प्रथम विश्व युद्ध के कारणों का वर्णन करें

  1. प्रथम विश्वयुद्ध के कारण और परिणाम । First World War in Hindi
  2. प्रथम विश्व युद्ध के कारण, परिणाम एवं प्रभाव पर निबंध
  3. प्रथम विश्व युद्ध के कारण एवं परिणाम का वर्णन
  4. प्रथम विश्व युद्ध
  5. प्रथम विश्व युद्ध के कारण और परिणाम
  6. ज्ञान की बात:कुछ इस तरह से शुरू हुआ था 'प्रथम विश्व युद्ध', काफी भयानक है इसका इतिहास
  7. प्रथम विश्व युद्ध : कारण एवं परिणाम


Download: प्रथम विश्व युद्ध के कारणों का वर्णन करें
Size: 58.80 MB

प्रथम विश्वयुद्ध के कारण और परिणाम । First World War in Hindi

प्रथम विश्व युद्ध के कारण और परिणाम ( First world war in Hindi ) प्रथम विश्वयुद्ध कब हुआ था ? प्रथम विश्वयुद्ध इतिहास का पहला विश्वव्यापी युद्ध था।प्रथम विश्वयुद्ध की शुरूआत 28 जुलाई , 1914 में हुआ था । प्रथम विश्व युद्ध में जितने भी देशों ने भाग लिया था वे मित्र राष्ट्र और धुरी राष्ट्र दो खेमों में बंट गए थे । जिसमें मित्र राष्ट्रों का नेतृत्व इंग्लैंड , जापान , संयुक्त राज्य अमेरिका , रूस तथा फ़्रांस जैसे अन्य देशों द्वारा किया गया था तथा धुरी राष्ट्रों का नेतृत्व जर्मनी , ऑस्ट्रिया हंगरी और इटली जैसे देशों ने किया था । 4 वर्षों तक चलने वाले इस विश्व युद्ध में 36 देशों के लगभग 6.5 करोड़ लोगों ने हिस्सा लिया इस युद्ध में मित्र राष्ट्र के 60 लाख व धुरी राष्ट्र के 40 लाख सैनिकों की मृत्यु हो गई थी । प्रथम विश्व युद्ध दुनिया का सबसे विनाशकारी एवं भयानक घटनाओं में से एक था जिसमें निर्दोष नागरिकों और करोड़ो लोगों को अपना जीवन गंवाना पड़ा । इतिहास में पहली बार मशीन गन, टैंक्स, पानी से चलने वाली मिसाइल का उपयोग प्रथम विश्वयुद्ध में ही किया गया उस समय ऐसा माना जा रहा था कि सभी युद्धों का अंत कर देगा परंतु ऐसा नहीं हुआ इस युद्ध के बाद सन् 1939 में प्रथम विश्वयुद्ध के कारण (Cause of the First World War) प्रथम विश्वयुद्ध का कोई एक प्रमुख कारण नहीं था बल्कि ऐसे कई कारण थे जिसके कारण इस युद्ध की शुरुआत हुई लेकिन फिर भी इस युद्ध के प्रारंभ होने के कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित है – 1. ऑस्ट्रेलिया – हंगरी के राजकुमार ‘ आर्कड्यूक फ्रांज फर्डिनेंड ‘ की हत्या प्रथम विश्वयुद्ध के प्रारंभ होने का सबसे प्रमुख एवं तत्कालीन कारण ऑस्ट्रेलिया – हंगरी के राजकुमार आर्कड्यूक फ्रांज फर्डिनेंड की हत्या क...

