पलाश के फूल के टोटके

  1. पलाश के फूल के टोटके से धन में वृद्धि और घर मेंखुशहाली आती है
  2. पलाश का वृक्ष
  3. कविता: 'पलाश के फूल'
  4. Palash Ke Fool: पलाश के फूलों का यह टोटका दूर करेगा आर्थिक तंगी, एक महीने में बन जायेंगे महल के मालिक
  5. पलाश के फायदे एवं नुकसान (Health Benefits of Palash or Tesu Flower)
  6. Palash Upay Vastu Tips Do This Remedy Of Palash Flower Get Maa Laxmi Blessing And Money
  7. पलाश
  8. दोलजात्राः पलाश के फूल, दोल उत्सव और कविगुरु


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पलाश के फूल के टोटके से धन में वृद्धि और घर मेंखुशहाली आती है

पलाश के फूल के टोटके पलाश के फूल के टोटके : ज्योतिष शास्त्र में वास्तु के अनुसार वनस्पति तथा वनस्पति में होने वाले पेड़ पौधों में देवी देवताओं का वास होता है और ऐसे ही पलाश का फूल भी है यह भी चमत्कारी गुणों से भरपूर है और इस के टोटके लाजवाब है. बहुत सारे पौधे या गमले घर में खुशहाली लाने के लिए सहायक सिद्ध होते हैं ज्योतिष के अनुसार पलाश के फूल का यह टोटका भी आपकी जिंदगी में खुशहाली ला सकता है. यह माना जाता है पलाश के फूल को घर में लगाने से मां लक्ष्मी की कृपा होती है. चलिए जानते हैं पलाश के फूल के चमत्कारी टोटके के बारे में। पलाश के फूल के टोटके पलाश के फूल के टोटके से कई लाभ होते हैं। कहा जाता हैं की इसे घर में गमले में लगाने से धन और खुशहाली वृद्धि होती है। आपके लिए धन से जुड़ी हर समस्या को दूर करने में पलाश का फूल लाभदायक है आपको एक एकाक्षी नारियल लेकर और सफेद कपड़े में बांधकर फिर इसे तिजोरी में या पैसे रखने वाले जगह पर रखना है ऐसा करने पर धन में वृद्धि होगी और आपके परिवार में खुशहाली आती रहेगी। पलाश के फूल के टोटके पलाश के फूल के टोटके में कुछ बातों का रखें खास ख्याल ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बताया गया है की जिस नक्षत्र में जातक का जन्म होता है व उससे संबंधित पेड़-पौधे तथा जड़ी बूटियों का उपयोग करने से परहेज करना होता है। जिन लोगों का जन्म पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में हुआ है तो वे शुक्रवार के दिन पलाश के फूल या पौधा को नुकसान कतई न पहुंचाएं। साथ ही इस दिन पलाश की लकड़ी या फूल एवम उससे बनी वस्तुओं का इस्तेमाल करने से भी बचना जरूरी है। बल्कि इस लोगों को शुक्रवार के दिन पलाश के पेड़ की पूजा करनी चाहिए. ऐसा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है। Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सि...

