Paralysis attack symptoms in hindi

  1. Janiye Paralysis Symptoms, Causes aur Iske Liye Aahar
  2. Paralysis Symptoms, Risk Factors, Diagnosis and Treatment
  3. 40 साल से कम उम्र के युवा हो रहे इस खतरनाक बीमारी के शिकार, ऑफिस का तनाव पड़ रहा भारी
  4. पैरालिसिस : जानिए कारण, प्रकार और उपाय
  5. चेहरे (मुंह) का लकवा के लक्षण, कारण, इलाज, दवा, उपचार और परहेज
  6. जानें, पैरालिसिस के लक्षण और शरीर पर पड़ने वाले EFFECTS
  7. पैरालिसिस (लकवा) के लक्षण, कारण, इलाज, दवा, उपचार और परहेज


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Janiye Paralysis Symptoms, Causes aur Iske Liye Aahar

Lakwa tab lagta hai jab achanak hi humare dimaag ki kisi bhi hisse me rakt pahuchna band ho jata hai ya phir dimaag ki koi khoon ki nail phat jati hai aur mastishk ki koshhikayo ke aas paas ki jagah par khoon bhar jata hai. Aise me insaan apni bolne aur samjhne ki kshamta ko kho baithta hai aur saath me uske sharir ka ek hissa akad jata hai. Kya aap jante hai ki stroke kis-kis ko ho sakta hai? Wese to stroke kisi bhi vyakti ko ho sakta hai lekin jyadatar yeh aadmiyo ko hota hai jo ki 55 saal ki umra paar kart par kar chuke ho, wo log jinke parivar me kisi ko lakwa maar chukka ho , high blood pressure wale marij, high cholesterol, madhumeh rogi, Motape se grast vyakti, atyadhik kokin, sharab ka prayog karne wale vyakti, aadi ko stroke hone ki sambhavna sabse jyada hoti hai. Chehre ka stroke atyant vyapak roga hai aur har aayu me ho sakta hai, jisme aadha chehra kisi bhi din sabere ya nahane ke baad lakwa gwast ho sakta hai. Yeh prayae aadhe chehre par hi apna asar dikhata hai. Lekin turant ilaaj ke dwara is bimari se bcha ja sakta hai. Paralysis Symptoms ke bare me baat karte hai. Hisse ki aap iske lakshano ko pahchan kar. Jaldi is bimari se bach sakte hai. Iske hone ke turant baad hi dimag ki koshikaye marne lagti hai aur sanket saaf dikhai dene lagte hai. Paralysis Symptoms in Hindi, Lakwa ke Lakshano ko Pahchaniye • Bolne me taklif. • Sharir sunn hona. • Double dikhai dena ya dhundla bhi dikhai deta hai. • Sar me tez dard hona. • Behoshi hona. • Haath aur pairo me akdan....

Paralysis Symptoms, Risk Factors, Diagnosis and Treatment

Paralysis is the loss of muscle function in the body. Paralysis is sometimes temporary and in a few cases, it is permanent. Paralysis is not limited to any particular part of the body, but most cases of paralysis are observed in limbs. Partial and complete paralysis can occur at any point in time. A patient suffering from paralysis is not inflicted by any pain upon occurrence. Depending on the nature of the underlying cause, the treatment plan is charted either to cure or to treat the condition to ensure that the daily lifestyle of the patient is not drastically affected. A stroke is the most common underlying condition that triggers partial or complete paralysis in a patient. In partial paralysis, the patient is still in partial control of the affected muscle, incomplete paralysis, the patient has no control over the affected muscle tissue. The most prominently known types of paralysis are: • Monoplegia • Hemiplegia • Paraplegia • Quadriplegia • Locked-in syndrome Monoplegia: Monoplegia is a type of paralysis where the person loses control over one limb. Often the paralysis is limited to a single-arm, sometimes even limited to certain muscles in an arm. Monoplegia is often the side effect of cerebral palsy. In cerebral palsy, the brain loses the ability to control certain muscles of the body. Infants and early adolescents are mostly affected by cerebral palsy. Monoplegia is considered a good sign in the prognosis of this syndrome as the paralysis is limited to a single li...

