प्लुत स्वर कितने होते हैं

  1. वर्ण के कितने भेद होते हैं?
  2. स्वर के कुल कितने प्रकार होते हैं? सभी के परिभाषा और उदाहरण जानिए
  3. Harsv Swar Kise Kahate Hain
  4. स्वर किसे कहते हैं? स्वर कितने प्रकार के होते हैं?
  5. स्वर की परिभाषा, प्रकार और उदाहरण
  6. स्वर किसे कहते हैं? स्वर कितने प्रकार के होते हैं?
  7. वर्ण के कितने भेद होते हैं?
  8. Harsv Swar Kise Kahate Hain
  9. स्वर की परिभाषा, प्रकार और उदाहरण
  10. स्वर के कुल कितने प्रकार होते हैं? सभी के परिभाषा और उदाहरण जानिए


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वर्ण के कितने भेद होते हैं?

आज के इस आर्टिकल में हम वर्ण के कितने भेद होते हैं? (Varn ke kitne bhed hote Hain), वर्ण कितने प्रकार के होते हैं? वर्ण क्या है? इन सब के बारे में विस्तार से पढेंगे। दोस्तों हिंदी हमारी मातृभाषा है जिस कारण हिंदी भाषा का जरूरी और सही ज्ञान हम सभी को होना चाहिए। आधिकारिक भाषा में भी अंग्रेजी के साथ साथ हिंदी का है काफी महत्व है, और किसी भी भाषा का सही ज्ञान होने के लिए उसके व्याकरण की अच्छी नॉलेज होना जरूरी होता है। व्याकरण ही किसी भाषा का आधार होता है। जितना महत्व इंग्लिश ग्रामर का है उतना ही हिंदी आज के इस लेख में हम हिंदी व्याकरण की है एक बहुत ही महत्वपूर्ण पाठ वर्ण के बारे में जानेंगे। वर्ण क्या है? वर्ण कितने प्रकार के होते हैं? यानी वर्ण के कितने भेद हैं? इन सभी के बारे में जानेंगे। आसान भाषा में कहा जाए तो हिंदी में हम जिन मूल अक्षरों को पढ़ते हैं उन्हें ही वर्ण कहा जाता है। वर्ण भाषा की वह मूल इकाई होती है जिसका अर्थ होता है। वर्ण का मतलब होता है मूल अक्षर जिसे और अधिक तोड़ा नहीं जा सकता। जब हम किसी शब्द का उच्चारण करते हैं तो उस शब्द में लिखे अक्षरों को बोलने में हमारे मुंह से ध्वनि निकलती है और वर्ण उस ध्वनि का लिखित रूप होता है। हर एक वर्ण के लिए एक संकेत लिखित में उपस्थित होता है जिसे वर्ण संकेत कहते हैं। उदाहरण के लिए क – एक लिखित संकेत है जिसे क पढ़ा जाता है। जिस भी शब्द को हम लिखते हैं या उसका उच्चारण करते हैं वह शब्द वर्णों के समूह से ही बनते हैं। और फिर शब्दों के समूह से वाक्य का निर्माण होता है। हमारी भाषा हिंदी की लिपि (जिसमें हिंदी को लिखा जाता है) देवनागरी है। इस देवनागरी लिपि में हर ध्वनि के लिए लिखित में एक संकेत मौजूद है जिसे वर्ण कहा जाता है। जैसा क...

