पोषण ट्रैकर अपडेट करना है

  1. Nutrition tracker app is becoming helpful in fighting malnutrition
  2. Poshan Tracker
  3. Madhya Pradesh: Technical Flaw In Nutrition Tracker App, Congress Raising Questions
  4. भारत: चेन्नई में टीबी की बीमारी ख़त्म करने के लिए बहुआयामी कार्रवाई
  5. पोषण ट्रॅकर ॲप डाऊनलोड – Hindi Jaankaari
  6. Poshan Tracker
  7. Nutrition tracker app is becoming helpful in fighting malnutrition
  8. Madhya Pradesh: Technical Flaw In Nutrition Tracker App, Congress Raising Questions
  9. भारत: चेन्नई में टीबी की बीमारी ख़त्म करने के लिए बहुआयामी कार्रवाई
  10. पोषण ट्रॅकर ॲप डाऊनलोड – Hindi Jaankaari


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Nutrition tracker app is becoming helpful in fighting malnutrition

इंदेवर पांडेय सचिव, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार कुपोषण विशेषकर कमजोर वर्ग के बच्चों और महिलाओं में एक बड़ी चुनौती रहा है। वर्ष 1992-1993 में प्रथम राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) में यह पाया गया कि भारत भी बाल स्वास्थ्य संकेतकों के मामले में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले देशों में से एक है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय 'पूरक पोषण कार्यक्रम' सहित एकीकृत बाल विकास योजना (आइसीडीएस) जैसे प्रणालीगत उपायों और कार्यक्रमों के जरिए कुपोषण की समस्या को दूर करने के लिए प्रयासरत है। इसके तहत सबसे कमजोर वर्गों, यानी 6 साल से कम आयु के बच्चों, गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं और किशोरियों को पूरक भोजन/फोर्टिफाइड राशन उपलब्ध कराया जाता है। केंद्र सरकार ने सेवा मुहैया कराने में बेहतरी सुनिश्चित करने के लिए एक शक्तिशाली साधन के रूप में प्रौद्योगिकी की क्षमता पर विशेष जोर दिया है। इसी भावना के अनुरूप 'पोषण ट्रैकर एप्लीकेशन' को वर्ष 2021 में लॉन्च किया गया। पोषण ट्रैकर एप को देश भर के आंगनबाड़ी केंद्रों से आइसीडीएस के तहत कुपोषण और सेवा उपलब्धता से संबंधित डेटा/रेकॉर्ड का डिजिटलीकरण करने की दृष्टि से लॉन्च किया गया था, जिससे निगरानी और नीतियां बनाने का मार्ग प्रशस्त हुआ है। पोषण अभियान के तहत पहली बार आंगनबाड़ी केन्द्रों और कार्यकर्ताओं को स्मार्टफोन से लैस किया गया। बच्चों में उम्र के हिसाब से छोटा कद होने, कद के अनुसार बच्चे का वजन न होने, बेहद कम वजन होने की समस्याओं की पहचान तेजी से करने और अंतिम लाभार्थी को पोषण सेवा मुहैया कराने की निगरानी के लिए पोषण ट्रैकर से जुड़ी प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जा रहा है। 9.8 करोड़ से भी ज्यादा लाभार्थियों को कवर कर...

