पुनरुक्ति अलंकार उदाहरण सहित

  1. Alankar Kitne Prakar Ke Hote Hain: जानिए अलंकार किसे कहते है
  2. अलंकार की परिभाषा, प्रकार, उदाहरण
  3. अलंकार की परिभाषा, भेद और उदाहरण
  4. अलंकार (साहित्य)
  5. अलंकार की परिभाषा, भेद, प्रकार और उदाहरण सहित पूरी जानकारी
  6. अलंकार किसे कहते हैं? (परिभाषा, भेद तथा प्रकार)
  7. घेर घेर घोर गगन शोभा श्री में कौनसा अलंकार है?
  8. परिकर अलंकार की परिभाषा, पहचान और उदाहरण, सहित
  9. परिकर अलंकार की परिभाषा, पहचान और उदाहरण, सहित
  10. घेर घेर घोर गगन शोभा श्री में कौनसा अलंकार है?


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Alankar Kitne Prakar Ke Hote Hain: जानिए अलंकार किसे कहते है

नमस्कार दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल की मदद से बताएंगे की अलंकार क्या है (Alankar in Hindi), अलंकार कितने प्रकार के होते हैं (Alankar Kitne Prakar Ke Hote Hain), अलंकार की परिभाषा (Alankar Ki Paribhasha) क्या है? इन सभी तथ्यों के बारे में आपको विस्तार पूर्वक जानकारी देंगे तो चलिए बिना किसी देरी के आज का यह आर्टिकल शुरू करते हैं: 8.4 अलंकार के दो भेद कौन से हैं: अलंकार किसे कहते हैं (Alankar Kise Kahate Hain): अलंकार एक ऐसा हिंदी शब्द है जिसका उपयोग इसके साथ ही अलंकार वाक्य के विभिन्न विचारों को और भावनाओं को जीवंत रूप में प्रभावी ढंग से समझाने के लिए भी प्रयुक्त किया जाता है। आसान शब्दों में कहा जाए तो: जो शब्द काव्य की शोभा बढ़ाता है उसे हम अलंकार के नाम से जानते हैं, अलंकार हिंदी साहित्य में एक महत्वपूर्ण विषय है जोकि वाक्य को उसकी वास्तविक अर्थ से अलग बनाने में मदद करता है इसके साथ ही‌ इन वाक्यांशों का उपयोग भी कविता, कहानी और नाटक में बहुत सारे लोग करते हैं। अलंकार शब्द को आप आभूषण के रूप में भी जान सकते हैं जैसे कि एक नारी अपनी सुंदरता बढ़ाने के लिए आभूषणों का उपयोग करती है ठीक उसी प्रकार भाषा को सुंदर बनाने के लिए हम अलंकार का इस्तेमाल करते हैं। अलंकार भाषा को सुंदर बनाने वाला तत्वों में से एक है यह कविता की सुंदरता को बढ़ाने का एक अच्छा माध्यम है। इसके साथ ही यह शब्द काव्य में प्रयोग किए जाते हैं तो जो काव्य की शोभा बढ़ाने में मदद करता है उसे हम अलंकार कहते हैं और अंग्रेजी में ही इसे उदाहरण (Alankar Ke Udaharan): • उसकी आवाज सोने से भी मीठी है। • उसकी मुस्कान चांद से भी सुंदर है। Alankar Kise Kahate Hain इसे समझने के बाद चलिए अब समझते हैं कि Alankar Ki Paribhasha K...

