प्रदीप्ति वृत्त किसे कहते हैं

  1. घूर्णन एवं परिक्रमण
  2. वृत्त किसे कहते है , परिभाषा, क्षेत्रफल, परिधि , त्रिज्या , व्यास , जीवा , परिमाप
  3. CLASS 6 NCERT अध्याय 3
  4. [Solved] 'प्रदीप्ति वृत्त' की अवधारणा पर शिक्षण प्र�
  5. पृथवी.की.गतियाँ Study Material
  6. गोला और वृत्त में अन्तर
  7. मानचित्र


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घूर्णन एवं परिक्रमण

• पृथ्वी की गति दो प्रकार की है , घूर्णन एवं परिक्रमण। पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूमना घूर्णन कहलाता है। सूर्य के चारों ओर एक स्थिर कक्ष में पृथ्वी की गति को परिक्रमण कहते हैं। • पृथ्वी का अक्ष एक काल्पनिक रेखा है , जो इसके कक्षीय सतह से 66½° का कोण बनाती है। वह समतल जो कक्ष के द्वारा बनाया जाता है , उसे कक्षीय समतल कहते हैं। • पृथ्वी सूर्य से प्रकाश प्राप्त करती है। पृथ्वी का आकार गोले के समान है , इसलिए एक समय में सिर्फ इसके आधे भाग पर ही सूर्य की रोशनी प्राप्त होती है। सूर्य की ओर वाले भाग में दिन होता है , जबकि दूसरा भाग जो सूर्य से दूर होता है वहाँ रात होती है। ग्लोब पर वह वृत्त जो दिन तथा रात को विभाजित करता है उसे प्रदीप्ति वृत्त कहते हैं। • पृथ्वी अपने अक्ष पर एक चक्कर पूरा करने में लगभग 24 घंटे का समय लेती है। घूर्णन के समय काल को पृथ्वी दिन कहा जाता है। यह पृथ्वी की दैनिक गति है। • अगर पृथ्वी घूर्णन नहीं करे तो क्या होगा ? सूर्य के तरफ वाले पृथ्वी के भाग में हमेशा दिन होगा जिसके कारण उस भाग में गर्मी लगातार पड़ेगी। दूसरे भाग में हमेशा अंधेरा रहेगा एवं पूरे समय ठंड पड़ेगी। इस तरह की अवस्था में जीवन संभव नहीं हो पाएगा। • पृथ्वी की दूसरी गति जो सूर्य के चारों ओर कक्ष में होती है उसे परिक्रमण कहा जाता है। पृथ्वी एक वर्ष या 365 ¼ दिन में सूर्य का एक चक्कर लगाती है। हम लोग एक वर्ष 365 दिन का मानते हैं तथा सुविधा के लिए 6 घंटे को इसमें नहीं जोड़ते हैं। • चार वर्षों में प्रत्येक वर्ष के बचे हुए 6 घंटे मिलकर एक दिन यानी 24 घंटे के बराबर हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त दिन को फरवरी के महीने में जोड़ा जाता है। इस प्रकार प्रत्येक चौथे वर्ष फरवरी माह 28 के बदले 29 दिन का होता है। ऐसा...

वृत्त किसे कहते है , परिभाषा, क्षेत्रफल, परिधि , त्रिज्या , व्यास , जीवा , परिमाप