प्रथम विश्व युद्ध के कारण, परिणाम एवं प्रभाव पर निबंध

First World War in Hindi– विश्व के इतिहास में ऐसी कुछ घटनाएं घटी है जिसको न तो भुलाया जा सकता है और न ही उसे अनदेखा किया जा सकता है क्योकि उससे हमें कई बातों को समझने का अवसर मिलता है। वे घटनाएं ऐसी रही है जो, मानव सभ्यताओं को झकझोड़ कर रख दिया था। इतिहास की ऐसी ही एक घटना है जिसको, हम प्रथम विश्वयुद्ध ( First World War in Hindi) के नाम से जानते है। कौनसा युद्ध प्रथम विश्वयुद्ध (First World War in Hindi) दिनांक 28 जुलाई 1914 से लेकर 11 नवंबर 1918 तक जगह यूरोप, अफ्रीका, मध्य पूर्व, प्रशांत द्वीप समूह, चीन, हिंद महासागर, उत्तर और दक्षिण अटलांटिक महासागर युद्ध शक्ति मित्र राष्ट्र शक्ति (Allied Powers) केन्द्रीय शक्ति (Central Power) इंग्लैंड, जापान, संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, रूस और फ्रांस जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी ऑटोमन साम्राज्य और बुल्गारिया 5,525,000 सैनिक मारे गए 4,386,000 सैनिक मारे गए 12,832,000 सैनिक घायल हुए 8,388,000 सैनिक घायल हुए 4,000,000 नागरिक मारे गए 3,700,000 नागरिक मारे गए Table of Contents • • • • • • • • • • • • First World War in Hindi प्रथम विश्वयुद्ध का कार्यकाल 28 जुलाई 1914 से 11 नवम्बर 1918 तक था। इस काल में होने वाले देशो के बीच को विश्व युद्ध इसलिए कहा गया क्योंकि यह युद्ध उस समय तक के सबसे अधिक विनाशकारी थे और इसमें कई देशो ने भाग लिया था। माना तो यह भी जाता है कि प्रथम विश्व युद्ध के कारण आधी से ज्यादा दुनियां इसके युद्ध की अग्नि में जल रही थी। प्रथम विश्व युद्ध ( First World War in Hindi) यूरोप, एशिया व अफ्रीका महादेशो के बीच हुआ था। मगर फिर भी इसे मुख्य रूप से यूरोप का ही युद्ध कहा गया है। यह युद्ध इतना विनाशकारी था कि इसका प्रभाव पूरी दुनियां पर पड़...

प्रथम विश्व युद्ध के कारण एवं परिणाम का वर्णन

बोस्निया की राजधानी सराजेबो में आस्ट्रियन राजकुमार फ्रांसिस फर्डीनिण्ड की पत्नी सहित हत्या के कारण आस्ट्रिया ने 28 जुलाई, 1914 ई. को सर्बिया के विरूद्ध युद्ध की घोषणा कर दी। धीरे-धीरे यूरोप के देश इस युद्ध में शामिल होते गये और प्रथम विश्वयुद्ध आरंभ हो गया। इस युद्ध में एक ओर मित्र राष्ट्र (इंग्लैण्ड, फ्रांस एवं अमेरिका) थे तो दूसरी ओर जर्मनी के नेतृत्व में केन्द्रिय शक्तियाँ थीं। युद्ध के प्रारंभ के समय अमेरिका तटस्थ था मगर जब जर्मनी ने अमेरिका के जहाजों को पनडुब्बियों द्वारा डुबाया तो अमेरिका भी जर्मनी के विरूद्ध मित्र राष्ट्रों की ओर से युद्ध में शामिल हो गया। अमेरिका के मित्र राष्ट्रों के साथ आने से उनकी स्थिति मजबूत हुई। जर्मनी एवं उसके साथी परास्त हुये। 1 नवम्बर, 1918 ई. को युद्ध विराम हो गया। प्रथम विश्वयुद्ध का प्रारंभ 28 जुलाई, 1914 ई. को आस्ट्रीया के सर्विया पर आक्रमण के साथ ही प्रथम विश्व युद्ध आरंभ हो गया। 1 अगस्त, 1914 ई. को जर्मनी ने रूस के विरूद्ध युद्ध की घोषणा कर दी। 3 अगस्त, 1914 ई. को जर्मनी ने फ्रांस के विरूद्ध युद्ध की घोषणा कर दी। 4 अगस्त, 1914 ई. को इंग्लैण्ड ने जर्मनी के विरूद्ध युद्ध की घोषणा कर दी। 4 अगस्त, 1914 ई. को ही अमेरिकी राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने तटस्थ रहने की घोषणा की। 6 अप्रैल, 1917 ई. को अन्तत: अमेरिका ने भी मित्र राष्ट्रों के पक्ष में प्रथम विश्व युद्ध में प्रवेश किया। इस प्रकार 28 जुलाई, 1914 को प्रथम विश्व युद्ध आरंभ हो गया। एक के बाद एक देश इस युद्ध में शामिल होते चले गये। प्रारंभिक दौर में जर्मनी एवं उसके साथियों ने मित्र राष्ट्रों को कई मोर्चो पर शिकस्त दी। अमेरिका के युद्ध में प्रवेश होते ही पासा पलट गया। अमेरिकी मित्र देश जीतेत...