Poshan Tracker

पोषण ट्रैकर एप के जरिये बच्चों, किशोरों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए पोषण से संबंधित जानकारियों को आसनी से प्राप्त किया जा सकता है. इस पर बताये गए बातों के जरिये एक गर्भवती माँ अपने शिशु के शारीरिक मानसिक विकास हेतु शुरुआत समय में एक अच्छा सुझाव प्राप्त कर सकती है. इसके मदद से गर्भवती महिलाएँ भी गर्भ धारण के दौरन अपना ख्याल कैसे रखें इससे जुडी जानकरी भी प्राप्त कर सकती है. इस लेख में हम Poshan Tracker login, app, dashboard, Download, update, ICDS से संबधित पूरी जानकरी को चरण बद्ध तरीके से यहां जानेगें. आपको बता दें, कि इसे और भी ज्यादा सहज बनाने हेतु पोषण ट्रैकर नाम से एक ऐप भी भारत सरकार ने लांच किया है बहुत सारे लोग जो लॉच किये गए अधिकारी पोर्टल का इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं. अब पोर्टल पर उपलब्ध साड़ी सेवाओं का लाभ वे Poshan tracker app पर भी ले सकेगें। वे इसे गूगल प्ले स्टोर और आईओएस प्ले स्टोर के जरिये आसानी से डाउनलोड कर सारी चीजें प्राप्त कर सकते हैं. वर्तमान समय में यह हिंदी, गुजराती, इंग्लिश, मराठी, तेलुगू, तमिल, मराठी और संथाली जैसे 23 से भी अधिक भाषाओं में कार्य कर रहा है. ताकि, देश में निवास कर रहे विभिन्न भाषाओं के लोग इसका इस्तेमाल कर अपने शिशु को स्वास्थ्य को लेकर जागरूक हो सकें। इस पोर्टल को राष्ट्रीय e-शासन विभाग के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा 1 मार्च 2021 को लांच किया गया. वर्तमान समय में इसके यूजर की संख्या करोड़ों में है. इसके मदद से गर्भवती माहिएँ भी गर्भ धारण के दौरन अपना ख्याल कैसे रखें इससे जुडी जानकरी भी प्राप्त कर सकती है. इस लेख में हम Poshan Tracker – login, app, dashboard, Download, update, ICDS से संबधित पूरी जानक...

Madhya Pradesh: Technical Flaw In Nutrition Tracker App, Congress Raising Questions

भोपाल: केंद्र सरकार ने 2 साल पहले "पोषण ट्रैकर" ऐप लॉन्च किया, मकसद था तकनीक के जरिये कम वजन वाले बच्चों की पहचान और पोषण सेवा को बेहतर बनाना, लेकिन इसी ऐप ने बताया कि मध्य प्रदेश में लाखों बच्चों को नाश्ता और गर्म खाना नहीं मिल रहा है, हज़ारों आंगनबाड़ी केन्द्र खुल ही नहीं रहे हैं. खुद ये रिपोर्ट महिला बाल विकास विभाग ने जारी की, लेकिन 5 दिन बाद इस बारे में सवाल पूछने पर सरकार ने कहा कि मामला वितरण में गड़बड़ी का नहीं, तकनीक में खामी का है. इस बारे में महिला बाल विकास विभाग ने कैमरे पर तो प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन बताया कि गफलत राज्य के और केंद्र के ऐप को लेकर है. वो रोजाना 28 लाख से ज्यादा बच्चों को नाश्ता, खाना देते हैं. अगले दो महीने में राज्य के संपर्क ऐप के बजाए पूरी तरह से पोषण ट्रैकर के जरिये ही काम होगा.हालांकि 2 अप्रैल को ही महिला एवं बाल विकास संचनालय ने सारे जिलों के जिला कार्यक्रम अधिकारी को खत भेजकर कहा था कि आंगनबाड़ियों के खुलने और हितग्राहियों को नाश्ता और गर्म पका भोजन के वितरण में काफी अंतर है. वर्तमान में 76 प्रतिशत आंगनबाड़ी केंद्र खुलना और मात्र 32 फीसद में ही गर्म पका भोजन दिया जाना दिख रहा है. मध्य प्रदेश सरकार के महिला बाल विकास विभाग ने हर ज़िले से खुद सवाल पूछा कि क्यों राज्य में 97,137 आंगनबाड़ी केंद्रों में 24 प्रतिशत यानी लगभग 25000 रोजाना खुल ही नहीं रहीं. मध्य प्रदेश में पिछले साल पोषण आहार में टेक होम राशन में गड़बड़ी के एनडीटीवी के खुलासे के बाद विधानसभा में खूब हंगामा हुआ था, लेकिन यहां 5 दिन बाद महिला बाल विकास विभाग के सुर बदल गये.बहरहाल, सच की पड़ताल हमने राजधानी भोपाल के ही 8 आंगनबाड़ी केंद्रों में की. 5 में तो हालात ठीक थे, लेकिन 3 स...

