Prakritik sansadhan kise kahate hain

  1. संसाधन किसे कहते हैं?
  2. Sansadhan Kise Kahate Hain
  3. संसाधन किसे कहते हैं?
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संसाधन किसे कहते हैं?

भूमि, जल, वनस्पति और खनिज प्रकृति के उपहार हैं। इन्हें प्राकृतिक संसाधन कहते हैं। ये उपहार, राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के आधार हैं। ये लोगों की आर्थिक शक्ति और संपन्नता के आधार स्तंभ है। आदि मानव अपने भरण-पोषण के लिए प्रत्यक्ष रूप से जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों पर ही निर्भर था। धीरे-धीरे उसने औजारों, उपकरणों, तकनीकों और कुशलताओं का विकास किया। पर्यावरण के साथ अंत:क्रियाएँ करते हुए, उसने अपने लिए उपयोगी वस्तुएँ प्राप्त की। ये प्राकृतिक वस्तुएँ उसके लिए प्राकृतिक साधन बने। इन्हीं प्राकृतिक संसाधनों ने मानव का आर्थिक विकास का आधार प्रदान किया है। मानव ने प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग कर, अपने लिए रहने योग्य दुनिया बनाई। उसने मकानों, भवनों, सड़कों, रेलमार्गो, गावों, कस्बों, नगरों, मशीनों, उद्योगों और कई अन्य वस्तुओं की रचना की। ये सभी वस्तुएँ भी बहुत उपयोगी है। इन्हें मानव निर्मित संसाधन कहते हैं। प्राकृतिक और मानव-निर्मित दोनों ही संसाधन जीवन के लिए अति आवश्यक हैं। संसाधनों की कई विशेषताएँ हैं, उनकी भारी उपयोगिता है। सामान्यतः संसाधन सीमित मात्रा में उपलब्ध है। ये उपयोगी वस्तुएँ बनाने में हमारी मदद करते हैं अथवा सेवाएँ प्रदान करते हैं। संसाधनों को उपयोगी बनाने के लिए हमें प्रयास करने पड़ते हैं। संसाधनों की उपयोगिता अथवा उनका प्रयोजन विज्ञान और प्रौद्योगिकी में सुधार के साथ बदलता रहता है। • स्मिथ एवं फिलिप्स के अनुसार :“भौतिक रूप से संसाधन वातावरण की वे प्रक्रियायें हैं जो मानव के उपयोग में आती हैं” • जिम्मरमैन के अनुसार संसाधन की परिभाषा :“संसाधन पर्यावरण की वे विशेषताएं हैं जो मनुष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति में सक्षम मानी जाती हैं, जैसे ही उन्हे मानव की आवश्यकताओं और क्षमताओं द्वारा ...

Sansadhan Kise Kahate Hain

अनुक्रम • • • • • • • • संसाधन किसे कहते हैं – संसाधन का अर्थ (sansadhan kise kahate hain) संसधान वह वस्तु या स्त्रोत जिसका उपयोग इन्सान अपने जरूरत और फायदे के लिए करता हैं. यह वस्तुए या स्त्रोत प्राकृतिक और सांस्कृतिक दोनों हो सकते हैं. प्रकृति में हज़ारों वस्तुए और स्त्रोत मौजूद हैं. यह सभी तब तक संसाधन नहीं हैं जब तक की इन्सान इनमे हस्तक्षेप नहीं करे. जब किसी प्राकृतिक वस्तु या स्त्रोत को इन्सान अपने फायदे के लिए उपयोग करता हैं तो वह वस्तु संसाधन बन जाता हैं. जैसे: कच्चा तेल एक प्राकृतिक वस्तु हैं जब तक इन्सान ने पेट्रोल बनाना सिखा और गाड़ी का अविष्कार किया तब तक कच्चा तेल संसाधन नहीं था. समय के साथ इंसानों ने कच्चे तेल से पेट्रोल और अन्य पदार्थ बनाना सिखा. इंसानों ने कच्चे तेल के प्राकृतिक अस्तित्व में हस्तक्षेप किया. अंत कच्चा तेल संसाधन में गिना जाता हैं. 1933 में जिम्मरमैन ने संसाधन की परिभाषा को लेकर तर्क दिया था की , ‘अपने आप में न तो पर्यावरण, और न ही उसके अंग, संसाधन हैं, जब तक वह मानवीय आवश्यकताओं को संतुष्ट करने में सक्षम न हो. Ashok kis vansh ka shasak tha – चक्रवर्ती अशोक सम्राट संसाधन का महत्त्व क्या हैं? संसाधन किसी भी राष्ट्र की अर्थव्यवस्था का आधार होता हैं. प्राकृतिक संसाधन में जमीन, पानी, खनिज, वन, वन-प्राणी, इत्यादि होते हैं. किसी भी राष्ट्र की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से उस राष्ट्र में मौजूद प्राकृतिक संसाधनों पर ही निर्भर करती हैं. क्योंकि बिना भूमि और पानी के कोई भी उधोग और कृषि सफ़ल नहीं हो सकते हैं. किसी भी देश को उसके खनिज भंडार के आधार पर ही सक्षम माना जाता हैं. क्योंकि प्रत्येक उधोग को स्थापित करने और सुचारू रूप से चलाने में खनिज का बहुत बड़ा भाग होत...