स्वर के कुल कितने प्रकार होते हैं? सभी के परिभाषा और उदाहरण जानिए

लेख का शुरुआत करने से पहले आपको बता दें कि हिंदी वर्णमाला में कुल अक्षरों यानि कि वर्णों की संख्या 52 होती है, जिससे स्वर एवं व्यंजन के तौर पर विभाजित किया जाता है। 13 स्वर एवं 39 व्यंजन होते हैं। स्वर किसे कहते हैं? स्वर मूल रूप से उन ध्वनियों को कहा जाता है, जिसके उच्चारण में किसी अन्य वर्णों की सहायता की आवश्यकता नहीं होती हो। 13 स्वर अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अः स्वर का उच्चारण स्वतंत्र रूप से होता है। स्वर के उच्चारण में जीभ का प्रयोग होता है। मुख्य रूप से स्वर का विभाजन जीभ के प्रयोग के आधार पर ही होता है। 2 Conclusion Points Swar kitne prakar ke hote hain? • उच्चारण – 3 • जिह्वा – 3 • उत्पत्ति – 2. उच्चारण के आधार पर स्वर के कुल 3 प्रकार होते हैं • ह्रस्व , • दीर्घ • प्लुत स्वर . हृस्व स्वर – जिन स्वरों के उच्चारण करने में कम समय लगता हो, अर्थात एक मात्रा का समय लगता हों, उन स्वरों को हृस्व स्वर कहते हैं. इसकी संख्या 4 है क्रमशः अ, इ, उ, ऋ. दीर्घ स्वर – जिन स्वरों के उच्चारण में हृस्व स्वरों से दुगुना समय लगता हो, उन स्वरों को दीर्घ स्वर कहते हैं. इसकी संख्या 7 है क्रमशः आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ. प्लुत स्वर – जिन स्वरों के उच्चारण करने में हृस्व स्वर से तीन गुना समय लगता हो, उन स्वरों को प्लुत स्वर कहते हैं. कोई निश्चित संख्या नहीं है. यह गाने रोने और दूसरे पुकारने में व्यवहृत होता है जैसे – रे मोहना! और बाप रे! आदि. जिह्वा के आधार पर स्वर के 3 भेद होते हैं • अग्र स्वर • मध्य स्वर • पश्च स्वर अग्र स्वर – जिन स्वरों का उच्चारण में जिह्वा का अगले भाग प्रयोग होता है उसे अग्र स्वर कहते हैं जैसे: ई, इ, ए, ऐ (4). मध्य स्वर – जिन स्वरों के उच्चारण में जिह्वा का मध्य ...

Harsv Swar Kise Kahate Hain

Harsv Swar: स्वर वर्ण वो होते हैं, जिनके उच्चारण करते वक़्त किसी अन्य दूसरे वर्ण की मदद की आवश्यक नही ली जाती हैं, उनको कहा जाता हैं, जबकि और हम इस पोस्ट में आपको ह्रस्व स्वर कितने होते हैं? हर्ष स्वर किसे कहते हैं, के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं। हर्ष स्वर का एक भेद होता हैं, अगर इसकी व्याख्या करें तो, वो सभी स्वरों जिनके उच्चारण करते वक़्त में कम से कम समय लगता हैं, उनको Hasv Swar कहा जाता हैं। हृस्व स्वर कुल चार प्रकार होते हैं, जो की निम्न हैं — अ, इ, उ, ऋ। अगर आप क्या Hasv Swar का परिभाषा जानना चाहते हैं, एवं कुल संख्या एवं उनके उदाहरण जानना चाहते हैं? तो आप एकदम सही पोस्ट पढ़ने जा रहे हैं। कृपया आप Harsh Swar पोस्ट को अंत तक ध्यानपूर्वक अवश्य ही पढ़े, हम इस पोस्ट में harsh swar kitne prkar ke hote hain के बारे में विस्तारपूर्वक चर्चा करने जा रहे हैं। • 1 ह्रस्व स्वर किसे कहते हैं • 2 हर्षस्वर के उदाहरण • 3 Last Word: ह्रस्व स्वर किसे कहते हैं हर्षस्वर (Hasv Swar) को एक दूसरे नाम से भी जाना जाता है, हर्ष स्वर का दूसरा नाम मात्रिक स्वर भी है। और इसकी व्याख्या करें तो, वो सभी स्वर जिनके स्वरों के उच्चारण करते वक़्त काफी कम समय लगता हैं, यानि की एक मात्रा भर का समय लगता हैं, उन सभी स्वरों को हृस्व स्वर कहा जाता हैं। Harsv Swar कितने होते हैं जैसा के हमने आपको ऊपर में ही बताया की, अ, इ, उ, ऋ, यानि की कुल चार (4) हर्षस्वर शामिल होते हैं। Hasv Swarकेकितनेभेदहोते हैं अ इ उ ऋ यहां हम आपको बताना चाहेंगे की, दो हर्षस्वरों में संधि करके ही दीर्घ स्वर को उच्चारित किया जा सकता है। इसके साथ ही आपको ये भी पता होना चाहिए की, उच्चारण के अनुसार स्वर के कुल तीन प्रकार होते हैं. जिनम...

