प्राणायाम के प्रकार और लाभ

  1. प्राणायाम कितने प्रकार के होते हैं? परिभाषा व स्वास्थ्य लाभ। Types of pranayam.
  2. प्राणायाम के प्रकार, नियम, लाभ और सावधानी
  3. प्राणायाम: योगा ब्रीदिंग गाइड फॉर बिगिनर्स
  4. प्राणायाम क्या है, प्रकार, लाभ और नियम
  5. भस्त्रिका प्राणायाम (बेलोज़ ब्रीथ): लाभ और करने के उपाय
  6. प्राणायाम के लाभ और इसके 15 आवश्यक नियम


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प्राणायाम कितने प्रकार के होते हैं? परिभाषा व स्वास्थ्य लाभ। Types of pranayam.

प्राणायाम एक श्वासों पर आधारित क्रिया है। यह योग का महत्वपूर्ण अंग है तथा अष्टाँगयोग का चौथा चरण है। महर्षि पतंजलि ने प्राणायाम को योगसूत्र में परिभाषित किया है। यह एक लाभकारी क्रिया है। लेकिन इसे कुछ सावधानियों के साथ किया जाना चहाए। प्राणायाम क्या है और कितने प्रकार के होते हैं? इसके स्वाथ्य लाभ व सावधानियाँ क्या है? यह इस आलेख का विषय है। विषय सुची :-- • पतंजलि के अनुसार प्राणायाम क्या है? • प्राणायाम के प्रकार। Types of Pranayam. • प्राणायाम के लाभ। Health Benefits. • प्राणायाम की सावधानियाँ। Precautions. प्राणायाम के प्रकार, लाभ व सावधानियाँ। योग भारत की "प्राचीन जीवनशैली" है। प्राणायाम योग का एक अंग है। यह श्वसनतंत्र को सुदृढ करता है। प्राण-शक्ति मे वृद्धि करता है। प्राचीन भारत मे कई ऋषि-मुनि तथा योगी हुये हैं। उन्होने कई प्रकार की आसन व प्राणायाम की मुद्राएँ बताई है। तथा कई प्रकार की प्राणायाम विधियाँ बताई हैं। प्राय: प्रश्न पूछा जाता है कि प्राणायाम कितने प्रकार के है? लाभ व सावधानियाँ क्या हैं? आगे के लेख मे इस विषय पर चर्चा करेगे। प्राणायाम क्या है? कितने प्रकार के हैं? प्राणायाम शब्द ' प्राण' और ' आयाम' से मिल कर बना है। इसका अर्थ है "प्राण-शक्ति" को आयाम देना। इस क्रिया से प्राण-शक्ति सुदृढ होती है। प्राणों को एक निश्चित आयाम तक पहुँचाना ही प्राणायाम है। यह प्राण-शक्ति को विस्तार देने वाली क्रिया है। इसके नियमित अभ्यास से प्राण-ऊर्ध्वगामी हो जाती है। प्राण-ऊर्जा नीचे से उठ कर ऊपर सहस्रार की ओर विचरण करने लगती है। प्राणायाम, पतंजलि के अनुसार। (तस्मिन् सति श्वास प्रश्वासयो: गति विच्छेद: प्राणायाम:।) सूत्र का अर्थ तस्मिन् सति :--ऐसा (आसन की सिद्धि ) हो जाने पर। श्...

