प्रताप समाचार पत्र के संपादक कौन थे

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[Solved] 'खैर अंदेश’ समाचार पत्र के संपादक कौन थे?

सही उत्तर मुरलीधर है। • मुरलीधर 'खैर अंदेश' के संपादक थे। Additional Information • स्वतंत्र भारत के विचारक, ब्रिटिश भारत के पंजाब प्रांत में छोटू राम एक प्रमुख राजनीतिज्ञ थे। • उन्होंने भारतीय उपमहाद्वीप के गरीबों के लिए काम किया था। इस उपलब्धि के लिए, उन्हें 1937 में सम्मानित किया गया था। • छोटू राम का जन्म रोहतक में गढ़ी सांपला के छोटे से गाँव में हुआ था (झज्जर उस समय रोहतक जिले का ही हिस्सा था)। • छोटूराम का असली नाम राय रिछपाल था। • चौधरी छोटूराम ने ' जाट गजट’ नामक एक क्रांतिकारी अखबार शुरू किया, जो हरियाणा का सबसे पुराना अखबार है, जो अभी भी छपताहै और जिसके माध्यम से छोटूराम ने ग्रामीण जीवन का उत्थान किया और साहूकारों द्वारा गरीब किसानों का शोषण किया था। • शाम लाल एक भारतीय साहित्यिक आलोचक और पत्रकार थे, जिन्होंने द टाइम्स ऑफ़ इंडिया के संपादक के रूप में कार्य किया था। • उन्होंने हिंदुस्तान टाइम्स और बाद में द टाइम्स ऑफ़ इंडिया के लिए कई वर्षों तक एक काँलम जीवन और पत्र लिखे थे।

इंडियन ओपिनियन समाचार

Explanation : प्रसिद्ध समाचार-पत्र ‘इंडियन ओपिनीयन (Indian Opinion)' की शुरुआत दक्षिण अफ्रीका में मोहनदास करमचंद गांधी (महात्मा गांधी) द्वारा की गई थी। 1904 मे शुरू हुआ इस समाचार पत्र के प्रथम संपादक मनसुखलाल नज़र (Mansukh Lal) थे। दक्षिण अफ्रीका के दौरान महात्मा गांधी के एक मित्र मदनजीत ने उनके सामने एक प्रस्ताव रखा कि 'द इंडियन ओपिनियन' नाम का एक समाचार-पत्र निकाला जाए। गांधीजी को यह विचार अच्छा लगा। वर्ष 1904 में समाचार-पत्र शुरु कर दिया गया। मनसुखलाल को इसका संपादक बनाया गया। वही, महात्मा गांधी राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान यंग इंडिया नामक समाचार-पत्र निकालते थे। लाला हरदयाल गदर आंदोलन से संबंधित थे। राजा महेन्द्र प्रताप ने वर्ष 1915 में जर्मनी के सहयोग से काबुल में अंतरिक्ष सरकार का गठन किया था जिसके राष्ट्रपति राजा मेहन्द्र प्रताप तथा प्रधानमंत्री मौलवी बरकतुल्ला थे। Explanation : मुहम्मद आदिल शाह का मकबरा बीजापुर, कर्नाटक में स्थित है। इसे गोल गुंबज या गोल गुंबद कहा जाता है। बीजापुर के सुल्तान मुहम्मद आदिल शाह के मकबरे गोल गुंबज का निर्माण फारसी वास्तुकार दाबुल के याकूत ने 1656 ई. में कराया था। गोल गुंबज • राज्य सभा में सदस्य बनने के लिए किसी भी व्यक्ति की कम से कम आयु कितनी होनी चाहिए? Explanation : वेसर (Vesara) मंदिर निर्माण की एक शैली है, जिसमें नागर और द्रविड़ शैली का मिश्रण होता है। बाड़ौली के मंदिर इसी शैली से संबंधित हैं। बाड़ौली मंदिर राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले के रावतभाटा कस्बे के पास स्थित बाड़ौली गांव में है। जो • हाथीगुम्फा अभिलेख किस शासक के विषय में जानकारी का स्त्रोत है?

