Parimey sankhyaen

  1. परिमेय संख्या क्या होती है? परिभाषा, उदाहरण
  2. Class 8 ganit Notes Chapter 1. परिमेय संख्याएँ
  3. परिमेय तथा अपरिमेय संख्याएँ
  4. परिमेय संख्या किसे कहते हैं उदाहरण सहित परिभाषा लिखिए? Parimey sankhya kise kahte hai
  5. पूर्ण संख्या किसे कहते हैं: परिभाषा एवं गुण
  6. [हिन्दी] Sankhya MCQ [Free Hindi PDF]


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परिमेय संख्या क्या होती है? परिभाषा, उदाहरण

नमस्कार दोस्तों, यदि आप गणित विषय के बारे में रुचि रखते हैं या फिर गणित विषय पढ़ते हैं, तो आपने परिमेय संख्या के बारे में जरूर सुना होगा। अगर आप गणित विषय को अच्छी तरह से समझना चाहते हैं तथा इसकी गहराई में जाना चाहते हैं तो आपको परिमेय संख्या के बारे में जानकारी होना काफी आवश्यक है। क्या आप जानते हैं कि परिमेय संख्या क्या होती है या फिर परिमेय संख्या किसे कहते हैं, यदि आपको इसके बारे में कोई भी जानकारी नहीं है, तथा आप इसके बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो हम आपको इस पोस्ट के माध्यम से इसके बारे में संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं। आज के इस पोस्ट के माध्यम से हम जाने वाले हैं कि परिमेय संख्या किसे कहते हैं, इसके अलावा इस पोस्ट के अंतर्गत हम आपको परिमेय संख्या से जुड़ी लगभग हर जानकारी देने वाले हैं। तो ऐसे में आज का यह आर्टिकल आपके लिए काफी महत्वपूर्ण तथा काफी फायदेमंद होने वाला है, तो इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़िए। परिमेय संख्या किसे कहते हैं? एक पूर्णांक के अंतर्गत दूसरे पूर्णाक का भाग देने के बाद जो न्यूनतम संख्या प्राप्त होती है उसे परिमेय संख्या कहा जाता है। या फिर एक संख्या के अंतर्गत दूसरी संख्या का भाग देने के बाद जो भी संख्या प्राप्त होती है, उसको परिमेय संख्या कहते हैं। परिमेय संख्या को मुख्य रूप से दो प्रकारों में बांटा गया है। जिस तरीके से संख्या भी दो प्रकार की होती है जिसमें धनात्मक संख्या तथा ऋणात्मक संख्या शामिल है उसी प्रकार से परिमेय संख्या भी दो प्रकार की होती है :- A. धनात्मक परिमेय संख्या B. ऋणात्मक परिमेय संख्या 1. धनात्मक परिमेय संख्या ऐसी परिमेय संख्या जिसके अंश तथा हर दोनों धनात्मक होते हैं, उस परिमेय संख्या को धनात्मक परिमेय संख्या कहते ह...

Class 8 ganit Notes Chapter 1. परिमेय संख्याएँ

Class 8 गणित ganit Notes Chapter 1. परिमेय संख्याएँ in Hindi Class 8 ganit note Chapters 1. parimey sankhyaen is written by our expert teacher. This chapter of ganit is belongs to गणित. Language of notes for class 8 Chapter 1. parimey sankhyaen is Hindi. These class 8 1. parimey sankhyaen Notes are prepared with the help of ncert book गणित. These notes for class 8 1. parimey sankhyaen will definitely help the student in scoring good marks in examination