प्रथम विश्व युद्ध

टैग्स: • परिचय • 28 जुलाई, 1914 से 11 नवंबर, 1918 तक चले प्रथम विश्व युद्ध (WW I) को ‘ महान युद्ध’ के नाम से भी जाना जाता है। • WW I मुख्य शक्तियों और मित्र देशों के मध्य लड़ा गया था। • मित्र देशों में फ्राँस, रूस और ब्रिटेन जैसे शक्तिशाली देश शामिल थे। वर्ष 1917 के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका भी (मित्र देशों की ओर से) युद्ध में शामिल हो गया था। • केंद्रीय शक्तियों में शामिल प्रमुख देशों में जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी, ऑटोमन साम्राज्य और बुल्गारिया आदि देश थे। युद्ध के कारण विश्व को WW I की ओर धकेलने वाले कारकों में कोई एक घटना या एक कारण प्रमुख नहीं था, बल्कि ऐसे बहुत से कारण थे जिनके सिलसिलेवार प्रकटन ने समस्त विश्व को इस भयानक त्रासदी को झेलने के लिये विवश कर दिया। • जर्मनी की नई अंतर्राष्ट्रीय विस्तारवादी नीति: वर्ष 1890 में जर्मनी के नए सम्राट विल्हेम द्वितीय ने एक अंतर्राष्ट्रीय नीति शुरू की, जिसने जर्मनी को विश्व शक्ति के रूप में परिवर्तित करने के प्रयास किये। इसी का परिणाम रहा कि विश्व के अन्य देशों ने जर्मनी को एक उभरते हुए खतरे के रूप में देखा जिसके चलते अंतर्राष्ट्रीय स्थिति अस्थिर हो गई। • परस्पर रक्षा सहयोग (Mutual Defense Alliances): संपूर्ण यूरोपियन राष्ट्रों ने आपसी सहयोग के लिये रक्षा समझौते और संधियाँ कर ली। इन संधियों का सीधा सा अर्थ था कि यदि यूरोप के किसी एक राष्ट्र पर शत्रु राष्ट्र की ओर से हमला होता है तो उक्त राष्ट्र की रक्षा हेतु सहयोगी राष्ट्रों को सहायता के लिये आगे आना होगा। • त्रिपक्षीय संधि (Triple Alliance) , वर्ष 1882 की यह संधि जर्मनी को ऑस्ट्रिया-हंगरी और इटली से जोड़ती है। • त्रिपक्षीय सौहार्द (Triple Entente) , यह ब्रिटेन, फ्राँस और रूस से संबद...

