पाबूजी राठौड़ का इतिहास

  1. लोकदेवता पाबूजी राठौड़
  2. लोक देवता पाबूजी राठौड़
  3. भाथीजी राठौड़ का इतिहास और परिचय (जन्म, परिवार, मेले, फिल्म, निधन)
  4. पाबूजी महाराज का इतिहास
  5. लोक देवता पाबूजी राठौड़ का जीवन परिचय(LOKDEVTA PABU JI RATHORE)
  6. लोक देवता पाबूजी राठौड़ का जीवन परिचय(LOKDEVTA PABU JI RATHORE)
  7. पाबूजी महाराज का इतिहास
  8. भाथीजी राठौड़ का इतिहास और परिचय (जन्म, परिवार, मेले, फिल्म, निधन)
  9. लोक देवता पाबूजी राठौड़
  10. लोकदेवता पाबूजी राठौड़


Download: पाबूजी राठौड़ का इतिहास
Size: 13.22 MB

लोकदेवता पाबूजी राठौड़

लोकदेवता पाबूजी राठौड़ लक्ष्मण के अवतार माने जाते हैं। ये राठौड़ वंश के राजपूत थे और मारवाड़ रियासत के पहले शासक राव सींहा के वंशज थे। पाबूजी राठौड़ का सामान्य परिचय पाबूजी राठौड़ का जन्म सन 1239 ईसवी में कोलूमण्ड गांव में हुआ था। यह कोलूमण्ड गांव वर्तमान में जोधपुर जिले में पड़ता है। इनके पिता का नाम धांधल देव राठौड़ था तथा इनकी माता का नाम कमलदे था। इनका विवाह अमराना के राजा सूरज सिंह सोढा की पुत्री सुप्यारदे के साथ हुआ था। यह अमराना वर्तमान में पाकिस्तान में हैं और अमरकोट के नाम से जाना जाता है। इनके बड़े भाई का नाम बूढोजी था। बहनोई जीन्दराव खींची से विवाद इनकी कथा कुछ इस प्रकार है। कोलूमण्ड गांव में देवल चारणी नाम की महिला रहती थी। देवल चारणी के पास एक अद्वितीय घोड़ी थी। इस घोड़ी का नाम केसर कालमी था। पाबूजी की बहन का विवाह जायल (वर्तमान में नागौर जिले में) के जागीरदार जीन्दराव खींची के साथ हुआ था। जीन्दराव खींची एक बार अपनी ससुराल कालूमण्ड आये जहां उन्होंने देवल चारणी की घोड़ी केसर कालमी को देखा। खींची को वह घोड़ी पसन्द आयी। उन्होंने देवल चारणी से वह घोड़ी देने को कहा तो उसने मना कर दिया। इस पर खींची और देवल चारणी के मध्य विवाद हो गया। पाबूजी ने इस विवाद को शांत कराया। खींची को घोड़ी नहीं मिल पाई इसलिए वह रुष्ट होकर चला गया। पाबूजी के विवाह का प्रसंग कुछ समय बाद पाबूजी का विवाह अमरकोट के राजा की पुत्री से तय हो गया। पाबूजी ने अपने बहनोई को विवाह में आमंत्रित किया पर वह द्वेषवश नहीं आया। पाबूजी जब विवाह के लिए अमरकोट जाने लगे तब देवल चारणी ने वह घोड़ी उन्हें दे दी। पाबूजी देवल चारणी की घोड़ी केसर कालमी पर सवार होकर गए हैं यह जानकर खींची बहुत क्रुद्ध हुआ। वह गुस्से में ...