भारत: चेन्नई में टीबी की बीमारी ख़त्म करने के लिए बहुआयामी कार्रवाई

भारत के दक्षिणी प्रदेश तमिलनाडु के चेन्नई शहर में, तपेदिक यानि टीबी की बीमारी को ख़त्म करने के लिए, विश्व स्वास्थ्य संगठन ( WHO) के सहयोग से, बहुआयामी कार्रवाई चल रही है. इसके तहत, रोग की पहचान, चिकित्सा व सचल चिकित्सा इकाइयों के ज़रिए निगरानी प्रणाली स्थापित की गई है, जिससे लोगों को सुविधानुसार जाँच व निदान करवाने में मदद मिल रही है. एल रंजीता और उनके भाई एल मुगिलन, भारत के चेन्नई राज्य के तमिलनाडु शहर में, अपनी माँ के साथ एक कमरे के मकान में रहते हैं. उनकी माँ को सक्रिय तपेदिक (टीबी) की बीमारी है, जो अनुपचारित रहने पर अत्यधिक संक्रामक होती है. लेकिन ये भाई-बहन बिल्कुल स्वस्थ हैं और तपेदिक (टीबी) मुक्त हैं. वजह, उन्हें अपनी माँ की बीमारी का पता चलने के एक सप्ताह के भीतर ही, टीबी निवारक उपचार (टीपीटी) प्राप्त हुआ था. फिलहाल टीबी के लिए उनकी माँ का, छह महीने लम्बा इलाज चलेगा. रंजीता बताती हैं, “अम्मा (माँ) ने दवा की एक भी ख़ुराक कभी नहीं छोड़ी. अब वह नियमित रूप से अपना भोजन करती हैं, उनकी निरन्तर उठती खाँसी बन्द हो गई है, और वज़न भी बढ़ रहा है. उन्होंने दोबारा अपना कामकाज भी शुरू कर दिया है." रंजीता को चेन्नई के कोडुंगैयूर नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र (यूपीएचसी) में टीबी निवारक उपचार यानि टीपीटी प्रदान किया गया था. चूँकि उनकी माँ चेन्नई में कामकाजी महिलाओं के छात्रावास में हाउसकीपर के रूप में काम करती हैं, इसलिए उनके कार्यस्थल पर उनके निकट सम्पर्क में रहे लोगों की भी, टीबी की जाँच की गई. WHO India/Sanchita Sharma चेन्नई टीबी मुक्त परियोजना का नेतृत्व कर रहीं, वृहद चेन्नई निगम की ज़िला टीबी अधिकारी, डॉक्टर लावण्या जे ने बताया, "टीबी रोगियों के निकट सम्पर्क में आए सभी लोग...

पोषण ट्रॅकर ॲप डाऊनलोड – Hindi Jaankaari

N ew poshan tracker app: जैसा कि आप जानते हैं कि भारत सरकार देश के जरूरतमंद नागरिकों के हित के लिए कई कठोर कदम उठा रहे हैं। इसी वजह से सरकार अपनी नई योजनाएं एवं सामाजिक हित के लिए लांच किए गए एप्लीकेशन को डिजिटल करण से जोड़ने के लिए कार्य कर रही है। आज के समय में रिलाइजेशन की मदद से सभी सरकारी कार्य एवं परियोजना का लाभ आसानी से प्रधान कराया जा रहा है। इसी वजह से केंद्र सरकार ने पोषण ट्रैकर ऐप को लॉन्च किया है जो कि सरकारी आंगनवाड़ी लाभार्थी एवं श्रमिक और पर्यवेक्षकों से संबंधित कार्यक्रम एवं कार्यालय से संबंधित क्रियाओं को ट्रैक करने में सहायता प्रदान करेगा। पोषण ट्रैकर अप्प सरकार द्वारा महाराष्ट्र के 52 जिओ के कॉल 90000 आंगनवाड़ी केंद्रों के संचालन एवं इससे संबंधित जानकारी प्राप्त करने के लिए पोषण ट्रैकर एप्लीकेशन को शुरू किया गया है। यदि आप आंगनवाड़ी कार्यकर्ता है तो आप इस ऐप को अपने मोबाइल फोन में प्ले स्टोर से या भारत सरकार के अधिकारिक वेबसाइट से डाउनलोड कर सकते हैं। इसी कारण इस लेख के माध्यम से हम आपको पोस्ट ट्रैकर एप से संबंधित जानकारी प्रदान करेंगे कि पोषण ट्रैकर एप क्या है इसकी विशेषताएं लाभ और ऐप को कैसे डाउनलोड करें, poshan tracker app download for android, application download। निवेदन करेंगे इस आर्टिकल को अंत तक पड़े जिसके माध्यम से आप को पोषण ट्रैकर एप से संबंधित सभी जानकारी प्राप्त हो पाएंगी। पोषण ट्रॅकर अँप डाउनलोड पोषण ट्रैकर अप्प डाउनलोड: पोषण ट्रैकर एप को लॉन्च करने का मुख्य उद्देश्य आंगनवाड़ी केंद्र एवं आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की गतिविधियों पर निगरानी रखना एवं उससे संबंधित सभी सेवा नागरिकों तक आसानी से प्रदान करना है। इस ऐप के माध्यम से गर्भवती महिलाओं एवं...