प्रथम विश्व युद्ध के कारण और परिणाम

प्रथम विश्व युद्ध, उस समय का महायुद्ध, जिसे यूरोप में एक उपरिकेंद्र के साथ एक अंतर्राष्ट्रीय सशस्त्र संघर्ष था, जो 1914 से 1918 तक फैला था। आइए देखते हैं इसके मुख्य कारण और परिणाम विकास में। प्रथम विश्व युद्ध के कारण राष्ट्रवाद का कट्टरपंथीकरण 19 वीं शताब्दी के अंत में, यूरोपीय कल्पना में राष्ट्रवाद की विचारधारा को समेकित किया गया था। राष्ट्रवाद ने यह विचार उठाया कि एक साझा संस्कृति, भाषा, अर्थव्यवस्था और भूगोल के आधार पर लोगों को एकजुट किया जाएगा और इससे एक ऐसी नियति सामने आएगी जिसके लिए वह पैदा हुआ होगा। इसके साथ ही, राष्ट्रवाद ने इस विचार को अंगीकार किया और ग्रहण किया कि राष्ट्र के प्रशासन का वैध तरीका राष्ट्रीय स्वशासन है। इन परिस्थितियों में, पहले से ही गठित राष्ट्र अपनी पहचान को परिभाषित करने और अपने भाग्य की खोज में दूसरों के खिलाफ प्रतिस्पर्धा करने के लिए प्रतीकों और तत्वों का एक समूह बनाने के लिए लड़ेंगे। उन क्षेत्रों में जहां शाही मॉडल कायम रहे, जैसे कि ओटोमन साम्राज्य और ऑस्ट्रो-हंगेरियन साम्राज्य, कटाव की प्रक्रिया शुरू हुई। हथियार उद्योग का घातीय विकास हथियार उद्योग भी विकास के बहुत उच्च स्तर पर पहुंच गया, जिसमें नए और बेहतर हथियारों के डिजाइन शामिल थे: जैविक हथियार, फ्लेमथ्रो, मशीन गन, ग्रेनेड, युद्ध टैंक, युद्धपोत, पनडुब्बी, विमान, आदि। देशों ने इन हथियारों के निर्माण में बड़ी मात्रा में धन का निवेश किया था और ऐसे लोग भी थे जो इनका उपयोग करने के लिए तैयार थे। यूरोपीय साम्राज्यवाद का विस्तार 20 वीं शताब्दी में औद्योगिक उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादन में अधिकता थी, जिसके लिए नए बाजारों की आवश्यकता थी, साथ ही अधिक और नए कच्चे माल के अधिग्रहण की भी आवश्यकता थी। राष...

ज्ञान की बात:कुछ इस तरह से शुरू हुआ था 'प्रथम विश्व युद्ध', काफी भयानक है इसका इतिहास

प्रथम विश्व युद्ध के बारे में आपने इतिहास की कई किताबों में बहुत कुछ पढ़ा होगा। वैसे तो 1914 से 1918 तक लड़ा गया यह महायुद्ध यूरोप, एशिया और अफ्रीका तीन महाद्वीपों के समुद्र, धरती और आकाश में लड़ा गया था, लेकिन मुख्य रूप से इसे यूरोप का महायुद्ध ही कहा जाता है। अब बाकी कुछ जानने से पहले ये जान लेते हैं कि आखिर इस लड़ाई को 'विश्व युद्ध' क्यों कहा जाता है और दुनिया पर इसका प्रभाव पड़ा था। दरअसल, इस लड़ाई में भाग लेने वाले देशों की संख्या, इसका क्षेत्र (जिसमें यह लड़ा गया) और इससे हुई क्षति के अभूतपूर्व आंकड़ों के कारण ही इसे 'विश्व युद्ध' कहा जाता है। प्रथम विश्व युद्ध के लिए किसी एक घटना को उत्तरदायी नहीं ठहरा सकते हैं। इस युद्ध को 1914 तक हुई विभिन्न घटनाओं और कारणों का परिणाम माना जा सकता है। हालांकि, फिर भी इस युद्ध का तात्कालिक कारण तो यूरोप के सबसे विशाल ऑस्ट्रिया-हंगरी साम्राज्य के उत्तराधिकारी आर्चड्यूक फर्डिनेंड और उनकी पत्नी की बोस्निया में हुई हत्या को ही माना जाता है। 11 नवंबर 1918 को आधिकारिक रूप से जर्मनी के सरेंडर करने के बाद युद्ध समाप्त हो गया। इसी कारण 11 नवंबर को प्रथम विश्व युद्ध का आखिरी दिन भी कहा जाता है। इसके बाद 28 जून 1919 को जर्मनी ने वर्साय की संधि, जिसे शांति समझौता भी कहते हैं, पर हस्ताक्षर किए, जिसकी वजह से उसे अपनी भूमि के एक बड़े हिस्से से हाथ धोना पड़ा। साथ ही उसपर दूसरे राज्यों पर कब्जा करने की पाबंदी लगा दी गई और उसकी सेना का आकार भी सीमित कर दिया गया। माना जाता है कि वर्साय की संधि को जर्मनी पर जबरदस्ती थोपा गया था। इस वजह से हिटलर और जर्मनी के अन्य लोग इसे अपमान मानते थे और माना जाता है कि यही अपमान दूसरे विश्व युद्ध की वजह भी बना। Discl...