परिमेय तथा अपरिमेय संख्याएँ

Parimey Aparimey Sankhya परिमेय तथा अपरिमेय संख्या के टॉपिक में अधिकतर अभ्यर्थी दोनों के बीच विभेद स्थापित नहीं कर पाते इसलिये यहाँ पर आपके लिए हमें लेकर आये हैं सरल शब्दों में परिमेय तथा अपरिमेय संख्याओं की परिभाषा एवं अर्थ। परिमेय तथा अपरिमेय संख्या परिमेय संख्याएँ (Rational Numbers) जिन संख्याओं का मान या तो निश्चित (Definite) होता है या सतत (Continues) होता है, ऐसी संख्याओं को परिमेय संख्याएँ (Rational Numbers) कहा जाता है। जैसे – 1, 2, 3, . . . . . . . 0 -1, -2, -3, . . . . . . . . 22⁄ 7, 3⁄ 4, 3.14 अपरिमेय संख्याएँ (Irrational Numbers) जिन संख्याओं का मान ना ही निश्चित होता है और ना ही सतत होता है, ऐसी संख्याओं को अपरिमेय संख्याएँ (Irrational Numbers) कहा जाता है। अर्थात जिन संख्याओं का मान अनिश्चित (Indefinite) होता है। जैसे – √2, √3, √5 आदि। सतत एवं असतत और निश्चित एवं अनिश्चित मान जैसा कि हम जानते हैं दुनिया में कोई भी संख्या होती है उसकी कोई ना कोई वैल्यू (Value, मान) या तो होगी या फिर नहीं होगी। इस आधार पर संख्याओं को दो भागों में विभाजित करते हैं। • पहली वे संख्याएँ होगी जिनका कोई ना कोई मान अवश्य होगा यानि कि वास्तविक संख्याएँ ( Real Numbers); जैसे- 1, 0, -1, 3⁄ 4, 3.14 आदि, • दूसरी वे संख्याएँ वे होंगी जिनका कोई मान नहीं होगा यानि कि अवास्तविक संख्याएँ (Imaginary Numbers); जैसे- √-2, √-4, या √2i, 2i आदि। यहाँ “ i” का मान √-1 है जो परिभाषित नहीं है इसलिए यह एक काल्पनिक संख्या (Imaginary Number) है। वास्तविक संख्याएँ ( Real Numbers) यानि कि जिनका कोई ना कोई मान होता है वह मान दो प्रकार का हो सकता है। या तो इन संख्याओं का मान निश्चित होगा या फिर अनिश्चित। • संख्...

परिमेय संख्या किसे कहते हैं उदाहरण सहित परिभाषा लिखिए? Parimey sankhya kise kahte hai

सवाल: परिमेय संख्या किसे कहते हैं उदाहरण सहित परिभाषा लिखिए? उत्तर: वह संख्या जिसे P/q में लिख एवं व्यक्त कर सकते हैं उसे परिमेय संख्या का जाता है। जहां पर जितनी भी संख्या हैं। जो पूर्ण संख्या हो या प्राकृतिक संख्या हो। वह सारी की सारी परिमेय संख्या का कहलाती हैं। क्योंकि इसे चाहे पूर्ण संख्या हो या प्राकृतिक संख्या हो किसी भी संख्या को अगर एक से विभाजित करें तो उस संख्या में कोई फर्क नहीं पड़ता है। परंतु यह संख्या P/q के रूप में आए तो यहां पर q का मान कभी भी शुन्य नहीं होना चाहिए। उदाहरण के लिए 2/5, 3/7 इसमें q का मान 0 नहीं है। तो हम कह सकते हैं कि यह संख्या एक परिमेय संख्या है।