लोक देवता पाबूजी राठौड़

• • • • जन्म राजस्थान के लोक देवता पाबूजी राठौड़ का जन्म वि.संवत 1313 में ज़िले में के पास नामक गाँव में हुआ था। पाबूजी के पिता का नाम था। धाँधल एक दुर्गपति थे। पाबूजी का विवाह एवं गायों की रक्षा करना पाबूजी राठौड़ का विवाह के निवासी सोढ़ा की बेटी के साथ हुआ था। विवाह करने के लिये पाबूजी ने देवलजी चारणी से उनकी कालवी नामक घोड़ी ले गये थे। पाबूजी राठौड़ ने फेरे लेते हुए सुना कि जिंदराव खिंची नामक व्यक्ति की गायों को अपहरण कर ले जा रहे हैं। पाबूजी ने देवलजी को उनकी गायों की रक्षा का वचन दिया था कि वो उनकी गायों की रक्षा करेंगे। पाबूजी गायों की रक्षा करते-करते वीरगति को प्राप्त हो गये।

भाथीजी राठौड़ का इतिहास और परिचय (जन्म, परिवार, मेले, फिल्म, निधन)

गौवंश का भारतवर्ष में सांस्कृतिक, धार्मिक व आर्थिक रूप से हमेशा विशिष्ट स्थान रहा है। गौवंश भारतीय समाज में आर्थिक समृद्धि का भी प्रतीक रहा है। इसीलिए सदियों पूर्व भी गौवंश पर लुटेरों का खतरा हमेशा बना रहता था। गौवंश को बचाने केलिए असंख्य लोगों ने अपने प्राणों की आहुतियाँ दी। ऐसे ही गुजरात में ‘फागवेल’ गौरक्षक हुए थे भाथीजी राठौड़। भाथीजी महाराज को वर्तमान में लोग देवता के रूप में पूजते हैं। उनकी मान्यता है कि वे उनके परिवार को बीमारियों व सांप, बिच्छु जैसे जहरीले जीवों से रक्षा करते हैं। विषय सूची • • • • • • • भाथीजी राठौड़ की जीवनी एक नजर में नाम भाथीजी राठौड़ जन्म और जन्म स्थान लगभग 350 वर्ष पूर्व, फागवेल, खेड़ा (गुजरात) माता-पिता का नाम तखतसिंह (पिता) भाई-बहन भाई (1): हाथीजी बहिन (2): सोनबा, बन्जीबा पत्नी राजकुमारी अक्कलबा प्रसिद्धि लोकदेवता शौक घुड़सवारी मुख्य मंदिर फागवेल, तहसील: कपड़वंज, जिला: खेड़ा (गुजरात) निधन गायों की रक्षा करते समय युद्ध में भाथीजी राठौड़ कौन थे? आज से लगभग 350 वर्ष पूर्व आध्यात्मिक व शक्तिशाली व्यक्तित्व के धनी राठौड़ तख्तसिंहजी मानसिंहजी फागवेल (अब गुजरात के खेड़ा जिले में) का प्रबन्धन उनके हाथ में था।उनके शासन में प्रजा सुखी जीवन बिताती थी। इनका विवाह ‘चिखडोल’ की आध्यात्मिक व धार्मिक प्रवृत्ति की राजकुमारी अक्कलबा से हुआ था। तखतसिंहजी पावागढ़ स्थित ‘महाकाली’ व डाकोर स्थित ‘रणछोड़राय’ के भक्त थे और कई बार इन तीर्थों की यात्रा भी करते रहते थे, जिनके कारण उनको भाथीजी जैसे दिव्य पुत्र की प्राप्ति हुई। भाथीजी के एक छोटे भाई थे, जिनका नाम हाथीजी था व दो बहनें थी, जिनका नाम सोनबा व बन्जीबा था। भाथीजी घुड़सवारी के शौकीन थे व साथ ही भक्तिभाव से सर्प...