40 साल से कम उम्र के युवा हो रहे इस खतरनाक बीमारी के शिकार, ऑफिस का तनाव पड़ रहा भारी

40 साल से कम उम्र के युवा हो रहे इस खतरनाक बीमारी के शिकार, ऑफिस का तनाव पड़ रहा भारी तनाव अब जिंदगी का खतरनाक हिस्सा बनता जा रहा है। बच्चों में पढ़ाई या प्रतियोगिता में बेहतर प्रदर्शन करने का तनाव हो या कार्यालय, पारिवारिक जिंदगी या आर्थिक समस्याओं को लेकर तनाव, हम हर समय किसी न किसी बात को लेकर तनाव में रहते हैं। लेकिन यह तनाव अब हमें ऐसी खतरनाक बीमारियां सौंप रहा है, जो हमारी जिंदगी पर भारी पड़ने लगी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि तनाव हमें लकवा (Paralysis) जैसी गंभीर बीमारियों की चपेट में भी ला सकता ,है जो अभी तक सामान्य तौर पर अधिक उम्र के लोगों को हुआ करता था। हर चौथा मरीज 40 साल से कम उम्र का एक अनुमान के मुताबिक लकवे का हर चौथा मरीज अब चालीस साल से कम उम्र का पाया जा रहा है। युवाओं के इस बीमारी की चपेट में आने के पीछे तनाव और अव्यवस्थित जीवन शैली को प्रमुख माना जा रहा है। भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में लकवे की सबसे ज्यादा समस्या देखी जाती है। इसके पीछे खानपान और आनुवांशिक कारण प्रमुख कारक हो सकते हैं। हर 20 सेकंड में लकवा एक नए व्यक्ति को अपनी गिरफ्त में लेता है, जबकि हर दो मिनट में इसके कारण एक व्यक्ति की मौत हो जाती है। गलत तरीके से वर्कआउट भी वजह युवाओं में इस तरह की समस्या आने के पीछे बदलती जीवन शैली भी बड़ी वजह मानी जा रही है। धूम्रपान, स्वस्थ्य आहार न खाना, तैलीय पदार्थों का अधिक उपयोग जैसी समस्याएं भी युवाओं में लकवे के खतरे को बढ़ा रही हैं। खून का किसी भी कारण से मोटा होना लकवे को दावत देने जैसा है। इसी प्रकार रक्त नलिकाओं में वसा जमा हो जाने के कारण रक्त प्रवाह में आई बाधा भी लकवे को निमंत्रण देती है। जिम में गलत तरीके से वर्कआउट करना या डांस के समय गलत ...

पैरालिसिस : जानिए कारण, प्रकार और उपाय

आयुर्वेद के अनुसार पैरालिसिस यानि लकवा या पक्षाघात एक वायु रोग है, जिसके प्रभाव से संबंधित अंग की शारीरिक प्रतिक्रियाएं, बोलने और महसूस करने की क्षमता खत्म हो जाती हैं। आयुर्वेद में पैरालिसिस के 5 प्रकार बताए गए हैं और इसके लिए कोई विशेष कारण जिम्मेदार नहीं होता, बल्कि इसके कई कारण हो सकते हैं। जानिए इसके कारण, प्रकार और उपाय - कारण : युवावस्था में अत्यधिक भोग विलास, नशीले पदार्थों का सेवन, आलस्य आदि से स्नायविक तंत्र धीरे-धीरे कमजोर होता जाता है। जैसे-जैसे आयु बढ़ती जाती है, इस रोग के आक्रमण की आशंका भी बढ़ती जाती है। सिर्फ आलसी जीवन जीने से ही नहीं, बल्कि इसके विपरीत अति भागदौड़, क्षमता से ज्यादा परिश्रम या व्यायाम, अति आहार आदि कारणों से भी लकवा होने की स्थिति बनती है। 4 अधरांगघात :इस रोग में कमर से नीचे का भाग यानी दोनों पैर लकवाग्रस्त हो जाते हैं। यह रोग सुषुम्ना नाड़ी में विकृति आ जाने से होता है। यदि यह विकृति सुषुम्ना के ग्रीवा खंड में होती है, तो दोनों हाथों को भी लकवा हो सकता है। जब लकवा 'अपर मोटर न्यूरॉन' प्रकार का होता है, तब शरीर के दोनों भाग में लकवा होता है। 5 बाल पक्षाघात :बच्चे को होने वाला पक्षाघात एक तीव्र संक्रामक रोग है। जब एक प्रकार का विशेष कीड़ा सुषुम्ना नाड़ी में प्रवेश कर उसे नुकसान पहुंचाता है तब सूक्ष्म नाड़ी और मांसपेशियों को आघात पहुंचता है, जिसके कारण उनके अतंर्गत आने वाली शाखा क्रियाहीन हो जाती है। इस रोग का आक्रमण अचानक होता है और यह ज्यादातर 6-7 माह की आयु से ले कर 3-4 वर्ष की आयु के बीच बच्चों को होता है। * रसराज रस व वृहत वात चिंतामणि रस 5-5 ग्राम, एकांगीवीर रस, वात गजांकुश रस, पीपल 64 प्रहरी, तीनों 10-10 ग्राम। सबको मिलाकर पीसकर एकजान कर लें।...