पलाश का वृक्ष

फ़्लेम ऑफ़ द फॉरेस्ट, जिसे पलाश ट्री के रूप में भी जाना जाता है, चमकीले लाल रंग के नारंगी रंग के फूलों के साथ एक बहुत ही सुंदर भारतीय पेड़ है। वन / पलाश वृक्ष की लौ एक ऐसा वृक्ष है जब यह अपनी पूरी सुंदरता के साथ होता है, यह पूरे जंगल के दृश्य को बहुत ही सुंदर तरीके से बदल सकता है। जनवरी से मार्च के महीने तक, पेड़ इसे बहुत सारे नारंगी और सिंदूर के फूलों के साथ खड़ा करता है जो पूरे ताज को कवर करता है। पलाश के पेड़ अलग होते हैं क्योंकि उनमें पत्तियों की तुलना में अधिक फूल होते हैं। यह मध्य प्रदेश के साथ-साथ झारखंड का राज्य फूल है। वन / पलाश के पेड़ की लौ के विभिन्न नाम पेड़ का वैज्ञानिक नाम ‘ब्यूटिया मोनोसपर्मा’ है। इसका परिवार लेगुमिनोसे ’और उप-परिवार on पैपिलोनेसी’ है। इसे हिंदी भाषा में ‘चिचरा टेसू’, ‘देसुका झाड़’, ‘ढाक’, ‘पलास’, ‘चल्चा’ और ‘कांकेरी’ जैसे कई नामों से पुकारा जाता है। उर्दू में इसे ‘पलाशपरा’ कहा जाता है। बंगाली लोग इसे ‘पलास’ या ‘पलाशी’ कहते हैं और तमिल लोग इसे ‘पोरासम’ या ‘परसु’ कहते हैं। इसका नाम मलयालम में मुरीकु ’और’ शमाता ’, तेलुगु में like मोडुगु’, गुजराती में in खाकड़ा ’और सिंहली में’ केला ’रखा गया है। अंग्रेजी में इसके दो नाम हैं; ‘जंगल की ज्वाला’ और ‘तोता पेड़’। पलाश के पेड़ की लौ की संरचना पलाश के पेड़ की ज्वाला लगभग 6-12 मीटर ऊंचाई का एक मध्यम आकार का पेड़ है। आमतौर पर, पेड़ की शाफ्ट घुमावदार होती है और अनियमित शाखाओं के साथ मुड़ जाती है जो कि खुरदरी होती हैं और इसमें भूरे रंग की छाल होती है। सुगंधित फूलों को उन डंठल के सिरों पर मालिश किया जाता है जो कप के आकार के कैलिस की तरह गहरे और मखमली हरे होते हैं। प्रत्येक फूल में 5 पंखुड़ियाँ होती हैं जिनम...

कविता: 'पलाश के फूल'

‘Palash Ke Phool’, a poem by Prita Arvind जंगल में पलाश के पेड़ पर फूल लग गए हैं, यह किसी को बताना नहीं पड़ता क्यूंकि पलाश के फूल जब खिलते हैं तो पूरे दिल ओ जान से पेड़ पर केवल फूल ही फूल दिखते हैं, पत्ता नहीं दिखता। जंगल के लोग जब प्रेम करते हैं या विद्रोह करते हैं तो पलाश के फूल की तरह, बालकनी के गमले में लगे गुलाब की कली की तरह नहीं, उनके प्रेम या विद्रोह में किसी मिलावट की, किसी कोर कसर की गुंजाइश नहीं रहती। पलाश के फूल को खिलते वक़्त चिन्ता नहीं होती कि वे शाम को जब ज़मीन पर गिरेंगे तब रास्ते पर चल रहे मदमत्त हाथियों के पैर तले कुचल दिए जाएँगे, उन्हें प्रेमिका के बालों में गूँथा नहीं जाएगा… जंगल के लोगों के प्रेम और विद्रोह की भी यही नियति होगी शायद पर इस कारण पलाश के फूल खिलना बन्द नहीं करेंगे अगले साल पलाश के फूल फिर लगेंगे उसी शिद्दत के साथ और वे आसमान में चांडाल की तरह चमक रहे सूरज की आँख में आँख डालकर अपनी बात कहना भी नहीं छोड़ेंगे इस साल, अगले साल और फिर अगले के अगले साल!

Palash Ke Fool: पलाश के फूलों का यह टोटका दूर करेगा आर्थिक तंगी, एक महीने में बन जायेंगे महल के मालिक