पाबूजी महाराज का इतिहास

पाबू जी की जीवनी (Pabuji Biography in Hindi) जन्म 1239 ई. (विक्रम संवत् 1296) जन्मस्थान जोधपुर जिले के फलोदी में कोलू/कोलूमंड गाँव मृत्यु विक्रम संवत् 1233 (37 वर्ष) मृत्युस्थान देचूँ गाँव पूरा नाम वीर पाबूजी महाराज अन्य नाम ऊँटों का देवता, गौ रक्षक देवता, लक्ष्मण जी का अवतार, हाङ-फाङ देवता, मेहर जाति के मुसलमान पीर, प्लेग रक्षक देवता। पिता श्री धाँधलजी राठौङ माता श्रीमती ’कमला दे’ राजवंश राठौङ धर्म हिन्दू पत्नी श्रीमती सुपियार/फुलमदे पाबूजी की घोङी केसर कालमी बहनें सोनल बाई और पेमल बाई भाई बूडोजी पांच साथी सरदार चांदोजी, हरमल जी राइका, सावंतजी, डेमाजी, सलजी सोलंकी। प्रसिद्धि लोक देवता, गौ रक्षक, वीर योद्धा पाबूजी का जन्म कब हुआ – Pabuji Ka Janm Kab Hua राठौङ राजवंश के पाबूजी राठौड़ का जन्म 1239 ईस्वी 13 वीं शताब्दी में फलौदी (जोधपुर) के निकट कोलूमण्ड गाँव में हुआ था। इनके पिता का नाम धाँधलजी राठौङ तथा माता का नाम ’कमला दे’ था। ये राठौङों के मूल पुरुष ’राव सीहा’ के वंशज थे। धांधल जी के चार संतानें थी जिनमें से उनके दो पुत्र और दो पुत्रियां थी। उनके पुत्र – पाबूजी व बूडोजी थे तथा बहनें – सोनल बाई और पेमल बाई थी। आना बघेला जैसे शक्ति संपन्न शासक के भगोङे सात थोरी-भाईयों (चांदा, देवा, खापू, पेमा, खलमल, खंधार और चासल) को पाबू ने आश्रय देकर उनकी रक्षा की। पाबूजी का विवाह – Pabuji Ka Vivah पाबूजी का विवाह अमरकोट के राजा सूरजमल सोढ़ा की पुत्री सुप्यारदे से हुआ था। पाबूजी के बहनोई नागौर के राजा जिंदराव खींची था। पाबूजी व जिंदराव खींची की आपस में बनती नहीं थे। जब इनका विवाह हो रहा था तब उनके बहनोई जिंदराव खींची ने विवाह में विघ्न डाला। खींची ने अपनी पुरानी दुश्मनी निकालने के लिए देव...

लोक देवता पाबूजी राठौड़ का जीवन परिचय(LOKDEVTA PABU JI RATHORE)

सोढी छोड़ी बिल्खती , माथै सावण मौड़ । अमला वैला आपने ,रंग है पाबुजी राठौड़।। ●राव सिहाजी "मारवाड में राठौड वंश के संस्थापक " उनके तीन पुत्र थे। राव आस्थानजी, राव अजेसीजी, राव सोनगजी ! ●राव आस्थानजी के आठ पूत्र थे ! राव धुहडजी, राव धांधलजी, राव हरकडजी,राव पोहडजी, राव खिंपसिजी, राव आंचलजी,राव चाचिंगजी, राव जोपसाजी ! ●राव धांधलजी राठौड़ के दो पुत्र थे ! बुढोजी और पाबुजी ! ●श्री पाबूजी राठौङ का जन्म 1313 ई में कोळू ग्राम में हुआ था ! कोळू ग्राम जोधपुर में फ़लौदी के पास है। धांधलजी कोळू ग्राम के राजा थे, धांधल जी की ख्याति व नेक नामी दूर दूर तक प्रसिद्ध थी। ●एक दिन सुबह सवेरे धांधलजी अपने तालाब पर नहाकर भगवान सूर्य को जल तर्पण कर रहे थे। तभी वहां पर एक बहुत ही सुन्दर अप्सरा जमीन पर उतरी ! राजा धांधल जी उसे देख कर उस पर मोहित हो गये, उन्होने अप्सरा के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा। ●जवाब में अप्सरा ने एक वचन मांगा कि राजन ! आप जब भी मेरे कक्ष में प्रवेश करोगे तो सुचना करके ही प्रवेश करोगे। जिस दिन आप वचन तोङेगें मै उसी दिन स्वर्ग लोक लौट जाउगीं, राजा ने वचन दे दिया। कुछ समय बाद धांधलजी के घर मे पाबूजी के रूप मे अप्सरा मदुधौखा रानी के गर्भ से एक पुत्र का जन्म होता है। समय अच्छी तरह बीत रहा था, एक दिन भूल वश या कोतुहलवश धांधलजी अप्सरा रानी के कक्ष में बिना सूचित किये प्रवेश कर जाते है। वे देखते है कि अप्सरा रानी पाबूजी को सिंहनी के रूप मे दूध पिला रही है।राजा को आया देख अप्सरा अपने असली रूप मे आ जाती है और राजा धांधलजी से कहती है कि "हे राजन आपने अपने वचन को तोङ दिया है इसलिये अब मै आपके इस लोक में नही रह सकती हूं। मेरे पुत्र पाबूजी कि रक्षार्थ व सहयोग हेतु मै दुबारा एक घोडी ( केशर कालमी...