हिंदी पत्र पत्रिकाओं की सूची

हिंदी पत्र-पत्रिकाओं की सूची 30मई1826को कलकत्ता से पंडित जुगल किशोर शुक्ल के संपादन में निकलने वाले‘उदन्त्त मार्तण्ड’को हिंदी का पहला समाचार पत्र माना जाता है। इस समय इन गतिविधियों का चूँकि कलकत्ता केन्‍द्र था। इसलिए यहाँ पर सबसेमहत्‍वपूर्ण पत्र-पत्रिकाएँ- उदन्त्त मार्तंड,बंगदूत,प्रजामित्र, मार्तंड तथा समाचार सुधा वर्षण आदि का प्रकाशन हुआ। प्रारम्‍भ के पाँचों साप्‍ताहिक पत्र थे एवं सुधा वर्षण दैनिक पत्र था। इनका प्रकाशन दो-तीन भाषाओं के माध्‍यम से होता था।‘सुधाकर’और‘बनारस अखबार’साप्‍ताहिक पत्र थे जो काशी से प्रकाशित होते थे।‘प्रजाहितैषी’एवं बुद्धि प्रकाश का प्रकाशन आगरा से होता था।‘तत्‍वबोधिनी’पत्रिका साप्‍ताहिक थी और इसका प्रकाशन बरेली से होता था।‘मालवा’साप्‍ताहिक मालवा से एवं‘वृतान्‍त’जम्‍मू से तथा‘ज्ञान प्रदायिनी पत्रिका’लाहौर से प्रकाशित होते थे। दोनों मासिक पत्र थे। इन पत्र पत्रिकाओं का प्रमुख उद्‌देश्‍य एवं सन्‍देश जनता में सुधार व जागरण की पवित्र भावनाओं को उत्‍पन्‍न कर अन्‍याय एवं अत्‍याचार का प्रतिरोध/विरोध करना था। हालाँकि इनमें प्रयुक्‍त भाषा (हिंदी) बहुत ही साधारण किस्‍म की (टूटी-फूटी हिंदी) हुआ करती थी। प्रमुख पत्र-पत्रिकाएं और संपादक (Hindi Ptrikaon ki List) हिंदी पत्रकारिता का लम्बा इतिहास रहा है,जो हिंदी भाषा और साहित्य के लिए काफी महत्व रखता है। यही वजह है की तमाम प्रतियोगी परीक्षाओं में अक्सर इससे प्रश्न पूछे जाते हैं।नीचे अधिकतर पत्र पत्रिकाओं (hindi patrikayen) की सूची संपादक और वर्ष के साथ दी गई है- 1. भारतेन्दु पूर्व युग की पत्र-पत्रिकाएँ एवं संपादक (1826-1867 ई.) हिंदी का पहला समाचार पत्र उदंत मार्तण्ड (30मई1826) की प्रति मंगलवार को निकलती थी और मासि...

