पशुपति व्रत में अगर कोई गलती हो जाए तो क्या करें

  1. Shardiya Navratri 2020:जब गलती से हो जाए व्रत खंडित, तो करें ये उपाय
  2. Kundli Tv
  3. गुरुवार की व्रत एवं पूजा विधि
  4. पशुपति व्रत में क्या खाना चाहिए और क्यों खाना चाहिए
  5. पशुपति व्रत कब नहीं करना चाहिए?
  6. पशुपति व्रत की संपूर्ण जानकारी – पंडित प्रदीप मिश्रा
  7. पशुपति व्रत करने की पूरी विधि और नियम पशुपति व्रत का फल कब मिलता है
  8. पशुपति व्रत में अगर कोई गलती हो जाए तो क्या करें? Pashupati vrat mein agar koi galti ho jaye to kya kare
  9. Pashupati Vrat विधि तथा नियम


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Shardiya Navratri 2020:जब गलती से हो जाए व्रत खंडित, तो करें ये उपाय

Shardiya Navratri 2020: शारदीय नवरात्रि का समय चल रहा है। मां शक्ति की उपासना के इस महापर्व में नौ दिनों तक व्रत रखे जाते हैं। धार्मिक शास्त्रों के नियमानुसार, देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए, उन्हें प्रसन्न करने के लिए व्रत रखा जाता है। लेकिन कई बार व्रत भूलवश भंग या टूट जाता है और व्रत दोष उत्पन्न होता है। ऐसे धर्म संकट से बचने के लिए भी शास्त्रों में नियमों का उल्लेख है। आइए जानते हैं व्रत खंडित होने पर क्या करना चाहिए।

Kundli Tv

• 2 hours ago • 4 hours ago • 5 hours ago • 6 hours ago • 8 hours ago • 8 hours ago • 8 hours ago • 8 hours ago • 9 hours ago • 11 hours ago • 11 hours ago • 11 hours ago • 13 hours ago • 14 hours ago • 15 hours ago • 16 hours ago • 19 hours ago • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • yesterday • 38.8°C ये नहीं देखा तो क्या देखा (देखें VIDEO) पूजा-पाठ, हवन-यज्ञ आदि कोई भी धार्मिक काम करते समय जान-अनजाने में भूल हो जाती है। जिससे मन में वहम आने लगता है, जानें भविष्य में क्या गलत होगा या किसी अनहोनी का भय हर दम-हर पल सताता रहता है। कुछ ज्यादा गलत होने पर देवी-देवताओं के प्रकोप का भय भी बना रहता है। आपके साथ भी जब कुछ ऐसा हो जाए तो देवी-देवताओं से अपराध के लिए क्षमा मांगे और इस मंत्र का जाप करें। "अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया। दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वर।। गतं पापं गतं दु:खं गतं दारिद्रय मेव च। आगता: सुख-संपत्ति पुण्योऽहं तव दर्शनात्।।" वास्तु के अनुसार कुछ बातों का रखें ध्यान घर के पूर्व-उत्तर में पूजा का स्थान सर्वोत्तम माना गया है। इस स्थान पर पूजा स्थल होने से घर में रहने वालों को शांति, सुकून, धन, प्रसन्नता और स्वास्थ्य का लाभ मिलता है। सीढिय़ों या रसोई घर के नीचे, शौचालय के ऊपर या नीचे कभी भी पूजा का स्थान नहीं बनाना चाहिए। उत्तर-पूर्व के कोण को ईशान कोण माना गया है। ईशान कोण वैसे भी देवताओं का स्थान माना गया है। यहां स्वयं भगवान शिव का भी वास होता है। देव गुरु बृहस्पति और केतु की दिशा भी ईशान कोण ही माना गया है। यही कारण है कि यह कोण पूजा-पाठ या ...

