फ्रांस की क्रांति के राजनीतिक कारण क्या थे

  1. 1848 की फ्रांसीसी क्रांति के क्या कारण थे
  2. फ्रांस की क्रांति के कारण
  3. फ्रांस की क्रांति के क्या कारण थे
  4. फ्रांस की क्रांति के क्या कारण थे? » France Ki Kranti Ke Kya Karan The
  5. Causes of French Revolution: Political, Social and Economic Causes


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1848 की फ्रांसीसी क्रांति के क्या कारण थे

उत्तर- 1848 ई. की क्रान्ति का मुख्य कारण लुई फिलिप की आन्तरिक और बाह्य नीतियाँ थीं , जिनके कारण फ्रांस में उसका शासन अलोकप्रिय हो गया। 1848 ई. में फ्रांस में जो क्रान्ति हुई, वह केवल फ्रांस तक ही सीमित नहीं रही, वरन् इस क्रान्ति की चपेट में सम्पूर्ण यूरोप आ गया। इस प्रकार क्रान्ति को नष्ट कर पुरातन व्यवस्था को लादने का मैटरनिख का स्वप्न चकनाचूर हो गया और हर जगह नवीन शासन की स्थापना हुई। 1848 ई. की क्रान्ति के कारण इस काल में औद्योगीकरण तीव्रतासे हो रहा था। यातायात के साधनों के विस्तार ने बड़े पैमाने पर औद्योगिक उत्पादन को बढ़ा दिया था और अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार एक नवीन पूँजीवादी व्यवस्था को जन्म दे चुका था। मजदूरों की संख्या बढ़ने के साथ-साथ उनकी समस्याएँ और आवश्यकताएँ भी बढ़ती जा रही थीं। 1838-1839 ई. तथा 1846-47 ई. में यूरोप में आर्थिक संकट आए, जिनसे जनता के कष्टों में मूल्य वृद्धि के कारण और अधिक बढ़ोत्तरी होती रही। (2) बुद्धिजीवी और श्रमिकों का शक्तिशाली होना- औद्योगीकरण ने समाज के नये प्रभावशाली तत्त्वों , बुद्धिजीवियों व श्रमिक वर्ग को और अधिक विकसित किया प्रथम वर्ग ने उदारवादी शक्तियों को आत्मबल प्रदान किया, तो दूसरे वर्ग के आर्थिक शोषण के कारण सामाजिक एवं आर्थिक असन्तोष को तीव्रता मिली। परिणामस्वरूप 1848. ई. की क्रान्ति का विस्फोट हुआ। (3) समाजवाद का प्रसार- 1848 ई. की क्रान्ति का एक अन्य प्रमुख कारण इस समय तक समाजवाद का व्यापक प्रसार था। औद्योगीकरण ने पूँजीवाद को जन्म दिया और पूँजीवाद के परिणामस्वरूप समाजवाद नामक विचारधारा ने जन्म लिया। श्रमिकों की दशा सुधारने के लिए आन्दोलन होने लगे। समाजवादियों ने देश के कल-कारखानों का राष्ट्रीयकरण करने की जबरदस्त. माँग करनी प्र...

फ्रांस की क्रांति के कारण

(i) निरंकुश राजशाही-यूरोप के अन्य देशों के समान फ्रांस में भी निरंकुश राजतंत्र था। राजा के हाथों में सारी शक्ति केंद्रित थी। राजा अपने-आपको ईश्वर का प्रतिनिधि मानता था। उसकी इच्छा ही कानून थी। फ्रांस के बूढे वंश (Bourbon dynasty) का सम्राट लुई चौदहवाँ दंभपूर्वक कहता था- मैं ही राज्य हूँ। (I am the State.) लुई सोलहवाँ का भी कहना था कि “मेरी इच्छा ही कानून है।” इस व्यवस्था में राजा की आज्ञा का उल्लंघन करना अपराध था। फ्रांस में राजा की निरंकुशता को नियंत्रित करने के लिए पार्लमा (Parlement) नामक संस्था थी। यह एक प्रकार का न्यायालय था। इसकी संख्या 17 थी। इसका विकास राजदरबार (curia regis) से हुआ था। यह एक प्रकार का सर्वोच्च न्यायालय भी था जो राजा के निर्णयों की समीक्षा कर सकता था। मुख्य पार्लमा पेरिस में थी। प्रांतों में भी यह संस्था थी। इसमें सिर्फ कुलीन वर्गवाले ही न्यायाधीश थे। इनका पद वंशानुगत था। अतः, ये भी अपनी सुख-सुविधा के लिए राजा पर ही आश्रित थे। इस प्रकार, राजा पर अंकुश लगाने के स्थान पर पार्लमा राजा का ही समर्थन करती थी। (iii) प्रशासनिक भ्रष्टाचार-राजा के सलाहकार, सेवक और अधिकारी भ्रष्ट थे। उनका एकमात्र उद्देश्य राजा की चाटुकारिता कर अपना उल्लू सीधा करना था। राज्य के महत्त्वपूर्ण पदों पर योग्यता के आधार पर नहीं, बल्कि पैरवी पर नियुक्ति की जाती थी। पदाधिकारी एवं दरबारी एक-दूसरे को नीचा दिखाने के लिए षड्यंत्र में लगे रहते थे। इससे प्रशासन पर बुरा प्रभाव पड़ा। (iv) अतिकेंद्रीकृत प्रशासन-फ्रांस की प्रशासनिक व्यवस्था की एक बड़ी दुर्बलता यह थी कि प्रशासन की सारी शक्ति राजा के ही हाथों में केंद्रित थी। उसकी इच्छा और सहमति के बिना कोई कार्य नहीं हो सकता था। स्वायत्त प्रशासनि...

