पहाड़ी

  1. पहाड़ी भट्ट और उनकी लाजवाब चटपटी चटनी ,एक बार जरूर ट्राय करे !!
  2. पर्वत और पहाड़ी में क्या अंतर है
  3. पहाड़ी शब्द के अर्थ
  4. पहाड़ी तड़का जम्बू गंदरायणी उत्तराखंड के दिव्य औषधीय मसाले


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पहाड़ी भट्ट और उनकी लाजवाब चटपटी चटनी ,एक बार जरूर ट्राय करे !!

मित्रों इस लेख में हम आपको पहाड़ी भट्ट की चटनी की रेसिपी के बारे में जानकारी देंगे । भट्ट की चटनी से पहले हम यहां संक्षेप में काले भट्ट खाने के फायदे और उसमे पाए जाने वाले पोषक तत्वों के बारे लेख शुरू करके अंत मे स्वादिष्ट भट्ट की चटनी का आनंद लेंगे। पहाड़ी भट्ट के बारे में – पहाड़ी भट्ट ( Pahari bhatt ) , काले भट्ट हमारे पहाड़ में उगाई जाने वाली मुख्य दाल है। यह बहुत ही पौष्टिक और स्वादिष्ट होते हैं। पहाड़ी काले भट्ट मुख्यतः एशिया , चीन की प्रजाति है। अमेरिका वाले भी पहाड़ी भट्ट को बहुत पसंद करते हैं। पहाड़ी भट्ट को ब्लैक सोयाबीन, ब्लैक राजमा आदि नामों से भी जानते हैं। भट्ट के व्यंजन :- उत्तराखंड में काले भट्टो का सेवन अलग अलग रूपों में किया जाता है। काले भट्ट से कई प्रकार के पारम्परिक व्यंजन भी बनते है। काले भट्ट से बनने वाले प्रमुख व्यंजन निम्न है – • भट्ट की दाल या भट्ट की चुड़कानी • भट्ट का चौसु • भट्ट के डूबके • भट्ट का जौला • भट्ट की चटनी • भुने भट्ट के स्नेक्स “पहाड़ी भट्ट की चटनी की रेसीपी हम इस लेख के अंत मे आपके साथ सांझा करेंगे।” भट्ट की दाल के फायदे (Pahari bhatt ke fayde ) काले भट्ट एक सर्वगुणकारी दाल है। इसके सेवन के अनेक लाभ हैं। काले भट्ट खाने के फायदे निम्न प्रकार है – • काले भट्ट या पहाड़ी भट्ट में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के सभी गुण होते हैं। • पहाड़ी भट्ट दिल के रोगियों के लिए सर्वोत्तम औषधि है। कोलोस्ट्रोल में भी लाभकारी हैं काले भट्ट । • मधुमेह में सर्वगुण सम्पन्न है काले भट्ट की दाल • काले भट्ट में लेसिथिन नामक तत्व पाया जाता है जो लिवर को स्वस्थ रखता है। • भट्ट में कैल्शियम प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इस कारण हड्डियों से होने वाली समस्याओं के लि...

पर्वत और पहाड़ी में क्या अंतर है

पर्वत या पहाड़ और पहाड़ियां पृथ्वी की महत्वपूर्ण स्थलाकृतियां हैं। ये सामान्य भूमि से ऊँचे चट्टानों और मिटटी से बने भूभाग होते हैं। पर्वत या पहाड़ मानव के लिए आवश्यक और उपयोगी भी होते हैं। ये किसी स्थान की जलवायु, वर्षा, वनस्पति और रहन सहन और कई अन्य चीज़ों को प्रभावित करते हैं। सामान्य तौर पर पहाड़ और पहाड़ी में कोई फर्क नहीं होता है दोनों ही आसपास की भूमि से काफी ऊँचे होते हैं किन्तु भौगोलिक दृष्टि से देखा जाय तो दोनों में कई ऐसी बातें हैं जो इन्हें अलग करती हैं।आज के इस पोस्ट के माध्यम से आईये देखते हैं पहाड़ और पहाड़ी किसे कहते हैं और पहाड़ और पहाड़ी में क्या अंतर है पर्वत या पहाड़ क्या है पर्वत भूमि का ऐसा भाग होता है जो कि निकट के धरातल से अत्यधिक ऊंचाई में उठा होता है उसे हम पर्वत कहते हैं पर्वत किसी भी पहाड़ी से ऊंचा सीधी चढ़ाई वह वाला मिट्टी और चट्टानों का उठा भाग होता है। ऑक्सफ़ोर्ड डिक्शनरी में पर्वत की परिभाषा देते हुए बताया गया है कि “A large mass of earth and rock, rising above the common level of the earth or adjacent land, usually given by geographers as above 1,000 feet in height (or 304.8 meters), though such masses may still be described as hills in comparison with larger mountains.” वास्तव में आसपास की भूमि से ऊपर उठे हुए भाग जिसका निर्माण टैक्टोनिक प्लेटों के स्थानांतरित होने से या आपस में टकराने से या फिर ज्वालामुखी विस्फोट से होता है, पर्वत कहलाता है। पर्वत काफी ऊँचे होते हैं और इनकी ऊंचाई प्रायः 2000 फ़ीट से ऊपर होती है। पर्वतों की ढालें एकदम खड़ी होती है और इनके उच्चतम स्थान को शिखर या छोटी कहते हैं। अधिकांश पर्वतों की चोटियां बर्फ से ढकी होती हैं। पर्वत कई प्रक...

