ओरिजनल रुद्राक्ष कहा मिलेगा

  1. 5 मुखी रुद्राक्ष क्या है
  2. महाशिवरात्रि 2023: रुद्राक्ष से बदलेगी किस्मत और मिलेगा महादेव से मनचाहा वरदान, जानें कैसे?
  3. Rudraksha lord shiva mala these different types of rudraksha will change your life
  4. Rudraksha
  5. जानें, कितने तरह के होते हैं रुद्राक्ष, हर एक का होता है अपना देवता और जपमंत्र
  6. असली रुद्राक्ष कहाँ मिलेगा? – ElegantAnswer.com
  7. 12 मुखी रुद्राक्ष के गुण और धारण करने के नियम
  8. रुद्राक्ष : दिव्य उर्जा का स्त्रोत Rudraksha: Source Of Divine Energy


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5 मुखी रुद्राक्ष क्या है

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महाशिवरात्रि 2023: रुद्राक्ष से बदलेगी किस्मत और मिलेगा महादेव से मनचाहा वरदान, जानें कैसे?

महाशिवरात्रि 2023: सनातन परंपरा में शिव की साधना सबसे सरल और शुभ मानी गई है. औढरदानी भगवान शिव की पूजा के लिए सबसे उत्तम मानी जाने वाली शिवरात्रि का पर्व इस साल 18 फरवरी 2023, शनिवार को पड़ने जा रहा है. मान्यता है कि इस दिन महादेव की विधि-विधान से पूजा करने और उन्हें सबसे ज्यादा प्रिय लगने वाले रुद्राक्ष को धारण करने पर व्यक्ति को मनचाहा आशीर्वाद प्राप्त होता है. आइए भगवान शिव का प्रसाद माने जाने वाले रुद्राक्ष को पहनने की विधि और उसके धार्मिक महत्व के बारे में विस्तार से जानते हैं. कैसे हुई रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव की पूजा के लिए अत्यंत ही शुभ माना जाने वाला रुद्राक्ष को लेकर मान्यता है कि यह महादेव के आंसुओं से बना है. पौराणिक कथा के अनुसार एक बार जब ऋषि-मुनि त्रिपुरासुर नाम के राक्षस से बहुत ज्यादा प्रताडि़त होने लगे तो वे भगवान शिव की शरण में गए. उनके कष्ट को सुनने के बाद भगवान शिव योग निद्रा में चले गए और जब उनकी आंख खुली तो उससे निकले कुछ आंसू पृथ्वी पर जा गिरे जो बाद में रुद्राक्ष के पौधे के रूप में विकसित हुए. इस पौधे में निकलने वाले फल के बीज को ही रुद्राक्ष कहा जाता है. रुद्राक्ष का धार्मिक महत्व हिंदू धर्म में रुद्राक्ष को भगवान शिव का महाप्रसाद माना जाता है. मान्यता है कि इस दिव्य बीज को धारण करने से शिव भक्त सभी तरह की बलाओं से बचा रहता है और उसे जीवन में किसी भी शत्रु, रोग आदि का भय नहीं रहता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार महादेव का यह मनका सभी प्रकार की मनोकामनाओं को पूरा करने वाला माना गया है. यही कारण है कि शिव भक्त इसे हमेशा अपने गले या बाजु में धारण किए रहते हैं. तंजावुर मंदिर: शिखर पर लगा 80 टन भारी पत्थर, जिसकी जमीन पर नहीं पड़ती परछाईं सभी कामना...

Rudraksha lord shiva mala these different types of rudraksha will change your life