संसाधन किसे कहते हैं?

भूमि, जल, वनस्पति और खनिज प्रकृति के उपहार हैं। इन्हें प्राकृतिक संसाधन कहते हैं। ये उपहार, राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के आधार हैं। ये लोगों की आर्थिक शक्ति और संपन्नता के आधार स्तंभ है। आदि मानव अपने भरण-पोषण के लिए प्रत्यक्ष रूप से जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों पर ही निर्भर था। धीरे-धीरे उसने औजारों, उपकरणों, तकनीकों और कुशलताओं का विकास किया। पर्यावरण के साथ अंत:क्रियाएँ करते हुए, उसने अपने लिए उपयोगी वस्तुएँ प्राप्त की। ये प्राकृतिक वस्तुएँ उसके लिए प्राकृतिक साधन बने। इन्हीं प्राकृतिक संसाधनों ने मानव का आर्थिक विकास का आधार प्रदान किया है। मानव ने प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग कर, अपने लिए रहने योग्य दुनिया बनाई। उसने मकानों, भवनों, सड़कों, रेलमार्गो, गावों, कस्बों, नगरों, मशीनों, उद्योगों और कई अन्य वस्तुओं की रचना की। ये सभी वस्तुएँ भी बहुत उपयोगी है। इन्हें मानव निर्मित संसाधन कहते हैं। प्राकृतिक और मानव-निर्मित दोनों ही संसाधन जीवन के लिए अति आवश्यक हैं। संसाधनों की कई विशेषताएँ हैं, उनकी भारी उपयोगिता है। सामान्यतः संसाधन सीमित मात्रा में उपलब्ध है। ये उपयोगी वस्तुएँ बनाने में हमारी मदद करते हैं अथवा सेवाएँ प्रदान करते हैं। संसाधनों को उपयोगी बनाने के लिए हमें प्रयास करने पड़ते हैं। संसाधनों की उपयोगिता अथवा उनका प्रयोजन विज्ञान और प्रौद्योगिकी में सुधार के साथ बदलता रहता है। • स्मिथ एवं फिलिप्स के अनुसार :“भौतिक रूप से संसाधन वातावरण की वे प्रक्रियायें हैं जो मानव के उपयोग में आती हैं” • जिम्मरमैन के अनुसार संसाधन की परिभाषा :“संसाधन पर्यावरण की वे विशेषताएं हैं जो मनुष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति में सक्षम मानी जाती हैं, जैसे ही उन्हे मानव की आवश्यकताओं और क्षमताओं द्वारा ...

