प्लेसेंटा का चित्र

  1. प्लेसेंटा कितने प्रकार के होते हैं?
  2. एंटीरियर प्‍लेसेंटा क्या है, जानिए इसके बारे में यहां....
  3. प्रेगनेंसी के दौरान प्लेसेंटल अब्रप्शन (अब्रप्शियो प्लेसेंटे)
  4. प्लेसेंटा क्या है? » Placenta Kya Hai
  5. Mothers Day 2023:मां के भीतर बच्चे का सुरक्षा कवच प्लेसेंटा, जानें प्रसव और शिशु के लिए क्यों है जरूरी


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प्लेसेंटा कितने प्रकार के होते हैं?

बीजाण्डासन या अपरा (Placenta) वह अंग है जिसके द्वारा गर्भाशय में स्थित भ्रूण के शरीर में माता के रक्त का पोषण पहुँचता रहता है और जिससे भ्रूण की वृद्धि होती है। यह अंग माता और भ्रूण के शरीरों में संबंध स्थापित करनेवाला है। यद्यपि माता का रक्त भ्रूण के शरीर में कहीं पर नहीं जाने पाता, दोनों के रक्त पूर्णतया पृथक्‌ रहते हैं और दोनों की रक्तवाहिनियों के बीच एक पतली झिल्ली या दीवार रहती है, तो भी उस दीवार के द्वारा माता के रक्त के पोषक अवयव छनकर भ्रूण की रक्तवाहिकाओं में पहुँचते रहते है। बीजाण्डासन की उत्पत्ति[संपादित करें] जब संसेचित डिंब डिंबवाहिनी से गर्भशय में आता है तो वह वहाँ की उपकला या अंत:स्तर में, जो पिछले मासिक स्रव में नए सिरे से बन चुकी है, अपने रहने के लिए स्थान बनाता है। वह अंत:स्तर को खोदकर उसमें घुस जाता है। इस क्रिया में अंत: स्तर की कुछ रक्तवाहिकाएँ फटकर उनसे निकला हुआ रक्त संसेचित डिंब के चारों ओर एकत्र हो जाता है और अतं:स्तर का एक पतला स्तर डिंब के ऊपर भी छा जाता है। अब डिंब की वृद्धि होने लगती है। उसके चारों ओर जो रक्त एकत्र है उसी से वह पोषण लेता रहता है। उसके बाहरी पृष्ठ में अंकुर निकलते हैं। उधर गर्भाशय के डिंब के नीचे के खुले हुए भाग से भी अंकुर निकलते हैं। भ्रूण के और बढ़ने पर उसके ऊपर के आच्छादित भाग के अंकुर लुप्त हो जाते हैं और केवल अंत:स्तर की ओर के अंकुर रह जाते हैं। इन अंकुरों में रक्तवाहिकाओं की केशिकाएँ भी बन जाती हैं, जो अंत:स्तर की केशिकाओं से केवल एक झिल्ली द्वारा पृथक्‌ रहती है। अंत में यह झिल्ली भी लुप्त हो जाती है और माता और भ्रूण के रक्त के बीच में केवल रक्तकेशिकाओं की सूक्ष्म दीवार रह जाती है, जिसके द्वारा माता के रक्त से ऑक्सीजन और पो...

एंटीरियर प्‍लेसेंटा क्या है, जानिए इसके बारे में यहां....