अगर बात करें वास्तु शास्त्र की तो इसमें कई फूल ऐसे माने जाते है जो आपके घर में सुख समृद्धि लाते है और आपकी ज़िन्दगी में परिवर्तन लाते है ऐसे में अगर हम बात करें पलाश के फूल ( Palash Ke Fool) की तो वो न केवल सुंदर होते हैं, बल्कि इनका उपयोग आयुर्वेद में भी किया जाता है। इसके फूल का प्रयोग विभिन्न समस्याओं के इलाज के लिए किया जाता है। फूलों को आयुर्वेद में शीतल, मधुर और तिक्त रस के साथ बताया जाता है। इनमें विटामिन सी, फोस्फोरस, एल्युमिनियम, पोटेशियम और कैल्शियम जैसे विभिन्न पोषक तत्व पाए जाते हैं। पलाश के फूल को जल में भिगोकर एक घंटे तक रखने से उनकी सुगंधि बढ़ जाती है और इसे दांतों के लिए भी उपयोग किया जाता है। इसके अलावा, पलाश के फूल को नाक से सांस लेने से सांस की समस्याएं दूर होती हैं और इसे नाक से लगाने से नाक की सूजन भी दूर होती है। इसके अलावा, पलाश के फूल का उपयोग अन्य बीमारियों में भी किया जाता है जैसे कि बुखार, गठिया, खांसी, दांत दर्द, गले की समस्याएं और अलसर। अभी जॉइन करें Telegram ग्रुप पैसों की समस्या को करे दूर: अगर आपकी जिंदगी में पैसों को लेकर तंगी चल रही है तो शुक्रवार के दिन पलाश के फूल और एक एकाक्षी नारियल को सफेद वस्त्र में बांधकर माता लक्ष्मी को अर्पित करें इसके बाद, आपको विधि-विधान के साथ इसकी पूजा करनी है. यही नहीं आपको लक्ष्मी मंत्र का जाप करना है और कनकधारा स्त्रोत का पाठ करना होगा। यह उपाय धन संबंधित समस्याओं को दूर करने में मदद करता है और माता लक्ष्मी के आशीर्वाद को प्राप्त करने में मदद करता है। पलाश फूल को अपने घर में रखने से घर के वास्तु दोष दूर होते हैं और घर में पॉजिटिव एनर्जी का आवागमन होता है। बुरी नज़र को रखे दूर : धन वृद्धि और आर्थिक समस्याओं के...

पलाश के फायदे एवं नुकसान (Health Benefits of Palash or Tesu Flower)

पलाश के फूल का इस्तेमाल कई रोगों के इलाज के लिए किया जाता है। इन्हें टेसू के फूल (Tesu Flower) के नाम से भी जाना जाता है। ये वसंत ऋतु में खिलते हैं। ये सफेद, पीला और नारंगी रंग के होते हैं। इसका वानस्पातिक नाम ब्यूटिया मोनोस्पर्मा (Butea monosperma) है। इसमें एनलजेसिक, ऐफ्रोडीजीऐक और एंटीफर्टिलिटी प्रॉपर्टीज होती हैं, जिस वजह से इसका इस्तेमाल यूनानी, होम्योपैथी और आयुर्वेद में दवाओं को बनाने के लिए किया जाता है। पलाश (Plash) का उपयोग किसलिए किया जाता है? डायरिया में राहत: पलाश के पेड़ का गम इंटेस्टाइनल वॉर्म को दूर करता है: पलाश के बीज के पाउडर को डायबिटीज का इलाज करता है: पलाश के पेड़ की पत्तियों का इस्तेमाल गले में खराश को दूर करता है: स्किन डिसऑर्डर में राहत प्रदान करता है: नेजल ब्लीडिंग को रोकने में : नेजल ब्लीडिंग को रोकने के लिए पलाश के फूलों का उपयोग किया जा सकता है। आप 6 से 7 फूलों को पानी में रातभर भिगोकर रखें। अगली सुबह उस सॉल्शूयन में कुछ मात्रा में शुगर यानी शक्कर मिलाएं। अब इसे पेशेंट को दें। ऐसा करने नेजल ब्लीडिंग की समस्या से राहत मिलती है। लिकोरिया को करे दूर: इसकी पत्तियां लिकोरिया के प्रबंधन में भी फायदेमंद हैं। इससे राहत के लिए नियमित रूप से जननांग भागों को धोने के लिए इसके काढ़े का उपयोग किया जाता है। मासिक धर्म की ऐंठन: इसके फूलों से बना शंखपुष्पी नपुंसकता और पानी की कमी को दूर करता है: इसका सेवन शरीर में पानी की कमी नहीं होने देता। यही कारण है कि डायरिया में भी इसे लेने की सलाह दी जाती है। ब्लड सर्क्युलेशन को रेगुलेट करता है: यह हर्ब ब्लड सर्क्युलेशन को नियंत्रित करने में भी मददगार है। पलाश का उपयोग करने से पहले हर्ब एक्सपर्ट से जानकारी जरूर लें। वाउं...