हिंदी पत्रकारिता का उद्भव और विकास पर प्रकाश डालिए » Hindikeguru

hindi patrakarita ka udbhav aur vikas(हिंदी पत्रकारिता का विकास) हिंदी पत्रकारिता में सर्वप्रथम प्रकाशित हिंदी समाचार पत्र के रूप में उदंत मार्तंड का नाम सर्वमान्य है। परंतु वेद प्रताप वैदिक द्वारा संपादित हिंदी पत्रकारिता विविध आहम नामक पुस्तक में प्रकाशित जानकारी में डॉक्टर महादेव साहा में दिग्दर्शन को हिंदी का प्रथम पत्र घोषित किया है। उनकी यही मान्यता 1959 और 1960 के राष्ट्रीय भारती और सरस्वती के अगस्त एवं जनवरी के अंकों में प्रकाशित हुई है। इस जानकारी के अनुसार अप्रैल 1818 से मार्च 1819 में श्रीरामपुर बंगाल मिशनरियों ने दिग्दर्शन नाम का एक मासिक समाचार पत्र निकाला जिसके संपादक जॉन क्लर्क मार्सकमेन इस दौरान इस पत्रिका के हिंदी में कुल 16 अंक निकले बाद में इसे अंग्रेजी और बंगला में भी प्रकाशित किया गया इस तरह दिग्दर्शन बंगला तथा हिंदी दोनों ही भाषाओं का पहला समाचार पत्र माना जा सकता है। एक अन्य विद्वान जोगेंद्र सक्सेना के अनुसार 1818 से 1820 तक दरबार रोजनामचा दैनिक नामक एक अखबार निकला करता था। अखबार राजस्थान के बूंदी से निकलता था। इस अखबार की हिंदी प्रति उपलब्ध नहीं है। इसीलिए हिंदी के पहले अखबार होने का श्रेय दिग्दर्शन या दरबार रोजनमचा को नहीं जाता है स्पष्ट प्रमाण के अभाव में घोषित रूप से हिंदी का पहला समाचार पत्र उदांत मार्तंड को माना गया है। उदंत मार्तंड को हिंदी को पहला अखबार घोषित करने का श्रेय मॉडन के संपादक बजेंद्र मोहन बंदोपाध्याय को जाता है। 1931 के पहले तक बनारस अखबार जो गोविंद रघुनाथ के संपादक में 1843 में हुआ था को हिंदी का पहला अखबार माना जाता था। हिंदी पत्रकारिता के उद्गम एवं विकास को पांच निम्नलिखित भागों में बांट कर देख सकते हैं- १. पूर्व भारतेंदु युग (...

हिंदी पत्र पत्रिकाओं की सूची

हिंदी पत्र-पत्रिकाओं की सूची 30मई1826को कलकत्ता से पंडित जुगल किशोर शुक्ल के संपादन में निकलने वाले‘उदन्त्त मार्तण्ड’को हिंदी का पहला समाचार पत्र माना जाता है। इस समय इन गतिविधियों का चूँकि कलकत्ता केन्‍द्र था। इसलिए यहाँ पर सबसेमहत्‍वपूर्ण पत्र-पत्रिकाएँ- उदन्त्त मार्तंड,बंगदूत,प्रजामित्र, मार्तंड तथा समाचार सुधा वर्षण आदि का प्रकाशन हुआ। प्रारम्‍भ के पाँचों साप्‍ताहिक पत्र थे एवं सुधा वर्षण दैनिक पत्र था। इनका प्रकाशन दो-तीन भाषाओं के माध्‍यम से होता था।‘सुधाकर’और‘बनारस अखबार’साप्‍ताहिक पत्र थे जो काशी से प्रकाशित होते थे।‘प्रजाहितैषी’एवं बुद्धि प्रकाश का प्रकाशन आगरा से होता था।‘तत्‍वबोधिनी’पत्रिका साप्‍ताहिक थी और इसका प्रकाशन बरेली से होता था।‘मालवा’साप्‍ताहिक मालवा से एवं‘वृतान्‍त’जम्‍मू से तथा‘ज्ञान प्रदायिनी पत्रिका’लाहौर से प्रकाशित होते थे। दोनों मासिक पत्र थे। इन पत्र पत्रिकाओं का प्रमुख उद्‌देश्‍य एवं सन्‍देश जनता में सुधार व जागरण की पवित्र भावनाओं को उत्‍पन्‍न कर अन्‍याय एवं अत्‍याचार का प्रतिरोध/विरोध करना था। हालाँकि इनमें प्रयुक्‍त भाषा (हिंदी) बहुत ही साधारण किस्‍म की (टूटी-फूटी हिंदी) हुआ करती थी। प्रमुख पत्र-पत्रिकाएं और संपादक (Hindi Ptrikaon ki List) हिंदी पत्रकारिता का लम्बा इतिहास रहा है,जो हिंदी भाषा और साहित्य के लिए काफी महत्व रखता है। यही वजह है की तमाम प्रतियोगी परीक्षाओं में अक्सर इससे प्रश्न पूछे जाते हैं।नीचे अधिकतर पत्र पत्रिकाओं (hindi patrikayen) की सूची संपादक और वर्ष के साथ दी गई है- 1. भारतेन्दु पूर्व युग की पत्र-पत्रिकाएँ एवं संपादक (1826-1867 ई.) हिंदी का पहला समाचार पत्र उदंत मार्तण्ड (30मई1826) की प्रति मंगलवार को निकलती थी और मासि...

