वीरगाथा काल के कवि हैं

  1. हिंदी साहित्य के 190 महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
  2. NCERT Class 10 Hindi Grammar (Hindi Vyakaran) पद्य साहित्य का विकास
  3. हिन्दी साहित्य का विभाजन, वर्गीकरण, नामकरण, इतिहास
  4. आदिकाल का सामान्य परिचय
  5. हिंदी साहित्य के काल : HindiPrem.com हिंदी साहित्य (Hindi Sahitya


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हिंदी साहित्य के 190 महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर

हिंदी साहित्य के 190 महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर हिंदी विषय की परीक्षा में हमेशा हिंदी साहित्य से संबंधित काफी महत्वपूर्ण प्रश्न पूछे जाते हैं. तो जो विद्यार्थी हिंदी विषय की परीक्षा की तैयारी कर रहा है उसके लिए आज इस पोस्ट में हम आपको हिन्दी व्याकरण प्रश्न पत्र हिंदी साहित्य वस्तुनिष्ठ प्रश्न हिंदी साहित्य के वस्तुनिष्ठ प्रश्न हिंदी साहित्य प्रश्न हिन्दी साहित्य प्रश्न उत्तर हिन्दी साहित्य प्रश्न सामान्य हिंदी प्रश्न हिन्दी हल प्रश्न पत्र से संबंधित काफी महत्वपूर्ण प्रश्न और उनके उत्तर देने वाले हैं जो कि पहले परीक्षा में पूछे जा चुके हैं और आगे आने वाली परीक्षा में भी इनमें से कौन से प्रश्न पूछे जा सकते हैं तो इन्हें बहुत ही ध्यानपूर्वक पढ़ें और अगर यह को फायदेमंद लगे तो अपने दोस्तों के साथ शेयर जरुर करें. 1.किस पुस्तक का 15 भारतीय भाषाओं और 40 विदेशी भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है ? उत्तर :- पंचतंत्र 2.सर्वप्रथम भारत को इंडिया किसने कहा ? उत्तर :- यूनानवासियों ने 3.पुरापाषाण युग में आदि मानव के मनोंरजन का साधन क्या था ? उत्तर :- शिकार करना 4.किस युग को ‘चाल्कोलिथिक एज’ कहा जाता है ? उत्तर :- ताम्रपाषाण युग को 5.प्राचीन काल में मानव द्वारा किस अनाज का प्रयोग हुआ ? उत्तर :- चावल 6.आधुनिक मानव के हाल का पूर्वज कौन है ? उत्तर :- क्रोमैगनन मनुष्य 7.विक्रम संवत का शुभारंभ कब हुआ ? उत्तर :- 57 ई. 8.सर्वप्रथम किस विदेशी यात्री ने भारत यात्री की ? उत्तर :- फाह्यान ने 9.तक्षशिला नगर किन नदियों के मध्य स्थित था ? उत्तर :- सिंधु व झेल 10.सर्वप्रथम भारतवर्ष का जिक्र किस अभिलेखा में मिला है— उत्तर :- हाथी गुंफा अभिलेख में 11.चीनी यात्री ह्नेनसांग सर्वप्रथम किस भारतीय राज्य पहुँचा ? उत...

NCERT Class 10 Hindi Grammar (Hindi Vyakaran) पद्य साहित्य का विकास

Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • NCERT Class 10 Hindi Grammar (Hindi Vyakaran) पद्य साहित्य का विकास हिन्दी काव्य साहित्य का प्रारम्भ कब हुआ ? इसके विषय में विभिन्न विद्वानों के मतभेद हैं। कुछ विद्वान 800 ई.के आस-पास, तो अन्य लोग 1000 ई. के निकट हिन्दी काव्य साहित्य का प्रारम्भ स्वीकार करते हैं । अतः इसके विषय में निश्चित नहीं कहा जा सकता है। अतः विगत 1000 वर्षों से पूर्व के हिन्दी साहित्य को सरलतापूर्वक अध्ययन करने के उद्देश्य से उसे अनेक विद्वानों ने काल खण्डों में विभाजित किया है । इसे हिन्दी साहित्य का काल विभाजन कहते हैं। काल विभाजन का श्रेष्ठतम विभाजन आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने अपने ग्रन्थ हिन्दी साहित्य में किया है,वह इस प्रकार है- • वीरगाथा काल (आदिकाल) – (सन् 993-1318 ई) • भक्ति काल (पूर्व मध्यकाल) – (सन् 1318-1643 ई) • रीति काल (उत्तर मध्य काल) – (सन् 1643-1843 ई) • गद्य काल (आधुनिक काल) – (सन् 1843-अब तक) आदिकाल आदिकाल को वीरगाथाकाल के नाम से जाना जाता है। आदिकाल की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं- 1. वीर रस की प्रधानता 2. युद्ध का सजीव चित्रण 3. ऐतिहासिक घटनाओं का चित्रण 4. श्रृंगार एवं अन्य रसों का समावेश 5. प्राकृत, अपभ्रंश, डिंगल एवं पिंगल भाषा का प्रयोग 6. आश्रयदाताओं की प्रशंसा एवं उनका यशगान आदिकाल के प्रमुख कवि एवं उनकी रचनाएँ निम्न लिखित हैं- 1. चंदवरदायी- पृथ्वीराज रासो 2. नरपति नाल्ह- वीसलदेव रासो 3. जगनिक- परमाल रासो ‘आल्हाखण्ड’ 4. शारंगधर- हम्मीर रासो 5. दलपतिविजय- खुमान रासो भक्तिकाल भक्तिकाल हिंदी साहित्य का स्वर्णिम काल माना जाता है। भक्ति काल को दो भागों में बाँटा जा सकता है- 1. सगुण धारा 2. निर्गुण धारा सगुण धारा भक्तिका...