Poshan Tracker

पोषण ट्रैकर एप के जरिये बच्चों, किशोरों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए पोषण से संबंधित जानकारियों को आसनी से प्राप्त किया जा सकता है. इस पर बताये गए बातों के जरिये एक गर्भवती माँ अपने शिशु के शारीरिक मानसिक विकास हेतु शुरुआत समय में एक अच्छा सुझाव प्राप्त कर सकती है. इसके मदद से गर्भवती महिलाएँ भी गर्भ धारण के दौरन अपना ख्याल कैसे रखें इससे जुडी जानकरी भी प्राप्त कर सकती है. इस लेख में हम Poshan Tracker login, app, dashboard, Download, update, ICDS से संबधित पूरी जानकरी को चरण बद्ध तरीके से यहां जानेगें. आपको बता दें, कि इसे और भी ज्यादा सहज बनाने हेतु पोषण ट्रैकर नाम से एक ऐप भी भारत सरकार ने लांच किया है बहुत सारे लोग जो लॉच किये गए अधिकारी पोर्टल का इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं. अब पोर्टल पर उपलब्ध साड़ी सेवाओं का लाभ वे Poshan tracker app पर भी ले सकेगें। वे इसे गूगल प्ले स्टोर और आईओएस प्ले स्टोर के जरिये आसानी से डाउनलोड कर सारी चीजें प्राप्त कर सकते हैं. वर्तमान समय में यह हिंदी, गुजराती, इंग्लिश, मराठी, तेलुगू, तमिल, मराठी और संथाली जैसे 23 से भी अधिक भाषाओं में कार्य कर रहा है. ताकि, देश में निवास कर रहे विभिन्न भाषाओं के लोग इसका इस्तेमाल कर अपने शिशु को स्वास्थ्य को लेकर जागरूक हो सकें। इस पोर्टल को राष्ट्रीय e-शासन विभाग के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा 1 मार्च 2021 को लांच किया गया. वर्तमान समय में इसके यूजर की संख्या करोड़ों में है. इसके मदद से गर्भवती माहिएँ भी गर्भ धारण के दौरन अपना ख्याल कैसे रखें इससे जुडी जानकरी भी प्राप्त कर सकती है. इस लेख में हम Poshan Tracker – login, app, dashboard, Download, update, ICDS से संबधित पूरी जानक...

Nutrition tracker app is becoming helpful in fighting malnutrition

इंदेवर पांडेय सचिव, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार कुपोषण विशेषकर कमजोर वर्ग के बच्चों और महिलाओं में एक बड़ी चुनौती रहा है। वर्ष 1992-1993 में प्रथम राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) में यह पाया गया कि भारत भी बाल स्वास्थ्य संकेतकों के मामले में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले देशों में से एक है। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय 'पूरक पोषण कार्यक्रम' सहित एकीकृत बाल विकास योजना (आइसीडीएस) जैसे प्रणालीगत उपायों और कार्यक्रमों के जरिए कुपोषण की समस्या को दूर करने के लिए प्रयासरत है। इसके तहत सबसे कमजोर वर्गों, यानी 6 साल से कम आयु के बच्चों, गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं और किशोरियों को पूरक भोजन/फोर्टिफाइड राशन उपलब्ध कराया जाता है। केंद्र सरकार ने सेवा मुहैया कराने में बेहतरी सुनिश्चित करने के लिए एक शक्तिशाली साधन के रूप में प्रौद्योगिकी की क्षमता पर विशेष जोर दिया है। इसी भावना के अनुरूप 'पोषण ट्रैकर एप्लीकेशन' को वर्ष 2021 में लॉन्च किया गया। पोषण ट्रैकर एप को देश भर के आंगनबाड़ी केंद्रों से आइसीडीएस के तहत कुपोषण और सेवा उपलब्धता से संबंधित डेटा/रेकॉर्ड का डिजिटलीकरण करने की दृष्टि से लॉन्च किया गया था, जिससे निगरानी और नीतियां बनाने का मार्ग प्रशस्त हुआ है। पोषण अभियान के तहत पहली बार आंगनबाड़ी केन्द्रों और कार्यकर्ताओं को स्मार्टफोन से लैस किया गया। बच्चों में उम्र के हिसाब से छोटा कद होने, कद के अनुसार बच्चे का वजन न होने, बेहद कम वजन होने की समस्याओं की पहचान तेजी से करने और अंतिम लाभार्थी को पोषण सेवा मुहैया कराने की निगरानी के लिए पोषण ट्रैकर से जुड़ी प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जा रहा है। 9.8 करोड़ से भी ज्यादा लाभार्थियों को कवर कर...