लोक देवता पाबूजी राठौड़ का जीवन परिचय(LOKDEVTA PABU JI RATHORE)

सोढी छोड़ी बिल्खती , माथै सावण मौड़ । अमला वैला आपने ,रंग है पाबुजी राठौड़।। ●राव सिहाजी "मारवाड में राठौड वंश के संस्थापक " उनके तीन पुत्र थे। राव आस्थानजी, राव अजेसीजी, राव सोनगजी ! ●राव आस्थानजी के आठ पूत्र थे ! राव धुहडजी, राव धांधलजी, राव हरकडजी,राव पोहडजी, राव खिंपसिजी, राव आंचलजी,राव चाचिंगजी, राव जोपसाजी ! ●राव धांधलजी राठौड़ के दो पुत्र थे ! बुढोजी और पाबुजी ! ●श्री पाबूजी राठौङ का जन्म 1313 ई में कोळू ग्राम में हुआ था ! कोळू ग्राम जोधपुर में फ़लौदी के पास है। धांधलजी कोळू ग्राम के राजा थे, धांधल जी की ख्याति व नेक नामी दूर दूर तक प्रसिद्ध थी। ●एक दिन सुबह सवेरे धांधलजी अपने तालाब पर नहाकर भगवान सूर्य को जल तर्पण कर रहे थे। तभी वहां पर एक बहुत ही सुन्दर अप्सरा जमीन पर उतरी ! राजा धांधल जी उसे देख कर उस पर मोहित हो गये, उन्होने अप्सरा के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा। ●जवाब में अप्सरा ने एक वचन मांगा कि राजन ! आप जब भी मेरे कक्ष में प्रवेश करोगे तो सुचना करके ही प्रवेश करोगे। जिस दिन आप वचन तोङेगें मै उसी दिन स्वर्ग लोक लौट जाउगीं, राजा ने वचन दे दिया। कुछ समय बाद धांधलजी के घर मे पाबूजी के रूप मे अप्सरा मदुधौखा रानी के गर्भ से एक पुत्र का जन्म होता है। समय अच्छी तरह बीत रहा था, एक दिन भूल वश या कोतुहलवश धांधलजी अप्सरा रानी के कक्ष में बिना सूचित किये प्रवेश कर जाते है। वे देखते है कि अप्सरा रानी पाबूजी को सिंहनी के रूप मे दूध पिला रही है।राजा को आया देख अप्सरा अपने असली रूप मे आ जाती है और राजा धांधलजी से कहती है कि "हे राजन आपने अपने वचन को तोङ दिया है इसलिये अब मै आपके इस लोक में नही रह सकती हूं। मेरे पुत्र पाबूजी कि रक्षार्थ व सहयोग हेतु मै दुबारा एक घोडी ( केशर कालमी...