हिन्दी साहित्य का विभाजन, वर्गीकरण, नामकरण, इतिहास

हिन्दी साहित्य (Hindi Sahitya) ने अपनी शुरुआत लोकभाषा कविता के माध्यम से की और गद्य का विकास बहुत बाद में हुआ। हिन्दी का आरम्भिक साहित्य हिन्दी का आरम्भिक साहित्य माना जाता हैं। सम्पूर्ण हिन्दी साहित्य हिन्दी साहित्य गद्य, पद्य और चम्पू। जो गद्य और पद्य दोनों में हो उसे चम्पू कहते है। लाला श्रीनिवासदास द्वारा लिखे गये उपन्यास परीक्षा गुरु को हिन्दी की पहली प्रामाणिक गद्य रचना मानते हैं। हिंदी साहित्य का आरम्भ आठवीं शताब्दी से माना जाता है। यह वह समय है जब सम्राट हर्ष की मृत्यु के बाद देश में अनेक छोटे-छोटे शासन केन्द्र स्थापित हो गए थे जो परस्पर संघर्षरत रहा करते थे। मुसलमानों से भी इनकी टक्कर होती रहती थी। हिन्दी साहित्य के अब तक लिखे गए इतिहासों में आचार्य रामचन्द्र शुक्ल द्वारा लिखे गए ‘हिन्दी साहित्य का इतिहास’ को सबसे प्रामाणिक तथा व्यवस्थित इतिहास माना जाता है। आचार्य शुक्ल जी ने इसे “ हिन्दी शब्दसागर की भूमिका” के रूप में लिखा था जिसे बाद में स्वतंत्र पुस्तक के रूप में 1929 ई० में प्रकाशित आंतरित कराया गया। आचार्य शुक्ल ने गहन शोध और चिन्तन के बाद हिन्दी साहित्य के पूरे इतिहास पर प्रकाश डाला है। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की पुस्तक में लगभग 1000 कवियों के जीवन चरित्र का विवेचन किया गया है। कवियों की संख्या की अपेक्षा उनके साहित्यिक मूल्यांकन को महत्त्व प्रदान किया गया है अर्थात् हिन्दी साहित्य के विकास में विशेष योगदान देने वाले कवियों को इसमें शामिल किया गया है। Table of Contents (विषय सूची) Hide • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • वर्गीकरण, काल विभाजन और नामकरण हिन्दी साहित्य का वर्गीकरण एवं काल विभाजन और नामकरण को लेकर विद्वानों के विविध म...