अनुक्रम • • • • • • • • • • • • • वृत्त किसे कहते है ? किसी समतल में एक नियत बिंदु से समान दूरी पर स्थित समस्त बिंदुओं से बनी आकृति को वृत्त कहते हैं।उस नियत बिंदु को वृत्त का केंद्र तथा उस दूरी को वृत्त की त्रिज्या कहते हैं। चित्र में हम देखते हैं कि वृत्त का केंद्र O तथा रेखाखंड OP त्रिज्या हैं। वृत्त किसे कहते है , परिभाषा, क्षेत्रफल, परिधि , त्रिज्या , व्यास , जीवा , परिमाप वृत्त की परिधि किसे कहते है ? उस वक्त रेखा की लंबाई को जिस पर्वत का निर्माण करने वाले सभी बिंदु स्थित होते हैं। वृत्त की परिमाप या परिधि कहलाती है। वृत्त की त्रिज्या r हो तो वृत्त की परिधि का सूत्र = 2πr वृत्त का चाप क्या होता हैं ? वृत्त के परिधि के किसी सतत भाग को वृत्त का चाप कहते हैं। वृत्त की परिधि पर स्थित दो बिंदु P और Q वृत्त का चाप बनाते है। वृत्त का चाप क्या होता हैं ? वृत्त की जीवा किसे कहते है? वृत्त पर स्थित किन्हीं दो बिंदुओं को मिलाने वाले रेखाखंड को वृत्त की जीवा कहते हैं।वृत्त पर स्थित बिंदु जीवा के अन्त्य बिंदु कहलाते हैं। जो जीवावृत्त के केंद्र से होकर जाती है।उसे वृत्त का व्यास कहते हैं।व्यास वृत्त की सबसे बड़ी जीवा होती है। व्यास , त्रिज्या का दुगना होता हैं। वृत्त का व्यास = 2 × त्रिज्या वृत्त की जीवा किसे कहते है? अर्धवृत्त क्या है ? प्रत्येक व्यास वृत्त के दो बराबर भागो में बाँटता हैं। वृत्त के इन भागो को अर्धवृत्त कहते है। वृत्त खण्ड किसे कहते है ? वृत्त की प्रत्येक जीवा उसे दो भागों में विभाजित करती हैं। प्रत्येक भाग को वृत्त खण्ड कहते है। त्रिज्यखण्ड किसे कहते है ? किसी वृत्त के चाप और उसके अन्त्य बिंदु से जाने वाली त्रिज्याओ से बनी आकृति त्रिज्यखण्ड कहलाती हैं। त्रिज्यखण्...

CLASS 6 NCERT अध्याय 3

पृथ्वी की गतियाँ :- 1. पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूमना घूर्णन कहलाता है। सूर्य के चारों ओर एक स्थिर कक्ष में पृथ्वी की गति को परिक्रमण कहते हैं। पृथ्वी सूर्य से प्रकाश प्राप्त करती है। पृथ्वी का आकार गोले के समान है , इसलिए एक समय में सिर्फ इसके आधे भाग पर ही रोशनी प्राप्त होती है। सूर्य की ओर वाले भाग में दिन होता है , जबकि दूसरा भाग जो सूर्य से दूर होता हैं वहाँ रात होती है। ग्लोब पर वृत्त जो दिन तथा रात को विभाजित करता है उसे प्रदीप्ति वृत्त कहते हैं। पृथ्वी अपने अक्ष पर चक्कर पूरा करने में लगभग 24 घंटे का समय लेती है। घूर्णन के समय काल को पृथ्वी दिन कहा जाता। यह पृथ्वी की दैनिक गति है। पृथ्वी की दूसरी गति जो सूर्य के चारों और कक्ष में होती है उसे परिक्रमण कहा जाता है। पृथ्वी एक वर्ष या 365 1/4 दिन में सूर्य का चक्कर लगाती है। चार वर्षों में प्रत्येक वर्ष के बचे हुए 6 घंटे मिलकर एक दिन यानि 24 घंटे के बराबर हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त दिन को फरवरी के महीने में जोड़ा जाता है। इस प्रकार प्रत्येक चौथे वर्ष फरवरी माह 28 के बदले 29 दिन का होता है। ऐसा वर्ष जिसमें 366 दिन होते हैं उसे लिप वर्ष कहा जाता है। सामान्यत: एक वर्ष को चारऋतुओं में बाँटा जाता है। गर्मी , सर्दी , वंसत एवं शरद ऋतुओं में परिवर्तन सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की स्थिति में परिवर्तन के कारण होता है। 21 जून को उत्तरी गोलार्ध सूर्य की तरफ झुका होता है जिसके कारण सूर्य की किरणे कर्क रेखा पर सीधी पड़ती हैं। जिससे उत्तरी गोलार्ध के बहुत बड़े भाग में सूर्य की रोशनी प्राप्त होती है , इसलिए विषुवत वृत्त के उत्तरी भाग में गर्मी का मौसम होता है। 21 जून को इन क्षेत्रों में सबसे लंबा दिन तथा सबसे छोटी रात होती है। पृथ्वी की इस अ...