Sansadhan Kise Kahate Hain

अनुक्रम • • • • • • • • संसाधन किसे कहते हैं – संसाधन का अर्थ (sansadhan kise kahate hain) संसधान वह वस्तु या स्त्रोत जिसका उपयोग इन्सान अपने जरूरत और फायदे के लिए करता हैं. यह वस्तुए या स्त्रोत प्राकृतिक और सांस्कृतिक दोनों हो सकते हैं. प्रकृति में हज़ारों वस्तुए और स्त्रोत मौजूद हैं. यह सभी तब तक संसाधन नहीं हैं जब तक की इन्सान इनमे हस्तक्षेप नहीं करे. जब किसी प्राकृतिक वस्तु या स्त्रोत को इन्सान अपने फायदे के लिए उपयोग करता हैं तो वह वस्तु संसाधन बन जाता हैं. जैसे: कच्चा तेल एक प्राकृतिक वस्तु हैं जब तक इन्सान ने पेट्रोल बनाना सिखा और गाड़ी का अविष्कार किया तब तक कच्चा तेल संसाधन नहीं था. समय के साथ इंसानों ने कच्चे तेल से पेट्रोल और अन्य पदार्थ बनाना सिखा. इंसानों ने कच्चे तेल के प्राकृतिक अस्तित्व में हस्तक्षेप किया. अंत कच्चा तेल संसाधन में गिना जाता हैं. 1933 में जिम्मरमैन ने संसाधन की परिभाषा को लेकर तर्क दिया था की , ‘अपने आप में न तो पर्यावरण, और न ही उसके अंग, संसाधन हैं, जब तक वह मानवीय आवश्यकताओं को संतुष्ट करने में सक्षम न हो. Ashok kis vansh ka shasak tha – चक्रवर्ती अशोक सम्राट संसाधन का महत्त्व क्या हैं? संसाधन किसी भी राष्ट्र की अर्थव्यवस्था का आधार होता हैं. प्राकृतिक संसाधन में जमीन, पानी, खनिज, वन, वन-प्राणी, इत्यादि होते हैं. किसी भी राष्ट्र की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से उस राष्ट्र में मौजूद प्राकृतिक संसाधनों पर ही निर्भर करती हैं. क्योंकि बिना भूमि और पानी के कोई भी उधोग और कृषि सफ़ल नहीं हो सकते हैं. किसी भी देश को उसके खनिज भंडार के आधार पर ही सक्षम माना जाता हैं. क्योंकि प्रत्येक उधोग को स्थापित करने और सुचारू रूप से चलाने में खनिज का बहुत बड़ा भाग होत...

संसाधन किसे कहते हैं?

भूमि, जल, वनस्पति और खनिज प्रकृति के उपहार हैं। इन्हें प्राकृतिक संसाधन कहते हैं। ये उपहार, राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के आधार हैं। ये लोगों की आर्थिक शक्ति और संपन्नता के आधार स्तंभ है। आदि मानव अपने भरण-पोषण के लिए प्रत्यक्ष रूप से जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों पर ही निर्भर था। धीरे-धीरे उसने औजारों, उपकरणों, तकनीकों और कुशलताओं का विकास किया। पर्यावरण के साथ अंत:क्रियाएँ करते हुए, उसने अपने लिए उपयोगी वस्तुएँ प्राप्त की। ये प्राकृतिक वस्तुएँ उसके लिए प्राकृतिक साधन बने। इन्हीं प्राकृतिक संसाधनों ने मानव का आर्थिक विकास का आधार प्रदान किया है। मानव ने प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग कर, अपने लिए रहने योग्य दुनिया बनाई। उसने मकानों, भवनों, सड़कों, रेलमार्गो, गावों, कस्बों, नगरों, मशीनों, उद्योगों और कई अन्य वस्तुओं की रचना की। ये सभी वस्तुएँ भी बहुत उपयोगी है। इन्हें मानव निर्मित संसाधन कहते हैं। प्राकृतिक और मानव-निर्मित दोनों ही संसाधन जीवन के लिए अति आवश्यक हैं। संसाधनों की कई विशेषताएँ हैं, उनकी भारी उपयोगिता है। सामान्यतः संसाधन सीमित मात्रा में उपलब्ध है। ये उपयोगी वस्तुएँ बनाने में हमारी मदद करते हैं अथवा सेवाएँ प्रदान करते हैं। संसाधनों को उपयोगी बनाने के लिए हमें प्रयास करने पड़ते हैं। संसाधनों की उपयोगिता अथवा उनका प्रयोजन विज्ञान और प्रौद्योगिकी में सुधार के साथ बदलता रहता है। • स्मिथ एवं फिलिप्स के अनुसार :“भौतिक रूप से संसाधन वातावरण की वे प्रक्रियायें हैं जो मानव के उपयोग में आती हैं” • जिम्मरमैन के अनुसार संसाधन की परिभाषा :“संसाधन पर्यावरण की वे विशेषताएं हैं जो मनुष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति में सक्षम मानी जाती हैं, जैसे ही उन्हे मानव की आवश्यकताओं और क्षमताओं द्वारा ...