पाबूजी महाराज का इतिहास

पाबू जी की जीवनी (Pabuji Biography in Hindi) जन्म 1239 ई. (विक्रम संवत् 1296) जन्मस्थान जोधपुर जिले के फलोदी में कोलू/कोलूमंड गाँव मृत्यु विक्रम संवत् 1233 (37 वर्ष) मृत्युस्थान देचूँ गाँव पूरा नाम वीर पाबूजी महाराज अन्य नाम ऊँटों का देवता, गौ रक्षक देवता, लक्ष्मण जी का अवतार, हाङ-फाङ देवता, मेहर जाति के मुसलमान पीर, प्लेग रक्षक देवता। पिता श्री धाँधलजी राठौङ माता श्रीमती ’कमला दे’ राजवंश राठौङ धर्म हिन्दू पत्नी श्रीमती सुपियार/फुलमदे पाबूजी की घोङी केसर कालमी बहनें सोनल बाई और पेमल बाई भाई बूडोजी पांच साथी सरदार चांदोजी, हरमल जी राइका, सावंतजी, डेमाजी, सलजी सोलंकी। प्रसिद्धि लोक देवता, गौ रक्षक, वीर योद्धा पाबूजी का जन्म कब हुआ – Pabuji Ka Janm Kab Hua राठौङ राजवंश के पाबूजी राठौड़ का जन्म 1239 ईस्वी 13 वीं शताब्दी में फलौदी (जोधपुर) के निकट कोलूमण्ड गाँव में हुआ था। इनके पिता का नाम धाँधलजी राठौङ तथा माता का नाम ’कमला दे’ था। ये राठौङों के मूल पुरुष ’राव सीहा’ के वंशज थे। धांधल जी के चार संतानें थी जिनमें से उनके दो पुत्र और दो पुत्रियां थी। उनके पुत्र – पाबूजी व बूडोजी थे तथा बहनें – सोनल बाई और पेमल बाई थी। आना बघेला जैसे शक्ति संपन्न शासक के भगोङे सात थोरी-भाईयों (चांदा, देवा, खापू, पेमा, खलमल, खंधार और चासल) को पाबू ने आश्रय देकर उनकी रक्षा की। पाबूजी का विवाह – Pabuji Ka Vivah पाबूजी का विवाह अमरकोट के राजा सूरजमल सोढ़ा की पुत्री सुप्यारदे से हुआ था। पाबूजी के बहनोई नागौर के राजा जिंदराव खींची था। पाबूजी व जिंदराव खींची की आपस में बनती नहीं थे। जब इनका विवाह हो रहा था तब उनके बहनोई जिंदराव खींची ने विवाह में विघ्न डाला। खींची ने अपनी पुरानी दुश्मनी निकालने के लिए देव...

भाथीजी राठौड़ का इतिहास और परिचय (जन्म, परिवार, मेले, फिल्म, निधन)

गौवंश का भारतवर्ष में सांस्कृतिक, धार्मिक व आर्थिक रूप से हमेशा विशिष्ट स्थान रहा है। गौवंश भारतीय समाज में आर्थिक समृद्धि का भी प्रतीक रहा है। इसीलिए सदियों पूर्व भी गौवंश पर लुटेरों का खतरा हमेशा बना रहता था। गौवंश को बचाने केलिए असंख्य लोगों ने अपने प्राणों की आहुतियाँ दी। ऐसे ही गुजरात में ‘फागवेल’ गौरक्षक हुए थे भाथीजी राठौड़। भाथीजी महाराज को वर्तमान में लोग देवता के रूप में पूजते हैं। उनकी मान्यता है कि वे उनके परिवार को बीमारियों व सांप, बिच्छु जैसे जहरीले जीवों से रक्षा करते हैं। विषय सूची • • • • • • • भाथीजी राठौड़ की जीवनी एक नजर में नाम भाथीजी राठौड़ जन्म और जन्म स्थान लगभग 350 वर्ष पूर्व, फागवेल, खेड़ा (गुजरात) माता-पिता का नाम तखतसिंह (पिता) भाई-बहन भाई (1): हाथीजी बहिन (2): सोनबा, बन्जीबा पत्नी राजकुमारी अक्कलबा प्रसिद्धि लोकदेवता शौक घुड़सवारी मुख्य मंदिर फागवेल, तहसील: कपड़वंज, जिला: खेड़ा (गुजरात) निधन गायों की रक्षा करते समय युद्ध में भाथीजी राठौड़ कौन थे? आज से लगभग 350 वर्ष पूर्व आध्यात्मिक व शक्तिशाली व्यक्तित्व के धनी राठौड़ तख्तसिंहजी मानसिंहजी फागवेल (अब गुजरात के खेड़ा जिले में) का प्रबन्धन उनके हाथ में था।उनके शासन में प्रजा सुखी जीवन बिताती थी। इनका विवाह ‘चिखडोल’ की आध्यात्मिक व धार्मिक प्रवृत्ति की राजकुमारी अक्कलबा से हुआ था। तखतसिंहजी पावागढ़ स्थित ‘महाकाली’ व डाकोर स्थित ‘रणछोड़राय’ के भक्त थे और कई बार इन तीर्थों की यात्रा भी करते रहते थे, जिनके कारण उनको भाथीजी जैसे दिव्य पुत्र की प्राप्ति हुई। भाथीजी के एक छोटे भाई थे, जिनका नाम हाथीजी था व दो बहनें थी, जिनका नाम सोनबा व बन्जीबा था। भाथीजी घुड़सवारी के शौकीन थे व साथ ही भक्तिभाव से सर्प...

