पद्मिनी किस शासक की पत्नी थी

  1. [Solved] दिल्ली सल्तनत की एकमात्र महिला शासक कौन थी? A. �
  2. पद्मिनी की कहानी की ऐतिहासिकता
  3. रतनसिम्हा
  4. रानी पद्मनी नहीं, ये 10 राजकुमारी बनीं मुस्लिम शासकों की बेगम
  5. कौन थी रानी पद्मिनी? जानिये उनका इतिहास
  6. पद्मावत
  7. चित्तौड़ की रानी पद्मावती की कहानी Padmavati History Hindi


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[Solved] दिल्ली सल्तनत की एकमात्र महिला शासक कौन थी? A. �

सही उत्तर रजिया सुल्तान है। Key Points • रजिया सुल्ताना भारत की पहली महिला सल्तनत थी और उसने 1236 के अंत से 1240 तक दिल्ली की अदालत पर शासन किया। • ऐसा करने वाली एकमात्र महिला, उसने सिंहासन पर कब्जा करने के लिए सभी बाधाओं को खारिज कर दिया, जिसमें उसके लिंग और उसके दास वंश पर संघर्ष का सामना करना शामिल था। • अपने शासनकाल के दौरान, उसने एक न्यायसंगत और सक्षम शासक के रूप में अपनी सूक्ष्मता साबित की और अपने विध्वंसक कार्यों के लिए प्रसिद्ध थी, जो कि पुरुषों के पोशाक में अपने नाम और छवि में सिक्कों की छपाई से अलग थी। • मलिक अल्तुनिया, भटिंडा के गवर्नर को रज़िया के आकर्षण और बुद्धि से प्यार हो गयाऔर उसे अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार लिया। • अतः, विकल्प 2 सही है। Additional Information • मुमताज महल • मुमताज़ महल 19 जनवरी 1628 से 17 जून 1631 तक मुग़ल बादशाह शाहजहाँ के मुख्य संरक्षक के रूप में मुग़ल साम्राज्य की महारानी थी। • आगरा में ताजमहल को अक्सर दुनिया के अजूबों में से एक के रूप में उद्धृत किया जाता है, उसके पति द्वारा उसकी कब्र के रूप में कार्य करने के लिए कमीशन किया गया था। • नूरजहाँ • नूरजहाँ मुगल सम्राट जहाँगीर की बीसवीं पत्नी थी। • नूरजहाँ का जन्म मेहर-उन-निसा से हुआ था, जो एक ग्रैंड विज़ियर की बेटी थी, जिसने अकबर के अधीन काम किया था। • नूरजहाँ, जिसका अर्थ है 'लाइट ऑफ़ द वर्ल्ड', का विवाह 17 वर्ष की आयु में एक महत्वपूर्ण मुगल प्रांत, बिहार के गवर्नर फ़ारसी सैनिक शेर अफ़गन से हुआ था। • चांद​ बीबी • सुल्ताना चांदबीबी एक भारतीय मुस्लिम शासक और योद्धा थी। • उन्होंने वर्तमान समय में महाराष्ट्र में बीजापुर सल्तनत और अहमदनगर सल्तनत के रीजेंट के रूप में काम किया। • चांद बीबी को 1...

पद्मिनी की कहानी की ऐतिहासिकता

पद्मिनी – चित्तौङ-आक्रमण का एक मुख्य कारण रावल रत्नसिंह की रानी पद्मिनी को प्राप्त करने की लालसा भी बतलाया जाता है। इसलिए पद्मिनी की कथा से संबंधित व्यक्तियों रत्नसिंह, राघव चेन, गोरा-बादल आदि की ऐतिहासिकता का विश्लेषण करना उचित ही होगा।16 वीं सदी में मलिक मुहम्मद जायसी नामक एक कवि ने 1540 ई. के आसपास पद्मावत महाकाव्य की रचना की जिसमें अलाउद्दीन के चित्तौङ-आक्रमण का प्रमुख कारण रानी पद्मिनी को प्राप्त करने की आकांक्षा बतलाया गया है। जायसी की इस कहानी को कई परवर्ती मुस्लिम इतिहासकारों ने तथा राजपूतों के चारण-भाटों ने भी मूल रूप से स्वीकार कर लिया। पद्मिनी, सिंहलद्वीप (लंका) के राजा गोवर्धन की पुत्री थी और रत्नसिंह चित्तौङ का राजा था। राजा रत्नसिंह ने हीरामन नामक तोते के द्वारा पद्मिनी के सौन्दर्य और यौवन के बारे में सुना और वह पद्मिनी को प्राप्त करने के लिये सिंहलद्वीप जाने का निश्चय करता है। तदनुसार वह एक योगी का भेष धारण कर सिंहलद्वीप पहुँचता है और 12 वर्ष की तपस्या के बाद पद्मिनी को प्राप्त करने में सफल हो जाता है। गोवर्धन ने उन दोनों का विवाह कर दिया। कुछ दिनों बाद वह पद्मिनी के साथ चित्तौङ लौट आता है। पद्मिनी प्रतिदिन भिखारिनों तथा निर्धनों को भिक्षा देती है। एक दिन राघव चेतन नामक एक ब्राह्मण तांत्रिक, जो रत्नसिंह की सेवा में था और जिसे रत्नसिंह ने किसी कारणवश अपने राज्य से निष्कासित कर दिाय था, ने पद्मिनी को देख लिया और उसके अद्वितीय सौन्दर्य को देखकर मूर्छित हो गा। संभवतः इसी कारण से रत्नसिंह ने उसे अपने राज्य से निष्कासित किया हो। जो भी कारण रहा हो, राघव चेतन ने रत्नसिंह का सर्वनाश करने का संकल्प किया और वह दिल्ली चला आया। कुछ दिनों बाद उसे सुल्तान अलाउद्दीन के संपर...