इंडियन ओपिनियन समाचार

Explanation : प्रसिद्ध समाचार-पत्र ‘इंडियन ओपिनीयन (Indian Opinion)' की शुरुआत दक्षिण अफ्रीका में मोहनदास करमचंद गांधी (महात्मा गांधी) द्वारा की गई थी। 1904 मे शुरू हुआ इस समाचार पत्र के प्रथम संपादक मनसुखलाल नज़र (Mansukh Lal) थे। दक्षिण अफ्रीका के दौरान महात्मा गांधी के एक मित्र मदनजीत ने उनके सामने एक प्रस्ताव रखा कि 'द इंडियन ओपिनियन' नाम का एक समाचार-पत्र निकाला जाए। गांधीजी को यह विचार अच्छा लगा। वर्ष 1904 में समाचार-पत्र शुरु कर दिया गया। मनसुखलाल को इसका संपादक बनाया गया। वही, महात्मा गांधी राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान यंग इंडिया नामक समाचार-पत्र निकालते थे। लाला हरदयाल गदर आंदोलन से संबंधित थे। राजा महेन्द्र प्रताप ने वर्ष 1915 में जर्मनी के सहयोग से काबुल में अंतरिक्ष सरकार का गठन किया था जिसके राष्ट्रपति राजा मेहन्द्र प्रताप तथा प्रधानमंत्री मौलवी बरकतुल्ला थे। Explanation : मुहम्मद आदिल शाह का मकबरा बीजापुर, कर्नाटक में स्थित है। इसे गोल गुंबज या गोल गुंबद कहा जाता है। बीजापुर के सुल्तान मुहम्मद आदिल शाह के मकबरे गोल गुंबज का निर्माण फारसी वास्तुकार दाबुल के याकूत ने 1656 ई. में कराया था। गोल गुंबज • राज्य सभा में सदस्य बनने के लिए किसी भी व्यक्ति की कम से कम आयु कितनी होनी चाहिए? Explanation : वेसर (Vesara) मंदिर निर्माण की एक शैली है, जिसमें नागर और द्रविड़ शैली का मिश्रण होता है। बाड़ौली के मंदिर इसी शैली से संबंधित हैं। बाड़ौली मंदिर राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले के रावतभाटा कस्बे के पास स्थित बाड़ौली गांव में है। जो • हाथीगुम्फा अभिलेख किस शासक के विषय में जानकारी का स्त्रोत है?

[Solved] 'खैर अंदेश’ समाचार पत्र के संपादक कौन थे?