स्वर किसे कहते हैं? स्वर कितने प्रकार के होते हैं?

वे वर्ण जो अन्य वर्णों की सहायता के बिना बोले जाते हैं वे स्वर कहलाते हैं। स्वर वर्ण निम्नलिखित हैं- अ आ इ ई उ ऊ ऋ ए ऐ ओ औ - (11) इनमें से आ (अ+अ), ई (इ+इ), तथा ऊ (उ+उ) दीर्घ स्वर कहलाते हैं और ए (अ+इ), ऐ (अ+ए), ओ (अ+उ), तथा औ (अ+ओ) संयुक्त स्वर कहलाते हैं। स्वर किसे कहते हैं वे अक्षर जिनके उच्चारण में ध्वनि फेफड़ों से अनुस्फुटित होकर कंठ से होती हुई। मुख-विवर के उच्चारण स्थानों को स्पर्श किये बिना द्वार से बाहर निकल जाती है, स्वर कहलाते हैं। स्वरों का उच्चारण किसी दूसरे अक्षर की सहायता के बिना होता है। इस प्रकार:- जो ध्वनियाॅ/अक्षर बिना किसी सहायता के उच्चरित हो सकती हैं और जिनके उच्चारण में हवा निकलने में कोई बाधा नहीं होती है, वे स्वर कहलाते हैं। स्वर के प्रकार / वर्गीकरण (1) मात्रा के आधार पर हिन्दी में स्वरों की संख्या 11 है। मात्राओं की दृष्टि से स्वरों को तीन भागों में बांटा गया हैं। • हृस्व स्वर • दीर्घ स्वर • प्लुत स्वर 1. हृस्व स्वर -जिन स्वरों के उच्चारण में एक मात्रा का समय लगता है उन्हें हृस्व स्वर कहते हैं। जैसे- अ, इ,उ । 2. दीर्घ स्वर - जिन स्वरों के उच्चारण में दो मात्राओं का समय लगता हैं उन्हें दीर्घ स्वर कहते हैं। जैसे-आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ, आॅ। 3. प्लुत स्वर - जिन स्वरों के उच्चारण में दो मात्राओं के उच्चारण से भी अधिक समय लगता है उन्हें प्लुत स्वर कहते हैं। इनका प्रयोग दूर से पुकारने के समय होता है इन स्वरों को लिखते समय अन्त में ३ का अंक बना देते है जैसे- ओइम, रेइ (2) मुँह और नाक से हवा निकलने के आधार पर • निरनुनासिक • सानुनासिक 1. निरनुनासिक - जिन स्वरों के उच्चारण में हवा केवल मुंह से निकलती है, जैसे - अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ, आॅ। 2. सानुनासिक - ज...