अलंकार की परिभाषा, प्रकार, उदाहरण

अलंकार की परिभाषा – Alankar ki Paribhasha in Hindi: अलंकार दो सब्दो से मिलकर बना है- ‘अलम’ और ‘कार’ | जहा ‘अलम’ का शाब्दिक अर्थ है, आभूषण और ‘कार’ का अर्थ है धारण करना | जिस प्रकार स्त्रिया अपने शरीर की शोभा बढ़ाने के लिए आभूषण को पहनती है उसी प्रकार किसी भाषा या कविता को सुन्दर बनाने के लिए अलंकार का प्रयोग किया जाता है | दूसरे सब्दो में कहे तो जो ” शब्द काव्य की शोभा को बढ़ाते हैं उसे अलंकार कहते हैं।” उदाहर: “चारु चंद्र की चंचल किरणें ” अलंकार के भेद ( Alankar Ke Bhed ) – Types of Alankar: • शब्दालंकार • अर्थालंकार • उभयालंकार यह भी पढ़े: वर्ण किसे कहते है, स्वर, व्यंजन, भे 1. शब्दालंकारकी परिभाषा – Sabdalankar ki Paribhasha शब्दालंकार दो शब्दों से मिलकर बना होता है – शब्द + अलंकार। शब्द के दो रूप होते हैं – ध्वनी और अर्थ। ध्वनि के आधार पर शब्दालंकार की सृष्टी होती है। जब अलंकार किसी विशेष शब्द की स्थिति में ही रहे और उस शब्द की जगह पर कोई और पर्यायवाची शब्द के रख देने से उस शब्द का अस्तित्व न रहे उसे शब्दालंकार कहते हैं। शब्दालंकार के भेद–Sabdalankar Ke Bhed:- • अनुप्रास अलंकार • यमक अलंकार • पुनरुक्ति अलंकार • विप्सा अलंकार • वक्रोक्ति अलंकार • शलेष अलंकार अनुप्रास अलंकार – Anupras Alankar :- अनुप्रास शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है – अनु + प्रास | यहाँ पर अनु का अर्थ है- बार-बार और प्रास का अर्थ होता है, – वर्ण। जब किसी वर्ण की बार – बार आवर्ती हो तब जो चमत्कार होता है उसे अनुप्रास अलंकार कहते है। अनुप्रास अलंकार के उदाहरण – Anupras Alankar ke Udaharan Hindi Mai:- क) “मैया मोरी मैं नही माखन खायो” [यहाँ पर ‘म’ वर्ण की आवृत्ति बार बार हो रही है।] ख) “चारु चंद्र की चंचल किर...

अलंकार की परिभाषा, भेद और उदाहरण

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अलंकार (साहित्य)

इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर स्रोत खोजें: · · · · अलंकार, अलंकरोति इति अलंकारः' (जो अलंकृत करता है, वही अलंकार है।) उपमा आदि के लिए अलंकार शब्द का संकुचित अर्थ में प्रयोग किया गया है। व्यापक रूप में सौंदर्य मात्र को अलंकार कहते हैं और उसी से काव्य ग्रहण किया जाता है। ( काव्यं ग्राह्ममलंकारात्। सौन्दर्यमलंकार: - वक्राभिधेतशब्दोक्तिरिष्टा वाचामलं-कृति:।) अभिधानप्रकाशविशेषा एव चालंकारा:)। काव्यशोभाकरान् धर्मान् अलंकारान् प्रचक्षते)। सौंदर्य, चारुत्व, काव्यशोभाकर धर्म इन तीन रूपों में अलंकार शब्द का प्रयोग व्यापक अर्थ में हुआ है और शेष में शब्द तथा अर्थ के अनुप्रासोपमादि अलंकारों के संकुचित अर्थ में। एक में अलंकार काव्य के प्राणभूत तत्त्व के रूप में ग्रहीत हैं और दूसरे में सुसज्जितकर्ता के रूप में। अनुक्रम • 1 आधार • 2 स्थान और महत्व • 3 वर्गीकरण • 4 कुछ अलंकार • 4.1 उपमा अलंकार • 4.2 अतिशयोक्ति अलंकार • 4.3 रूपक अलंकार • 4.4 विभावना अलंकार • 4.5 अनुप्रास अलंकार • 4.6 यमक अलंकार • 4.7 श्लेष अलंकार • 4.8 वक्रोक्ति अलंकार • 4.9 प्रतीप अलंकार • 4.10 उत्प्रेक्षा अलंकार • 4.11 ब्याजस्तुति अलंकार • 4.12 दृष्टांत अलंकार • 4.13 भ्रांतिमान अलंकार • 4.14 ब्याजनिन्दा अलंकार • 4.15 पाश्चात्य अलंकार • 4.16 विशेषोक्ति अलंकार • 4.17 मानवीकरण अलंकार • 5 सन्दर्भ • 6 इन्हेंभीदेखें • 7 बाहरी कड़ियाँ आधार [ ] सामान्यत: कथनीय वस्तु को अच्छे से अच्छे रूप में अभिव्यक्ति देने के विचार से अलंकार प्रयुक्त होते हैं। इनके द्वारा या तो भावों को उत्कर्ष प्रदान किया जाता है या रूप, गुण, तथा क्रिया का अधिक तीव्र अनुभव कराया जाता है। अत: मन का ओज ही अलं...