नई दिल्ली: Rudraksh mala: भगवान शिव का प्रसाद माना जाने वाला यह चमत्कारी बीज रुद्राक्ष भगवान शिव के आसुओं से बना है. रुद्र पुराण के अनुसार रुद्राक्ष के कई प्रकार बताए गये हैं. रुद्राक्ष भगवान शिव को बहुत प्रिय है, इसलिए न स्वयं शिव बल्कि भोले के भक्त भी उनकी कृपा पाने के लिए उसे हमेशा धारण किये रहते हैं. अर्द्धनारीश्वर का रूप माना गया है. परेशानी, बीमारी और कर्ज से मुक्ति दिलाता है. तीन मुखी रुद्राक्ष के लाभ अग्नि का स्वरूप माना गया है. पापों से मुक्ति, आत्म विश्वास यश दिलाता है. चार मुखी रुद्राक्ष के लाभ ब्रह्मस्वरूप माना गया है. मानसिक बीमारियां खत्म करता है. पांच मुखी रुद्राक्ष के लाभ इसे कालाग्नि रुद्राक्ष कहा जाता है. अकाल मृत्यु से बचाता है. उच्च पद और प्रतिष्ठा दिलाता है. छह मुखी रुद्राक्ष के लाभ कार्तिकेय का स्वरूप माना जाता है. दाहिने हाथ में धारण करना चाहिए. आलस और नकारात्मक विचार दूर करता है. सुख-समृद्धि बढ़ाता है. सात मुखी रुद्राक्ष के लाभ कामदेव का स्वरूप माना जाता है. यौन समस्याओं, और लीवर की बीमारी ठीक करता है. आठ मुखी रुद्राक्ष के लाभ गणेश और भगवान भैरव का प्रतीक माना जाता है. दुश्मनी, बाधाएं खत्म होती है, सद्गुण आने लगते हैं. नौ मुखी रुद्राक्ष के लाभ मां देवी भगवती और शक्ति का प्रतीक है. भक्ति और भाग्य मिलता है. दस मुखी रुद्राक्ष के लाभ दशों दिशाओं और यम का प्रतीक माना गया है. ग्रहशांति, भूतशांति, प्रेतआत्माओं से छूटकारा दिलाता है. ग्यारह मुखी रुद्राक्ष के लाभ साक्षात भगवान रुद्र का स्वरूप माना गया है. लाभ, सम्मान और मन की शांति दिलाता है. बारह मुखी रुद्राक्ष के लाभ सूर्य, अग्नि और तेज का प्रतीक माना गया है. बीमारियों को शरीर से दूर रखता है. स्वास्थ्य, सुख...

Rudraksha

हिंदू और सनातन धर्म में मालाओं और रत्नों का बहुत महत्व है। माना जाता है कि मनुष्य को ये मालाएं और रत्न ही नकारात्मक ऊर्जा से बचाते हैं। प्राचीन काल में ऋषि मुनि अपनी साधना को सिद्ध करने के लिए इन मालाओं से मंत्र जाप किया करते थे लेकिन आज भी लोग रुद्राक्ष और तुलसी की माला को धारण करते हैं ताकि उनका चित्त शांत और मन एकाग्र रहे। आमतौर पर बात जब रुद्राक्ष की आती है तो सबसे पहले ख्याल आता है कि रुद्राक्ष कौन सा अच्छा होता है और इससे रुद्राक्ष की उत्पत्ति रुद्राक्ष की महिमा का वर्णन आपको वेदों में, पुराणों में और उपनिषदों में मिल जाएगा। शिवपुराण के अध्याय 25 में "दर्शकनास्पर्शनाप्यत्सर्वपापहर: स्मृतः ॥" श्लोक को वर्णित किया गया है। कहा गया है कि यह रुद्राक्ष एक अत्यंत शुभ मनका है और भगवान भोलेनाथ को अत्यंत प्रिय है। इस मनका का जाप करने से या इसे माला के रूप में धारण करने से ही पाप नष्ट हो जाते हैं। यह कहना अतिश्योक्ति न होगी कि शिव और रुद्राक्ष एक-दूसरे के पूरक हैं। मान्यता है कि रुद्राक्ष में शिव वास करते हैं। रुद्राक्ष की उत्पत्ति को लेकर कई पौराणिक मान्यताएं हैं। एक प्रसिद्ध मान्यता के अनुसार, हजारों वर्षों तक समाधि में लीन रहने के बाद जब भगवान भोलेनाथ ने अपने नेत्र खोले तो उनके नेत्रों से अश्रु छलक आए और वह धरती पर गिर पड़े। इन्ही अश्रु की बूंदों से रुद्राक्ष वृक्ष की उत्पत्ति हुई। रुद्राक्ष के प्रकार शिव के अश्रु से उत्पन्न रुद्राक्ष जनासाधारण के लिए बहुत महत्व रखता है। आमतौर पर रुद्राक्ष के प्रकार की बात की जाए तो यह एकमुखी से चौदहमुखी तक पाए जाते हैं, लेकिन अक्सर मन में संदेह रहता है कि कौन सा रुद्राक्ष उत्तम और फलदायी है? ज्योतिष की माने तो आंवले के आकार वाला धारण करने क...