पहाड़ी शब्द के अर्थ

संज्ञा, स्त्रीलिंग • छोटा पहाड़ • पहाड़ीयों की ज़बान • मुसव्विरी का एक उस्लूब जिस का ताल्लुक़ हिमालया की पहाड़ी रियास्तों से बताया जाता है • क्षेत्र का निवासी • एक तिब्बी जड़ी बूटी जिसे पर्पटी या जबी भी कहते हैं • पहाड़ से मंसूब, पहाड़ का रहने वाला, कोहिस्तान का बाशिंदा • लोगों के गाने की एक प्रकार की धुन • (भाषाविज्ञान) बोलियों का वर्ग या समूह • पहाड़(रुक) की तसग़ीर • बिक्री की एक क़िस्म, पहाड़ी बिक्री • बिलावल ठाठ की आड़ू का नाम जिस में पांच सर लगते हैं, मद्धम और नखाद सर दरजत हैं यानी नहीं लगते اسم، مؤنث • بلاول ٹھاٹھ کی آڑو کا نام جس میں پان٘چ سر لگتے ہیں، مدھم اور نکھاد سر درجت ہیں یعنی نہیں لگتے • ایک طبی جڑی بوٹی جسے پرپٹی یا جبی بھی کہتے ہیں • پہاڑیوں کی زبان • مصوری کا ایک اسلوب جس کا تعلق ہمالیہ کی پہاڑی ریاستوں سے بتایا جاتا ہے • بکری کی ایک قسم، پہاڑی بکری • پہاڑ سے منسوب، پہاڑ کا رہنے والا، کوہستان کا باشندہ • پہاڑ(رک) کی تصغیر रेख़्ता डिक्शनरी उर्दू भाषा के संरक्षण और प्रसार के लिए रेख़्ता फ़ाउंडेशन की एक महत्त्वपूर्ण पहल है। रेख़्ता डिक्शनरी की टीम इस डिक्शनरी के उपयोग को और सरल एवं अर्थपूर्ण बनाने के लिए निरंतर प्रयत्नरत है। कृपया रेख़्ता डिक्शनरी को संसार का सर्वश्रेष्ठ त्रिभाषी शब्दकोश बनाने के लिए हमें सहयोग कीजिए। दानकर्ता द्वारा दी गई योगदान-राशि भारतीय अधिनियम की धारा 80G के तहत कर-छूट के अधीन होगी।

पहाड़ी तड़का जम्बू गंदरायणी उत्तराखंड के दिव्य औषधीय मसाले

पहाड़ी तड़का जम्बू और गंदरायणी उत्तराखंड अपने विशेष खान पान के साथ साथ अपने ठेठ पहाड़ी तड़के के लिए प्रसिद्ध है। उत्तराखंड में जख़्या , काला जीरा, जम्बू , गंदरायण का पहाड़ी तड़का बहुत ही प्रसिद्ध है। मगर आजकल हम पहाड़ी अपने पारम्परिक पहाड़ी खान पान और पहाड़ी तड़के को भूल गए हैं। आज इस लेख मेंं उत्तराखंड के विलुप्त होते हुए 2 मसाले जम्बू और गंदरायणी के बारे चर्चा करंगे । जम्बू मसाला उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में एक खास मसाला प्रयोग किया जाता है। इस विशेष मसाले या तड़का मसाला का नाम है , जम्बू मसाला यह मसाला भारत के हिमालयी राज्यों में अधिक प्रयोग किया जाता है। और उत्तराखंड का यह पारम्परिक तड़का मसाला है। जम्बू हिमालयी क्षेत्रों में पाए जाने वाला पौधा है। जम्बू का पौधा , प्याज या लहसून के पौधे जैसा होता है। इस पौधे का वानस्पतिक नाम allium stracheyi है। यह पौधा 10,000 फ़ीट से अधिक उचाई पर पैदा होता है। इसकी खुश्बुदार पत्तियां सुखाकर जायकेदार मसाले तथा औषधि के रूप में प्रयोग की जाती हैं। इसके पौधे के ऊपरी भाग को बिन कर सूखा कर रख लिया जाता है। और इसी को मसाले के रूप में प्रयोग करते हैं। जम्बू का पौधा और फूल फ़ोटो साभार – गूगल जम्बू मसाले के प्रयोग जम्बू मसाला उत्तराखंड का दिव्य सुगन्धित मसाला है। वैसे तो यह उच्च हिमालयी क्षेत्रों में प्राकृतिक रूप से उगता है। आजकल कुछ लोग उच्च हिमालयी क्षेत्रों में इसको उगाने लगे हैं। मुख्य तः इसके निम्न प्रयोग हैं। औषधीय प्रयोग – जम्बू मसाला एक दिव्य औषधीय मसाला है। जम्बू बुखार, गीली खाँसी , और पेटदर्द के लिए लाभदायक बताई जाती है। यह औषधि बुखार के लिए अधिक कारगर बताई जाती है। जम्बू का दिव्य सुगन्धित तड़के के रूप में प्रयोग- उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों मे...