सही उत्तर मुरलीधर है। • मुरलीधर 'खैर अंदेश' के संपादक थे। Additional Information • स्वतंत्र भारत के विचारक, ब्रिटिश भारत के पंजाब प्रांत में छोटू राम एक प्रमुख राजनीतिज्ञ थे। • उन्होंने भारतीय उपमहाद्वीप के गरीबों के लिए काम किया था। इस उपलब्धि के लिए, उन्हें 1937 में सम्मानित किया गया था। • छोटू राम का जन्म रोहतक में गढ़ी सांपला के छोटे से गाँव में हुआ था (झज्जर उस समय रोहतक जिले का ही हिस्सा था)। • छोटूराम का असली नाम राय रिछपाल था। • चौधरी छोटूराम ने ' जाट गजट’ नामक एक क्रांतिकारी अखबार शुरू किया, जो हरियाणा का सबसे पुराना अखबार है, जो अभी भी छपताहै और जिसके माध्यम से छोटूराम ने ग्रामीण जीवन का उत्थान किया और साहूकारों द्वारा गरीब किसानों का शोषण किया था। • शाम लाल एक भारतीय साहित्यिक आलोचक और पत्रकार थे, जिन्होंने द टाइम्स ऑफ़ इंडिया के संपादक के रूप में कार्य किया था। • उन्होंने हिंदुस्तान टाइम्स और बाद में द टाइम्स ऑफ़ इंडिया के लिए कई वर्षों तक एक काँलम जीवन और पत्र लिखे थे।

हिंदी पत्रकारिता का उद्भव और विकास पर प्रकाश डालिए » Hindikeguru

hindi patrakarita ka udbhav aur vikas(हिंदी पत्रकारिता का विकास) हिंदी पत्रकारिता में सर्वप्रथम प्रकाशित हिंदी समाचार पत्र के रूप में उदंत मार्तंड का नाम सर्वमान्य है। परंतु वेद प्रताप वैदिक द्वारा संपादित हिंदी पत्रकारिता विविध आहम नामक पुस्तक में प्रकाशित जानकारी में डॉक्टर महादेव साहा में दिग्दर्शन को हिंदी का प्रथम पत्र घोषित किया है। उनकी यही मान्यता 1959 और 1960 के राष्ट्रीय भारती और सरस्वती के अगस्त एवं जनवरी के अंकों में प्रकाशित हुई है। इस जानकारी के अनुसार अप्रैल 1818 से मार्च 1819 में श्रीरामपुर बंगाल मिशनरियों ने दिग्दर्शन नाम का एक मासिक समाचार पत्र निकाला जिसके संपादक जॉन क्लर्क मार्सकमेन इस दौरान इस पत्रिका के हिंदी में कुल 16 अंक निकले बाद में इसे अंग्रेजी और बंगला में भी प्रकाशित किया गया इस तरह दिग्दर्शन बंगला तथा हिंदी दोनों ही भाषाओं का पहला समाचार पत्र माना जा सकता है। एक अन्य विद्वान जोगेंद्र सक्सेना के अनुसार 1818 से 1820 तक दरबार रोजनामचा दैनिक नामक एक अखबार निकला करता था। अखबार राजस्थान के बूंदी से निकलता था। इस अखबार की हिंदी प्रति उपलब्ध नहीं है। इसीलिए हिंदी के पहले अखबार होने का श्रेय दिग्दर्शन या दरबार रोजनमचा को नहीं जाता है स्पष्ट प्रमाण के अभाव में घोषित रूप से हिंदी का पहला समाचार पत्र उदांत मार्तंड को माना गया है। उदंत मार्तंड को हिंदी को पहला अखबार घोषित करने का श्रेय मॉडन के संपादक बजेंद्र मोहन बंदोपाध्याय को जाता है। 1931 के पहले तक बनारस अखबार जो गोविंद रघुनाथ के संपादक में 1843 में हुआ था को हिंदी का पहला अखबार माना जाता था। हिंदी पत्रकारिता के उद्गम एवं विकास को पांच निम्नलिखित भागों में बांट कर देख सकते हैं- १. पूर्व भारतेंदु युग (...

[Solved] 'खैर अंदेश’ समाचार पत्र के संपादक कौन थे?

