Punarnava ke fayde

  1. पुनर्नवादि मंडूर के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि और प्राइस
  2. पुनर्नवा के फायदे और नुकसान
  3. पुनर्नवा के फायदे जो रखे आपको जवान
  4. पुनर्नवा के गुण उपयोग फायदे और नुकसान
  5. पुनर्नवा वटी के 5 फायदे: 5 benefits of Punarnava Vati in Hindi


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पुनर्नवादि मंडूर के फायदे, नुकसान, उपयोग विधि और प्राइस

पुनर्नवादि मंडूर, में पुनर्नवा और मंडूर के अतिरिक्त गोमूत्र, त्रिफला, त्रिकटु विडंग, हरदी, दारुहल्दी, मोथा आदि घटक हैं जो की यकृत-प्लीहा, उदर, रक्त, आदि के सही काम करने में सहयोग करते हैं। यह खून की कमी को दूर करती है। पुनर्नवादि मंडूर, एक मंडूर कल्प है। मंडूर कल्प वह दवाएं हैं जिनमें मुख्य घटक शोधित मंडूर होता है। मंडूर भी एक तरह का लोहा है पर यह लौह भस्म से अधिक सौम्य है। यह शरीर में ज्यादा अच्छे से अवशोषित होता है और पचने में भी हल्का है। मंडूर कल्प में से गोमूत्र की तेज गंध आती है। मंडूर कल्प अपनी पोटेंसी को लम्बे समय तक बनाये रखते है। इनको नमी से दूर रखा जाना चाहिए। पुनर्नवादि मंडूर, में पुनर्नवा और मंडूर के अतिरिक्त गोमूत्र, Punarnavadi Mandur is a herbometallic Ayurvedic medicine. The main ingredient of this medicine is Punarnava and Mandoor. Mandoor is a type of iron preparation. Punarnava is pungent, bitter and astringent in taste (rasa), pungent in the post digestive effect (vipaka) and has hot potency. It contains about 0.04 – 0.1% of alkaloid known as punarnavine (M.P. 235°C) and punernavoside, an antifibrinolytic agent. It also contains about 6% of potassium nitrate, an oily substance, and ursolic acid. It is stomachic, laxative, diuretic, aphrodisiac, diaphoretic, emetic, expectorant, febrifuge and laxative. It is especially useful in kidney and liver diseases, anasarca, ascites and jaundice. Here is given more about this medicine, such as indication/therapeutic uses, Key Ingredients and dosage in Hindi language. पुनर्नवादि मंडूर के घटक | Ingredients of Punar...

पुनर्नवा के फायदे और नुकसान

प्रकृति की गोद में ऐसी कई पुनर्नवा भी ऐसी ही एक जड़ी बूटी है जो हमारी सेहत में सुधार कर आयु को बढ़ाने में मदद करती है। इसका पौधा बरसात के महीनों में अधिकांश उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उगता है। भारत के कुछ भागों जैसे कि पश्चित बंगाल और असम में पुनर्नवा का इस्‍तेमाल भोजन पकाने में भी किया जाता है। (और पढ़ें - पुनर्नवा में अनेक औषधीय गुण होते हैं जो सेहत में सुधार करने और पुनर्नवा के तने का रंग जामुनी होता है। इसके पत्ते छोटे और बड़े दोनों तरह के होते हैं। पुनर्नवा के फूल सफेद या गुलाबी/लाल रंग के हो सकते हैं। एक रिसर्च की मानें तो पुनर्नवा की सफेद किस्मतीनों दोष ( पुनर्नवा के बारे में तथ्‍य: • वानस्‍पतिक नाम: बोअरहेविया डिफ्यूजा • कुल: निक्‍टैजिनेसी • सामान्‍य नाम: पुनर्नवा, पिगवीड, साटी, सांठ, गदहपुरना, हॉगवीड • संस्‍कृत नाम: विषखपरा, पुनर्नवा • उपयोगी भाग: पत्तियां, बीज और जड़ • भौगोलिक विवरण: पुनर्नवा भारत, अमेरिका और अफ्रीका के जंगली क्षेत्रों में पाई जाती है। • गुण: शीतल • • • • • • • • • • • • • • • • • • पुनर्नवा के अन्य फायदे निम्न - • यहाँ बताए गये सभी रोगों के अलावा शरीर को स्वस्थ बनाएरखने के लिए पुनर्नवा की सब्जी या पत्तों का रस काली मिर्च तथा • पुनर्नवा भूख बढ़ाता है, • यह शरीर को मजबूत और कफ वात दोषों को संतुलित करता है। इस तरह यह रोगों के लिए प्रतिरक्षा को बढ़ाने में मदद करता है। (और पढ़ें - • पुनर्नवा एक अच्छा मूत्र-वर्धक (diuretic) है। मूत्र-वर्धक में उपयोग के अलावा • पुनर्नवा के बीज को (और पढ़ें - हुमारे देश में (और पढ़ें - myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Yakritas Ca...