अलंकार की परिभाषा, भेद, प्रकार और उदाहरण सहित पूरी जानकारी

परिभाषा:- अलंकार का शाब्दिक अर्थ है “आभूषण “, मनुष्य सौंदर्य प्रेमी है, वह अपनी प्रत्येक वस्तु को सुसज्जित और अलंकृत देखना चाहता है। वह अपने कथन को भी शब्दों के सुंदर प्रयोग और विश्व उसकी विशिष्ट अर्थवत्ता से प्रभावी व सुंदर बनाना चाहता है। मनुष्य की यही प्रकृति काव्य में अलंकार कहलाती है। अलंकार का महत्व 1. अलंकार शोभा बढ़ाने के साधन है। काव्य रचना में रस पहले होना चाहिए उस रसमई रचना की शोभा बढ़ाई जा सकती है अलंकारों के द्वारा। जिस रचना में रस नहीं होगा , उसमें अलंकारों का प्रयोग उसी प्रकार व्यर्थ है. जैसे – निष्प्राण शरीर पर आभूषण। । 2. काव्य में अलंकारों का प्रयोग प्रयासपूर्वक नहीं होना चाहिए। ऐसा होने पर वह काया पर भारस्वरुप प्रतीत होने लगते हैं , और उनसे काव्य की शोभा बढ़ने की अपेक्षा घटती है। काव्य का निर्माण शब्द और अर्थ द्वारा होता है। अतः दोनों शब्द और अर्थ के सौंदर्य की वृद्धि होनी चाहिए। इस दृष्टि से अलंकार दो प्रकार के होते हैं ( शब्दालंकार और अर्थालंकार ) Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • १. शब्दालंकार परिभाषा:- जहां काव्य में शब्दों के प्रयोग वैशिष्ट्य से कविता में सौंदर्य और चमत्कार उत्पन्न होता है । वहां शब्दालंकार होता है । जैसे ( ‘ भुजबल भूमि भूप बिन किन्ही ‘ ) इस उदाहरण में विशिष्ट व्यंजनों के प्रयोग से काव्य में सौंदर्य उत्पन्न हुआ है। यदि ‘ भूमि ‘ के बजाय उसका पर्यायवाची ‘ पृथ्वी ‘ , ‘ भूप ‘ के बजाय उसका पर्यायवाची ‘ राजा ‘ रख दे तो काव्य का सारा चमत्कार खत्म हो जाएगा। इस काव्य पंक्ति में उदाहरण के कारण सौंदर्य है। अतः इसमें शब्दालंकार है। शब्दालंकार के भेद • अनुप्रास अलंकार • यमक • श्लेश २. अर्थालंकार परिभाषा:- जहां कविता में...

अलंकार किसे कहते हैं? (परिभाषा, भेद तथा प्रकार)