प्राणायाम के प्रकार, नियम, लाभ और सावधानी

प्राणायाम क्या है-Pranayama In Hindi प्राणायाम दो शब्दों से मिलकर बना है प्राण + आयाम = प्राणायाम । यहाँ पर प्राण से तात्पर्य श्वसन से है अथार्त ‘प्राण (श्वसन) को लम्बा करना’ या ‘प्राण (जीवनीशक्ति) को लम्बा करना’। प्राण का अर्थ जीवात्मा माना जाता है, लेकिन इसका संबंध शरीरांतर्गत वायु से है जिसका मुख्य स्थान हृदय में है। व्यक्ति जब जन्म लेता है तो गहरी श्वास लेता है और जब मरता है तो पूर्णत: श्वास छोड़ देता है। तब सिद्ध हुआ कि वायु ही प्राण है। आयाम के दो अर्थ है- प्रथम नियंत्रण या रोकना, द्वितीय विस्तार। प्राण वह शक्ति है जो हमारे शरीर को ज़िंदा रखती है और हमारे मन को शक्ति देती है। तो ‘प्राण’ से हमारी जीवन शक्ति का उल्लेख होता है और ‘आयाम’ से नियमित करना। इसलिए प्राणायाम का अर्थ हुआ खुद की जीवन शक्ति को नियमित करना। प्राणायम कैसे करें-How Do Pranayama In Hindi प्राणायाम की शुरुआत : प्राणायाम करते समय 3 क्रियाएं करते हैं। 1.पूरक : नियंत्रित गति से श्वास अंदर लेने की क्रिया को पूरक कहते हैं। श्वास धीरे-धीरे या तेजी से दोनों ही तरीके से जब भीतर खींचते हैं। 2.कुंभक : अंदर की हुई श्वास को क्षमतानुसार रोककर रखने की क्रिया को कुंभक कहते हैं। 3.रेचक : अंदर ली हुई श्वास को नियंत्रित गति से छोड़ने की क्रिया को रेचक कहते हैं। श्वास को धीमी गति से गहरी खीचना, रोकना व बाहर निकालना प्राणायाम के अन्तरगत आता है। श्वास खींचने के साथ भावना करें कि प्राण शक्ति, श्रेष्ठता श्वास के द्वारा अंदर खींची जा रही है, छोड़ते समय यह भावना करें कि हमारे दुर्गुण, दुष्प्रवृत्तियाँ, बुरे विचार प्रश्वास के साथ बाहर निकल रहे हैं। हम साँस लेते है तो सिर्फ़ हवा नही खीचते तो उसके साथ ब्रह्मान्ड की सारी उर्जा को ...

प्राणायाम: योगा ब्रीदिंग गाइड फॉर बिगिनर्स

आपकी प्राणायाम सीखने की यात्रा में आपका स्वागत है! यह शुरुआती गाइड प्राणायाम के सभी प्रमुख पहलुओं को इसके मूल (यह क्या है, इतिहास, इसके पीछे का विज्ञान, प्रकार) से लेकर अत्यधिक लाभ, सही तरीके से अभ्यास करने वाले गाइड का वर्णन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। शरीर रचना विज्ञान जटिल है लेकिन, आप मूल बातें आसानी से समझ सकते हैं और प्राणायाम का एक छोटा लेकिन सही ज्ञान भी बड़ा बदलाव ला सकता है। इन जानकारियों को अपने अभ्यास में शामिल करें और आप योग के अपने अंतिम पथ पर हैं। क्या है प्राणायाम प्राणायाम योग का एक हिस्सा है जो श्वास अभ्यास से संबंधित है ताकि हम प्राण (महत्वपूर्ण जीवन शक्ति) पर नियंत्रण कर सकें। जबकि प्राण को हमारी श्वास में गति के स्रोत और कारण के रूप में समझा जा सकता है। प्राणायाम की पूरी अवधारणा श्वास और मन के बीच की कड़ी पर आधारित है। श्वास को मन का वाहन कहा जाता है, जब श्वास धीमी और गहरी होती है, तो मन शांत अवस्था में होता है। प्राणायाम अर्थ प्राणायाम को दो तरह से तोड़कर उसका अर्थ समझा जा सकता है; प्राणायाम – प्राण + अयम प्राणायाम – प्राण + यम: दोनों ही मामलों में, प्राण और प्राण एक ही इकाई यानी महत्वपूर्ण जीवन-शक्ति को परिभाषित करते हैं जबकि आयमा का अर्थ है विस्तार और यम का अर्थ है नियंत्रण। प्रथम अनुवाद (प्राण+आयम) के अनुसार प्राणायाम का अर्थ है जीवन-शक्ति का विस्तार। विस्तार के माध्यम से, यह सूचित किया जाता है, प्राणायाम शरीर के अंदर प्राण को उच्च आवृत्ति पर सक्रिय करके आरक्षित करने के लिए भंडार बढ़ाता है। हालांकि, दूसरा अनुवाद प्राणायाम के काम करने के तरीके को बताता है। इसके अनुसार प्राणायाम का अर्थ है प्राण को नियंत्रित करने की तकनीक। प्राणायाम अभ्यास में, ...