पुनर्नवा के फायदे जो रखे आपको जवान

प्रकृति ने मानव जीवन को स्वस्थ्य रखने के लिए एक से बढ़कर एक बेहतरीन जड़ीबूटियां भेंट स्वरुप प्रदान किया है। जिसके उपयोग से मनुष्य अपने जीवन की कई समस्याओं को बिना किसी झंझट के आसानी से हल कर सकता है। इन्ही विशेष जड़ीबूटियो में से एक "पुनर्नवा" है । पुनर्नवा के फायदे (Punarnava Benefits in Hindi) अनेक है, यह बहुत उपयोगी है पर इसकी विशेषताओं से अत्यधिक लोग अपरिचित है। पुनर्नवा खासतौर से भारत, अफ्रीका, म्यांमार और उत्तर व दक्षिण अमेरिका में पाया जाने वाला एक उपयोगी औषधि है। इसका वानस्पतिक नाम बोअरहेविया डिफ्यूजा (Boerhavia Diffusa) है। यह नाइसटैजिनेसी (Nyctaginaceae) कुल का पौधा माना जाता है। यह गर्मियों के मौसम में सुख जाता है तथा बारिश का मौसम आने पर अपने आप फिर से खिल उठता है। आयुर्वेद के अनुसार पुनर्नवा का मतलब शरीर को ऊर्जावान बनाना होता है। पुनर्नवा संस्कृत के दो शब्द पुनः+नवा से मिलकर बना है, जिसमे पुनः का मतलब होता है "फिर से" और नवा का मतलब "नया" यानि जो आपके शरीर को फिर से नया (जवान) कर दे वो है पुनर्नवा। इसके उपयोग से शरीर कई प्रकार के रोगो से मुक्त रहता है और आप 65 से अधिक के उम्र में भी जवान महसूस करते है। एक अध्ययन के मुताबिक, पुनर्नवा को चिकित्सीय गतिविधियों यानी थेराप्यूटिक एक्टिविटी के लिए जाना जाता है। इसकी जड़ों में आइसोफ्लेवोनोइड्स पाया जाता है, जिसे फ्लेवोनोइड्स, फ्लेवोनोइड ग्लाइकोसाइड्स, जैंथोन्स, प्यूरीन न्यूक्लियोसाइड, लिग्नन्स, इक्सीस्टीरॉइड्स और स्टैरिड्स के रूप में भी जाना जाता है। यह स्वास्थ्य के लिए लाभकारी साबित हो सकता है। इसके अलावा, इसमें इम्यूनोमॉड्यूलेशन, हेपेटोप्रोटेक्शन, एंटीकैंसर, एंटीडायबिटिक, एंटी-इन्फ्लेमेशन और ड्यूरेसिस गतिविधि पाई जाती ह...