लोक देवता पाबूजी राठौड़

• • • • जन्म राजस्थान के लोक देवता पाबूजी राठौड़ का जन्म वि.संवत 1313 में ज़िले में के पास नामक गाँव में हुआ था। पाबूजी के पिता का नाम था। धाँधल एक दुर्गपति थे। पाबूजी का विवाह एवं गायों की रक्षा करना पाबूजी राठौड़ का विवाह के निवासी सोढ़ा की बेटी के साथ हुआ था। विवाह करने के लिये पाबूजी ने देवलजी चारणी से उनकी कालवी नामक घोड़ी ले गये थे। पाबूजी राठौड़ ने फेरे लेते हुए सुना कि जिंदराव खिंची नामक व्यक्ति की गायों को अपहरण कर ले जा रहे हैं। पाबूजी ने देवलजी को उनकी गायों की रक्षा का वचन दिया था कि वो उनकी गायों की रक्षा करेंगे। पाबूजी गायों की रक्षा करते-करते वीरगति को प्राप्त हो गये।

लोकदेवता पाबूजी राठौड़

लोकदेवता पाबूजी राठौड़ लक्ष्मण के अवतार माने जाते हैं। ये राठौड़ वंश के राजपूत थे और मारवाड़ रियासत के पहले शासक राव सींहा के वंशज थे। पाबूजी राठौड़ का सामान्य परिचय पाबूजी राठौड़ का जन्म सन 1239 ईसवी में कोलूमण्ड गांव में हुआ था। यह कोलूमण्ड गांव वर्तमान में जोधपुर जिले में पड़ता है। इनके पिता का नाम धांधल देव राठौड़ था तथा इनकी माता का नाम कमलदे था। इनका विवाह अमराना के राजा सूरज सिंह सोढा की पुत्री सुप्यारदे के साथ हुआ था। यह अमराना वर्तमान में पाकिस्तान में हैं और अमरकोट के नाम से जाना जाता है। इनके बड़े भाई का नाम बूढोजी था। बहनोई जीन्दराव खींची से विवाद इनकी कथा कुछ इस प्रकार है। कोलूमण्ड गांव में देवल चारणी नाम की महिला रहती थी। देवल चारणी के पास एक अद्वितीय घोड़ी थी। इस घोड़ी का नाम केसर कालमी था। पाबूजी की बहन का विवाह जायल (वर्तमान में नागौर जिले में) के जागीरदार जीन्दराव खींची के साथ हुआ था। जीन्दराव खींची एक बार अपनी ससुराल कालूमण्ड आये जहां उन्होंने देवल चारणी की घोड़ी केसर कालमी को देखा। खींची को वह घोड़ी पसन्द आयी। उन्होंने देवल चारणी से वह घोड़ी देने को कहा तो उसने मना कर दिया। इस पर खींची और देवल चारणी के मध्य विवाद हो गया। पाबूजी ने इस विवाद को शांत कराया। खींची को घोड़ी नहीं मिल पाई इसलिए वह रुष्ट होकर चला गया। पाबूजी के विवाह का प्रसंग कुछ समय बाद पाबूजी का विवाह अमरकोट के राजा की पुत्री से तय हो गया। पाबूजी ने अपने बहनोई को विवाह में आमंत्रित किया पर वह द्वेषवश नहीं आया। पाबूजी जब विवाह के लिए अमरकोट जाने लगे तब देवल चारणी ने वह घोड़ी उन्हें दे दी। पाबूजी देवल चारणी की घोड़ी केसर कालमी पर सवार होकर गए हैं यह जानकर खींची बहुत क्रुद्ध हुआ। वह गुस्से में ...