प्रेग्नेंसी के दौरान कई बार ऐसा होता है कि मां बच्चे की मूवमेंट को पूरी तरह से महसूस नहीं कर पाती है, इसकी एक वजह एंटीरियर प्‍लेसेंटा(Anterior placenta) भी हो सकता है। ऐसा होने पर खास सावाधानियों की जरूरत होती है। प्रेग्नेंसी के दौरान प्‍लेसेंटा (Placenta) मां से शिशु तक पोषक तत्‍वों और आक्‍सिजन पहुचाने का काम करता है। यह अदंरूरी संक्रमणों से लड़ने और स्‍वस्‍थ एवं सुरक्षित प्रेगनेंसी के लिए जरूरी हॉर्मोंस के निमार्ण में मददगार है। प्रेगनेंसी में प्‍लेसेंटा की स्थिति और पोजिशन बहुत महत्‍वपूर्ण होती है और इसमें एंटीरियर प्‍लेसेंटा क्या रोल होता है। आइए जानते हैं कि किस तरह एंटीरियर प्‍लेसेंटा (Anterior placenta) की स्थिति गर्भावस्‍था को प्रभावित कर सकती है। एंटीरियर प्‍लेसेंटा क्‍या है (What is anterior placenta) ? अगर ब की बात करें, तो जब प्‍लेसेंटा (Placenta) पेट की दीवार से जुड़ा हुआ गर्भाशय के सामने वाले हिस्‍से से अपने आप जुड़ जाता है, तो इस स्थिति को एंटीरियर प्‍लेसेंटा कहते हैं। क्योंकि प्‍लेसेंटा खुद को गर्भाशय में कहीं भी जुड़ सकता है। वैसे यह यह बैक की तरफ रीढ की हड्डी के नजदीक और पोस्‍टीरियर की ओर विकसित होती है। एंटीरियर प्‍लेसेंटा के पोजिशन होने पर मां शिशु की अधिकतर मूवमेंट को महसूस नहीं कर पाती हैं। लेकिन यह स्थिति बहुत कम ही देखी जाती है। यानि कि दुर्लभ ही किसी गर्भवती महिला को एंटीरियर प्‍लेसेंटा होता है और यदि किसी महिला की पहले • ऐसे में प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं का अपनी मांसपेशियों पर कंट्रोल पहले जैसा नहीं होता है, जिससे गैस की समस्या भी अधिक होने लगती है। ऐसे में कई बार प्रेग्नेंट महिलाओं का गैस की समस्या पर कंट्राेल लोगों के सामने नहीं हो पाता है। •...

प्लेसेंटा

प्लेसेंटा, जिसे आमतौर पर आफ्टरबर्थ कहा जाता है, टिश्यू की एक डिस्क होती है जो मां के गर्भाशय को गर्भनाल (अम्बिलिकल कॉर्ड) से जोड़ती है, और अंततः भ्रूण को पोषक तत्त्व और ऑक्सीजन पहुंचाती है। यह भ्रूण के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके बावजूद भी शोधकर्ता इस बारे में बहुत कम जानते हैं कि यह कैसे कार्य करती है, और एक स्वस्थ गर्भावस्था को बनाए रखने में इसकी क्या भूमिका है। प्लेसेंटा और गर्भनाल, गर्भाशय में रहते हुए बच्चे की जीवन रेखा के रूप में कार्य करती हैं। प्लेसेंटा के कार्यों में शामिल हैं: • बच्चे को ऑक्सीजन और पोषक तत्व प्रदान करना • बच्चे से हानिकारक अपशिष्ट और कार्बन डाइऑक्साइड को निकालना • हार्मोन पैदा करना जो आपके बच्चे को बढ़ने में मदद करते हैं • आप से आपके बच्चे को प्रतिरक्षा प्रदान करना • बच्चे की सुरक्षा में मदद करना प्लेसेंटा की दो साइड होती हैं: फीटल साइड-भ्रूण पक्ष (कोरियोन के रूप में जाना जाता है) और मैटरनल साइड (जिसे डेसीडुआ के रूप में जाना जाता है)। प्लेसेंटा का औसत वजन लगभग एक पाउंड होता है, डायमीटर लगभग 20 सेंटीमीटर होता है, और यह लगभग तीन सेंटीमीटर मोटा होता है। यदि किसी के जुड़वाँ या एकाधिक बच्चे हैं, तो एक बड़ी प्लेसेंटा हो सकती है जो जुड़वा बच्चों को साझा करती है, या अलग-अलग प्लेसेंटा, प्रत्येक बच्चे के लिए एक। प्लेसेंटा (नाल) से गर्भनाल(अम्बिलिकल कॉर्ड) जुड़ी होती है। गर्भनाल आमतौर पर लगभग 50 से 60 सेंटीमीटर लंबी होती है। प्लेसेंटा के संभावित स्थान हैं: • पोस्टीरियर प्लेसेंटा: यह गर्भाशय की पिछली दीवार पर बनता है। • एंटीरियर प्लेसेंटा: एब्डोमिनल कैविटी के सामने गर्भाशय की दीवार पर विकसित होता है। • फंडल प्लेसेंटा: प्लेसेंटा गर्भाशय के श...