[Solved] 'प्रदीप्ति वृत्त' की अवधारणा पर शिक्षण प्र�

सही उत्तर B, C और D है। Key Points वह वृत्त जो दिन को रात से ग्लोब पर विभाजित करता है, प्रदीप्ति का वृत्त कहलाता है। • पृथ्वी की धुरी पृथ्वी के केंद्र से ऊपर से नीचे तक जाने वाली एक काल्पनिक रेखा को संदर्भित करती है। • इस प्रकार, जबकि प्रदीप्ति का वृत्त​ प्रकाश को अंधेरे से और दिन को रात से अलग करता है, अक्ष एक रेखा है जिसके साथ पृथ्वी घूमती है। • घूर्णन पृथ्वी की अपनी धुरी पर गति है। • पृथ्वी के गोलाकार होने के कारण एक बार में इसका आधा भाग ही सूर्य से प्रकाश पाता है। • सूर्य का सामना करने वाला भाग दिन का अनुभव करता है जबकि सूर्य से आधा भाग रात का अनुभव करता है। इस प्रकार, हम कह सकते हैं कि प्रदीप्ति का वृत्त की अवधारणा को पेश करने से पहले जिन अवधारणाओं को शामिल किया जाना चाहिए, वे पृथ्वी की धुरी, पृथ्वी का घूमना और पृथ्वी का गोलाकार आकार हैं ।

पृथवी.की.गतियाँ Study Material

पृथ्वी की गतियाँ • पृथ्वी की घूर्णन गति का हमें आभास न होने का मुख्य कारण घूर्णन एवं परिक्रमण में निरंतरता का होना है। • पृथ्वी के सूर्य के चारों ओर घूमने और धुरी पर घूमने के कई प्रमाण हैं, जैसे-पृथ्वी यदि अपनी धुरी पर नहीं घूमती तो एक ही हिस्से पर हमेशा दिन रहता और दूसरे हिस्से पर हमेशा रात। • पृथ्वी के सूर्य के चारों ओर घूमने से ही मौसम परिवर्तित होता है। अतः इन सब प्रमाणों से सिद्ध होता है कि पृथ्वी सूर्य के चारों ओर एवं अपनी धुरी पर सतत् रूप से घूमती रहती है। • दूसरे ग्रहों की भांति पृथ्वी अपने अक्ष पर लगातार घूमती रहती है । ‘अक्ष’, उत्तरी ध्रुव एवं दक्षिण ध्रुव को मिलाने वाली काल्पनिक रेखा है, जिसके सहारे पृथ्वी घूर्णन करती है। • पृथ्वी के परिक्रमण कक्ष द्वारा निर्मित तथा पृथ्वी के केन्द्र से गुजरने वाले तल को ‘कक्षातल’ या ‘कक्षीयसतह’ कहते हैं। • • पृथ्वी अपने अक्ष पर 23 डिग्री 30 मिनट झुकी हुई है और इसका अक्ष इसके कक्षातल से 66 डिग्री 30 मिनटका कोण बनाती है। • पृथ्वी का आकार भू-आभ होने के कारण इसके आधे भाग पर सूर्य का प्रकाश पड़ता है अतः आधे भाग पर दिन रहता है, जबकि शेष आधे भाग पर उस समय प्रकाश नहीं पहुंचता है, अतः आधे भाग पर रात रहती है। • पृथ्वी पर दिन तथा रात को विभाजित करने वाले वृत्त को ‘प्रदीप्ति वृत्त’ कहते हैं। • पृथ्वी की दो प्रकार की गतियां हैं- • • घूर्णन/परिभ्रमण/दैनिक गति • परिक्रमण/वार्षिक गति घूर्णन • • पृथ्वी का अपने अक्ष के सापेक्ष पश्चिम से पूर्व दिशा की ओर लट्टू की भांति घूमना ही ‘पृथ्वी का घूर्णन’ कहलाता है। इसे ‘परिभ्रमण गति’भी कहते हैं। • पृथ्वी पश्चिम से पूर्व लगभग 1,670 किमी. प्रति घंटे (463 मीटर प्रति सेकेण्ड)कीचाल से 23 घंटे, 56 मिनट व 4 सेकं...