जानें, कितने तरह के होते हैं रुद्राक्ष, हर एक का होता है अपना देवता और जपमंत्र

जून के महीने को सावन का महीना कहा जाता है। इस समय रुद्राक्ष पहनना अच्छा बताया जाता है। हर रुद्राक्ष का अपना विशेष महत्व होता है। रुद्राक्ष कई तरह का होता है। आज हम लाएं हैं आपके लिए खास रुद्राक्ष जिन्हें मंत्रों और देवता के अनुसार पहनना चाहिए। पंडित शशि मोहन बहल की किताब रत्न रंग और रुद्राक्ष के अनुसार रुद्राक्ष को देवता और मंत्र का जाप करके ही पहनना चाहिए। अगर आप बताई गई बातों को ध्यान में रखकर रुद्राक्ष पहनते हैं तो आपको विशेष लाभ होता है। कहा जाता है कि कई सालों की तक तपस्या करने के बाद भगवान शिव ने जब अपनी आंखे खोली तो उनकी आंखों में से आंसू धरती पर गिरे। जिसके बाद वहां एक रुद्राक्ष का पेड़ बन गया। बताया गया है कि रुद्राक्ष 14 तरह के होते हैं। पहला होता है एक मुखी रुद्राक्ष। इस रुद्राक्ष को शिव के सबसे करीब माना जाता है। जिन लोगों को धन-दौलत और भौतिक चीजों की चाह होती हो वो इस रुद्राक्ष को धारण करते हैं। किताब के अनुसार इस रुद्राक्ष को धारण करने से पहले ऊँ ह्रीं नम: मंत्र का जाप करना चाहिए। तीन मुखी रुद्राक्ष- इसे अग्नि देवता का रुद्राक्ष कहा जाता है। इसका धारण करने से व्यक्ति की हर इच्छा जल्दी पूरी होती है। इसे पहनते समय ऊँ क्लीं नम: का जाप करना चाहिए। चार मुखी रुद्राक्ष- इस रुद्राक्ष को साक्षात ब्रह्मा का रुद्राक्ष कहा जाता है। इसका पहनने से व्यक्ति को धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसे धारण करते समय ऊँ ह्रीं नम: मंत्र का जाप करना चाहिए। पांच मुखी रुद्राक्ष- इसे कालाग्नि देवता का रुद्रक्षा कहा जाता है। इस पहनने से लोग अपनी हर परेशानी से छुटकारा पा सकते हैं। मंत्र पहनने से पहले ऊँ ह्रीं नम: का जाप करना चाहिए। छ: मुखी रुद्राक्ष- इस रुद्राक्ष को कार्तिकेय का...

असली रुद्राक्ष कहाँ मिलेगा? – ElegantAnswer.com

असली रुद्राक्ष कहाँ मिलेगा? इसे सुनेंरोकेंगुवाहाटी के कामाख्या मंदिर जाने के रास्ते में जो दोनों तरफ दुकाने हैं उसमें मिलता है ओरिजिनल रुद्राक्ष वह भी ₹10 में इसका पूरा जायजा हमने लिया है आप पूरा वीडियो देखिए #TheWay4u #TheWay4You. रुद्राक्ष पहन कर क्या नहीं करना चाहिए? इसे सुनेंरोकेंपंडित अवधेश मिश्रा के अनुसार, जो भी व्यक्ति शराब या मांसाहार भोजन करता है, उसे रुद्राक्ष धारण नहीं करना चाहिए। इससे हानि हो सकती है। सोने से पहले रुद्राक्ष को उतार देना चाहिए। माना जाता है कि सोते समय शरीर अशुद्ध रहता है। कौन सी राशि को कौन सा रुद्राक्ष पहनना चाहिए? इसे सुनेंरोकें-मेष राशि के जातकों का मंगल स्वामी ग्रह होता है और इन्हें अपने व्यक्तित्व विकास के लिए तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। -इस राशि के जातकों का स्वामी ग्रह शुक्र होता है। इस कारण वृषभ राशि के लोगों को छह मुखी रुद्राक्ष पहनने की सलाह ज्योतिषशास्त्र में दी गई है। -मिथुन राशि का स्वामी ग्रह बुध है। रुद्राक्ष कौन कौन पहन सकता है? इसे सुनेंरोकेंपांचमुखी रुद्राक्ष साक्षात् शिव स्वरूप है। यह रुद्राक्ष नरहत्या के दोषों को दूर करने में सक्षम है। इस रुद्राक्ष को धारण करने से बृहस्पति के अशुभ फल समाप्त हो जाते हैं और शुभ फलों की प्राप्ति होती है। ज्ञान और आध्यात्मिक विकास के लिए इस रुदाक्ष को धारण करना चाहिए। असली रुद्राक्ष की कीमत क्या है? इसे सुनेंरोकें21 मनकों के आलावा इसमें सात अन्य मनके भी होते हैं। यह अति दुर्लभ और सबसे महंगा भी होता है। विशेषज्ञों के मुताबिक नेपाल के क्षेत्र में पाए जाने वाले असली रुद्राक्ष से बनी इंद्रमाला की कीमत आज के बाजार में ढाई से तीन करोड़ रुपये होती है। असली रुद्राक्ष कितने का मिलेगा? इसे सुनेंर...