Sansadhan Kise Kahate Hain

अनुक्रम • • • • • • • • संसाधन किसे कहते हैं – संसाधन का अर्थ (sansadhan kise kahate hain) संसधान वह वस्तु या स्त्रोत जिसका उपयोग इन्सान अपने जरूरत और फायदे के लिए करता हैं. यह वस्तुए या स्त्रोत प्राकृतिक और सांस्कृतिक दोनों हो सकते हैं. प्रकृति में हज़ारों वस्तुए और स्त्रोत मौजूद हैं. यह सभी तब तक संसाधन नहीं हैं जब तक की इन्सान इनमे हस्तक्षेप नहीं करे. जब किसी प्राकृतिक वस्तु या स्त्रोत को इन्सान अपने फायदे के लिए उपयोग करता हैं तो वह वस्तु संसाधन बन जाता हैं. जैसे: कच्चा तेल एक प्राकृतिक वस्तु हैं जब तक इन्सान ने पेट्रोल बनाना सिखा और गाड़ी का अविष्कार किया तब तक कच्चा तेल संसाधन नहीं था. समय के साथ इंसानों ने कच्चे तेल से पेट्रोल और अन्य पदार्थ बनाना सिखा. इंसानों ने कच्चे तेल के प्राकृतिक अस्तित्व में हस्तक्षेप किया. अंत कच्चा तेल संसाधन में गिना जाता हैं. 1933 में जिम्मरमैन ने संसाधन की परिभाषा को लेकर तर्क दिया था की , ‘अपने आप में न तो पर्यावरण, और न ही उसके अंग, संसाधन हैं, जब तक वह मानवीय आवश्यकताओं को संतुष्ट करने में सक्षम न हो. Ashok kis vansh ka shasak tha – चक्रवर्ती अशोक सम्राट संसाधन का महत्त्व क्या हैं? संसाधन किसी भी राष्ट्र की अर्थव्यवस्था का आधार होता हैं. प्राकृतिक संसाधन में जमीन, पानी, खनिज, वन, वन-प्राणी, इत्यादि होते हैं. किसी भी राष्ट्र की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से उस राष्ट्र में मौजूद प्राकृतिक संसाधनों पर ही निर्भर करती हैं. क्योंकि बिना भूमि और पानी के कोई भी उधोग और कृषि सफ़ल नहीं हो सकते हैं. किसी भी देश को उसके खनिज भंडार के आधार पर ही सक्षम माना जाता हैं. क्योंकि प्रत्येक उधोग को स्थापित करने और सुचारू रूप से चलाने में खनिज का बहुत बड़ा भाग होत...

Sansadhan Kise Kahate Hain

अनुक्रम • • • • • • • • संसाधन किसे कहते हैं – संसाधन का अर्थ (sansadhan kise kahate hain) संसधान वह वस्तु या स्त्रोत जिसका उपयोग इन्सान अपने जरूरत और फायदे के लिए करता हैं. यह वस्तुए या स्त्रोत प्राकृतिक और सांस्कृतिक दोनों हो सकते हैं. प्रकृति में हज़ारों वस्तुए और स्त्रोत मौजूद हैं. यह सभी तब तक संसाधन नहीं हैं जब तक की इन्सान इनमे हस्तक्षेप नहीं करे. जब किसी प्राकृतिक वस्तु या स्त्रोत को इन्सान अपने फायदे के लिए उपयोग करता हैं तो वह वस्तु संसाधन बन जाता हैं. जैसे: कच्चा तेल एक प्राकृतिक वस्तु हैं जब तक इन्सान ने पेट्रोल बनाना सिखा और गाड़ी का अविष्कार किया तब तक कच्चा तेल संसाधन नहीं था. समय के साथ इंसानों ने कच्चे तेल से पेट्रोल और अन्य पदार्थ बनाना सिखा. इंसानों ने कच्चे तेल के प्राकृतिक अस्तित्व में हस्तक्षेप किया. अंत कच्चा तेल संसाधन में गिना जाता हैं. 1933 में जिम्मरमैन ने संसाधन की परिभाषा को लेकर तर्क दिया था की , ‘अपने आप में न तो पर्यावरण, और न ही उसके अंग, संसाधन हैं, जब तक वह मानवीय आवश्यकताओं को संतुष्ट करने में सक्षम न हो. Ashok kis vansh ka shasak tha – चक्रवर्ती अशोक सम्राट संसाधन का महत्त्व क्या हैं? संसाधन किसी भी राष्ट्र की अर्थव्यवस्था का आधार होता हैं. प्राकृतिक संसाधन में जमीन, पानी, खनिज, वन, वन-प्राणी, इत्यादि होते हैं. किसी भी राष्ट्र की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से उस राष्ट्र में मौजूद प्राकृतिक संसाधनों पर ही निर्भर करती हैं. क्योंकि बिना भूमि और पानी के कोई भी उधोग और कृषि सफ़ल नहीं हो सकते हैं. किसी भी देश को उसके खनिज भंडार के आधार पर ही सक्षम माना जाता हैं. क्योंकि प्रत्येक उधोग को स्थापित करने और सुचारू रूप से चलाने में खनिज का बहुत बड़ा भाग होत...