गुरुवार की व्रत एवं पूजा विधि

गुरुवार बृहस्पतेश्वर महादेव व्रत पूजा विधि एवं व्रत कथा का लाभ (Guruvar (Brihaspativar) vrat pooja vidhi in hindi) Brihaspativar Vrat Vidhi In Hindi Guruvar Vrat Pooja Vidhi : हिन्दू धर्म में गुरुवार व्रत भगवान बृहस्पतिदेव तथा जगत पालक श्री हरि विष्णु भगवान को समर्पित बहुत ही महत्वपूर्ण व्रत है। कई स्थानों पर इस दिन बृहस्पतिदेव स्वरुप पवित्र पेड़ केले की भी पूजा की जाती है। पुराणों के अनुसार इच्छित फल विद्या, पुत्र धन – धान्य आदि की प्राप्ति के लिए गुरुवार व्रत किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि गुरुवार का व्रत पूरे विधि – विधान के साथ करने से व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है तथा यह हर स्त्री – पुरुष के लिए सामान्य रूप से फलदायी है। अग्नि पुराण में कहा गया है कि किसी भी माह के शुक्ल पक्ष में अनुराधा नक्षत्र और गुरुवार के योग के दिन इस व्रत की शुरुआत करना चाहिए। गुरुवार का व्रत लगातार सात गुरुवार तक करने से व्रती का गुरु ग्रह से उत्पन्न होने वाला अनिष्ट नष्ट हो जाता है। गुरुवार के व्रत की कथा एवं पूजा विधि बृहस्पतिवार अथवा गुरुवार के व्रत में स्त्री – पुरुष को सूर्योदय से पूर्व उठकर घर की स्वच्छता की ओर ध्यान देना चाहिए खासकर पूजा स्थान की विशेष साफ सफाई करनी चाहिए । तत्पश्चात नित्य क्रिया से निवृत्ति होकर स्नान करने के बाद गुरुवार व्रत रखने का संकल्प लेना चाहिए तथा बृहस्पतिदेव महादेव आपकी इच्छओं को पूर्ण करेंगें ऐसे दृढ़ विश्वास के साथ बृहस्पतिवार की यथाविधि पूजा करनी चाहिए । –> बृहस्पति भगवान का व्रत पीले वस्त्र धारण करके ही करना चाहिए तथा पूजन में व्रत-धारी को केवल पीली वस्तुए जैसे – पीले फूल, पीला चंदन, पीला फल, पीली दाल आदि से पूजन करना चाहिए और इन्हीं वस्तुओं क...

पशुपति व्रत में क्या खाना चाहिए और क्यों खाना चाहिए

अधिकतर महिलाओं को नहीं पता है पशुपति व्रत में क्या खाना चाहिए पशुपति व्रत यह वर्त भारत में महिलाए करती है जिसमे महिलाए पूरा दिन उपवास रखती है उसे पहले जाने की पशुपति नाथ का अर्थ क्या होता है पशु का मतलंब है जिव और पति का मतलब होता है सवामी और नाथ का मतलब होता है भगवान इसका मतलब पुरे संसार दुनिया का मालिक पशुपति नाथ भगवान है पशुपति नाथ का एक और अर्थ होता है जिसे जीवन का मालिक भी कहाँ जाता है पुरे विशव में आपको पशुपति के दो मंदिर देखने को मिलेगे जो बहुत प्रसिद्ध है पहला मंदिर है जो नेपाल के काठमांडू में है और दूसरा मंदिर है वह भारत के मंध्शोर में पाया जाता है इन दोनों मंदिर में विदेशो से भी लोग घुमने आते है इन दोनों ही मंदिर में सामान आकृति वाली मुर्तिया है पशुपति व्रत पुरे दिन का बुखे पेट व्रत होता है परन्तु जिनमे बहुत क्युकी यह 1 दिन का भी होता है 2 दिन का भी होता है 3 दिन का भी होता है और महीने का भी होता है एसे में आप एक महिना उपवास नहीं रख सकती हो एसे में आप उपवास के समय किन चीजो का सेवन कर सकती है यह जानते है (1) . फ्रूट का सेवन कर सकते है आप अगर लबे समय तक वर्त रखना चाहती है तो आप फ्रूट का सेवन कर सकती हो इसे आपको थकावट नहीं होती है और आप वर्त भी आसानी से रख सकती हो परन्तु आपको सीजन के अनुसार ही फलो का सेवन करना है परन्तु एक बात का ध्यान रखे की आपको फल सुबह की पूजा से पहले नहीं खाने है व्रत के संकल्प से पहले आपको कुछ भी ग्रहण नहीं करना है इस बात का आप अछे से ध्यान रखे किन फलो का सेवन आप कर सकती है (1) . चीकू (2) . (3) . (4) . अमरुद (5) . (6) . (7) . अनानास (8) . स्ट्रोबेरी (9) . इन सभी फलो का सेवन आप पशुपति व्रत में कर सकते है पर एक बात का आपको ध्यान देना होगा की आपको...

