Pratyay ke kitne bhed hain

  1. Pratyay In Hindi
  2. प्रत्यय : अर्थ , परिभाषा ,भेद ,उदाहरण
  3. प्रत्यय कितने प्रकार के होते हैं?
  4. प्रत्यय किसे कहते हैं
  5. Pratyay Ki Paribhasha
  6. वाक्य


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Pratyay In Hindi

Hindi Grammar के इस भाग मे आप जानेंगे की Pratyay In Hindi नें क्या होता है, Pratyay Kise Kahate Hain तथा Pratyay Ki Paribhasha Kya Hoti Hai इन सबकी जानकारी मैने इस पोस्ट मे नीचे दी है। इसी के साथ 50 Pratyay Shabd List भी इसी पोस्ट मे मैने डाली है, जिससे आपको यह जानकारी मिल सके की प्रत्यय वाले शब्द कौन-कौन से होते है। तो चलिए जानते है, प्रत्यय किसे कहते हैं? Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • Pratyay In Hindi – Pratyay Ki Paribhasha प्रत्यय दो शब्दों से मिलकर बना है- प्रति + अय। जहाँ प्रति का अर्थ होता है, साथ मे पर बाद मे आने वाला तथा अय का अर्थ होता है चलने वाला। अतः प्रत्यय का शाब्दिक अर्थ होता है, शब्दों के साथ परन्त बाद में चलने वाला या लगने वाला। अतः ऐसे शब्दांश जो शब्दों के अन्त में जुड़कर उनके अर्थ में कुछ परिवर्तन कर दे, या फिर नए शब्द का निर्माण करते है, उन्हें ही प्रत्यय शब्द कहते है। जैसे- सफल+ता = सफलता प्रत्यय के भेद – Pratyay Ke Bhed हिंदी व्याकरण मे प्रत्यय के कुल दो भेद है- 1) कृत् प्रत्यय तथा 2) तद्धित प्रत्यय कृत् प्रत्यय – Krit Pratyay Ki Paribhasha ऐसे प्रत्यय जो क्रिया या धातु के अन्त में प्रयुक्त होते है, उन्हें ही कृत् प्रत्यय कहते है। कृत् प्रत्यय द्वारा बने शब्दों के कृदन्त शब्द कहते है। जैसे- पढ़ना (क्रिया पद) + वाला (कृत् प्रत्यय) = पढ़ने वाला (कृदन्त शब्द) कृत् प्रत्यय के कुल पाँच प्रकार के होते हैं- • कर्तृवाचक कृदन्त • कर्मवाचक कृदन्त • करणवाचक कृदन्त • भाववाचक कृदन्त • क्रियावाचक कृदन्त हिंदी के कृत प्रत्यय – Krit Pratyay In Hindi प्रत्यय मूल क्रिया उदाहरण अ खेल्, लूट् लूट, खेल अक लेख, पाठ लेखक, पाठक, गायक अन्त लड़, पिट् पिटन्त, लड़...