प्राणायाम क्या है, प्रकार, लाभ और नियम

प्राणायाम क्या है ( What is pranayama in Hindi), प्राणायाम के प्रकार ( Types of pranayama in Hindi), प्राणायाम के लाभ ( Benefits of pranayama in Hindi). शरीर को स्वस्थ रखने के लिए बहुत सारे उपाय है और उसमें से मुख्य उपाय है तो और बिना देरी किया हमारे मुख्य लिख की ओर बढ़ते है. लिख की ओर जाने से पहले आज किस किस topic पर बात करेंगे जान लेते हैं – प्राणायाम क्या है (What is pranayama in Hindi), प्राणायाम के प्रकार (Types of pranayama in Hindi), प्राणायाम के लाभ (Benefits of pranayama in Hindi), प्राणायाम से संबंधित नियम (Rules related to pranayama in Hindi). प्राणायाम क्या है (What is pranayama in Hindi) प्राण (साँस) पर नियंत्रण ही प्राणायाम है. जब प्राण एक बार किसी के वश में हो जाता है तब वह स्वेच्छानुसार सुदीर्घ जीवन, दृढ़ संकल्प, शांति तथा आनंद की प्राप्ति कर सकता है. प्राणायाम की उच्च अवस्था में कुंडलिनी जागरण में अतिशीघ्र सहायता मिलती है. प्राणायाम के प्रकार (Types of pranayama in Hindi) 1. अग्निसार क्रिया पद्मासन में बैठकर श्वास को बाहर निकाल कर पेट को फुलायें और पिचकाएँ. इस प्रकार यह क्रिया बार-बार दोहराएँ. आरम्भ में इसे 15-25 बार तक करते हुए धीरे-धीरे बढ़ाते जायें. Note: – जिनका पद्मासन नहीं लगता है, वह इसे वज्रासन में बैठकर भी कर सकते हैं. इस क्रिया को खड़े होकर भी कर सकते हैं. दोनों पैरों को करीब 30-40 से.मी. तक खोलें. आगे झुकते हुए दोनों हाथों को दोनों घुटनों पर रखें. इसके पश्चात सामने की ओर देखते हुए उसी तरह श्वास को लेते हुए पेट को फुलायें और श्वास छोड़ते हुए पेट को पिचकाएँ. कमर दर्द वालों को यह विधि नहीं करनी चाहिए. लाभ :- पाचन सुचारु रूप से चलता है. भूख अच्छी लग...