संसाधन किसे कहते हैं?

भूमि, जल, वनस्पति और खनिज प्रकृति के उपहार हैं। इन्हें प्राकृतिक संसाधन कहते हैं। ये उपहार, राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के आधार हैं। ये लोगों की आर्थिक शक्ति और संपन्नता के आधार स्तंभ है। आदि मानव अपने भरण-पोषण के लिए प्रत्यक्ष रूप से जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों पर ही निर्भर था। धीरे-धीरे उसने औजारों, उपकरणों, तकनीकों और कुशलताओं का विकास किया। पर्यावरण के साथ अंत:क्रियाएँ करते हुए, उसने अपने लिए उपयोगी वस्तुएँ प्राप्त की। ये प्राकृतिक वस्तुएँ उसके लिए प्राकृतिक साधन बने। इन्हीं प्राकृतिक संसाधनों ने मानव का आर्थिक विकास का आधार प्रदान किया है। मानव ने प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग कर, अपने लिए रहने योग्य दुनिया बनाई। उसने मकानों, भवनों, सड़कों, रेलमार्गो, गावों, कस्बों, नगरों, मशीनों, उद्योगों और कई अन्य वस्तुओं की रचना की। ये सभी वस्तुएँ भी बहुत उपयोगी है। इन्हें मानव निर्मित संसाधन कहते हैं। प्राकृतिक और मानव-निर्मित दोनों ही संसाधन जीवन के लिए अति आवश्यक हैं। संसाधनों की कई विशेषताएँ हैं, उनकी भारी उपयोगिता है। सामान्यतः संसाधन सीमित मात्रा में उपलब्ध है। ये उपयोगी वस्तुएँ बनाने में हमारी मदद करते हैं अथवा सेवाएँ प्रदान करते हैं। संसाधनों को उपयोगी बनाने के लिए हमें प्रयास करने पड़ते हैं। संसाधनों की उपयोगिता अथवा उनका प्रयोजन विज्ञान और प्रौद्योगिकी में सुधार के साथ बदलता रहता है। • स्मिथ एवं फिलिप्स के अनुसार :“भौतिक रूप से संसाधन वातावरण की वे प्रक्रियायें हैं जो मानव के उपयोग में आती हैं” • जिम्मरमैन के अनुसार संसाधन की परिभाषा :“संसाधन पर्यावरण की वे विशेषताएं हैं जो मनुष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति में सक्षम मानी जाती हैं, जैसे ही उन्हे मानव की आवश्यकताओं और क्षमताओं द्वारा ...