रतनसिम्हा

रत्नसिंह (रत्ना-सिहा, 1302-1303 ईस्वी) वर्तमान भारत के राजस्थान, भारत में मेदपाता (मेवाड़) राज्य के शासक थे। वह गुहिल वंश की रावल शाखा से संबंधित था, जिसने चित्रकुट किले (आधुनिक चित्तौड़गढ़) से शासन किया था। इस शाखा के अंतिम शासक, उन्हें 1303 ईस्वी में अलाउद्दीन खिलजी ने हराया था। राजस्थानी किंवदंतियों ने उन्हें राजपूत शासक रतन सिंह के रूप में उल्लेख किया है। मलिक मुहम्मद जायसी की पद्मावत में रतन सेन के रूप में उनका एक काल्पनिक संस्करण दिखाई देता है। इस कविता के अनुसार, अलाउद्दीन ने अपनी सुंदर पत्नी रानी पद्मिनी को प्राप्त करने के लिए चित्तौड़गढ़ पर हमला किया; कुंभलनेर के राजा देवपाल के साथ युद्ध में रतन सेन की मृत्यु के बाद अलाउद्दीन ने किले पर कब्जा कर लिया; बाद में, पद्मिनी और अन्य महिलाओं ने अपने सम्मान की रक्षा के लिए जौहर किया। Delhi and Chittor in present-day India रत्नसिंह ने 1302 ई। के आसपास अपने पिता समरसिम्हा को मेवाड़ का गुहिला शासक माना। वह परिवार की रावल शाखा से संबंधित था, रत्नसिंह 1302 CE (1359 VS) दरिबा मंदिर शिलालेख द्वारा सत्यापित है, जो उनके शासनकाल के दौरान मंदिर में 16 नाटक (सिक्के) का एक उपहार रिकॉर्ड करता है। शिलालेख में उनके शीर्षक का उल्लेख महाराजकुला के रूप में किया गया है (जो बोलचाल के साहित्य में महारावल के रूप में दिखाई देता है] रत्नसिंह द्वारा जारी किए गए कुछ सिक्के भी खोजे गए हैं। अलाउद्दीन खिलजी के खिलाफ हार [ ] 1303 में, दिल्ली सल्तनत के मुस्लिम शासक अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़ पर आक्रमण किया। चित्तौड़ की पहाड़ी पर पैर रखने के बाद, उनकी सेना के दो पंखों ने किले पर दो अलग-अलग तरफ से हमला किया। दो महीने की असफल घेराबंदी के बाद, हमलावरों ने म...