प्रेगनेंसी के दौरान प्लेसेंटल अब्रप्शन (अब्रप्शियो प्लेसेंटे)

अब्रप्शियो प्लेसेंटे, जिसे आमतौर पर प्लेसेंटल अब्रप्शन के नाम से जाना जाता है, गर्भावस्था की एक गंभीर जटिलता है। हालांकि यह समस्या आम नहीं है, लेकिन इस स्थिति में ब्लीडिंग हो सकती है और बच्चे तक जाने वाले ऑक्सीजन और न्यूट्रिएंट्स में रुकावट आ सकती है। सामान्यतः प्लेसेंटल अब्रप्शन लेट प्रेगनेंसी में या एक्टिव लेबर के दौरान होता है और इसके कारण प्रीमैच्योर डिलीवरी हो सकती है या जन्म के समय बच्चे का वजन कम हो सकता है। इस जटिलता और इससे जुड़े खतरों के बारे में जानने के लिए आगे पढ़ें। प्लेसेंटल अब्रप्शन क्या है? प्लेसेंटल अब्रप्शन गर्भावस्था के दौरान अप्रत्याशित ढंग से हो सकता है। प्लेसेंटा – एक गोलाकार, चपटा अंग जो कि ऑक्सीजन और पोषक तत्वों को मां से लेकर बच्चे तक पहुंचाता है – आपकी गर्भाशय के दीवार से जुड़ा होता है। बच्चा अंबिलिकल कॉर्ड के द्वारा प्लेसेंटा से जुड़ा होता है। बच्चे के जन्म के बाद आमतौर पर प्लेसेंटा गर्भाशय की दीवार से अलग होकर बाहर आ जाता है। प्लेसेंटल अब्रप्शन में प्लेसेंटा बच्चे के जन्म से पहले ही गर्भाशय से अलग हो जाता है। इस तरह प्लेसेंटा का अलग होना गर्भावस्था के 20वें सप्ताह के बाद कभी भी हो सकता है और कुछ मामलों में यह जानलेवा भी हो सकता है। प्लेसेंटल अब्रप्शन कितना आम है? प्लेसेंटल अब्रप्शन एक दुर्लभ घटना है, जो कि 100 में से एक गर्भावस्था में देखी जाती है। इसका मतलब है, कि केवल 1% गर्भवती महिला इस जटिलता का सामना करती है। लेकिन अगर आपने अपनी पहली गर्भावस्था में प्लेसेंटल अब्रप्शन का अनुभव किया है, तो आपकी अगली प्रेगनेंसी में इसके होने की संभावना 10% तक और तीसरी गर्भावस्था में 20% तक बढ़ जाती है। प्लेसेंटल अब्रप्शन के ज्यादातर मामलों को इलाज के द्वारा स...