गोला और वृत्त में अन्तर

Table of Contents • • • • • गोला और वृत्त में अन्तर – क्या आप सोचते है कि गोला और वृत्त एक ही है?? आपने कभी लोगों से सुना होगा कि गोला और वृत्त में कोई अन्तर नहीं होता हैं क्या आपने कभी लोगों से सुना है कि गोला और वृत्त दोनों समान हैं??? जी नहीं!!! ऐसा बिल्कुल नहीं है कि गोला और वृत्त दोनों समान हैं। गोला और वृत्त दोनों अलग अलग है। तो चलिए हम आपको बताते है कि गोला और वृत्त मे क्या अन्तर है- गोला किसे कहते हैं ?( What is Sphere ) यदि किसी अर्धवृत्त (Semi – circle) को उसके व्यास के परितः चारों ओर घुमाने से बनी आकृति गोला (sphere) कहलाता है। गोले की विशेषताएं (Properties of sphere) – • 1. गोले के पृष्ठ का प्रत्येक बिन्दु केंद्र से बराबर दूरी पर होता है • 2. पृष्ठ के प्रत्येक बिन्दु से केन्द्र की दूरी उस गोले की त्रिज्या के बराबर होती है। • 3. गोले का वक्रपृष्ठ उसके सम्पूर्ण पृष्ठ के बराबर होता है। इसे पृष्ठ कहते है। • 4. गोले की समतल काट एक वृत्त होता है। वृत्त किसे कहते हैं ??(What is circle) – परिभाषा :- “किसी समतल मे एक निश्चित बिन्दु से समान दूरी पर स्थित बिन्दुओं का समुच्चय वृत्त कहलाता है। “ अथवा- यदि कोई बिन्दु किसी तल पर इस प्रकार गमन करे कि उसकी किसी निश्चित बिन्दु से दूरी सदैंव समान रहे, तो इस प्रकार उस बिन्दु के मार्ग से घिरे क्षेत्र को वृत्त कहते हैं। “ गोला और वृत्त में अन्तर :- • गोला एक त्रिविमीय संरचना होती है जबकि वृत्त की संरचना द्विविमीय होती है। • तथा गोला का क्षेत्रफल और आयतन दोनों ज्ञात कर सकते हैं लेकिन वृत्त का केवल क्षेत्रफल ज्ञात कर सकते हैं। • गोले का क्षेत्रफल 4πr² होती हैं और वृत्त का क्षेत्रफल πr² होता है। • गोले का आयतन (4/3)πr³होता है और वृत्त ...

मानचित्र

मानचित्रण कहलाता हैं। मानचित्र दो शब्दों मान और चित्र से मिल कर बना है जिसका अर्थ किसी माप या मूल्य को चित्र द्वारा प्रदर्शित करना है। जिस प्रकार एक मानचित्र किसी बड़े भूभाग को छोटे रूप में प्रस्तुत करते हैं जिससे एक नजर में भौगोलिक जानकारी और उनके अन्तर्सम्बन्धों की जानकारी मिल सके। मानचित्र को नक्शा भी कहा जाता है। आजकल मानचित्र केवल धरती, या धरती की सतह, या किसी वास्तविक वस्तु तक ही सीमित नहीं हैं। उदाहरण के लिये अनुक्रम • 1 परिचय • 2 मानचित्र की उपयोगिता • 3 मानचित्र पठन के लिये आवश्यक बातें • 4 मानचित्र का वर्गीकरण और प्रकार • 4.1 पैमाने तथा उद्देश्य के आधार पर • 4.2 उद्देश्य तथा समाविष्ट तथ्य के आधार पर • 5 मानचित्र की भाषा • 5.1 पैमाना • 5.2 संकेतात्मक एवं रूढ़ चिह्न (symbols and conventional signs) • 5.3 रंग • 5.4 भौगोलिक जाल • 5.5 मानचित्र प्रक्षेप • 6 भू-आकृति की उँचाई, निचाई तथा स्वरूप का प्रदर्शन • 6.1 चित्र द्वारा प्रदर्शन • 6.1.1 पहाड़ी छायाकरण (Hill Shading) • 6.1.2 स्तर वर्ण (layer tint) बिधि • 6.2 गणित द्वारा प्रदर्शन • 6.3 मिश्रित विधियाँ • 7 मानचित्र कला (Cartography) • 8 शुद्ध रेखण • 9 मानचित्र संकलन • 10 छपाई की विधियाँ • 10.1 फोटोजिंको छपाई • 10.2 रोटरी ऑफसेट छपाई • 11 पैमाना या मापनी • 12 मानचित्र-प्रक्षेप • 13 मानचित्रों के प्रकार • 13.1 भौगोलिक मानचित्र • 13.2 स्थलाकृतिक मानचित्र • 13.3 भू-कर तथा राजस्व मानचित्र • 13.4 नगर और कस्बों के दर्शक मानचित्र • 13.5 छावनी मानचित्र • 13.6 विविध मानचित्र • 14 वितरण मानचित्र एवं मानारेख • 15 इन्हें भी देखें • 16 बाहरी कड़ियाँ परिचय मानचित्र किसी चौरस सतह पर निश्चित मान या पैमाने और अक्षांश एवं देशांतर रेखाओं क...