स्वर की परिभाषा, प्रकार और उदाहरण

इस पेज पर आज हम स्वर की समस्त जानकारी पढ़ने वाले हैं तो आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़िए। पिछले पेज पर हमने हिंदी वर्णमाला की जानकारी शेयर की हैं तो उस पोस्ट को भी पढ़े। चलिए आज हम स्वर की समस्त जानकारी पढ़ना शुरू करते हैं। स्वर किसे कहते हैं जिन वर्णों को स्वतन्त्र रूप से बोला जा सके उसे स्वर कहते हैं। जिन वर्णों का उच्चारण करते समय साँस, कण्ठ, तालु आदि स्थानों से बिना रुके हुए निकलती है उन्हें ‘स्वर’ कहा जाता हैं। स्वर के प्रकार वैदिक 1. मात्रा या उच्चारण काल के आधार पर उच्चारण काल या मात्रा के आधार पर स्वरों की संख्या 11 है। इनको तीन भागों में बांटा गया हैं। • ह्रस्व स्वर • दीर्घ स्वर • प्लुत स्वर (i). ह्रस्व स्वर :-जिन स्वरों के उच्चारण में कम समय लगता हैं उन्हें ह्रस्व स्वर कहाँ जाता हैं। ह्रस्व स्वर चार होते हैं। दीर्घ स्वर दो शब्दों के मेल से बनते हैं। जैसे :- • अ + आ = आ • इ + ई = ई • उ + ऊ = ऊ • अ + ई = ए • अ + ए = ऐ • अ + उ = ओ • अ + ओ = औ (iii). प्लुत स्वर :-ऐसे स्वर जिनके उच्चारण में तिगुना समय लगे प्लुत स्वर कहलाते हैं। इसका चिह्न (ऽ) है। इसका प्रयोग अकसर पुकारते समय किया जाता हैं। प्लुत स्वर को उल्टा एस या हिंदी के 3 से प्रदर्शित करते हैं। जैसे :- ओ३म, रो३म, भै३या आदि। 2. योग या रचना के आधार पर स्वरों के प्रकार बनावट या रचना के आधार पर स्वरों की संख्या 11 है। इनको 2 भागों में बांटा गया है। • मूल स्वर • संयुक्त स्वर (i). मूल स्वर :- वे स्वर जिनकी रचना स्वयं से हुई है अर्थात ये किसी अन्य स्वरो के मिलाने से नहीं बने हैं, मूल स्वर कहलाते हैं। इनकी संख्या 4 है। अर्थात मूल स्वर हृस्व स्वर हैं। जैसे:- अ, इ, उ, ऋ (ii). संयुक्त स्वर :- वे स्वर जिनकी रचना दूसरों स्वरों से हुई...

स्वर किसे कहते हैं? स्वर कितने प्रकार के होते हैं?

वे वर्ण जो अन्य वर्णों की सहायता के बिना बोले जाते हैं वे स्वर कहलाते हैं। स्वर वर्ण निम्नलिखित हैं- अ आ इ ई उ ऊ ऋ ए ऐ ओ औ - (11) इनमें से आ (अ+अ), ई (इ+इ), तथा ऊ (उ+उ) दीर्घ स्वर कहलाते हैं और ए (अ+इ), ऐ (अ+ए), ओ (अ+उ), तथा औ (अ+ओ) संयुक्त स्वर कहलाते हैं। स्वर किसे कहते हैं वे अक्षर जिनके उच्चारण में ध्वनि फेफड़ों से अनुस्फुटित होकर कंठ से होती हुई। मुख-विवर के उच्चारण स्थानों को स्पर्श किये बिना द्वार से बाहर निकल जाती है, स्वर कहलाते हैं। स्वरों का उच्चारण किसी दूसरे अक्षर की सहायता के बिना होता है। इस प्रकार:- जो ध्वनियाॅ/अक्षर बिना किसी सहायता के उच्चरित हो सकती हैं और जिनके उच्चारण में हवा निकलने में कोई बाधा नहीं होती है, वे स्वर कहलाते हैं। स्वर के प्रकार / वर्गीकरण (1) मात्रा के आधार पर हिन्दी में स्वरों की संख्या 11 है। मात्राओं की दृष्टि से स्वरों को तीन भागों में बांटा गया हैं। • हृस्व स्वर • दीर्घ स्वर • प्लुत स्वर 1. हृस्व स्वर -जिन स्वरों के उच्चारण में एक मात्रा का समय लगता है उन्हें हृस्व स्वर कहते हैं। जैसे- अ, इ,उ । 2. दीर्घ स्वर - जिन स्वरों के उच्चारण में दो मात्राओं का समय लगता हैं उन्हें दीर्घ स्वर कहते हैं। जैसे-आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ, आॅ। 3. प्लुत स्वर - जिन स्वरों के उच्चारण में दो मात्राओं के उच्चारण से भी अधिक समय लगता है उन्हें प्लुत स्वर कहते हैं। इनका प्रयोग दूर से पुकारने के समय होता है इन स्वरों को लिखते समय अन्त में ३ का अंक बना देते है जैसे- ओइम, रेइ (2) मुँह और नाक से हवा निकलने के आधार पर • निरनुनासिक • सानुनासिक 1. निरनुनासिक - जिन स्वरों के उच्चारण में हवा केवल मुंह से निकलती है, जैसे - अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ, आॅ। 2. सानुनासिक - ज...