पशुपति व्रत कब नहीं करना चाहिए?

दोस्तों क्या आप भी जानना चाहते हैं पशुपति व्रत की संपूर्ण सामग्री (pashupati vrat samagri) के बारे में तो आप इस आर्टिकल को पूरा पड़े तथा दूसरों के साथ भी यह जानकारी शेयर करे चलिए जानते हैं। • पशुपति व्रत की संपूर्ण सामग्री। Pashupati vrat samagri • पशुपति व्रत में पूजा की थाली तैयार करने की विधि • दिए लगाने का नियम • शाम के प्रसाद पशुपति व्रत में पूजा की थाली तैयार करने की विधि सबसे पहले हम पंचामृत रखेंगे इसको बनाने के लिए आप दूध, दही ,शक्कर या मिश्री, शहद, घी (शहद तथा घी कम मात्रा में मिलाए) को मिलाकर एक कटोरी में रख ले। इसके बाद एक लोटा जल उसमें थोड़े अक्षत (अक्खे चावल) तथा शक्कर मिला ले वे। आवश्य पड़े: पशुपति व्रत की सम्पूर्ण विधि, नियम, आहार इसके बाद थोड़े अक्षत (बिना खंडित चावल), लाल चंदन भोले बाबा को समर्पित करने के लिए एक बात का अवश्य ध्यान रखना है कि भगवान शिव पर रोली नहीं चढ़ाई जाती। इसके स्थान पर हम लाल चंदन का उपयोग करते हैं जो कि भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। पूजन सामग्री में अबीर, कुमकुम, पीला चंदन, अष्टगंधा, तथा बेलपत्र यदि बेलपत्र उपलब्ध नहीं हो तो मन्दिर में रखें बेलपत्र धोकर पुनः उपयोग कर सकते हैं।, धतूरा दिए लगाने का नियम 6 घी के दीपक ले कर जाना हे , पांच दिए मन्दिर में ही लगना हे तथा एक दिया घर पर प्रवेश करने से पहले दाए हाथ पर दहलीज पर लगाए। खड़े मूंग 108, चावल के दाने 108 शाम के समय लेकर जाना है। तुलसी दल(आखिरी पशुपति व्रत में) शाम के प्रसाद शाम को प्रसाद आप बनाए तथा आप कुछ भी मीठा भोग शिव जी को लगाएं जेसे खीर, हलवा इत्यादि। मन्दिर में भगवान शिव के सामने इस प्रसाद के तीन हिस्से करे प्रसाद का तीसरा भाग और एक दिया अपने साथ घर पर लेकर आना है। लेकिन याद रख...

पशुपति व्रत की संपूर्ण जानकारी – पंडित प्रदीप मिश्रा

पशुपति व्रत किस तरह करे, पशुपति व्रत की सम्पूर्ण विधि, पशुपतिनाथ व्रत की विधि, पशुपति व्रत कैसे करे– संपूर्ण जानकारी | पशुपतिनाथ का व्रत करने का मुख्य उद्देश्य भगवान शंकर को प्रसन्न करना होता है से पूर्व भक्तों को यह जानकारी होना चाहिए कि व्रत करने का उद्देश्य मात्र भूखा रहना नहीं है अपितु भक्त उपवास को प्राथमिकता इसलिए दे रहा है ताकि वह अपने जीवन में आध्यात्मिक उन्नति कर सकें। पशुपति नाथ जी की कथा शिव महापुराण और रूद्र पुराण में कई बार वर्णन आता है कि जो भक्त पशुपतिनाथ जी की कथा का श्रवण करता है , श्रवण मात्र से उसके सारे पापों का अंत हो जाता है, उसे असीम आनंद की प्राप्ति होती है और वह शिव का अत्यधिक प्रिय बन जाता है। एक समय की बात है जब शिव चिंकारा का रूप धारण कर निद्रा ध्यान में मग्न थे। उसी वक्त देवी-देवताओं पर भारी आपत्ति आन पड़ी, और दानवों और राक्षसों ने तीन लोक में, स्वर्ग में त्राहि-त्राहि मचा दी तब देवताओं को भी यह स्मरण था कि इस समस्या का निदान केवल शंकर ही कर सकते हैं। इसलिए वह शिव को वाराणसी वापस ले जाने के प्रयत्न करने के लिए शिव के पास गए। परंतु जब शिव ने सभी देवी देवता पशुपति व्रत किस तरह करे, पशुपति व्रत की सम्पूर्ण विधि, पशुपतिनाथ व्रत की विधि, पशुपति व्रत कैसे करे– संपूर्ण जानकारी | पशुपतिनाथ का व्रत करने का मुख्य उद्देश्य भगवान शंकर को प्रसन्न करना होता है से पूर्व भक्तों को यह जानकारी होना चाहिए कि व्रत करने का उद्देश्य मात्र भूखा रहना नहीं है अपितु भक्त उपवास को प्राथमिकता इसलिए दे रहा है ताकि वह अपने जीवन में आध्यात्मिक उन्नति कर सकें। पशुपति नाथ जी की कथा शिव महापुराण और रूद्र पुराण में कई बार वर्णन आता है कि जो भक्त पशुपतिनाथ जी की कथा का श्रवण करता...