Sansadhan Kise Kahate Hain

अनुक्रम • • • • • • • • संसाधन किसे कहते हैं – संसाधन का अर्थ (sansadhan kise kahate hain) संसधान वह वस्तु या स्त्रोत जिसका उपयोग इन्सान अपने जरूरत और फायदे के लिए करता हैं. यह वस्तुए या स्त्रोत प्राकृतिक और सांस्कृतिक दोनों हो सकते हैं. प्रकृति में हज़ारों वस्तुए और स्त्रोत मौजूद हैं. यह सभी तब तक संसाधन नहीं हैं जब तक की इन्सान इनमे हस्तक्षेप नहीं करे. जब किसी प्राकृतिक वस्तु या स्त्रोत को इन्सान अपने फायदे के लिए उपयोग करता हैं तो वह वस्तु संसाधन बन जाता हैं. जैसे: कच्चा तेल एक प्राकृतिक वस्तु हैं जब तक इन्सान ने पेट्रोल बनाना सिखा और गाड़ी का अविष्कार किया तब तक कच्चा तेल संसाधन नहीं था. समय के साथ इंसानों ने कच्चे तेल से पेट्रोल और अन्य पदार्थ बनाना सिखा. इंसानों ने कच्चे तेल के प्राकृतिक अस्तित्व में हस्तक्षेप किया. अंत कच्चा तेल संसाधन में गिना जाता हैं. 1933 में जिम्मरमैन ने संसाधन की परिभाषा को लेकर तर्क दिया था की , ‘अपने आप में न तो पर्यावरण, और न ही उसके अंग, संसाधन हैं, जब तक वह मानवीय आवश्यकताओं को संतुष्ट करने में सक्षम न हो. Ashok kis vansh ka shasak tha – चक्रवर्ती अशोक सम्राट संसाधन का महत्त्व क्या हैं? संसाधन किसी भी राष्ट्र की अर्थव्यवस्था का आधार होता हैं. प्राकृतिक संसाधन में जमीन, पानी, खनिज, वन, वन-प्राणी, इत्यादि होते हैं. किसी भी राष्ट्र की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से उस राष्ट्र में मौजूद प्राकृतिक संसाधनों पर ही निर्भर करती हैं. क्योंकि बिना भूमि और पानी के कोई भी उधोग और कृषि सफ़ल नहीं हो सकते हैं. किसी भी देश को उसके खनिज भंडार के आधार पर ही सक्षम माना जाता हैं. क्योंकि प्रत्येक उधोग को स्थापित करने और सुचारू रूप से चलाने में खनिज का बहुत बड़ा भाग होत...

संसाधन किसे कहते हैं?

भूमि, जल, वनस्पति और खनिज प्रकृति के उपहार हैं। इन्हें प्राकृतिक संसाधन कहते हैं। ये उपहार, राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के आधार हैं। ये लोगों की आर्थिक शक्ति और संपन्नता के आधार स्तंभ है। आदि मानव अपने भरण-पोषण के लिए प्रत्यक्ष रूप से जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों पर ही निर्भर था। धीरे-धीरे उसने औजारों, उपकरणों, तकनीकों और कुशलताओं का विकास किया। पर्यावरण के साथ अंत:क्रियाएँ करते हुए, उसने अपने लिए उपयोगी वस्तुएँ प्राप्त की। ये प्राकृतिक वस्तुएँ उसके लिए प्राकृतिक साधन बने। इन्हीं प्राकृतिक संसाधनों ने मानव का आर्थिक विकास का आधार प्रदान किया है। मानव ने प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग कर, अपने लिए रहने योग्य दुनिया बनाई। उसने मकानों, भवनों, सड़कों, रेलमार्गो, गावों, कस्बों, नगरों, मशीनों, उद्योगों और कई अन्य वस्तुओं की रचना की। ये सभी वस्तुएँ भी बहुत उपयोगी है। इन्हें मानव निर्मित संसाधन कहते हैं। प्राकृतिक और मानव-निर्मित दोनों ही संसाधन जीवन के लिए अति आवश्यक हैं। संसाधनों की कई विशेषताएँ हैं, उनकी भारी उपयोगिता है। सामान्यतः संसाधन सीमित मात्रा में उपलब्ध है। ये उपयोगी वस्तुएँ बनाने में हमारी मदद करते हैं अथवा सेवाएँ प्रदान करते हैं। संसाधनों को उपयोगी बनाने के लिए हमें प्रयास करने पड़ते हैं। संसाधनों की उपयोगिता अथवा उनका प्रयोजन विज्ञान और प्रौद्योगिकी में सुधार के साथ बदलता रहता है। • स्मिथ एवं फिलिप्स के अनुसार :“भौतिक रूप से संसाधन वातावरण की वे प्रक्रियायें हैं जो मानव के उपयोग में आती हैं” • जिम्मरमैन के अनुसार संसाधन की परिभाषा :“संसाधन पर्यावरण की वे विशेषताएं हैं जो मनुष्य की आवश्यकताओं की पूर्ति में सक्षम मानी जाती हैं, जैसे ही उन्हे मानव की आवश्यकताओं और क्षमताओं द्वारा ...