प्रत्यय : अर्थ , परिभाषा ,भेद ,उदाहरण

1 Shares आज के आर्टिकल में हम प्रत्यय(Pratyay) को पढने वाले है। प्रत्यय क्या है (Pratyay Kya Hain), प्रत्यय किसे कहते हैं (Pratyay kise kahate hain), प्रत्यय के कितने भेद होते हैं (Pratyay ke kitne Bhed Hote hain), प्रत्यय कितने प्रकार के होते हैं(Pratyay kitne prakar ke hote hain), प्रत्यय शब्द क्या है , Pratyay in hindi -इन बिन्दुओं पर हम चर्चा करेंगे प्रत्यय क्या होता है ? प्रत्यय किसे कहते है – Pratyay kise kahate hain जो शब्दांश किसी शब्द के बाद लगकर उसके अर्थ को बदल देते हैं और नए अर्थ का बोध कराते हैं उसे प्रत्यय(Pratyay) कहते हैं। प्रत्यय का महत्त्व इसलिए भी है क्योंकि उसके प्रयोग से मूल शब्द के अनेक अर्थों को प्राप्त किया जा सकता है। यौगिक शब्द बनाने में प्रत्यय का महत्त्वपूर्ण स्थान है। प्रत्यय के उदाहरण – खिल + आङी खिलाङी मिल + आवट मिलावट पढ़ + आकू पढ़ाकू झूल + आ झूला प्रत्यय के कितने प्रकार होते है – Pratyay kitne prakar ke hote hain प्रत्यय तीन प्रकार के होते हैं – • संस्कृत प्रत्यय • हिन्दी प्रत्यय • विदेशी प्रत्यय हिन्दी प्रत्यय के दो प्रकार होते है – • कृत् प्रत्यय • तद्धित प्रत्यय (1) संस्कृत प्रत्यय – जैसे – इत हर्षित, गर्वित, लज्जित, पल्लवित इक मानसिक, धार्मिक, मार्मिक, पारिश्रमिक ईय भारतीय, मानवीय, राष्ट्रीय, स्थानीय एय आग्नेय, पाथेय, राधेय, कौंतेय तम अधिकतम, महानतम, वरिष्ठतम, श्रेष्ठतम वान् धनवान, बलवान, गुणवान, दयावान मान् श्रीमान्, शोभायमान, शक्तिमान, बुद्धिमान त्व गुरुत्व, लघुत्व, बंधुत्व, नेतृत्व शाली वैभवशाली, गौरवशाली, प्रभावशाली, शक्तिशाली तर श्रेष्ठतर, उच्चतर, निम्नतर, लघूत्तर (2) हिन्दी प्रत्यय – Pratyay in Hindi हिन्दी प्रत्यय हिंदी प्रत्यय मुख...

प्रत्यय कितने प्रकार के होते हैं?

आज इस आर्टिकल में हम प्रत्यय के कितने भेद होते हैं? (Pratyay ke kitne bhed hote Hain?), प्रत्यय कितने प्रकार के होते हैं? (Pratyay kitne prakar ke hote hain), प्रत्यय क्या है? इसके बारे में विस्तार से पढेंगें। दोस्तों हिंदी भाषा के सही अध्ययन के लिए निश्चित रूप से हिंदी व्याकरण की सही जानकारी अनिवार्य होती है। क्योंकि व्याकरण ही किसी भी भाषा का आधार होता है, इसीलिए हिंदी व्याकरण का भी उतना ही महत्व है। उपसर्ग तथा प्रत्यय हिंदी व्याकरण के दो प्रमुख पाठों में से हैं। आज इस लेख में हम प्रत्यय के बारे में जानेंगे। प्रत्यय क्या है? और मुख्य रूप से, प्रत्यय के कितने भेद होते हैं? यह लेख इसी के बारे में है। प्रत्यय, प्रत्यय के प्रकार यानी प्रत्यय के भेदों को एक-एक करके उदाहरण सहित समझने का प्रयास करेंगे – अंग्रेजी में इसे ही suffix कहते हैं। आसान भाषा में, उस शब्द को प्रत्यय कहा जाता है जो किसी शब्द के अंत में लगकर उसके अर्थ को बदल देता है। प्रत्यय किसी शब्द के अंत में जुड़कर उसके अर्थ को विशेष बना देते हैं या परिवर्तित कर देते हैं। प्रत्यय शब्द का शाब्दिक मतलब ही होता है जो पीछे यानी अंत में जुड़ता है। उदाहरण के लिए थाने+दार = थानेदार। इसमें अंत में जो दार शब्द जुड़ा हुआ है वह प्रत्यय है। यहां ध्यान रखने वाली बात है की जुड़ने से शब्द या शब्दांश में संधि नहीं हो रही है, बल्कि शब्द के अंतिम वर्ण में स्वर की मात्रा जुड़ रही है, या व्यंजन होने पर जैसा है वैसा ही जुड़ जा रहा है। प्रत्यय का अपने आप में कोई अर्थ नहीं होता है, वे खुद से प्रयुक्त नहीं होते हैं, किसी शब्द के अंत में जुड़ने के बाद ही यह अर्थमान होते हैं। प्रत्येक के जुड़ने से एक नए शब्द का निर्माण होता है। प्रत्यय कितने प्...