पशुपति व्रत करने की पूरी विधि और नियम पशुपति व्रत का फल कब मिलता है

श्री शिवाय नमस्तुभ्यं दोस्तों आज हम आप लोगों को पशुपति व्रत की पूरी जानकारी देने वाले हैं कि पशुपति व्रत कब करना चाहिए पशुपति व्रत कैसे किया जाता है पशुपति व्रत करने के फायदे क्या क्या होते हैं और इससे हमें क्या क्या मिलता है तो अगर आप लोग भी पशुपति व्रत करने का सोच रहे हैं पर आपको नियम और विधि नहीं पता है तो आज की हमारी यह जानकारी आप अंत तक जरूर पढ़ें इससे आपको बहुत कुछ सीखने और जानने को मिलेगा और आप आसानी से पशुपति व्रत को धारण कर पाएंगे। Table of Contents • • • • पशुपतिनाथ व्रत क्या है? पशुपतिनाथ का व्रत भोलेनाथ का ही व्रत है जो कि 5 सोमवार का व्रत होता है इस व्रत को आप किसी भी सोमवार से शुरू कर सकते हैं। अगर आपने निरंतर 5 सोमवार तक पूरे विधि और विधान से इस व्रत को धारण करके भगवान शिव की पूजा और आराधना की और जिस मनोकामना से आप इस व्रत को कर रहे होंगे वह मनोकामना निश्चित ही भगवान भोलेनाथ आपकी पूरी अवश्य करेंगे। पशुपतिनाथ व्रत कौन-कौन कर सकता है? पशुपतिनाथ का व्रत स्त्री या पुरुष कोई भी कर सकता है। पशुपति व्रत करने की पूरी विधि और नियम? जो भी व्यक्ति स्त्री या पुरुष पशुपति व्रत को धारण कर रहे हैं उन्हें कुछ विधि और नियमों का पालन करना चाहिए। सबसे पहले पशुपति व्रत आप किसी भी सोमवार से शुरू कर सकते हैं और यह व्रत सर सोमवार को ही रखा जाता है। अब आपको किसी भी सोमवार के दिन प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में या उसके बाद उठना है स्नान अधिक करना है शुद्ध वस्त्र पहनना है उसके बाद आपको अपने घर में भगवान की पूजा करना है। उसके बाद आपको भगवान शिव जी की शिवलिंग के लिए एक थाली को तैयार करना है जिसमें रोली, कुमकुम, चंदन, बेलपत्र शमी पत्र जो भी शिवलिंग पर चढ़ाने हेतु सामग्री आप पूजा के समय रख...

पशुपति व्रत में अगर कोई गलती हो जाए तो क्या करें? Pashupati vrat mein agar koi galti ho jaye to kya kare