प्लेसेंटा क्या है? » Placenta Kya Hai

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। प्लेसेंटा कैसा ऑर्गन है एक ऐसा पार्ट हमारी बॉडी का और महिलाओं की बॉडी का जब उनकी बॉडी के अंदर प्रेगनेंसी होती है यानी कि जब वह गर्भवती होती है तब यह प्लेसेंटा और गंज में जो डिवेलप होता है उनके यूट्रस के अंदर तो इसको ऑक्सीजन प्रोवाइड करवाने के लिए और जो बच्चा हो रहा है उसकी पूरी ग्रोथ के लिए यह पैदा होता है और जितना भी वेस्ट प्रोडक्ट होता है जितना भी खराब पदार्थ होता है जैसे कि जो बेबी का ब्लड होता है और जो अभी भी के अंदर और भी खूब सारी चीजें होती है बच्चे के अंदर जो खराब पदार्थ होती है वह भी वह इसको रिमूव करने के लिए काम आता है यह प्लेसेंटा तो यह जो है यूट्रस का जो बोल होता है यूट्रस की दीवार होती है उधर लगा हुआ होता है placenta kaisa organ hai ek aisa part hamari body ka aur mahilaon ki body ka jab unki body ke andar pregnancy hoti hai yani ki jab wah garbhwati hoti hai tab yeh placenta aur ganj mein jo develop hota hai unke Utros ke andar toh isko oxygen provide karwane ke liye aur jo baccha ho raha hai uski puri growth ke liye yeh paida hota hai aur jitna bhi west product hota hai jitna bhi kharab padarth hota hai jaise ki jo baby ka blood hota hai aur jo abhi bhi ke andar aur bhi khoob saree cheezen hoti hai bacche ke andar jo kharab padarth hoti hai wah bhi wah isko remove karne ke liye kaam aata hai yeh placenta toh yeh jo hai Utros ka jo bol hota hai Utros ki deewaar hoti hai udhar laga hua hota hai प्लेसेंटा कैसा ऑर्गन है एक ऐसा पार्ट हमारी बॉडी का...

Mothers Day 2023:मां के भीतर बच्चे का सुरक्षा कवच प्लेसेंटा, जानें प्रसव और शिशु के लिए क्यों है जरूरी

डॉ. निकिता रावल, स्त्रीरोग व आईवीएफ विशेषज्ञ, फैलोशिप, रॉयल कॉलेज ऑफ ऑबस्टिट्रिशियन्स एंड गायनोकोलॉजिस्ट्स, लंदन, अनुभव 25 वर्ष प्लेसेंटा यानी मां के गर्भ में बच्चे को सुरक्षा और पोषण दोनों उपलब्ध करवाने वाली जगह। सामान्य शब्दों में कहा जाए तो प्लेसेंटा वह स्थान है जो बच्चे को माँ से जोड़ता है। अक्सर महिलाओं को इस महत्वपूर्ण हिस्से के बारे में पूरी जानकारी नहीं होती। जिसके चलते कई तरह की भ्रांतियां और डर मां बनने के दौरान महिलाओं को परेशान करते हैं। वहीं कई बार यह भी होता है कि प्लेसेंटा के महत्व को ही नजरअंदाज कर दिया जाता है। जबकि इसकी सेहत और इसके सामान्य होने से जुड़ी होती है मां और बच्चे दोनों की सेहत भी। इस मदर्स डे पर जानिए क्या है प्लेसेंटा, क्यों है प्लेसेंटा का इतना महत्व और कैसे इसको पहुंचने वाला नुकसान गर्भ में पल रहे शिशु के लिए हो सकता है घातक। प्लेसेंटा क्या है? प्लेसेंटा एक बड़ा अंग होता है जो गर्भवस्था के दौरान शरीर के भीतर पनपता है और यह आमतौर पर यूटरस की दीवार पर ऊपर की ओर या साइड में जुड़ा होता है। कई बार रेयर केसेस में प्लेसेंटा बच्चेदानी के मुंह पर भी हो सकती है। यह स्थिति प्लेसेंटा प्रिविया कहलाती है और यह मां और बच्चे दोनों के लिए नुकसानदायक हो सकती है। शिशु को प्लेसेंटा से जोड़ने का काम करती है अम्बलीकल कॉर्ड या गर्भनाल। मां के शरीर से खून प्लेसेंटा से होकर ही शिशु तक पहुंचता है और ऑक्सीजन, ग्लूकोज और अन्य पोषक तत्व फिल्टर होकर गर्भनाल द्वारा शिशु को मिलते हैं। जरूरी हार्मोंस का उत्पादन: गर्भावस्था के दौरान कुछ विशेष हार्मोन की जरूरत शिशु और मां दोनों के लिए होती है और प्लेसेंटा इनका उत्पादन कर मदद करती है। इन हार्मोंस में लेक्टोजन, एस्ट्रोजन और प्रोजेस...