वर्ण के कितने भेद होते हैं?

आज के इस आर्टिकल में हम वर्ण के कितने भेद होते हैं? (Varn ke kitne bhed hote Hain), वर्ण कितने प्रकार के होते हैं? वर्ण क्या है? इन सब के बारे में विस्तार से पढेंगे। दोस्तों हिंदी हमारी मातृभाषा है जिस कारण हिंदी भाषा का जरूरी और सही ज्ञान हम सभी को होना चाहिए। आधिकारिक भाषा में भी अंग्रेजी के साथ साथ हिंदी का है काफी महत्व है, और किसी भी भाषा का सही ज्ञान होने के लिए उसके व्याकरण की अच्छी नॉलेज होना जरूरी होता है। व्याकरण ही किसी भाषा का आधार होता है। जितना महत्व इंग्लिश ग्रामर का है उतना ही हिंदी आज के इस लेख में हम हिंदी व्याकरण की है एक बहुत ही महत्वपूर्ण पाठ वर्ण के बारे में जानेंगे। वर्ण क्या है? वर्ण कितने प्रकार के होते हैं? यानी वर्ण के कितने भेद हैं? इन सभी के बारे में जानेंगे। आसान भाषा में कहा जाए तो हिंदी में हम जिन मूल अक्षरों को पढ़ते हैं उन्हें ही वर्ण कहा जाता है। वर्ण भाषा की वह मूल इकाई होती है जिसका अर्थ होता है। वर्ण का मतलब होता है मूल अक्षर जिसे और अधिक तोड़ा नहीं जा सकता। जब हम किसी शब्द का उच्चारण करते हैं तो उस शब्द में लिखे अक्षरों को बोलने में हमारे मुंह से ध्वनि निकलती है और वर्ण उस ध्वनि का लिखित रूप होता है। हर एक वर्ण के लिए एक संकेत लिखित में उपस्थित होता है जिसे वर्ण संकेत कहते हैं। उदाहरण के लिए क – एक लिखित संकेत है जिसे क पढ़ा जाता है। जिस भी शब्द को हम लिखते हैं या उसका उच्चारण करते हैं वह शब्द वर्णों के समूह से ही बनते हैं। और फिर शब्दों के समूह से वाक्य का निर्माण होता है। हमारी भाषा हिंदी की लिपि (जिसमें हिंदी को लिखा जाता है) देवनागरी है। इस देवनागरी लिपि में हर ध्वनि के लिए लिखित में एक संकेत मौजूद है जिसे वर्ण कहा जाता है। जैसा क...