सवाल: पशुपति व्रत में अगर कोई गलती हो जाए तो क्या करें? यदि आपने पशुपति व्रत का पालन किया है, तो आपको इसका उद्यापन भी करना होगा। पशुपति व्रत का उद्यापन पांच सोमवार के बाद किया जाता है। उद्यापन के दिन, आपको सुबह स्नान करके, साफ-सुथरे कपड़े पहनकर, मंदिर में जाकर, पंचमृत से भगवान पशुपतिनाथ का अभिषेक करना होगा। फिर, आपको पूजा की सामग्री, प्रसाद, फूल, बिल्वपत्र, रोली, चावल, सिन्दूर, सुपारी, मीठी सुपारी, मिश्री, मक्खन, मिठाई, पंचमेवा, पंचमृत, पंचमेले के पत्र, पंचमेले के फल, पंचमेले के पुष्प, पंचमेले की मला, पंचमेले की मिठाई, पंचमेले की बत्ती, पंचमेले का तेल, पंचमेले का धूप-दीप-नैवेद्य-कर्पूर-कुंकुम-सिन्दूर-सुपारी-मीठी सुपारी-मिश्री-मक्खन-मिठाई-पंचमेवा-पंचमृत-पंचमेले के पत्र-पंचमेले के फल-पंचमेले के पुष्प-पंचमेले की मला-पंचमेले की मिठाई-पंचमेले की बत्ती-पंचमेले का तेल-पंचमेले का धूप- ...``` ... -पंचमेले का दीप-पंचमेले का नैवेद्य-पंचमेले का कर्पूर-पंचमेले का कुंकुम-सिन्दूर-सुपारी-मीठी सुपारी-मिश्री-मक्खन-मिठाई-पंचमेवा-पंचमृत-पंचमेले के पत्र-पंचमेले के फल-पंचमेले के पुष्प-पंचमेले की मला-पंचमेले की मिठाई-पंचमेले की बत्ती-पंचमेले का तेल-पंचमेले का धूप-दीप-नैवेद्य-कर्पूर-कुंकुम-सिन्दूर-सुपारी-मीठी सुपारी-मिश्री-मक्खन-मिठाई-पंचमेवा-पंचमृत-पंचमेले के पत्र-पंचमेले के फल-पंचमेले के पुष्प-पंचमेले की मला-पंचमेले की मिठाई आदि भगवान पशुपतिनाथ को अर्पित करना होगा। उसके बाद, आपको पंचमेले की मला से भगवान पशुपतिनाथ को आरती करना होगा। आरती करते समय, आपको पंचमेले का मंत्र जपना होगा। पंचमेले का मंत्र है- ॐ पंचमेलाय नम: । ॐ पंचमेलाय नम: । ॐ पंचमेलाय नम: । . (21 बार). ॐ पंचमेलाय नम: । ॐ पंचमेलाय नम: ।...

Pashupati Vrat विधि तथा नियम

यह बात बिल्कुल सत्य है कि अगर हम किसी भी कार्य को पूरी श्रद्धा और विश्वास से करते हैं तो वह हमारा कार्य अवश्य पूरा होता है। आपने सुना होगा Pashupati Vrat के बारे में यह भगवान शिव शंकर का व्रत है और इसे करने से हमें जीवन में आने वाली सभी परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है | इस पोस्ट में हम पशुपति व्रत के नियम, पूजा विधि, आरती व्रत, कैसे करें, क्या खाएं, के बारे में जानेंगे। पशुपति व्रत कब और कैसे किया जाता है ? पशुपति व्रत का नियम क्या है? Pashupati Vrat की महिमा क्या है ? पशुपती व्रत से क्या फल मिलता है ? पशुपतिनाथ का व्रत सभी लोग अपने-अपने तरीके से कर रहे हैं इसलिए आपको सावधान रहना चाहिए क्योंकि अगर आप व्रत को गलत तरीके से करते हैं तो आपको पशुपति व्रत का फल नहीं मिलेगा इसलिए आपको व्रत की पूरी विधि जानने के बाद ही यह व्रत करना चाहिए| Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • पशुपति व्रत के फल ( Pashupati Vrat) हिंदू धर्म में व्रत और कथा का बहुत महत्व है। इसमें भगवान भोले नाथ का Pashupati Vrat अद्भुत है। यदि आप इस व्रत को पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ करते हैं तो भगवान शिव शंकर आपको अवश्य फल देंगे| आपके जीवन में कोई समस्या है जैसे नौकरी की समस्या, आप अपने काम से परेशान हैं, आपकी पढ़ाई ठीक नहीं चल रही है, आपको कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, अचानक आपके जीवन में कोई बड़ी समस्या है। संतान, मनोकामना पूर्ण करने के लिए भगवान पशुपतिनाथ का व्रत किया जाता है | पशुपति व्रत कब शुरू करें? दोस्तों पशुपतिनाथ व्रत करने का कोई निश्चित महीना नहीं होता है आप इसे किसी भी महीने से कर सकते हैं | इसलिए आपको कोई तारीख या मुहूर्त देखने की जरूरत नहीं है कृष्ण पक्ष हो या शुक्ल पक्ष, याद र...