Image: Alankar Kise Kahate Hain अलंकार (Alankar): अलंकार का शाब्दिक अर्थ है, जिस तरह स्त्री की शोभा उसकी गहने और आभूषण होते हैं और इसी प्रकार प्रकार काव्य की शोभा अलंकार से होती है। अर्थात किसी भी तरह की वस्तु को जो अलंकृत करता है। वह अलंकार कहलाता है। कामशास्त्र के आचार्य की दृष्टि से अलंकार की परिभाषा है। काव्य की शोभा को बढ़ाने वाले शब्दों को ही अलंकार कहा जाता है। संक्षेप में काव्यशरीर, अर्थात भाषा को शब्दार्थ के द्वारा सुसज्जित और सुंदर बनाने वाले चमत्कार पूर्ण मनोरंजन शब्द को ही अलंकार कहते हैं। “अलंकरोति इति अलंकारः” जो भी शब्द अलंकृत करता है, उसे अलंकार कहते हैं। भारतीय साहित्य में उपमा रूपक, अनुप्रास, अनन्वय, यमक, उत्प्रेक्षा, संदेह, अतियोक्ति आदि प्रमुख अलंकार है। अलंकार किसी दो शब्द से मिलकर बना है, जो अलम और कार अर्थात अलम+कार के संधि से बना है। यहां आलम का अर्थ है कि आभूषण। हमारे समाज में बहुत ही सौंदर्य फूल वस्तु है, जिनकी अलंकृत होने से अलंकारों को जन्म दिया है। अलंकार कविता कामिनी के सौंदर्य को और भी बढ़ाने वाले तत्व है। उदाहरण: कविता – भूषण बिना न सोहई (बनिता मित्त) विषय सूची • • • • • • • • • • • • • • • • अलंकार क्या है? अलंकार शब्द सौंदर्य और अलंकरण का पर्याय कहलाता है। इसका मतलब है, जिस शब्द के द्वारा किसी वस्तु व्यक्ति अर्थात पदार्थ को अलंकृत करता है, उसे अलंकार कहते हैं। अलंकार के प्रकार अलंकार को तीन भागों में बांटा गया है। • शब्दालंकार • अर्थालंकार • उभयालंकार शब्द अलंकार किसे कहते हैं (Shabd Alankar Kise Kahate Hain) ऐसे शब्द जो काव्य में चमत्कार केवल शब्द पर ही आश्रित रहते हैं। अर्थात जब शब्दों के बदलने पर चमत्कार नष्ट हो जाता है या कम हो जाता है...

घेर घेर घोर गगन शोभा श्री में कौनसा अलंकार है?

Advertisement इस पंक्ति में एक ही वर्ण की आवृत्ति हुई है इसलिए इसमें वृत्यानुप्रास है। इस काव्य पंक्ति में घ वर्ण की आवृत्ति हुई है इसलिए इसमें वृत्यानुप्रास है। जैसा कि आपने इस उदाहरण में देखा जहां पर किसी वर्ण के विशेष प्रयोग से पंक्ति में सुंदरता, लय तथा चमत्कार उत्पन्न हो जाता है उसे हम शब्दालंकार कहते हैं। Advertisement अनुप्रास अलंकार शब्दालंकार का एक प्रकार है। काव्य में जहां समान वर्णों की एक से अधिक बार आवृत्ति होती है वहां अनुप्रास अलंकार होता है। घेर घेर घोर गगन शोभा श्री में अलंकार से संबन्धित प्रश्न परीक्षा में कई प्रकार से पूछे जाते हैं। जैसे कि – यहाँ पर कौन सा अलंकार है? दी गई पंक्तियों में कौन सा अलंकार है? दिया गया पद्यान्श कौन से अलंकार का उदाहरण है? पद्यांश की पंक्ति में कौन-कौन सा अलंकार है, आदि। इस काव्य पंक्ति में अन्य अलंकार की उपस्थिति – Related Posts: • चारु चंद्र की चंचल किरणें खेल रही थी जल थल में में कौनसा… • तुम मांस – हीन, तुम रक्तहीन हे अस्थि – शेष तुम अस्थिहीन में… • रघुपति राघव राजा राम में कौनसा अलंकार है? • चमक गई चपला चम चम में कौनसा अलंकार है? • बल बिलोकी बहुत मेज बचा में कौनसा अलंकार है? • सब ओर छटा थी छायी में कौनसा अलंकार है? • कल-कल कोमल कुसुम कुंज पर मधुकण बरसाते तुम कौन में कौनसा… • बनन में बागन में बगरौ बसंत है में कौनसा अलंकार है?