चेहरे (मुंह) का लकवा के लक्षण, कारण, इलाज, दवा, उपचार और परहेज

चेहरे का लकवा क्या है? जब नसों में किसी प्रकार की क्षति के कारण चेहरे की मांसपेशियों का हिलना-डुलना (जैसे हंसना, बोलना और मुंह खोलना आदि) कम हो जाता है तो इस स्थिति को चेहरे का • चेहरो की नसों में सूजन, लालिमा या • सिर पर चोट लगना (या सिर पर कुछ जोर से लगना) • सिर में या गर्दन में ट्यूमर बनना (और पढ़ें - • चेहरे का लकवा अचानक से (उदाहरण के लिए (और पढ़ें - चेहरे का लकवे में कौन से लक्षण होते हैं? इसके लक्षणों में निम्न शामिल हैं: बेल्स पाल्सी (Bell’s palsy): वैसे तो चेहरे का लकवा एक भयानक स्थिति होती है लेकिन हमेशा इसका यही मतलब नहीं होता है कि आपको स्ट्रोक हो गया है। चेहरे के लकवे का परीक्षण ज्यादातर बेल्स पाल्सी के रूप में किया जाता है। बेल्स पाल्सी के लक्षण निम्न लक्षणों के साथ शामिल हो सकते हैं: • चेहरे की एक तरफ लकवा मारना (चेहरे की दोनों तरफ बहुत ही दुर्लभ मामलों में प्रभावित होती है) • लकवे से प्रभावित हिस्से वाली पलक को झपकाने पर नियंत्रण न रहना • प्रभावित हिस्से वाली आंख से आंसू कम आना (और पढ़ें - • प्रभावित हिस्से से मुंह लटका हुआ प्रतीत होना • स्वाद महसूस करने की भावना में बदलाव • अस्पष्ट रूप से बोलना (और पढ़ें - • मुंह से लार टपकना • • प्रभावित हिस्से में आवाज के प्रति अतिसंवेदनशीलता होना (आवाज सहन ना कर पाना) • खाने या पीने में कठिनाई (और पढ़ें - स्ट्रोक: स्ट्रोक से ग्रस्त लोगों को अक्सर बेल्स पाल्सी से जुड़े लक्षणों के समान लक्षण महसूस होते हैं। हालांकि स्ट्रोक में आमतौर पर कुछ अतिरिक्त लक्षण भी महसूस होते हैं जो बेल्स पाल्सी में महसूस नहीं होते। बेल्स पाल्सी से जुड़े लक्षणों के अलावा स्ट्रोक में महसूस होने वाले कुछ अतिरिक्त लक्षण निम्न हैं: • चेतना के स्तर में ब...