आदिकाल का सामान्य परिचय

आदिकाल का सामान्य परिचय इस पोस्ट में आदिकाल का सामान्य परिचय, हिंदी का प्रथम कवि, हिंदी का प्रथम ग्रंथ, आदिकाल से संबंधित विभिन्न विद्वानों के प्रमुख कथन एवं महत्त्वपूर्ण कथन शामिल हैं। aadikal ka parichay चारण काल — जॉर्ज ग्रियर्सन प्रारंभिक काल — मिश्रबंधु, डॉ. गणपतिचंद्र गुप्त बीजवपन काल — आ. महावीरप्रसाद द्विवेदी वीरगाथाकाल — आ. रामचंद्र शुक्ल सिद्ध-सामत काल — महापंडित राहुल सांकृत्यायन वीरकाल — आ. विश्वनाथ प्रसाद मिश्र संधिकाल एवं चारण काल — डॉ. रामकुमार वर्मा आदिकाल — आ. हजारी प्रसाद द्विवेदी जय काल — डॉ. रमाशंकर शुक्ल ‘रसाल’ आधार काल — सुमन राजे अपभ्रंश काल — डॉ. धीरेंद्र वर्मा, डॉ. चंद्रधर शर्मा गुलेरी अपभ्रंश काल (जातीय साहित्य का उदय) — डॉ. बच्चन सिंह उद्भव काल — डॉ. वासुदेव सिंह सर्वमान्य मत के अनुसार आ. हजारी प्रसाद द्विवेदी द्वारा सुझाए गए नाम ‘आदिकाल’ को स्वीकार किया गया है। हिंदी का प्रथम कवि महापंडित राहुल सांकृत्यायन ने ‘सरहपा/ सरहपाद’ को हिंदी का प्रथम कवि स्वीकार किया है। सामान्यतया उक्त मत को स्वीकार किया जाता है। हिंदी का प्रथम कवि कौन हो सकता है, इस संबंध में अन्य विद्वानों के मत इस प्रकार हैं— 1. स्वयंभू (8वीं सदी) ― डॉ. रामकुमार वर्मा। 2. सरहपा (769 ई.) ― राहुल सांकृत्यायन व डॉ. नगेन्द्र 3. पुष्य या पुण्ड (613 ई./सं. 670) ― शिवसिंह सेंगर 4. राजा मुंज (993 ई/ सं. 1050)- चंद्रधर शर्मा गुलेरी 5. अब्दुर्रहमान (11वीं सदी) ― डॉ हजारी प्रसाद द्विवेदी 6. शालिभद्र सूरि (1184 ई.) ― डॉ. गणपतिचंद्र गुप्त 7. विद्यापति (15वीं सदी) ― डॉ. बच्चन सिंह हिंदी का प्रथम ग्रंथ जैन श्रावक देवसेन कृत ‘श्रावकाचार’ को हिंदी का प्रथम ग्रंथ माना जाता है। इसमें 250 दोहों में श्र...

हिंदी साहित्य के काल : HindiPrem.com हिंदी साहित्य (Hindi Sahitya

‘हिंदी साहित्य के काल (Hindi Sahitya)’ शीर्षक के इस लेख में हिंदी साहित्य से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है। विद्वानों द्वारा हिंदी साहित्य के इतिहास को चार भागों में बाँटा गया है। आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने ‘हिंदी साहित्य का इतिहास’में हिंदी के 900 वर्षों के इतिहास को चार भागों में विभक्त किया है – • आदिकाल या वीरगाथा काल –सन् 993 से 1318 तक • भक्तिकाल या पूर्व– मध्यकाल– 1318 से 1643 तक • रीतिकाल या उत्तर– मध्यकाल– 1643 से 1843 तक • आधुनिक काल– 1900 से 1974 तक वीरगाथाकाल या आदिकाल हिंदी साहित्य के पहले उत्थान काल को ‘आदिकाल’, ‘वीरगाथाकाल’ या ‘चारणकाल’ के नाम से जाना जाता है। भारत में यह राजे वीरगाथा काल की प्रमुख रचनाएं – पृथ्वीराज रासो, परमाल रासो (आल्हाखंड), बीसलदेव रासो, हम्मीर रासो, खुमाण रासो, विजयपाल रासो, जयचंद्रप्रकाश, विजयपाल रासो, जयमयंक-जस-चंद्रिका। भक्तिकाल (पूर्व मध्यकाल) भारत में चौदहवीं सदी के उत्तरार्द्ध में भक्तिकाल की शुरुवात हुई। इस काल के कवियों को मुख्य रूप से दो शाखाओं में विभक्त किया गया है- ‘सगुण भक्ति’ मार्गी कवि और ‘निर्गुण भक्ति’ शाखा के कवि। सगुण भक्ति शाखा के कवियों द्वारा ईश्वर के सुंदर व मधुर रूप व उनकी महिमा का बखान किया गया है। वहीं निर्गुण भक्ति शाखा के कवियों द्वारा ईश्वर के निराकार रूप का वर्णन किया गया है। इन्हें ज्ञानमार्गी शाखा के कवि भी कहा जाता है। कबीरदास ज्ञानमार्गी शाखा के प्रमुख कवि हैं। इसे भी पढ़ें वाक्यांश के लिए एक शब्द सगुण भक्ति शाखा – इसमें ईश्वर के अवतार, सुदरता व मनोहर रूप का वर्णन किया गया है। इस शाखा के कवियों में कुछ ‘रामाश्रयी’ शाखा के तो कुछ ‘कृष्णाश्रयी’ शाखा के थे। वल्लभाचार्य को कृष्णभक्ति के प्रवर्तक के रूप...