Palash Upay Vastu Tips Do This Remedy Of Palash Flower Get Maa Laxmi Blessing And Money

Palash Flower Upay: शास्त्रों के अनुसार कुछ पौध दैवीय शक्ति से परिपूर्ण होते हैं. हिंदू धर्म में कई पेड़-पौधों को पूजा जात है क्योंकि इनमें देवी-देवता का वास माना जाता है. इन्ही वृक्षों में पलाश भी एक महत्वपूर्ण पेड़ माना जाता है. वास्तु के मुताबिक पलाश के पेड़ में त्रिदे‌व(ब्रह्मा, विष्णु और महेश) का वास होता है. पलाश के फूल मां लक्ष्मी को बेहद प्रिय है. पलाश के फूलों को टेसू के फूल के नाम से भी जाना जाता है. ये फूल देखने में जितना सुंदर है उतने ही इसके चमत्कारी उपाय भी हैं. आइए जानते है पलाश के पेड़ के उपाय और फायदे. पलाश के फूल के उपाय और फायदे: • मान्यता है कि पलाश के एक फूल और एकाक्षी नारियल सफेद कपड़े में बाधकर घर में धन के स्थान पर रखने से मां लक्ष्मी की कृपा बरसती है और कभी पैसों के लिए मोहताज नहीं होना पड़ता. घर में धन के भंडार भरे रहते हैं. ताजे पलाश के फूल न मिले तो सूखे फूल से भी ये उपाय कर सकते हैं. • शुक्रवार के दिन पलाश के पेड़ की पूजा करनी चाहिए इससे मां लक्ष्मी का साथ ब्रह्मा, विष्णु और महेश का भी आशीर्वाद मिलता है और भौतिक सुखों में वृद्धि होती है. खासकर पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में जन्में लोग इस दिन पलाश के पेड़ की जरुर पूजा करें इससे उन्हें दोगुना फल मिलेगा. • स्वास्थ लाभ के लिए रविवार के दिन किसी शुभ मुहूर्त में पालश के पेड़ की जड़ को ले आएं. इसमें एक सूती धागा लपेटकर दाहिने हाथ पर बांध लें. मान्यता है कि ऐसा करने से बीमारी से पीड़ित व्यक्ति का रोग खत्म हो जाता है. • ग्रह शांति में भी पालश का पेड़ बहुत फायदेमंद है. पलाश की लकड़ी से हवन करने पर सर्वकार्य सिद्ध होते हैं.