परिकर अलंकार की परिभाषा, पहचान और उदाहरण, सहित

इस लेख में परिकर अलंकार की परिभाषा, पहचान और उदाहरण, सहित अध्ययन करेंगे। यह लेख सभी प्रकार की परीक्षाओं के लिए कारगर है। अतः आप इसका अध्ययन अपनी परीक्षाओं के लिए कर सकते हैं। अलंकार का मुख्य कार्य काव्य में प्रयुक्त होकर उसकी शोभा को बढ़ाना होता है। जिस प्रकार महिलाएं तथा पुरुष अपने शरीर के सौंदर्य के लिए आभूषण तथा अन्य सामग्री का प्रयोग करते हैं। ठीक उसी प्रकार काव्य में अलंकार का प्रयोग होता है। जिससे चमत्कार उत्पन्न होने के साथ काव्य के सौंदर्य में वृद्धि होती है। परिकर अलंकार परिभाषा:- जब प्रस्तुत ( वर्ण्य, विषय, विशेष ) का वर्णन करने के लिए उसके साथ ऐसे विशेषण का प्रयोग किया जाता है तो, साभीप्राय अर्थात विशेष अभिप्राय या आशय से मुक्त होता है तब परिकर अलंकार होता है। परिकर अलंकार के उदाहरण चक्रपाणि हरि को निरखि असुर जात भजि दूर। । यहां ‘हरि’ का विशेषण ‘चक्रपाणि’ साभीप्राय है। क्योंकि उनके हाथ में चक्र होने के कारण असुर उनके सामने नहीं ठहर सके। अन्य उदाहरण – • तऊ गुन सुंदरि अति भेल दूबरि। (विद्यापति पद ) सम्बन्धित लेख अन्य अलंकार की जानकारी भी प्राप्त करें व्याकरण से सम्बंधित अन्य लेख विशेषण की परिभाषा, भेद, तथा उदाहरण निष्कर्ष उपर्युक्त अध्ययन से हमने परिकर अलंकार के उदाहरण तथा परिभाषा को जाना है। जिसमें साभीप्राय अर्थ या विशेष अभिप्राय वाले वाक्यों शब्दों को परिकर अलंकार कहते हैं। यह अलंकार अर्थालंकार के अंतर्गत आता है। संबंधित विषय से प्रश्न पूछने के लिए कमेंट बॉक्स में लिखें। Categories Tags

परिकर अलंकार की परिभाषा, पहचान और उदाहरण, सहित

इस लेख में परिकर अलंकार की परिभाषा, पहचान और उदाहरण, सहित अध्ययन करेंगे। यह लेख सभी प्रकार की परीक्षाओं के लिए कारगर है। अतः आप इसका अध्ययन अपनी परीक्षाओं के लिए कर सकते हैं। अलंकार का मुख्य कार्य काव्य में प्रयुक्त होकर उसकी शोभा को बढ़ाना होता है। जिस प्रकार महिलाएं तथा पुरुष अपने शरीर के सौंदर्य के लिए आभूषण तथा अन्य सामग्री का प्रयोग करते हैं। ठीक उसी प्रकार काव्य में अलंकार का प्रयोग होता है। जिससे चमत्कार उत्पन्न होने के साथ काव्य के सौंदर्य में वृद्धि होती है। परिकर अलंकार परिभाषा:- जब प्रस्तुत ( वर्ण्य, विषय, विशेष ) का वर्णन करने के लिए उसके साथ ऐसे विशेषण का प्रयोग किया जाता है तो, साभीप्राय अर्थात विशेष अभिप्राय या आशय से मुक्त होता है तब परिकर अलंकार होता है। परिकर अलंकार के उदाहरण चक्रपाणि हरि को निरखि असुर जात भजि दूर। । यहां ‘हरि’ का विशेषण ‘चक्रपाणि’ साभीप्राय है। क्योंकि उनके हाथ में चक्र होने के कारण असुर उनके सामने नहीं ठहर सके। अन्य उदाहरण – • तऊ गुन सुंदरि अति भेल दूबरि। (विद्यापति पद ) सम्बन्धित लेख अन्य अलंकार की जानकारी भी प्राप्त करें व्याकरण से सम्बंधित अन्य लेख विशेषण की परिभाषा, भेद, तथा उदाहरण निष्कर्ष उपर्युक्त अध्ययन से हमने परिकर अलंकार के उदाहरण तथा परिभाषा को जाना है। जिसमें साभीप्राय अर्थ या विशेष अभिप्राय वाले वाक्यों शब्दों को परिकर अलंकार कहते हैं। यह अलंकार अर्थालंकार के अंतर्गत आता है। संबंधित विषय से प्रश्न पूछने के लिए कमेंट बॉक्स में लिखें। Categories Tags

घेर घेर घोर गगन शोभा श्री में कौनसा अलंकार है?

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