जानें, पैरालिसिस के लक्षण और शरीर पर पड़ने वाले EFFECTS

लाइफस्टाइल डेस्क: शरीर की मांसपेशियों में आई अस्थिरता को पैरालिसिस कहते हैं। इस अवस्था में शरीर की कुछ मांसपेशियां काम करना बंद कर देती हैं। पैरालिसिस या लकवा की समस्या नर्वस सिस्टम में आई शिथिलता से पैदा होती है। शरीर या उसकी मांसपेशियां सेंसरी नर्व्स और सेंट्रल नर्वस सिस्टम के बीच होने वाले संचार से नियंत्रित होती हैं। इस संचार में आई किसी भी तरह की बाधा मांसपेशियों को कमजोर बनाती है, जो आगे चलकर पैरालिसिस का रूप लेता है। पैरालिसिस शरीर के किसी भी भाग में हो सकता है। यह आपके पूरे शरीर को प्रभावित कर सकता है जिसे क्वाड्रिप्लेजिया कहते हैं। इसमें हाथ-पैर काम करना बंद कर देते हैं। वहीं, पैराप्लेजिया में शरीर का निचला हिस्सा ही प्रभावित होता है। इसके अलावा पैरालिसिस के लक्षणों की कई अन्य वजहें भी हो सकती हैं, जैसे रीढ़ की हड्डी में चोट, गोली या चाकू लगना, बिजली के झटके जैसी ही अन्य कोई दुर्घटना। ऐसी कई बीमारियां हैं जिनसे पैरालिसिस का खतरा बना रहता है। एचआईवी इन्फेक्शन, आर्थराइटिस, स्पॉन्डलाइटिस ऐसी ही कुछ बीमारियां हैं। विषैले पदार्थों के सेवन या विषैले जानवरों के काटने से भी पैरालिसिस का खतरा हो सकता है। वहीं, पैरालिसिस से हार्ट अटैक, ब्रेन ट्यूमर और ब्रेन हैमरेज का भी खतरा बना रहता है, जो जानलेवा साबित हो सकता है।

पैरालिसिस (लकवा) के लक्षण, कारण, इलाज, दवा, उपचार और परहेज

पैरालिसिस (लकवा, पक्षाघात )​ क्या होता है? लकवा से ग्रस्त व्यक्ति अपनी एक या ज्यादा मांसपेशियों को हिलाने में असमर्थ हो जाता है। (और पढ़ें - मांसपेशियों में किसी प्रकार की समस्या या अन्य बाधा कभी लकवा का कारण नहीं बनती, बल्कि मस्तिष्क से अंगों में संदेश पहुंचाने वालीतंत्रिकाओं और रीढ़ की हड्डीप्रभावित होने कि स्थिति में लकवा हो जाता है। लकवा किसी एक मांसपेशी या समूह को प्रभावित कर सकता है या शरीर के बड़े क्षेत्र को प्रभावित कर सकता है, यह सब उसके कारण पर निर्भर करता है। स्ट्रोक, सिर या मस्तिष्क में चोट, रीढ़ की हड्डी में चोट और (और पढ़ें - जब शरीर का कोई एक लिंब (भुजा और टाँगे) प्रभावित होता है तो उसको मोनोप्लेजिया (Monoplegia) कहा जाता है, जब शरीर के एक तरफ की एक भुजा और एक टांग प्रभावित हो जाए तो उस स्थिति को हेमिप्लेजिया (Hemiplegia) कहते हैं। जब शरीर के निचले हिस्सों के लिंब प्रभावित हो जाएं तो उसे पैराप्लेजिया (Paraplegia) कहा जाता है और चारों भुजा और टाँग प्रभावित होने पर इसे टेट्राप्लेजिया (Tetraplegia) या क्वॉड्रीप्लेजिया (Quadriplegia) कहा जाता है। कई बार जब शरीर के किसी अंग की मांसपेशियां अपना काम करना बंद या कम कर देती हैं तो उस स्थिति को पल्सी (Palsy) के नाम से जाना जाता है। जैसे बेल्स पल्सी (Bell's palsy), यह चेहरे की मांसपेशियों को प्रभावित करती है। लकवा का निदान मरीज के लक्षण, शारीरिक परीक्षण और अन्य टेस्ट जैसे नसों का टेस्ट व स्कैन आदि के आधार पर किया जाता है। (और पढ़ें - अगर किसी व्यक्ति में लकवा स्थायी हो चुका है तो उसका ईलाज नहीं किया जा सकता, मगर कुछ मशीनी अपकरणों की मदद से मरीज के जीवन को जितना हो सके आसान बनाने की कोशिश की जाती है। कुछ मामलों में, जब लकव...