सही उत्तर मुरलीधर है। • मुरलीधर 'खैर अंदेश' के संपादक थे। Additional Information • स्वतंत्र भारत के विचारक, ब्रिटिश भारत के पंजाब प्रांत में छोटू राम एक प्रमुख राजनीतिज्ञ थे। • उन्होंने भारतीय उपमहाद्वीप के गरीबों के लिए काम किया था। इस उपलब्धि के लिए, उन्हें 1937 में सम्मानित किया गया था। • छोटू राम का जन्म रोहतक में गढ़ी सांपला के छोटे से गाँव में हुआ था (झज्जर उस समय रोहतक जिले का ही हिस्सा था)। • छोटूराम का असली नाम राय रिछपाल था। • चौधरी छोटूराम ने ' जाट गजट’ नामक एक क्रांतिकारी अखबार शुरू किया, जो हरियाणा का सबसे पुराना अखबार है, जो अभी भी छपताहै और जिसके माध्यम से छोटूराम ने ग्रामीण जीवन का उत्थान किया और साहूकारों द्वारा गरीब किसानों का शोषण किया था। • शाम लाल एक भारतीय साहित्यिक आलोचक और पत्रकार थे, जिन्होंने द टाइम्स ऑफ़ इंडिया के संपादक के रूप में कार्य किया था। • उन्होंने हिंदुस्तान टाइम्स और बाद में द टाइम्स ऑफ़ इंडिया के लिए कई वर्षों तक एक काँलम जीवन और पत्र लिखे थे।

हिंदी पत्र पत्रिकाओं की सूची

हिंदी पत्र-पत्रिकाओं की सूची 30मई1826को कलकत्ता से पंडित जुगल किशोर शुक्ल के संपादन में निकलने वाले‘उदन्त्त मार्तण्ड’को हिंदी का पहला समाचार पत्र माना जाता है। इस समय इन गतिविधियों का चूँकि कलकत्ता केन्‍द्र था। इसलिए यहाँ पर सबसेमहत्‍वपूर्ण पत्र-पत्रिकाएँ- उदन्त्त मार्तंड,बंगदूत,प्रजामित्र, मार्तंड तथा समाचार सुधा वर्षण आदि का प्रकाशन हुआ। प्रारम्‍भ के पाँचों साप्‍ताहिक पत्र थे एवं सुधा वर्षण दैनिक पत्र था। इनका प्रकाशन दो-तीन भाषाओं के माध्‍यम से होता था।‘सुधाकर’और‘बनारस अखबार’साप्‍ताहिक पत्र थे जो काशी से प्रकाशित होते थे।‘प्रजाहितैषी’एवं बुद्धि प्रकाश का प्रकाशन आगरा से होता था।‘तत्‍वबोधिनी’पत्रिका साप्‍ताहिक थी और इसका प्रकाशन बरेली से होता था।‘मालवा’साप्‍ताहिक मालवा से एवं‘वृतान्‍त’जम्‍मू से तथा‘ज्ञान प्रदायिनी पत्रिका’लाहौर से प्रकाशित होते थे। दोनों मासिक पत्र थे। इन पत्र पत्रिकाओं का प्रमुख उद्‌देश्‍य एवं सन्‍देश जनता में सुधार व जागरण की पवित्र भावनाओं को उत्‍पन्‍न कर अन्‍याय एवं अत्‍याचार का प्रतिरोध/विरोध करना था। हालाँकि इनमें प्रयुक्‍त भाषा (हिंदी) बहुत ही साधारण किस्‍म की (टूटी-फूटी हिंदी) हुआ करती थी। प्रमुख पत्र-पत्रिकाएं और संपादक (Hindi Ptrikaon ki List) हिंदी पत्रकारिता का लम्बा इतिहास रहा है,जो हिंदी भाषा और साहित्य के लिए काफी महत्व रखता है। यही वजह है की तमाम प्रतियोगी परीक्षाओं में अक्सर इससे प्रश्न पूछे जाते हैं।नीचे अधिकतर पत्र पत्रिकाओं (hindi patrikayen) की सूची संपादक और वर्ष के साथ दी गई है- 1. भारतेन्दु पूर्व युग की पत्र-पत्रिकाएँ एवं संपादक (1826-1867 ई.) हिंदी का पहला समाचार पत्र उदंत मार्तण्ड (30मई1826) की प्रति मंगलवार को निकलती थी और मासि...