प्रथम पंचवर्षीय योजना के योजनाकार कौन थे

  1. [Solved] प्रथम पंचवर्षीय योजना की शुरुआत हुई थी?
  2. 03: नियोजित विकास की राजनीति / Swatantra Bharat me Rajniti
  3. पंचवर्षीय योजना महत्वपूर्ण प्रश्न
  4. प्रथम पंचवर्षीय योजना स्थापना, लक्ष्य और वास्तविकता
  5. ग्राम्य विकास में पंचवर्षीय योजनाओं की विभिन्न उपलब्धियों को समझाइए।
  6. प्रथम पंचवर्षीय योजना
  7. First Five Year Plan in Hindi


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[Solved] प्रथम पंचवर्षीय योजना की शुरुआत हुई थी?

सही उत्तर 1951 - 56है। Key Points • प्रथम पंचवर्षीय योजना • पहली पंचवर्षीय योजना 1951 से 1956 की अवधि के लिए थी। • लक्ष्य वृद्धि 2.1% थी और वास्तविक वृद्धि 3.6% थी। • यह हैरोड-डोमर पर आधारित थी। • पहली पंचवर्षीय योजना की शुरुआत में शरणार्थियों की आमद, गंभीर भोजन की कमी और बढ़ती मुद्रास्फीति ने देश का सामना किया। • पहली पंचवर्षीय योजना का प्राथमिक उद्देश्य भारत के लोगों के जीवन स्तर में सुधार करना था। • यह भारत के प्राकृतिक संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग करके किया जा सकता है। • योजना कृषि, मूल्य स्थिरता, बिजली और परिवहन पर केंद्रित थी। Additional Information • दूसरी पंचवर्षीय योजना (1956-1961) • दूसरी पंचवर्षीय योजना तथाकथित महालनोबिस मॉडल पर आधारित है। • यह भारतीय सांख्यिकी संस्थान के संस्थापक और नेहरू के करीबी पीसी महालनोबिस द्वारा भारतीयकृत यूएसएसआर मॉडल था। • इस मॉडल को राज्य-निर्देशित निवेश के लिए सांख्यिकीय नींव स्थापित करने के लिए जाना जाता है और एक विस्तृत इनपुट-आउटपुट मॉडल के माध्यम से लाइसेंस-राज की बौद्धिक नींव तैयार की है। • इस मॉडल ने सुझाव दिया कि भारी उद्योगों पर जोर दिया जाना चाहिए, जो भारतीय अर्थव्यवस्था को दीर्घकालिक उच्च विकास पथ पर ले जा सकते हैं। • औद्योगिक नीति संकल्प 1956 शुरू किया। • तीसरी पंचवर्षीय योजना (1961-1966) • तीसरी पंचवर्षीय योजना में कृषि और गेहूं के उत्पादन में वृद्धि पर ध्यान केंद्रित किया गया था, लेकिन वर्ष 1962 में संक्षिप्त चीन-भारतीय युद्ध ने अर्थव्यवस्था में खामियों को उजागर किया और रक्षा उद्योग की ओर ध्यान आकर्षित किया। • 31 मई और 1 जून, 1961 को, राष्ट्रीय विकास परिषद ने तीसरी योजना पर मसौदा रिपोर्ट पर विचार किया और आम तौर पर इसे मंज...

03: नियोजित विकास की राजनीति / Swatantra Bharat me Rajniti

इस अध्याय में... पिछले दो अध्यायों में हमने पढ़ा कि स्वतंत्र भारत के नेताओं ने कैसे राष्ट्र-निर्माण और लोकतंत्र कायम करने की चुनौतियों का सामना किया। आइए, अब तीसरी चुनौती की ओर रुख करें। यह चुनौती आर्थिक विकास की थी, ताकि सबकी भलाई को सुनिश्चित किया जा सके। पहली दो चुनौतियों की तरह हमारे नेताओं ने इस मामले में भी कुछ अलग और तनिक कठिन रास्ता चुना। आर्थिक विकास के मामले में उन्हें एक सीमा तक ही सफलता मिली, क्योंकि आर्थिक विकास की चुनौती कहीं ज़्यादा कठिन और गहरी थी। इस अध्याय में हम आर्थिक विकास के कुछ बुनियादी सवालों पर लिए गए राजनीतिक फ़ैसलों के बारे में पढ़ेंगे। ऐसे कुछ सवाल हैं : • विकास को लेकर मुख्य बहसें क्या थीं और इनको लेकर कौन-से अहम फैसले हुए? • पहले दो दशकों में हमारे नेताओं ने कौन-सी रणनीति अपनाई और उन्होंने ऐसा क्यों किया? • इस रणनीति की मुख्य उपलब्धियाँ क्या रहीं और इसकी सीमाएँ क्या थीं? • बाद के सालों में इस रणनीति को क्यों छोड़ दिया गया? अध्याय 3 नियोजित विकास की राजनीति राजनीतिक फ़ैसले और विकास इस्पात की विश्वव्यापी माँग बढ़ी तो निवेश के लिहाज़ से उड़ीसा एक महत्त्वपूर्ण जगह के रूप में उभरा। उड़ीसा में लौह-अयस्क का विशाल भंडार था और अभी इसका दोहन बाकी था। उड़ीसा की राज्य सरकार ने लौह-अयस्क की इस अप्रत्याशित माँग को भुनाना चाहा। उसने अंतर्राष्ट्रीय इस्पात-निर्माताओं और राष्ट्रीय स्तर के इस्पात-निर्माताओं के साथ सहमति-पत्र पर हस्ताक्षर किए। सरकार सोच रही थी कि इससे राज्य में ज़रूरी पूँजी-निवेश भी हो जाएगा और रोज़गार के अवसर भी बड़ी संख्या में सामने आएँगे। लौह-अयस्क के ज़्यादातर भंडार उड़ीसा के सर्वाधिक अविकसित इलाकों में हैं-खासकर इस राज्य के आदिवासी-बहुल जिलो...