पूर्ण संख्या किसे कहते हैं: परिभाषा एवं गुण

पूर्ण संख्या पूर्ण संख्या को परिभाषित करता है. विशेषज्ञों के अनुसार इस संख्या को कई प्रकार से वर्णित किया जा सकता है. लेकिन गणितज्ञों का उदेश्य इसे सरल बनाना है जिसका ट्रिक्स और टिप्स यहाँ उपलब्ध है. यह टिप्स इस संख्या को सरल बनाने के साथ-साथ प्रश्न हल करने में भी मदद करता है. अतः तथ्यों को स्मरण रखे और कम्पटीशन एग्जाम में प्रशों को आसानी से हल करे. त्रिकोणमिति फार्मूला बहुपद का सूत्र Table of Contents • • • • • परिभाषा: पूर्ण संख्या किसे कहते है? वैसी संख्या जो शून्य से शुरू होकर अनन्त तक विधमान होती है, उसे पूर्ण संख्या कहते है. अर्ताथ, दुसरें शब्दों में, शून्य से अनंत तक की सभी धनात्मक ( सकारात्मक) संख्याओं को पूर्ण संख्या कहा जाता है. पूर्ण संख्या सामान्यतः शून्य से शुरू होती है और अनंत तक बढ़ती रहती है. जैसे; पूर्ण संख्या W = 0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10…… अनंत पूर्ण संख्या का गुण पूर्ण संख्याओं के गुण • दो पूर्ण संख्याएँ जोड़ने पर पूर्ण संख्या ही प्राप्त होता है. • दो संख्याओं का योग और गुणनफल वही होगा, जिसमे वे जोड़ा या गुणा किया गया है. • प्रत्येक प्राकृत संख्या पूर्ण संख्या होती है. • प्रत्येक पूर्ण संख्या प्राकृत संख्या नही होती है. • जब किसी पूर्ण संख्या को 1 से गुणा किया जाता है, तो उसका मान अपरिवर्तित रहता है. • जब एक पूरी संख्या को 0 से गुणा किया जाता है, तो परिणाम हमेशा 0 होता है. • पूर्ण संख्याओं की योगात्मक पहचान 0 है. • पूर्ण संख्याओं की गुणात्मक पहचान 1 है. • पूर्ण संख्याए योग में साहचर्य नियम का पालन करती है. • पूर्ण संख्याए गुणन साहचर्य नियम का पालन करती है. पूर्ण संख्या का सिंबल | Whole Number Symbol संख्याओं के सिंबल महत्व क्लास 10 और 12th में अधिक ...

[हिन्दी] Sankhya MCQ [Free Hindi PDF]

Sankhya Question 1: नीचे दो कथन दिए गए हैं: कथन - I: साँख्य सिद्धांत के अनुसार कारण-कार्य संबंध का अर्थ भौतिक कारण का प्रभाव एक वास्तविक रूपांतरण में होता है, जो भौतिक वस्तुओं के संसार के परम कारण के रूप में उद्विकास की अवधारणा का मार्ग प्रशस्त करता है। कथन - II: सांख्य द्वारा स्वीकार किया गया परम यथार्थ का दूसरा प्रकार पुरुष (सेल्फ) है। सभी को पुरुष का अस्तित्व स्वीकार करना चाहिए। उपर्युक्त कथनों के आलोक में निम्नलिखित विकल्पों में से सही उत्तर चुनिए: Key Points कथन - I: साँख्य सिद्धांत के अनुसार कारण-कार्य संबंध का अर्थ भौतिक कारण का प्रभाव एक वास्तविक रूपांतरण में होता है, जो भौतिक वस्तुओं के संसार के परम कारण के रूप में उद्विकास की अवधारणा का मार्ग प्रशस्त करता है। • कथन I असत्य है। सांख्य विचारधारा यह नहीं मानती है कि कार्य-कारण का अर्थ भौतिक कारण का प्रभाव में वास्तविक परिवर्तन है। • उनका मानना है कि कार्य-कारण दो घटनाओं के बीच का संबंध है, जहां एक घटना (कारण) दूसरे (प्रभाव) को लाती है। कारण वास्तव में प्रभाव में नहीं बदलता है। कथन - II: सांख्य द्वारा स्वीकार किया गया परम यथार्थ का दूसरा प्रकार पुरुष (स्वयं) है। सभी को पुरुष का अस्तित्व स्वीकार करना चाहिए। • कथन II सत्य है। सांख्य विचारधारा का मानना है कि दो प्रकार की परम वास्तविकताएं पुरुष (आत्मा) और प्रकृति (पदार्थ) हैं। पुरुष सचेत सिद्धांत है जो प्रकृति से अलग है। पुरुष शाश्वत, अपरिवर्तनशील और अकारण है। वह वस्तुओं के संसार का साक्षी है, लेकिन वह वस्तुओं के संसार में शामिल नहीं है। • पुरुष के अस्तित्व का अनुमान इस तथ्य से लगाया जाता है कि हमारे पास चेतना के अनुभव हैं। चेतना एक गैर-भौतिक घटना है जिसे पदार्थ के संदर्...