Madhya Pradesh: Technical Flaw In Nutrition Tracker App, Congress Raising Questions

भोपाल: केंद्र सरकार ने 2 साल पहले "पोषण ट्रैकर" ऐप लॉन्च किया, मकसद था तकनीक के जरिये कम वजन वाले बच्चों की पहचान और पोषण सेवा को बेहतर बनाना, लेकिन इसी ऐप ने बताया कि मध्य प्रदेश में लाखों बच्चों को नाश्ता और गर्म खाना नहीं मिल रहा है, हज़ारों आंगनबाड़ी केन्द्र खुल ही नहीं रहे हैं. खुद ये रिपोर्ट महिला बाल विकास विभाग ने जारी की, लेकिन 5 दिन बाद इस बारे में सवाल पूछने पर सरकार ने कहा कि मामला वितरण में गड़बड़ी का नहीं, तकनीक में खामी का है. इस बारे में महिला बाल विकास विभाग ने कैमरे पर तो प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन बताया कि गफलत राज्य के और केंद्र के ऐप को लेकर है. वो रोजाना 28 लाख से ज्यादा बच्चों को नाश्ता, खाना देते हैं. अगले दो महीने में राज्य के संपर्क ऐप के बजाए पूरी तरह से पोषण ट्रैकर के जरिये ही काम होगा.हालांकि 2 अप्रैल को ही महिला एवं बाल विकास संचनालय ने सारे जिलों के जिला कार्यक्रम अधिकारी को खत भेजकर कहा था कि आंगनबाड़ियों के खुलने और हितग्राहियों को नाश्ता और गर्म पका भोजन के वितरण में काफी अंतर है. वर्तमान में 76 प्रतिशत आंगनबाड़ी केंद्र खुलना और मात्र 32 फीसद में ही गर्म पका भोजन दिया जाना दिख रहा है. मध्य प्रदेश सरकार के महिला बाल विकास विभाग ने हर ज़िले से खुद सवाल पूछा कि क्यों राज्य में 97,137 आंगनबाड़ी केंद्रों में 24 प्रतिशत यानी लगभग 25000 रोजाना खुल ही नहीं रहीं. मध्य प्रदेश में पिछले साल पोषण आहार में टेक होम राशन में गड़बड़ी के एनडीटीवी के खुलासे के बाद विधानसभा में खूब हंगामा हुआ था, लेकिन यहां 5 दिन बाद महिला बाल विकास विभाग के सुर बदल गये.बहरहाल, सच की पड़ताल हमने राजधानी भोपाल के ही 8 आंगनबाड़ी केंद्रों में की. 5 में तो हालात ठीक थे, लेकिन 3 स...