पलाश

पलास भारतवर्ष के सभी प्रदेशों और सभी स्थानों में पाया जाता है। पलास का वृक्ष मैदानों और जंगलों ही में नहीं, ४००० फुट ऊँची पहाड़ियों की चोटियों तक पर किसी न किसी रूप में अवश्य मिलता है। यह तीन रूपों में पाया जाता है—वृक्ष रूप में, क्षुप रूप में और लता रूप में। बगीचों में यह वृक्ष रूप में और जंगलों और पहाड़ों में अधिकतर क्षुप रूप में पाया जाता है। लता रूप में यह कम मिलता है। पत्ते, फूल और फल तीनों भेदों के समान ही होते हैं। वृक्ष बहुत ऊँचा नहीं होता, मझोले आकार का होता है। क्षुप झाड़ियों के रूप में अर्थात् एक स्थान पर पास पास बहुत से उगते हैं। पत्ते इसके गोल और बीच में कुछ नुकीले होते हैं जिनका रंग पीठ की ओर सफेद और सामने की ओर हरा होता है। पत्ते सीकों में निकलते हैं और एक में तीन तीन होते हैं। इसकी पलास के पत्ते प्रायः यह वृक्ष हिंदुओं के पवित्र माने हुए वृक्षों में से हैं। इसका उल्लेख उपयोगिता [ ] होली के लिए रंग बनाने के अलावा इसके फूलों को पीसकर चेहरे में लगाने से चमक बढ़ती है। पलाश की फलियां कृमिनाशक का काम तो करती ही है इसके उपयोग से बुढ़ापा भी दूर रहता है। पलाश फूल से स्नान करने से ताजगी महसूस होती है। पलाश फूल के पानी से स्नान करने से लू नहीं लगती तथा गर्मी का अहसास नहीं होता। काम शक्तिवर्धक और शीघ्रपतन की समस्या को दूर करता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इससे प्राप्त लकड़ी से दण्ड बनाकर द्विजों का यज्ञोपवीत संस्कार किया जाता है आजकल पलाश का उपयोग सौंदर्य प्रसाधन बनाने में भी किया जा रहा है। पलाश से प्राप्त कमरकस आयुर्वेदिक औषधि है। पलाश की पत्तियों से पत्रावली भी बनाई जाती है। पर्याय [ ] किंसुक, पर्ण, याज्ञिक, रक्तपुष्पक, क्षारश्रेष्ठ, वात-पोथ, ब्रह्मावृक्ष, ब्रह्म...

दोलजात्राः पलाश के फूल, दोल उत्सव और कविगुरु

जयनारायण प्रसाद बिहार, मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तर भारत में जिसे हम होली कहते हैं, पश्चिम बंगाल में यही होली ‘दोल उत्सव’ (dol purnima) के नाम से जानी-पहचानी जाती है। बंगाल में दोल उत्सव की परंपरा कब से है, बताना मुश्किल है। कहते हैं कि 1873 में कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर पहली बार शांतिनिकेतन आए और यहां का वातावरण उन्हें इतना भाया कि वे यहीं के होकर रह गए। बंगाल में होली के पर्व को दोल के अलावा वसंतोत्सव और दोल पूर्णिमा भी कहते हैं। बंगाल के हर हिस्से में इस दिन रंग और गुलाल से लोग सराबोर दिखते हैं। हिंदीभाषियों की होली से ठीक एक दिन पहले बंगाल में दोल उत्सव होता है। दोल के एक दिन पहले होलिका दहन की परंपरा निभाई जाती है, जिसे बंगाल में ‘नेड़ा-पोड़ा’ कहते हैं। बांस, काठ और घास-फूस से यह परंपरा निभाई जाती है। कुछ जिलों में होलिका दहन की परंपरा को ‘चांचल’ भी कहते हैं। बंगाल में दोल उत्सव के प्रारंभ के बारे में कहावत है कि दोल पूर्णिमा के दिन ही राधिका और उसकी अन्य सहेलियों के साथ श्रीकृष्ण रंग-गुलाल से सराबोर हो गए थे। दोल पूर्णिमा के दिन ही गंगा के नजदीक महाप्रभु चैतन्य का आविर्भाव हुआ था, इसलिए इस दिन को गौर पूर्णिमा भी कहते हैं। बंगाल के नदिया जिले में गौर पूर्णिमा के दिन दोल उत्सव देखने का आकर्षण ही कुछ और है! महाप्रभु चैतन्य की आविर्भाव-भूमि नदिया जिले में ही है। ढोल-मंजीरे के साथ श्रद्धालु यहां कीर्तन करते हुए दोल उत्सव का पालन करते हैं। शांतिनिकेतन में दोल उत्सव का आनंद ही कुछ और है। विश्वभारती विश्वविद्यालय की छात्र-छात्राएं शांतिनिकेतन में इस दिन विशेष वेशभूषा में होती हैं और कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर के गीतों के माध्यम से यहां वसंतोत्सव मनाया जाता है। दोलजात्रा या दोल उ...