प्रथम विश्व युद्ध : कारण एवं परिणाम

इस इकाई के अध्ययन के बाद आप • विश्व इतिहास में एक अत्यंत महत्वपूर्ण घटना के रूप में प्रथम विश्व युद्ध के महत्व की जानकारी प्राप्त कर सकेंगे, • 1914 की भयावह परिस्थिति के कारणों की जानकारी प्राप्त कर सकेंगे, • इस युद्ध में शामिल देशों तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर, दोनों पर युद्ध के परिणामों के विषय में जान सकेंगे, • भारत पर युद्ध के प्रभावों के विभिन्न पक्षों को समझ सकेंगे। प्रथम विश्व युद्ध के विषय पर जानकारी प्राप्त करते समय सर्वप्रथम यह ध्यान रखना आवश्यक है कि यह युद्ध 19वीं शताब्दी के अंतिम दो-तीन दशकों में युरोप तथा विश्व के अन्य भागों में होने वाले घटना क्रम का परिणाम था, इन पृष्ठों पर आपके समझ यह स्पष्ट हो सकेगा कि यद्यपि यह केवल एक युद्ध था किंतु अंतर्राष्ट्रीय पैमाने पर इसका अभूतपूर्व प्रभाव पड़ा। इस युद्ध ने उस समय के अनेक सामाजिक-आर्थिक एवं राजनैतिक संरचनाओं को ध्वस्त कर दिया। यहाँ हमारा मुख्य उद्देश्य इस युद्ध के मुख्य कारणों एवं परिणामों से आपको अवगत कराना है। आप पढ़ोगे • 1 प्रथम विश्व युद्ध के कारण • 1.1 गुप्त संधि प्रणाली • 1.2 सैन्यवाद • 1.3 राष्ट्रवाद • 1.4 साम्राज्यवाद की अपनी आवश्यकताएँ • 1.5 समाचार पत्र, प्रेस एवं जनमत • 1.6 तात्कालिक कारण • 2 युद्ध के परिणाम • 2.1 मानव जीवन की क्षति • 2.2 सामाजिक एवं आर्थिक परिवर्तन • 2.3 जनतांत्रिक आदर्श • 2.4 1919 का पेरिस सम्मेलन • 2.5 नया शक्ति संतुलन • 2.6 अंतर्राष्ट्रीय साधन • 3 विश्वयुद्ध और भारत • 4 सारांश प्रथम विश्व युद्ध के कारण प्रथम विश्व युद्ध के कारण इतने पेचीदे हैं कि उनकी यथोचित व्याख्या करने का अर्थ होगा यूरोप का 1870 के बाद की राजनैतिक कूटनीति का इतिहास लिखना। दरअसल इसके कारण ढूँढ़ने की प्रक्रिया में हम...