Harsv Swar Kise Kahate Hain

Harsv Swar: स्वर वर्ण वो होते हैं, जिनके उच्चारण करते वक़्त किसी अन्य दूसरे वर्ण की मदद की आवश्यक नही ली जाती हैं, उनको कहा जाता हैं, जबकि और हम इस पोस्ट में आपको ह्रस्व स्वर कितने होते हैं? हर्ष स्वर किसे कहते हैं, के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं। हर्ष स्वर का एक भेद होता हैं, अगर इसकी व्याख्या करें तो, वो सभी स्वरों जिनके उच्चारण करते वक़्त में कम से कम समय लगता हैं, उनको Hasv Swar कहा जाता हैं। हृस्व स्वर कुल चार प्रकार होते हैं, जो की निम्न हैं — अ, इ, उ, ऋ। अगर आप क्या Hasv Swar का परिभाषा जानना चाहते हैं, एवं कुल संख्या एवं उनके उदाहरण जानना चाहते हैं? तो आप एकदम सही पोस्ट पढ़ने जा रहे हैं। कृपया आप Harsh Swar पोस्ट को अंत तक ध्यानपूर्वक अवश्य ही पढ़े, हम इस पोस्ट में harsh swar kitne prkar ke hote hain के बारे में विस्तारपूर्वक चर्चा करने जा रहे हैं। • 1 ह्रस्व स्वर किसे कहते हैं • 2 हर्षस्वर के उदाहरण • 3 Last Word: ह्रस्व स्वर किसे कहते हैं हर्षस्वर (Hasv Swar) को एक दूसरे नाम से भी जाना जाता है, हर्ष स्वर का दूसरा नाम मात्रिक स्वर भी है। और इसकी व्याख्या करें तो, वो सभी स्वर जिनके स्वरों के उच्चारण करते वक़्त काफी कम समय लगता हैं, यानि की एक मात्रा भर का समय लगता हैं, उन सभी स्वरों को हृस्व स्वर कहा जाता हैं। Harsv Swar कितने होते हैं जैसा के हमने आपको ऊपर में ही बताया की, अ, इ, उ, ऋ, यानि की कुल चार (4) हर्षस्वर शामिल होते हैं। Hasv Swarकेकितनेभेदहोते हैं अ इ उ ऋ यहां हम आपको बताना चाहेंगे की, दो हर्षस्वरों में संधि करके ही दीर्घ स्वर को उच्चारित किया जा सकता है। इसके साथ ही आपको ये भी पता होना चाहिए की, उच्चारण के अनुसार स्वर के कुल तीन प्रकार होते हैं. जिनम...

स्वर की परिभाषा, प्रकार और उदाहरण

इस पेज पर आज हम स्वर की समस्त जानकारी पढ़ने वाले हैं तो आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़िए। पिछले पेज पर हमने हिंदी वर्णमाला की जानकारी शेयर की हैं तो उस पोस्ट को भी पढ़े। चलिए आज हम स्वर की समस्त जानकारी पढ़ना शुरू करते हैं। स्वर किसे कहते हैं जिन वर्णों को स्वतन्त्र रूप से बोला जा सके उसे स्वर कहते हैं। जिन वर्णों का उच्चारण करते समय साँस, कण्ठ, तालु आदि स्थानों से बिना रुके हुए निकलती है उन्हें ‘स्वर’ कहा जाता हैं। स्वर के प्रकार वैदिक 1. मात्रा या उच्चारण काल के आधार पर उच्चारण काल या मात्रा के आधार पर स्वरों की संख्या 11 है। इनको तीन भागों में बांटा गया हैं। • ह्रस्व स्वर • दीर्घ स्वर • प्लुत स्वर (i). ह्रस्व स्वर :-जिन स्वरों के उच्चारण में कम समय लगता हैं उन्हें ह्रस्व स्वर कहाँ जाता हैं। ह्रस्व स्वर चार होते हैं। दीर्घ स्वर दो शब्दों के मेल से बनते हैं। जैसे :- • अ + आ = आ • इ + ई = ई • उ + ऊ = ऊ • अ + ई = ए • अ + ए = ऐ • अ + उ = ओ • अ + ओ = औ (iii). प्लुत स्वर :-ऐसे स्वर जिनके उच्चारण में तिगुना समय लगे प्लुत स्वर कहलाते हैं। इसका चिह्न (ऽ) है। इसका प्रयोग अकसर पुकारते समय किया जाता हैं। प्लुत स्वर को उल्टा एस या हिंदी के 3 से प्रदर्शित करते हैं। जैसे :- ओ३म, रो३म, भै३या आदि। 2. योग या रचना के आधार पर स्वरों के प्रकार बनावट या रचना के आधार पर स्वरों की संख्या 11 है। इनको 2 भागों में बांटा गया है। • मूल स्वर • संयुक्त स्वर (i). मूल स्वर :- वे स्वर जिनकी रचना स्वयं से हुई है अर्थात ये किसी अन्य स्वरो के मिलाने से नहीं बने हैं, मूल स्वर कहलाते हैं। इनकी संख्या 4 है। अर्थात मूल स्वर हृस्व स्वर हैं। जैसे:- अ, इ, उ, ऋ (ii). संयुक्त स्वर :- वे स्वर जिनकी रचना दूसरों स्वरों से हुई...

