाम की रचना की थी। हिंदी में अपनी रचनाएं किया करते थे। इन्हें आधुनिक हिंदी साहित्य का पितामह भी कहा जाता है। यह भी माना जाता है कि इन्होंने पोषक कृतियों को छोड़कर स्वास्थ्य परंपरा में मुख्य भूमिका निभाई थी। यह देश की गरीबी, शासकों के अमान्य शोषण का चित्रण अपने साहित्य में किया करते थे। यह पत्रकारिता, नाटक और काव्य के रूप में अपनी रचनाओं को लोगों के सामने प्रस्तुत किया करते थे। यह एक सफल नाटककार थे जो एक सशक्त व्यंगकार की तरह और एक ओजस्वी अधिकार को अपनी रचना में प्रदर्शित करने में सफल रहे थे। भारतेंदु हरिश्चंद्र के मित्र का क्या नाम था? भारतेंदु हरिश्चंद्र के मित्र का नाम बदरीनारायण चौधरी था। कुछ और महत्वपूर्ण लेख – • • मुंशी किस व्यक्ति को कहा जाता है? • •

महावीर प्रसाद द्विवेदी

पूरा नाम महावीर प्रसाद द्विवेदी जन्म जन्म भूमि दौलतपुर गाँव, मृत्यु मृत्यु स्थान रायबरेली अभिभावक रामसहाय द्विवेदी कर्म भूमि कर्म-क्षेत्र साहित्यकार, पत्रकार मुख्य रचनाएँ पद्य- देवी स्तुति-शतक, कान्यकुब्जावलीव्रतम, काव्य मंजूषा, सुमन आदि। गद्य-हिन्दी भाषा की उत्पत्ति, सम्पत्तिशास्त्र, साहित्यालाप, महिलामोद आदि। भाषा नागरिकता भारतीय अन्य जानकारी ' इन्हें भी देखें महावीर प्रसाद द्विवेदी ( Mahavir Prasad Dwivedi, जन्म: विषय सूची • 1 जीवन परिचय • 2 शिक्षा • 3 कार्यक्षेत्र • 4 व्यक्तित्व • 5 आलोचक • 6 मूल्यांकन • 7 कृतियाँ • 7.1 पद्य (अनुवाद) • 7.2 गद्य (अनुवाद) • 7.3 मौलिक पद्य रचनाएँ • 7.4 मौलिक गद्य रचनाएँ • 8 मृत्यु • 9 संबंधित लेख जीवन परिचय महावीर प्रसाद द्विवेदी का जन्म सन् 1864 ई. में शिक्षा महावीर प्रसाद द्विवेदी जी की प्रारम्भिक शिक्षा गाँव की पाठशाला में ही हुई। प्रधानाध्यापक ने भूल से इनका नाम महावीर प्रसाद लिख दिया था। कार्यक्षेत्र महावीर प्रसाद द्विवेदी जी की उत्कृष्ट ज्ञान-पिपासा कभी तृप्त न हुई, किन्तु जीविका के लिए इन्होंने रेलवे में नौकरी कर ली। कुछ दिनों तक व्यक्तित्व महावीर प्रसाद द्विवेदी के कृतित्व से अधिक महिमामय उनका व्यक्तित्व है। आस्तिकता, कर्तव्यपरायणता, न्यायनिष्ठा, आत्मसंयम, परहित-कातरता और लोक-संग्रह भारतीय नैतिकता के शाश्वत विधान हैं। यह नैतिकता के मूर्तिमान प्रतीक थे। इनके विचारों और कथनों के पीछे इनके व्यक्तित्व की गरिमा भी कार्य करती थी। वह आलोचक आलोचक के रूप में 'रीति' के स्थान पर इन्होंने उपादेयता, लोक-हित, उद्देश्य की गम्भीरता, शैली की नवीनता और निर्दोषिता को काव्योत्कृष्टता की कसौटी के रूप में प्रतिष्ठित किया। इनकी आलोचनाओं से लोक-रुचि का प...