12 मुखी रुद्राक्ष के गुण और धारण करने के नियम

12 मुखी रुद्राक्ष धारण करके आप जीवन की कई नकारात्मकताओं को दूर कर सकते हैं। आज के भौतिकतावादी समाज में अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए इस रुद्राक्ष को धारण करना अति शुभ माना गया है। आज हम अपने इस लेख में आपको 12 मुखी रुद्राक्ष से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें बताएंगे। 12 मुखी रुद्राक्ष ऐसा माना जाता है कि इस रुद्राक्ष में सूर्य भगवान के 12 रुपों का ओज होता है और इसलिए इसको धारण करने से व्यक्ति के सामर्थ्य और शक्ति में वृद्धि होती है। हालांकि इस रुद्राक्ष का मिलना बहुत आसान नहीं होता। इस रुद्राक्ष में 12 प्राकृतिक रेखाएं होती हैं। सूर्य देव को इस रुद्राक्ष का स्वामी माना जाता है। रुद्राक्ष को भगवान शिव का अंश माना जाता है इसलिए इसे धारण करने से भगवान शिव की भी कृपा प्राप्त होती है। इस रुद्राक्ष को धारण करने से और क्या-क्या लाभ मिलते हैं आइए जानते हैं। यह भी पढ़ें- 12 मुखी रुद्राक्ष के लाभ अत्यंत शुभ माने जाने वाले इस रुद्राक्ष से व्यक्ति को निम्नलिखित लाभ मिलते हैं। • ज्योतिष के अनुसार इस रुद्राक्ष को धारण करने से राहु और सूर्य ग्रह के बुरे प्रभावों से मुक्ति मिलती है। • जिन लोगों को हड्डियों से जुड़ी परेशानियां है, यह रुद्राक्ष पहनकर उनको भी लाभ मिलता है। • त्वचा संबंधि रोगों को दूर करने के लिए भी इस रुद्राक्ष को धारण करना चाहिए। • इस रुद्राक्ष को धारण करने से अवसाद से भी मुक्ति मिलती है। • यह रुद्राक्ष प्रशासनिक अधिकारियों और राजनताओं के जीवन में भी सकारात्मकता लाता है। • इस रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति की अंतरआत्मा भी मजबूत होती है। • कमजोर दिल वालों के लिए भी यह रुद्राक्ष औषधि की तरह काम करता है। • यह सांस और मूत्र से संबंधित बीमारियों को दूर करने में भी मदद करता है।...

रुद्राक्ष : दिव्य उर्जा का स्त्रोत Rudraksha: Source Of Divine Energy

रुद्राक्ष क्या है । What is Rudraksha भारतीय संस्कृति मे रुद्राक्ष ( Rudraksha) का विशेष महत्व है, अथर्ववेद और रुद्राक्षजाबालोपनिषद मे रुद्राक्ष का सविस्तार वर्णन देखनेको मिलता है. भाषाकीय दृष्टि से रुद्राक्ष दो शब्दो से मिला है; रुद्र + अक्ष = रुद्राक्ष । रुद्र अर्थात शिव,अग्नि,रक्त,प्राण, और इंद्रिया और अक्ष का अर्थ आँख,पांख, और जलबिंदु . शिव के चक्षु मे से जो आँसू पृथ्वी पर गिरे और उसमे से जो बीज अंकुरित हुए वो है रुद्राक्ष। धार्मिक दृष्टि से रुद्राक्ष कालाग्निरुद्र (शिव) स्वरूप है, वस्तुत: रुद्राक्ष पृथ्वीलोक का दैवीय वृक्ष है और सकारात्मक उर्जा से भरपूर है। सामान्य तोर से हम जिसे रुद्राक्ष के रूप से जानते है वह वास्तव मे रुद्राक्ष के वृक्ष के बीज है, यह वृक्ष आमतोर से पर्वतीय विस्तार के ऊंचाई ऊपर उगते है. खास करके नेपाल, हिमाचल प्रदेश, बर्मा, थाइलैंड और इन्डोनेशिया मे दिखे जाते है, इन सब मे हिमालय के पर्वतमाला मे उगते वृक्ष श्रेष्ठ है। रुद्राक्ष के वृक्ष पर मार्च महीने मे फूल खिलनेकी मौसम शुरू होती है और इस फूलो मे से विशिष्ट प्रकार की छाल वाले बीज (जुवार के दाने से लेकर आंबले के साइज़ के बीज) तैयार होते है, इस छाल को निकालने से उसमे से विविध मुख(1 से 27) के रुद्राक्ष मिले जाते है। एक, दो और चौदामुखी के ऊपर के ओरिजनल रुद्राक्ष मिलना बहुत ही द्र्लभ है, वर्तमान समय में कुछ व्यापारी भद्राक्ष को रुद्राक्ष बोलकर और चार, पांच, छह, सात, आठ मुखी रुद्राक्ष के बीच में कट लगाकर नौ से सत्ताईस मुखी रुद्राक्ष बनाकर लोगों को धोखा देते हैं। रुद्राक्ष प्राकृतिक रूप से लाल,पीला और काला तीन रंगों का होता है। पीले रंग का रुद्राक्ष उत्तम माना जाता है,लाल रंग का रुद्राक्ष मध्यम और काले रंग ...