पंचवर्षीय योजना महत्वपूर्ण प्रश्न

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प्रथम पंचवर्षीय योजना स्थापना, लक्ष्य और वास्तविकता

प्रथम पंचवर्षीय योजना भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने अनेक महत्वपूर्ण आर्थिक निर्णय लिए जिनमें पंचवर्षीय योजना की शुरुआत भी थी. प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने प्रथम पंचवर्षीय योजना को संसद के समक्ष 8 दिसंबर 1951 को रखा था. यह योजना हॅरोड- डोमर योजना पर आधारित थी. प्रथम पंचवर्षीय योजना का मुख्य लक्ष्य कृषि क्षेत्र था. जिसके अंतर्गत बाँध व सिंचाई मुख्य बिंदु थे. स्वतंत्रता के बाद बँटवारे के कारण कृषि क्षेत्र बुरी तरह से प्रभावित था अतः उस पर ध्यान देना प्रथम वरीयता का कार्य था. प्रथम पंचवर्षीय योजना के लिए कुल प्रस्तावित राशि 2069 करोड़ रुपये थी. जिसे 7 व्यापक क्षेत्रों में विभाजित किया गया था. उन्होंने उस समय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का लक्ष्य 2.1 फ़ीसदी निर्धारित किया था. इसी पंचवर्षीय योजना के दौरान पाँच इस्पात संयंत्रों की नींव रखी गई. अधिकतर पंचवर्षीय योजनाओं में किसी न किसी क्षेत्र को प्राथमिकता दी गई. लक्ष्य विकास दर 2.1% की वार्षिक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास था, हासिल की गई विकास दर 3.6% थी. शुद्ध घरेलू उत्पाद 15% से ऊपर चला गया. मानसून अच्छा था और वहाँ अपेक्षाकृत फसल की पैदावार उच्च हुई, उत्पाद भंडार बढ़ाने और प्रति व्यक्ति आय, जिसमे 8% की वृद्धि हुई. Also Read: राष्ट्रीय आय तेजी से जनसंख्या वृद्घि के कारण प्रति व्यक्ति आय से अधिक वृद्धि हुई है. भाखडा नांगल बांध और हीराकुंड बांध सहित कई सिंचाई परियोजनाएं इस अवधि के दौरान शुरू की गई थी.1956 में योजना अवधि के अंत में पांच भारतीय प्रौद्योगिकी (आईआईटी) संस्थान को प्रमुख तकनीकी संस्थानों के रूप में शुरू किया गया. किन 7 व्यापक क्षेत्रों में विभाजित किया गया था- सिंचाई व ऊर्जा, कृषि व सामुदायिक विकास ,भ...