भारत: चेन्नई में टीबी की बीमारी ख़त्म करने के लिए बहुआयामी कार्रवाई

भारत के दक्षिणी प्रदेश तमिलनाडु के चेन्नई शहर में, तपेदिक यानि टीबी की बीमारी को ख़त्म करने के लिए, विश्व स्वास्थ्य संगठन ( WHO) के सहयोग से, बहुआयामी कार्रवाई चल रही है. इसके तहत, रोग की पहचान, चिकित्सा व सचल चिकित्सा इकाइयों के ज़रिए निगरानी प्रणाली स्थापित की गई है, जिससे लोगों को सुविधानुसार जाँच व निदान करवाने में मदद मिल रही है. एल रंजीता और उनके भाई एल मुगिलन, भारत के चेन्नई राज्य के तमिलनाडु शहर में, अपनी माँ के साथ एक कमरे के मकान में रहते हैं. उनकी माँ को सक्रिय तपेदिक (टीबी) की बीमारी है, जो अनुपचारित रहने पर अत्यधिक संक्रामक होती है. लेकिन ये भाई-बहन बिल्कुल स्वस्थ हैं और तपेदिक (टीबी) मुक्त हैं. वजह, उन्हें अपनी माँ की बीमारी का पता चलने के एक सप्ताह के भीतर ही, टीबी निवारक उपचार (टीपीटी) प्राप्त हुआ था. फिलहाल टीबी के लिए उनकी माँ का, छह महीने लम्बा इलाज चलेगा. रंजीता बताती हैं, “अम्मा (माँ) ने दवा की एक भी ख़ुराक कभी नहीं छोड़ी. अब वह नियमित रूप से अपना भोजन करती हैं, उनकी निरन्तर उठती खाँसी बन्द हो गई है, और वज़न भी बढ़ रहा है. उन्होंने दोबारा अपना कामकाज भी शुरू कर दिया है." रंजीता को चेन्नई के कोडुंगैयूर नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र (यूपीएचसी) में टीबी निवारक उपचार यानि टीपीटी प्रदान किया गया था. चूँकि उनकी माँ चेन्नई में कामकाजी महिलाओं के छात्रावास में हाउसकीपर के रूप में काम करती हैं, इसलिए उनके कार्यस्थल पर उनके निकट सम्पर्क में रहे लोगों की भी, टीबी की जाँच की गई. WHO India/Sanchita Sharma चेन्नई टीबी मुक्त परियोजना का नेतृत्व कर रहीं, वृहद चेन्नई निगम की ज़िला टीबी अधिकारी, डॉक्टर लावण्या जे ने बताया, "टीबी रोगियों के निकट सम्पर्क में आए सभी लोग...

पोषण ट्रॅकर ॲप डाऊनलोड – Hindi Jaankaari

N ew poshan tracker app: जैसा कि आप जानते हैं कि भारत सरकार देश के जरूरतमंद नागरिकों के हित के लिए कई कठोर कदम उठा रहे हैं। इसी वजह से सरकार अपनी नई योजनाएं एवं सामाजिक हित के लिए लांच किए गए एप्लीकेशन को डिजिटल करण से जोड़ने के लिए कार्य कर रही है। आज के समय में रिलाइजेशन की मदद से सभी सरकारी कार्य एवं परियोजना का लाभ आसानी से प्रधान कराया जा रहा है। इसी वजह से केंद्र सरकार ने पोषण ट्रैकर ऐप को लॉन्च किया है जो कि सरकारी आंगनवाड़ी लाभार्थी एवं श्रमिक और पर्यवेक्षकों से संबंधित कार्यक्रम एवं कार्यालय से संबंधित क्रियाओं को ट्रैक करने में सहायता प्रदान करेगा। पोषण ट्रैकर अप्प सरकार द्वारा महाराष्ट्र के 52 जिओ के कॉल 90000 आंगनवाड़ी केंद्रों के संचालन एवं इससे संबंधित जानकारी प्राप्त करने के लिए पोषण ट्रैकर एप्लीकेशन को शुरू किया गया है। यदि आप आंगनवाड़ी कार्यकर्ता है तो आप इस ऐप को अपने मोबाइल फोन में प्ले स्टोर से या भारत सरकार के अधिकारिक वेबसाइट से डाउनलोड कर सकते हैं। इसी कारण इस लेख के माध्यम से हम आपको पोस्ट ट्रैकर एप से संबंधित जानकारी प्रदान करेंगे कि पोषण ट्रैकर एप क्या है इसकी विशेषताएं लाभ और ऐप को कैसे डाउनलोड करें, poshan tracker app download for android, application download। निवेदन करेंगे इस आर्टिकल को अंत तक पड़े जिसके माध्यम से आप को पोषण ट्रैकर एप से संबंधित सभी जानकारी प्राप्त हो पाएंगी। पोषण ट्रॅकर अँप डाउनलोड पोषण ट्रैकर अप्प डाउनलोड: पोषण ट्रैकर एप को लॉन्च करने का मुख्य उद्देश्य आंगनवाड़ी केंद्र एवं आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की गतिविधियों पर निगरानी रखना एवं उससे संबंधित सभी सेवा नागरिकों तक आसानी से प्रदान करना है। इस ऐप के माध्यम से गर्भवती महिलाओं एवं...