स्वर के कुल कितने प्रकार होते हैं? सभी के परिभाषा और उदाहरण जानिए

लेख का शुरुआत करने से पहले आपको बता दें कि हिंदी वर्णमाला में कुल अक्षरों यानि कि वर्णों की संख्या 52 होती है, जिससे स्वर एवं व्यंजन के तौर पर विभाजित किया जाता है। 13 स्वर एवं 39 व्यंजन होते हैं। स्वर किसे कहते हैं? स्वर मूल रूप से उन ध्वनियों को कहा जाता है, जिसके उच्चारण में किसी अन्य वर्णों की सहायता की आवश्यकता नहीं होती हो। 13 स्वर अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अः स्वर का उच्चारण स्वतंत्र रूप से होता है। स्वर के उच्चारण में जीभ का प्रयोग होता है। मुख्य रूप से स्वर का विभाजन जीभ के प्रयोग के आधार पर ही होता है। 2 Conclusion Points Swar kitne prakar ke hote hain? • उच्चारण – 3 • जिह्वा – 3 • उत्पत्ति – 2. उच्चारण के आधार पर स्वर के कुल 3 प्रकार होते हैं • ह्रस्व , • दीर्घ • प्लुत स्वर . हृस्व स्वर – जिन स्वरों के उच्चारण करने में कम समय लगता हो, अर्थात एक मात्रा का समय लगता हों, उन स्वरों को हृस्व स्वर कहते हैं. इसकी संख्या 4 है क्रमशः अ, इ, उ, ऋ. दीर्घ स्वर – जिन स्वरों के उच्चारण में हृस्व स्वरों से दुगुना समय लगता हो, उन स्वरों को दीर्घ स्वर कहते हैं. इसकी संख्या 7 है क्रमशः आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ. प्लुत स्वर – जिन स्वरों के उच्चारण करने में हृस्व स्वर से तीन गुना समय लगता हो, उन स्वरों को प्लुत स्वर कहते हैं. कोई निश्चित संख्या नहीं है. यह गाने रोने और दूसरे पुकारने में व्यवहृत होता है जैसे – रे मोहना! और बाप रे! आदि. जिह्वा के आधार पर स्वर के 3 भेद होते हैं • अग्र स्वर • मध्य स्वर • पश्च स्वर अग्र स्वर – जिन स्वरों का उच्चारण में जिह्वा का अगले भाग प्रयोग होता है उसे अग्र स्वर कहते हैं जैसे: ई, इ, ए, ऐ (4). मध्य स्वर – जिन स्वरों के उच्चारण में जिह्वा का मध्य ...