ग्राम्य विकास में पंचवर्षीय योजनाओं की विभिन्न उपलब्धियों को समझाइए।

स्वतन्त्रता के पश्चात् देश को तीव्र गति से आर्थिक विकास करने के लिए नियोजन का मार्ग अपनाया गया। भारत एक ग्राम-प्रधान देश है। यदि हम भारत का आर्थिक विकास करना चाहते हैं तो ग्राम्य विकास के बिना आर्थिक विकास की कल्पना करना निरर्थक होगा; अतः भारत के आर्थिक विकास के लिए 1950 ई० में योजना आयोग की स्थापना की गयी। देश की प्रथम पंचवर्षीय योजना 1 अप्रैल, 1951 ई० से प्रारम्भ की गयी तथा अब तक 11 पंचवर्षीय योजनाएँ अपना कार्यकाल पूरा कर चुकी हैं। विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं में ग्राम्य विकास की ओर सर्वाधिक ध्यान केन्द्रित किया गया है, जिसका संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित है 1. प्रथम पंचवर्षीय योजना (1 अप्रैल, 1951 ई० से 31 मार्च, 1956 ई० तक) –प्रथम पंचवर्षीय योजना की रूपरेखा में कहा गया था कि नियोजन का केन्द्रीय उद्देश्ये जनता के जीवन-स्तर को ऊँचा उठाना है और उसके लिए एक अधिक सुख-सुविधापूर्ण जीवन प्रदान करना है। प्रथम पंचवर्षीय योजना मुख्य रूप से कृषिप्रधान योजना थी। इस योजना में सम्पूर्ण योजना की लगभग तीन-चौथाई धनराशि कृषि, सिंचाई, शक्ति तथा यातायात पर व्यय की गयी। 2. द्वितीय पंचवर्षीय योजना (1 अप्रैल, 1956 ई० से 31 मार्च, 1961 ई० तक) –द्वितीय पंचवर्षीय योजना में भी कृषि को महत्त्व प्रदान किया गया था, परन्तु औद्योगिक विकास को अधिक प्राथमिकता दी गयी थी। ग्राम्य विकास की ओर द्वितीय योजना में भी पूर्ण ध्यान दिया गया था। 3. तीसरी पंचवर्षीय योजना (1 अप्रैल, 1961 ई० से 31 मार्च, 1966 ई० तक) –तीसरी योजना में ग्राम्य विकास हेतु कृषि विकास को पर्याप्त महत्त्व दिया गया था। योजना आयोग ने कृषि को प्राथमिकता देते हुए लिखा था–“तृतीय योजना की विकास युक्तेि में कृषि को ही अनिवार्यतः सर्वाधिक प्राथमिकता मिल...

प्रथम पंचवर्षीय योजना

विवरण यह शुरुआत कार्यकाल वर्ष अध्यक्ष उपाध्यक्ष योजना आकार 2069 करोड़ विकास लक्ष्य सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का लक्ष्य 2.1 फ़ीसदी निर्धारित किया गया था। वास्तविक 3.0 फ़ीसदी अन्य जानकारी इस परियोजना में शुरुआत आज़ादी के बाद भारत के पहले लक्ष्य पंचवर्षीय योजना के लक्ष्य थे - • शरणार्थियों का पुनर्वास • खाद्यान्नों के मामले में कम से कम सम्भव अवधि में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना और मुद्रास्फीति पर नियंत्रण करना। • इसके साथ- साथ इस योजना में सर्वांगीण विकास की प्रक्रिया आरम्भ की गयी, जिससे राष्ट्रीय आय के लगातार बढ़ने का आश्वासन दिया जा सके। • इस योजना में सभी पंचवर्षीय योजनाओं का तुलनात्मक अध्ययन

First Five Year Plan in Hindi

संक्षिप्त विवरण - प्रथम पंचवर्षीय योजना जवाहर लाल नेहरू द्वारा प्रस्तुत किया गया था जो की हॅरोड-डोमर योजना पर आधारित था. - यह योजना मुख्यतया कृषि क्षेत्र पर आधारित थी. - इसके लिए प्रायोजित राशि 2069 करोड़ रुपये थी. - सकल घरेलू उत्पाद दर ३.6 प्रतिशत था जबकि अनुमानित दर २.1 प्रतिशत था. विवरण भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने प्रथम पंचवर्षीय योजना को संसद के समक्ष 8 दिसंबर 1951 को रखा. यह योजना हॅरोड- डोमर योजना पर आधारित थी. योजना का मुख्य लक्ष्य कृषि क्षेत्र था जिसके अंतर्गत बाँध व सिंचाई मुख्य बिंदु थे. स्वतंत्रता के बाद बँटवारे के कारण कृषि क्षेत्र बुरी तरह से प्रभावित था अतः उसपर ध्यान देना प्रथम वरीयता का कार्य था. इस योजना के लिए कुल प्रस्तावित राशि 2069 करोड़ रुपये थी जिसे 7 व्यापक क्षेत्रों में विभाजित किया गया था: सिंचाई व ऊर्जा (27.2 प्रतिशत ) कृषि व सामुदायिक विकास (17.4 प्रतिशत) भूमि पुनः सुधार ( 4.1 प्रतिशत) यातायात व संचार ( 24 प्रतिशत) उद्योग (8.4 प्रतिशत) सामाजिक सेवा (16.64 प्रतिशत) अन्य क्षेत्र व सेवाएँ (2.5 प्रतिशत) वास्तविकता व आँकड़े 1. जीडीपी व एनडीपी वृद्धि उस वर्ष लक्षित सकल घरेलू उत्पाद 2.1 प्रतिशत अनुमानित था जबकि वास्तविक आँकड़े बताते है की सकल घरेलू उत्पाद का प्रतिशत 3.6 प्रतिशत था. एनडीपी में 15 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी थी. 2. प्रति व्यक्ति आय वृद्धि प्रस्तुत वर्ष में अपेक्षाकृत भारी वर्षा तथा अन्य सहायक तत्वों ने उत्पादन में भारी वृद्धि दर्ज की जिससे की प्रति व्यक्ति आय में भी वृद्धि हुई जो मी लगभग 8 प्रतिशत था. राष्ट्रीय आय में 18 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई जो की प्रतिव्यक्ति आय से ज़्यादा थी जिसका कारण उन वर्षों में लगातार तेज़...