पुनर्नवा के गुण उपयोग फायदे और नुकसान

4 पुनर्नवा के नुकसान (punarnava ke nuksan in hindi) पुनर्नवा क्या है इसकी पहचान (punarnava kya hota hai) प्रायः पुनर्नवा (विषखपरा) को सभी लोग जानते हैं । यह क्षुप जाति की बेल वर्षा ऋतु में ही फैलती है। आयुर्वेद मतानुसार पुष्प के वर्ण भेद से यह तीन प्रकार की होती है-1. श्वेत, 2. लाल और, 3. नीली पुनर्नवा । इनमें श्वेत और रक्त पुनर्नवा बहुतायत से देखने में आती है । औषधि रूप में श्वेत पुनर्नवा विशेष गुणकारी सिद्ध हो चुकी है । इसकी उत्पत्ति कंकरीली और मिट्टी मिली हुई ताकतवर जमीन में होती है । खोदने पर मिट्टी की ताकत के हिसाब से (शकरबन्द के समान) मोटी या पतली (1-2 फुट तक लम्बी) जड़ पाई जाती है। जिस जगह से इसकी जड़ काट दी जाती है, वहाँ एक प्रकार का पीलापन लिए हुए चेप निकलता है। (यह चॅप वस्त्रों में धब्बा डाल देता है) इस कन्द का स्वाद मीठा न होकर कड़वा रहता है । मुख में डालने पर थूक पैदा कर देता है तथा इसको मुख से निकाल देने पर 15-20 मिनट तक ज़ीभ कड़ी और रूखी हो जाती है। पुनर्नवा के पत्तों का रस गरम होता है। इसकी लुगदी में ताम्र होता है। इसका अर्क समस्त प्रकार के नेत्रों के रोगों को नष्ट करने वाला हो जाता है। यदि इसका अधिक मात्रा में सेवन किया जाए तो वमन हो जाता है इसकी पत्ता की भाजी (शाक) बनाकर खाने से शोथ (सूजन) में बहुत फायदा होता है। (नोट-श्वेत पुनर्नवा की ही भाजी बनाकर खाना उत्तम है क्योंकि लाल पुनर्नवा की भाजी अत्यधिक तीक्ष्ण होती है, अत: खाई नहीं जाती है)। पुनर्नवा के औषधीय गुण (punarnava ke gun in hindi) • पुनर्नवा की जड़ सौम्य, रेचक, मूत्रल और आंतों के कृमिजन्य रोगों को दूर करने की क्षमता से युक्त है । • पुनर्नवा गरम, कड़वी, चरपरी, कसैली, अग्नि प्रदीपक, दस्तावर, रूखी, हृद...

पुनर्नवा वटी के 5 फायदे: 5 benefits of Punarnava Vati in Hindi

वैसे ऐसा हर दवाई के साथ होता हो ये जरूरी नहीं है। हर दवाई के अपने फायदे और नुकसान हैं और हर इंसान के शरीर पर दवाई का प्रभाव अलग होता है। ऐसे कई लोग हैं जो एक ही दवाई से ठीक हो जाते हैं जबकि कुछ अन्य के लिए कई दवाइयों का इस्तेमाल करना पड़ता है। आप खुद की सेहत को कैसे रखते हैं ये आप पर निर्भर करता है। हम शरीर के कई जरूरी अंगों का ध्यान नहीं रखते हैं जिसकी वजह से काफी परेशानी पेश आती है। इनकी वजह से हमें ना सिर्फ डॉक्टर्स से मिलना पड़ता है बल्कि हम ऐसी कई चीजों के बारे में जानते हैं जो हमारी सेहत और जीवन के लिए अच्छा नहीं है। अगर आप भी ऐसी किसी परेशानी के बारे में जानते हैं तो आप पुनर्नवा वटी का सेवन कर सकते हैं। पुनर्नवा वटी के 5 फायदे: Punarnava Vati Ke 5 Fayde दिल को रखे ठीक: Keeps Heart Ok दिल से बड़ी चीज कोई नहीं है इसलिए अगर आप अब भी दिल को सुरक्षित रखना चाहते हैं तो आज ही पुनर्नवा वटी का सेवन करें। कार्डियोप्रोटेक्टिव एक ऐसा तत्व है जो पुनर्नवा वटी में पाया जाता है। इसकी वजह से आपके दिल को काम करने में कोई दिक्कत नहीं आती है जो एक अच्छी बात है। यूरिन इंफेक्शन से बचाए: Saves from urine infection यूरिन इंफेक्शन से कोई भी परेशान हो सकता है। अगर आपको ऐसा लगता है कि ये सिर्फ किसी एक जेंडर को ही हो सकता है तो आप बेहद गलत हैं। यूरिन में परेशानी होने पर जान का खतरा भी हो सकता है लेकिन अगर सेहत अच्छी रहेगी तो सब सही रहेगा। इस मार्ग को अवरुद्ध होने से बचाने के लिए पुनर्नवा वटी का सेवन करें। राजमा सी मानी जानेवाली किडनी बनाए रखे पेट और शरीर का हाज़मा किडनी को बचाए: Saves Kidney किडनी से जुड़ी परेशानी होने पर आप पुनर्नवा वटी का सेवन कर सकते हैं। इससे आपको डायलिसिस से बचने का मौका ...