फ्रांस की क्रांति के क्या कारण थे

Print Friendly, PDF Email फ्रांस की क्रांति (French Revolution): भूमिका 18वीं शताब्दी के 70-80 के दशकों में विभिन्न कारणों से राजा और तत्कालीन राजव्यवस्था के प्रति फ्रांस के नागरिकों में विद्रोह की भावना पनप रही थी. यह विरोध धीरे-धीरे तीव्र होता चला गया. अंततोगत्वा 1789 में राजा लुई 16वाँ (Louis XVI) को एक सभा बुलानी पड़ी. इस सभा का नाम General State था. यह सभा कई वर्षों से बुलाई नहीं गयी थी. इसमें सामंतों के अतिरिक्त सामान्य वर्ग के भी प्रतिनिधि होते थे. इस सभा में जनता की माँगों पर जोरदार बहस हुई. स्पष्ट हो गया कि लोगों में व्यवस्था की बदलने की बैचैनी थी. इसी बैचैनी का यह परिणाम हुआ कि इस सभा के आयोजन के कुछ ही दिनों के बाद सामान्य नागरिकों का एक जुलूस बास्तिल नामक जेल पहुँच गया और उसके दरवाजे तोड़ डाले गए. सभी कैदी बाहर निकल गए. सच पूंछे तो नागरिक इस जेल को जनता के दमन का प्रतीक मानते थे. कुछ दिनों के बाद महिलाओं का एक दल राजा के वर्साय स्थित दरबार को घेरने निकल गया जिसके फलस्वरूप राजा को पेरिस चले जाना पड़ा. इसी बीच General State ने कई क्रांतिकारी कदम भी उठाना शुरू किए. यथा – मानव के अधिकारों की घोषणा, मेट्रिक प्रणाली का आरम्भ, चर्च के प्रभाव का समापन, सामंतवाद की समाप्ति की घोषणा, दास प्रथा के अंत की घोषणा आदि. General State के सदस्यों में मतभेद भी हुए. कुछ लोग क्रांति के गति को धीमी रखना चाहते थे. कुछ अन्य प्रखर क्रान्ति के पोषक थे. इन लोगों में आपसी झगड़े भी होने लगे पर इनका नेतृत्व कट्टर क्रांतिकारियों के हाथ में रहा. बाद में इनके एक नेता Maximilian Robespierre हुआ जिसने हज़ारों को मौत के घाट उतार दिया. उसके एक वर्ष के नेतृत्व को आज भी आतंक का राज (Reign of terror) कहते...

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चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। शांति क्रांति 14 जुलाई 1779 स्त्री को बस दिल की घटना से शुरू हुए थे और फ्रांस की क्रांति के कारण है राजनीतिक कारण आर्थिक कारण है सामाजिक कारण एवं लेख उगम दास जी के विचारों का प्रभाव बीच में दिया गया है shanti kranti 14 july 1779 stree ko bus dil ki ghatna se shuru hue the aur france ki kranti ke karan hai raajnitik karan aarthik karan hai samajik karan evam lekh ugam das ji ke vicharon ka prabhav beech me diya gaya hai शांति क्रांति 14 जुलाई 1779 स्त्री को बस दिल की घटना से शुरू हुए थे और फ्रांस की क्रांति क

Causes of French Revolution: Political, Social and Economic Causes

Causes of French Revolution: Political, Social and Economic Causes! The three main causes of French revolution are as follows: 1. Political Cause 2. Social Cause 3. Economic Cause. 1. Political Cause: During the eighteen the Century France was the centre of autocratic monarchy. The French Monarchs had unlimited power and they declared themselves as the “Representative of God”. ADVERTISEMENTS: Louis XIV was the exponent of this view. The French Monarchs engaged themselves in luxurious and extravagance at the royal court of Versailles. They enjoyed unlimited power. By the Letter de Catchet, they arrested any person at any time and imprisoned them. They paid no attention towards their subjects. Louis XIV (1643-1715) of the Bourbon Dynasty was a powerful monarch. He was an efficient, hard-working and confident ruler. He participated in many wars. Louis XIV’s concept of unlimited royal power is revealed by his famous remarks, “I am the State”. Louis XV (1715-1774) succeeded Louix XIV He was a ‘butterfly monarch’. His defective foreign policy weakened the economic condition of France. Louis XV fought the Seven Years War against England which brought nothing for France. France became bankrupt due to over expenditure in wars and luxury. He realised it later on. Before his death he cried-‘After me the Deluge’. After Louis XV, Louis XVI (1774-1793) ascended the throne of France. During that period, the economic condition of France became weak. Louis XVI was an innocent and simple ma...