प्रत्यय किसे कहते हैं

· तैर + आक = तैराक प्रत्यय शब्दों या शब्दांशों के ऐसे रूप होते हैं, जिनका कोई स्वतंत्र अस्तित्व नहीं होता है। वो किसी शब्द के साथ जोड़े जाने पर सार्थक एवं पृथक शब्दों का निर्माण करते हैं। किसी शब्द के बाद जब अक्षर का प्रयोग किया जाता है तो उसे प्रत्यय कहा जाता है साधारण शब्दों में कहें तो प्रत्यय उस शब्दांश को कहा जाता है जो किसी शब्द के अंत में जुड़ता है और उसका एक अलग अर्थ प्रकट करता है। 1) प्रत्यय की साहित्यिक परिभाषा प्रत्यय शब्दांशों के रूप में भाषा के वे संक्षिप्त और अर्थवान रूप हैं जो किसी शब्द के अंत में जुड़ कर उनके अर्थ या भाव को बदल देते हैं, जिससे नए शब्दों की रचना होती है। 2) प्रत्यय का शाब्दिक अर्थ क्या है? प्रत्यय दो शब्दों या शब्दांशों से मिलकर बना है – प्रति + अय (पीछे + आना), या हम इसे ऐसे भी कह सकते हैं – साथ में लेकिन पीछे चलने वाला। अर्थात किसी शब्द के पीछे या अंत में जुड़ना। अपने शाब्दिक अर्थ की तरह ही प्रत्यय के शब्दांश किसी शब्द के अंत में जुडते हैं और उनके मूल रूप में परिवर्तन या विशेषता लाते हैं। 3) क्या प्रत्यय, संधि या उपसर्ग की तरह है? नहीं, प्रत्यय; उपसर्ग और संधि दोनों से ही अलग है। उपसर्ग और प्रत्यय की प्रक्रिया एक जैसी होती है, लेकिन दोनों में अंतर होता है। उपसर्ग किसी शब्द के आगे लगते हैं। जबकि प्रत्यय, किसी शब्द के पीछे लगते हैं। उदाहरण के लिए, उप (उपसर्ग) + वन = उपवन दृश + अनीय (प्रत्यय) = दर्शनीय संधि की प्रक्रिया में दो शब्द जुडते हैं और दोनों शब्दों के वर्णों में विकार उत्पन्न होता है। लेकिन प्रत्यय में एक शब्द किसी शब्दांश के साथ जुड़ता है। शब्द के अन्तिम वर्ण में स्वर की मात्रा जुड़ जाती है और व्यंजन वर्ण होने पर ज्यों का त्यों जुड़...