रानी पद्मनी नहीं, ये 10 राजकुमारी बनीं मुस्लिम शासकों की बेगम

रानी पद्मनी नहीं, ये 10 राजकुमारी बनीं मुस्लिम शासकों की बेगम रानी पद्मनी नहीं, ये 10 राजकुमारी बनीं मुस्लिम शासकों की बेगम रानी पद्मिनी नहीं, हम यहां उन 10 हिंदू राजघरानों की राजकुमारियों की बात कर रहे हैं जो मध्यकालीन भारतीय इस्लामी हुकूमतों के साथ सियासी संबंधों में अहम भूमिका रखती हैं. इन सभी राजकुमारियों की शादियां सुल्तानों, शहजादों के साथ कर दी गईं थी. • Last Updated :October 13, 2017, 20:05 IST 01 चित्तौड़ की रानी पद्मिनी और मुगल शासक अलाउद्दीन खिलजी की कथित प्रेम कहानी को इतिहासकारों ने सिरे से खारिज कर दिया है. इतिहासकारों ने पद्मिनी अथवा पद्मावती का जिक्र महज राजा रतन सिंह की पत्नी और अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण के बाद जौहर करने वाली रानी के रूप में माना है. यही कारण रहा कि फिल्म मेकर संजय लीला भंसाली को फिल्म 'पद्मावती' को लेकर राजपूत समाज का भारी विरोध झेलना पड़ा. इतिहासकारों ने भी इसे कपोल कल्पित कहानी करार दिया है. बहरहाल, हम यहां रानी पद्मिनी नहीं बल्‍कि उन 10 हिंदू राजघरानों की राजकुमारियों की बात कर रहे हैं, जो मध्यकालीन भारतीय इस्लामी हुकूमतों के साथ सियासी संबंधों में अहम भूमिका रखती हैं. इन सभी राजकुमारियों की शादियां सुल्तानों, शहजादों के साथ कर दी गईं थी. 02 जिस वैवाहिक संबंध की नीति का बड़े पैमाने पर आरम्भ अकबर ने किया था, उसके परिणाम बड़े महत्वपूर्ण रहे. अकबर ने जो विवाह कछवाही राजकुमारी से किया था उससे सलीम का जन्म हुआ. इस निकट संबंध से आमेर के राजपरिवार को महत्व मुगल दरबार और राजस्थान में बढ़ गया. इसका महत्वपूर्ण परिणाम यह हुआ कि मारवाड़ (जोधपुर) के मोटा राजा उदयसिंह ने भी अपने सम्मान और प्रतिष्ठा प्राप्त करने के अभिप्राय से अपनी पुत्री मानीबाई का विवाह ...

कौन थी रानी पद्मिनी? जानिये उनका इतिहास

निर्देशक संजय लीला भंसाली ने अपनी आने वाली फिल्म पद्मावत के माध्यम से चित्तौड़गढ़ की रानी पद्मिनी की जीवन कथा को दर्शाने का प्रयास किया है। विवादों में घिरे रहने के कारण हर तरफ इस फिल्म की चर्चा हो रही है। कई लोगों ने तो रानी पद्मिनी के होने न होने पर भी सवाल उठा रहे है और अगर इतिहासकारो की माने तो वह सूफी कवि जायसी का गढा किरदार थी। आज हम आपको अपने इस लेख के द्वारा रानी पद्मिनी के इतिहास के बारे में बताएंगे, आइये जानते है कौन थी वह। किसकी पुत्री थी पद्मिनी सिंघल प्रदेश के राजा गंधर्वसेन और रानी चम्पावती की पुत्री थी राजकुमारी पद्मिनी। वह बहुत ही सुन्दर थी और उनके रूप की चर्चा चारों तरफ थी। पद्मिनी के पास हीरामणि नामक एक तोता था जो उन्हें अपने प्राणों से भी अधिक प्रिय था। वह अपना ज़्यादा तर समय अपने उस तोते के साथ ही बिताती थी। रानी पद्मिनी का विवाह किससे और कैसे हुआ जब राजकुमारी बड़ी हुई तो उनके पिता गंधर्वसेन ने उनके स्वयंवर का आयोजन किया और सभी राजाओं को आमंत्रित किया जिसमे राजा मलखान सिंह भी था। यूँ तो वह एक छोटे से राज्य का शाशक था लेकिन स्वयम्वर को जीतने का प्रबल दावेदार भी माना जा रहा था। उस स्वयंवर में चित्तौड़गढ़ के राजा रावल रतन सिंह ने भी हिस्सा लिया था जिनकी पहले से ही एक पत्नी थी। रतन सिंह ने मलखान सिंह को पराजित कर रानी पद्मिनी से विवाह कर लिया और इस तरह वह चित्तौड़गढ़ की महारानी बन गयी। एक अच्छे राजा होने के साथ साथ रतन सिंह एक कला प्रेमी भी थे। उनके दरबार में कई प्रतिभाशाली लोग थे जिन में से एक था राघव चेतन जो की एक संगीतकार था और उनके दरबार की शोभा बढ़ाता था। परन्तु संगीत के अलावा उसकी रूचि काली शक्तियों में भी थी। चेतन अपनी बुरी शक्तियों का प्रयोग दुश्मनों क...

