ओम जय शिव ओंकारा आरती लिखित

  1. Shivji Ki Aarti “Om Jai Shiv Omkara” शिवजी आरती
  2. recite shiv aarti every monday in hindi jai shiv omkara sry
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  4. shiv aarti jai shiv omkara read here along with other aartis of shankar ji tvi
  5. यहां पढ़ें भगवान शिव की संपूर्ण ॐ जय शिव ओंकारा…आरती
  6. shivaji ki aarti om jai shiv omkara know puja vidhi and importance sry


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Shivji Ki Aarti “Om Jai Shiv Omkara” शिवजी आरती

शिवजी आरती | ॐ जय शिव ओंकारा आरती श्री शिव जी की ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा। ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा। ॐ जय शिव ओंकारा…॥ एकानन चतुरानन पंचानन राजै, हंसासन गरुड़ासन वृषवाहन साजै। ॐ जय शिव ओंकारा…॥ दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहै, तीनों रूप निरखते त्रिभुवन मन मोहे। ॐ जय शिव ओंकारा…॥ अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी, चंदन मृगमद चंदा सोहै त्रिपुरारी। ॐ जय शिव ओंकारा…॥ श्वेताम्बर पीताम्बर बाधम्बर अंगे, सनकादिक ब्रह्मादिक भूतादिक संगे। ॐ जय शिव ओंकारा…॥ करके मध्ये कमंडलु चक्र त्रिशूलधारी, सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी। ॐ जय शिव ओंकारा…॥ ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका, प्रणवाक्षर में शोभित ये तीनों एका। ॐ जय शिव ओंकारा…॥ त्रिगुण शिव जी की आरती जो कोई नर गावे, कहत शिवानन्द स्वामी सुख सम्पत्ति पावे। ॐ जय शिव ओंकारा…॥ Post navigation

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Somvar Vrat Aarti: सोमवार को करें भगवान शिव की आरती, हर मनोकामना होगी पूरी शिव की आरती सुनने से भोलेनाथ की कृपा बनी रहती हैं. वैसे भक्त जन उनकी पूजा अर्चना अलग अलग तरह से करते हैं. कहते हैं मन से अगर भोलेनाथ की पूजा की जाए तो मनोकामना जरूर पूरी होती है. इसके साथ शिव की आरती सुनने से मन को बहुत सुकून भी मिलता है. Lord Shiva Aarti(ॐ जय शिव ओंकारा… आरती): ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा। ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे। हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे। त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी। त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे। सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी। सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका। मधु-कैटभ दो‌उ मारे, सुर भयहीन करे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा। पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा। भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला। शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

Mahashivratri 2022, Shiv Aarti: Shiv Ji Ki Aarti om jai shiv omkara

Shiv Aarti: महाशिवरात्रि पर्व इस बार 1 मार्च को मनाया जा रहा है। हिंदू धर्म के लोगों के लिए ये पर्व बेहद ही खास माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं अनुसार इस दिन भगवान शिव का प्राकट्य हुआ था। वहीं कुछ लोगों का ऐसा मानना है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन सच्चे मन से महादेव की उपासना करता है उसे जीवन में सम्पूर्ण सुख प्राप्त होते हैं। महाशिवरात्रि पर रात्रि के चारों पहर में पूजा की जाती है।

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आरती शिवजी की: कई लोग प्रतिदिन अथवा महाशिवरात्रि सहित भगवान शिव को समर्पित अन्य त्योहारों पर शिव आरती गाते हैं. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, शिव त्रिमूर्ति के बीच संहारक हैं. वह योगियों के देवता हैं और एक सर्वज्ञ योगी के रूप में वर्णित हैं, जो कैलाश पर्वत पर एक तपस्वी जीवन जीते हैं. शिव को कई नामों से जाना जाता है - महादेव, पशुपति, भैरव, विश्वनाथ, भोले नाथ, शंभू और शंकर. शिव ब्रह्मांडीय नर्तक हैं और उन्हें नर्तकियों के भगवान नटराज के रूप में भी जाना जाता है. ॥ शिवजी की आरती ॥ ॐ जय शिव ओंकारा,स्वामी जय शिव ओंकारा। ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,अर्द्धांगी धारा॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥ एकानन चतुराननपञ्चानन राजे। हंसासन गरूड़ासनवृषवाहन साजे॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥ दो भुज चार चतुर्भुजदसभुज अति सोहे। त्रिगुण रूप निरखतेत्रिभुवन जन मोहे॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥ अक्षमाला वनमालामुण्डमाला धारी। त्रिपुरारी कंसारीकर माला धारी॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥ श्वेताम्बर पीताम्बरबाघम्बर अंगे। सनकादिक गरुणादिकभूतादिक संगे॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥ कर के मध्य कमण्डलुचक्र त्रिशूलधारी। सुखकारी दुखहारीजगपालन कारी॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥ ब्रह्मा विष्णु सदाशिवजानत अविवेका। मधु-कैटभ दो‌उ मारे,सुर भयहीन करे॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥ लक्ष्मी व सावित्रीपार्वती संगा। पार्वती अर्द्धांगी,शिवलहरी गंगा॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥ पर्वत सोहैं पार्वती,शंकर कैलासा। भांग धतूर का भोजन,भस्मी में वासा॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥ जटा में गंग बहत है,गल मुण्डन माला। शेष नाग लिपटावत,ओढ़त मृगछाला॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥ काशी में विराजे विश्वनाथ,नन्दी ब्रह्मचारी। नित उठ दर्शन पावत,महिमा अति भारी॥ ॐ जय शिव ओंकारा॥ त्रिगुणस्वामी जी की आरतिजो कोइ नर गावे। कहत शिवानन्द स्वामी,मनवान्छित फल पावे॥ ॐ जय शिव ओंक...

यहां पढ़ें भगवान शिव की संपूर्ण ॐ जय शिव ओंकारा…आरती

इस साल सावन का महीना 17 जुलाई से आरंभ हो चुका है। इस महीने में सभी भक्तजन शिव जी को प्रसन्न करने का प्रयत्न करते हैं। माना जाता है कि इस महीने भगवान शिव की सच्चे मन से अराधना करने से सारे दुख दूर हो जाते हैं। सावन के महीने में सोमवार के दिन का भी काफी महत्व होता है। इस दिन भक्त भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखते हैं। विधि विधान पूजा की जाती है। किसी भी पूजा में आरती सबसे महत्वपूर्ण होती है। माना जाता है कि बिना आरती किये पूजा पूरी नहीं होती। यहां आप जानेंगे भगवान शिव को प्रसन्न करने वालीआरती के बारे में… Lord Shiva Aarti(ॐ जय शिव ओंकारा… आरती): ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा। ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे। त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी। त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे। सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी। सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका। मधु-कैटभ दो‌उ मारे, सुर भयहीन करे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा। पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा। भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला। शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी। नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे। कहत शिवानन्द स्...

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Lord Shiva Aarti(ॐ जय शिव ओंकारा… आरती): ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा। ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे। हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे। त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी। त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे। सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी। सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका। मधु-कैटभ दो‌उ मारे, सुर भयहीन करे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा। पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा। भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