भस्त्रिका प्राणायाम (बेलोज़ ब्रीथ): लाभ और करने के उपाय

रिपोर्ट के मुख्य अंश • भस्त्रिका प्राणायाम में तेजी से सांस लेना और तेजी से हवा को बाहर निकालना शामिल है • भस्त्रिका प्राणायाम से श्वसन में लाभ होता है और अंगों में ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ जाती है • भस्त्रिका प्राणायाम तनाव और चिंता को कम करके आपके मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है भस्त्रिका प्राणायाम शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक कल्याण को बढ़ाने के लिए एक शक्तिशाली उपकरण हो सकता है। ऐसा माना जाता है कि यह योग प्राणिक ऊर्जा को सक्रिय कर सकता है, जिसे जीवन शक्ति ऊर्जा या शरीर के माध्यम से प्रवाहित होने वाली महत्वपूर्ण ऊर्जा के रूप में भी जाना जाता है। हालाँकि, इस अभ्यास को सावधानी से करना और उचित तकनीकों को सीखना महत्वपूर्ण है, क्योंकि गलत अभ्यास से चक्कर आना या हाइपरवेंटिलेशन हो सकता है। इस ब्लॉग में, हम देखेंगेभस्त्रिका प्राणायाम के लाभ , चरण, प्रकार और सावधानियां। भस्त्रिका प्राणायाम का क्या अर्थ है?भस्त्रिका प्राणायाम Â एक योगिक श्वास तकनीक है जिसमें तेजी से और ज़ोरदार साँस लेना और छोड़ना शामिल है। "भस्त्रिका" संस्कृत शब्द "धौंकनी" से आया है, जिसका उपयोग लोहार धातु को पिघलाने के लिए गर्म हवा उड़ाने के लिए करते हैं। में एकभस्त्रिका प्राणायाम, इसी अवधारणा को शरीर पर लागू किया जाता है, क्योंकि तेजी से सांस लेने से गर्मी और ऊर्जा उत्पन्न होती है। यह अभ्यास दिमाग को शांत करते हुए और तनाव को कम करते हुए फेफड़ों की क्षमता, ऑक्सीजनकरण और रक्त परिसंचरण को बढ़ाने के लिए जाना जाता हैभस्त्रिका आसन पारंपरिक हठ योग में एक मूलभूत अभ्यास है और इसे दैनिक योग दिनचर्या में शामिल किया जा सकता है या अपने आप अभ्यास किया जा सकता है। भस्त्रिका प्राणायाम पालन करने के चरणइस योग तकन...

प्राणायाम के लाभ और इसके 15 आवश्यक नियम

3 प्राणायाम हेतु आवश्यक कुछ सरल निर्देश और नियम : pranayam ke niyam in hindi प्राणायाम क्या है ? : what is pranayama pranayam kya hai – ‘प्राणायाम’ संस्कृत के 2 शब्द ‘प्राण + आयाम’ से मिलकर बना है। प्राण का अर्थ ‘जीवनीशक्ति’ अर्थात् जिसके रहते शरीर जीवित बना रहता है और ‘आयाम’ का अर्थ होता है-विकास अथवा नियन्त्रण । अतः ‘प्राणायाम’ शब्द का अर्थ हुआ-‘जीवन शक्ति’ को विकसित अथवा नियन्त्रित करने की क्रिया । स्वाभाविक रूप से जो श्वास ली जाती है वह जीवनीशक्ति को सामान्य तो बनाए रखती है, परन्तु विकसित नहीं कर पाती । अस्वाभाविक रूप में जल्दी-जल्दी अथवा अधूरी ली गई श्वास जीवनीशक्ति को क्षीण करती है। मुँह से अथवा अशुद्ध वायु में ली गई श्वास हानिकारक भी सिद्ध होती है। हालाँकि प्रत्येक जीवधारी सोते-जागते यहाँ तक कि बेहोशी की अवस्था में भी अविराम-गति से श्वास लेता और छोड़ता रहता है, किन्तु श्वास लेने की उचित क्रिया से अधिकांश लोग अपरिचित हैं। किस प्रकार से श्वास लेने पर जीवनीशक्ति में वृद्धि की जा सकती है ? ‘प्राणायाम करने की उचित पद्धति में बताया गया है। आइये जाने pranayama benefits in hindi प्राणायाम करने के फायदे (pranayam ke fayde in hindi) • प्राणायाम की श्वसन-क्रिया फेफड़ों को शक्तिशाली बनाकर उनके लचीलेपन को बढ़ाती है जिसके कारण सम्पूर्ण शरीर में प्राणवायु (ऑक्सीजन) का अधिकाधिक संचरण होता है और उससे वृद्धिगत ऊष्मा के कारण अंग-प्रत्यंग पुष्ट तथा निरोग होते हैं । ( और पढ़े – योग प्राणायाम के फायदे) • प्राणायाम से जितनी शुद्ध प्राणवायु शरीर के भीतर पहुँचती है, उतनी ही दूषित वायु (कार्बन-डाई-ऑक्साइड) बाहर भी निकल जाती है जिसके कारण शरीर के भीतर दूषित मल संचित नहीं रह पाते और शरीर स्वच्...