पद्मावत

कवि मूल शीर्षक 'पद्मावत' मुख्य पात्र ' देश भाषा विधा प्रकार मुखपृष्ठ रचना सजिल्द विशेष इस पुस्तक की व्याख्या भी इसी नाम से टिप्पणी जायसी की इस प्रेमगाथा में सिंहलद्वीप की राजकुमारी ' पद्मावत ( Padmavat) एक प्रेमगाथा है, जो आध्यात्मिक स्वरूप में है। कथानक कवि सिंहलद्वीप, उसके राजा गन्धर्वसेन, राजसभा, नगर, बग़ीचे इत्यादि का वर्णन करके पद्मावती के जन्म का उल्लेख करता है। राजभवन में 'हीरामन' नाम का एक अद्भुत सुए का बिकना एक दिन पद्मावती सखियों को लिए हुए मानसरोवर में स्नान और जलक्रीड़ा करने गई। सूए ने सोचा कि अब यहाँ से चटपट चल देना चाहिए। वह वन की ओर उड़ा, जहाँ पक्षियों ने उसका बड़ा सत्कार किया। दस दिन पीछे एक बहेलिया हरी पत्तियों की टट्टी लिए उस वन में चला आ रहा था और पक्षी तो उस चलते पेड़ को देखकर उड़ गए पर हीरामन चारे के लोभ में वहीं रहा। अन्त में बहेलिये ने उसे पकड़ लिया और बाज़ार में उसे बेचने के लिए ले गया। चित्तौड़ के एक व्यापारी के साथ एक दीन सुए द्वारा पद्मावती का बखान एक दिन रत्नसेन कहीं शिकार को गया था। उसकी रानी नागमती सूए के पास आई और बोली - 'मेरे समान सुन्दरी और भी कोई संसार में है?' इस पर सूआ हँसा और उसने सिंहल की पद्मिनी स्त्रियों का वर्णन करके कहा कि उनमें और तुममें दिन और अंधेरी रात का अन्तर है। रानी ने सोचा कि यदि यह रत्नसेन का सिंहल जाना उसके साथ सोलह हज़ार कुँवर भी जोगी होकर चले। वसन्त पंचमी पर पद्मावती और रत्नसेन का मिलना वसन्त पंचमी के दिन पद्मावती सखियों के सहित मंडप में गई और उधर भी पहुँची जिधर रत्नसेन और उसके साथी जोगी थे। पर ज्यों ही रत्नसेन की ऑंखें उस पर पड़ीं, वह मूर्च्छित होकर गिर पड़ा। पद्मावती ने रत्नसेन को सब प्रकार से वैसा ही पाया जैसा सूए न...

चित्तौड़ की रानी पद्मावती की कहानी Padmavati History Hindi

चित्तौड़ की रानी पद्मावती की कहानी Rani Padmavati History in Hindi Story Kahani Jivani Biography: 13वी सदी में दिल्ली की गद्दी पर सल्तनत का शासन था. शासक की यह चाह थी कि पुरे भारत वर्ष पर उसका शासन हो ! इसलिए अधीनता ना स्वीकार करने वाली रियासतों और राज्यों पर आक्रमण करना आरम्भ कर दिया | जिनमे उनकी पहली नजर थी राजपूताने के मेवाड़ की जिन्होंने कभी भी दिल्ली सल्तनत की अधीनता स्वीकार नहीं की थी अब यह पहली नज़र थी दिल्ली के शासक अलाउदीन खिलजी की. सोते मन में स्मृति सुन्दरी ,लहर लहर लहरे, चित्र खीचती चपला क्षितिज पर, कोई न ठहरे, जौहर की जीत लिए दिल में ,तेज तेगा वेग बढे, पद्मिनी की सुन्दरता में खलजी की खिल्ली उड़े|| कौन थीं रानी पद्मावती, क्या है इतिहास पद्मिनी चित्तौड़ के राणा रतनसिंह (1302-03) की पत्नी थी. यह अपनी सुन्दरता के लिए विख्यात थी. अलाउद्दीन खिलजी के चित्तौड़ आक्रमण का एक कारण पद्मिनी को प्राप्त करना भी था. जब लम्बे घेरे के बाद भी अलाउद्दीन खिलजी चित्तौड़ विजय न कर सका तो अपने छल से राणा रत्नसिंह को बंदी बना लिया. Telegram Group तब पद्मिनी ने साहस एव कूटनीति का परिचय देते हुए गोरा बादल की सहायता से राणा रतनसिंह को मुक्त कराया. 1303 ई में चित्तौड़ किले का पतन होने के बाद पद्मिनी ने 1600 स्त्रियों के साथ जौहर कर लिया. यह जौहर चित्तौड़ के प्रथम साके के नाम से प्रसिद्ध हैं. मलिक मोहम्मद जायसी ने अपने ग्रंथ पद्मावत में पद्मिनी की कथा का रोचक वर्णन किया हैं. रानी पद्मावती का जीवन परिचय/इतिहास (rani padmavati life introduction history in hindi) रानी पद्मावती उस समय की अद्वतीय सुंदरी थी कहा जाता हैं कि रानी पदमिनी को देखकर अलाउदीन उनकी सुन्दरता पर मोहित हो गया था और उसे पाने के लि...