Pratyay Ki Paribhasha

Advertisements Hindi Grammar के इस भाग मे आप जानेंगे Pratyay Ki Paribhasha, Pratyay Kise Kahate Hai, Pratyay Ke Bhed तथा Pratyay Ke Prakar. आप मे से कई लोग हिंदी मे इस पाठ मे confuse रहते है। तो इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आपको Pratyay In hindi मे कोई समस्य नहीं होगी। इसी के साथ 50 Pratyay Shabd List भी इसी पोस्ट मे मैने डाली है, जिससे आपको यह जानकारी मिल सके की प्रत्यय वाले शब्द कौन-कौन से होते है। तो चलिए जानते है, प्रत्यय किसे कहते हैं? Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • Pratyay Ki Paribhasha – Pratyay In Hindi प्रत्यय दो शब्दों से मिलकर बना है- प्रति + अय। जहाँ प्रति का अर्थ होता है, साथ मे पर बाद मे आने वाला तथा अय का अर्थ होता है चलने वाला। अतः प्रत्यय का शाब्दिक अर्थ होता है, शब्दों के साथ परन्त बाद में चलने वाला या लगने वाला। अतः ऐसे शब्दांश जो शब्दों के अन्त में जुड़कर उनके अर्थ में कुछ परिवर्तन कर दे, या फिर नए शब्द का निर्माण करते है, उन्हें ही प्रत्यय शब्द कहते है। जैसे- सफल+ता = सफलता Pratyay Ke Bhed – प्रत्यय के भेद हिंदी व्याकरण मे प्रत्यय के कुल दो भेद है- 1) कृत् प्रत्यय तथा 2) तद्धित प्रत्यय कृत् प्रत्यय – Krit Pratyay Ki Paribhasha ऐसे प्रत्यय जो क्रिया या धातु के अन्त में प्रयुक्त होते है, उन्हें ही कृत् प्रत्यय कहते है। कृत् प्रत्यय द्वारा बने शब्दों के कृदन्त शब्द कहते है। जैसे- पढ़ना (क्रिया पद) + वाला (कृत् प्रत्यय) = पढ़ने वाला (कृदन्त शब्द) कृत् प्रत्यय के कुल पाँच प्रकार के होते हैं- • कर्तृवाचक कृदन्त • कर्मवाचक कृदन्त • करणवाचक कृदन्त • भाववाचक कृदन्त • क्रियावाचक कृदन्त हिंदी के कृत प्रत्यय – Krit Pratyay In Hindi प्रत्यय मूल क्र...

वाक्य

5 Shares आज की पोस्ट में हम हिंदी व्याकरण के अंतर्गत महत्वपूर्ण विषय वाक्य किसे कहते है(vakya kise kahate hain) ,वाक्य का अर्थ(Vakya ka arth) वाक्य के कितने भेद होते है (vakya ke kitne bhed hote hain)पर चर्चा करेंगे ,आप इसे अच्छे से समझें । आर्टिकल के अंत में इस विषय से सम्बंधित महत्त्वपूर्ण प्रश्न दिए गए है । उदाहरण :‘सत्य कड़वा होता है ।’ एक वाक्य है क्योंकि इसका पूरा पूरा अर्थ निकलता है किन्तु ‘सत्य होता कड़वा।’ वाक्य नहीं है क्योंकि इसका अर्थ नहीं निकलता है। वाक्य के कितने अंग होते हैं – Vakya ke kitne ang Hote Hain वाक्य मे तीन भाग/पार्ट होते है कर्ता, कर्म, क्रिया। इन्हीं तीनो के आधार पर वाक्य के अंग बनाये गए है। * वाक्य के दो अंग होते है • उद्देश्य • विधेय वाक्य में उद्देश्य क्या है ? वाक्य में कर्ता (जो कार्य कर रहा है ) उसे उद्देश्य कहा जायेगा । साथ ही कर्ता का विस्तारक या विशेषण हो तो उसे भी हम उद्देश्य मे रखेंगे। जैसा कि हम जानते है कर्ता एक कारक है, वह कर्ता का विस्तारक कहलाता है। और कर्ता की विशेषता बताई जाये तो साथ ही हम यह भी कह सकते है कि विधेय जिसके लिये आये, वही कर्ता है, वही उद्देश्य है। आइये हम इसे उदाहरण से समझेंगे। उदाहरण :- मेरी सहेली पूजा बहुत सुंदर लेख लिखती है। पूजा – उद्देश्य मेरी सहेली – उद्देश्य का विस्तार लेख लिखती है –विधेय बहुत सुंदर – विधेय विस्तारक यहां पूजा जो कर्ता है और पूजा का विस्तारक मेरी सहेली है अतः मेरी सहेली का प्रयोग पूजा के लिये किया गया है यह पूजा का विस्तारक है इसलिए इसे उद्देश्य कहेगे । वाक्य में विधेय क्या है ? उद्देश्य के बारे मे जो कथन कहा जाता है वह विधेय है। इसमें कर्म और क्रिया का प्रयोग होता है कर्ता जो भी कार्य कर रहा ...