पुनर्वसु नक्षत्र में जन्मे बच्चे

  1. Mool Nakshatra Baby Birth: मूल नक्षत्र में जन्मे बच्चे का पिता क्यों नहीं देखते मुंह, कैसा होता है इनका नेचर
  2. मूल नक्षत्र कौन कौन से हैं
  3. पुनर्वसु नक्षत्र फल ज्योतिष के अनुसार
  4. पुनर्वसु नक्षत्र
  5. पुनर्वसु नक्षत्र, पुनर्वसु नक्षत्र की विशेषताएं, कार्यक्षेत्र, पद, उपचार
  6. मूल नक्षत्र में जन्मे लोगों का व्यक्तित्व और स्वभाव होता है बेहद अलग, आप भी जानिए कुछ खास बातें
  7. अनुराधा नक्षत्र
  8. nakshatra, mool nakshatra, gandmool nakshatra, mool nakshatra baby, astrology, astro tips, spiritual


Download: पुनर्वसु नक्षत्र में जन्मे बच्चे
Size: 62.75 MB

Mool Nakshatra Baby Birth: मूल नक्षत्र में जन्मे बच्चे का पिता क्यों नहीं देखते मुंह, कैसा होता है इनका नेचर

डीएनए हिंदी:सनातन धर्म में किसी भी बच्चे के जन्म पर सबसे पहले उसका जन्म नक्षत्र (Janma Nakshatra)देखा जाता है. अगर बच्चे के जन्म मूल नक्षत्र में हुआ होता है (Mool Nakshatra), तो कई स्थितियों में यह शुभ नहीं माना जाता है. इसके अलावा अगर बच्चे का जन्म मूल नक्षत्रों में हुआ है तो फिर पिता का उस बच्चे का मुंह देखना भी शुभ नहीं माना जाता है (Mool Nakshatra Baby Birth). दअरसल इसके पीछे कई मान्यताएं हैं (Jyotish Shastra). आज हम आपको इस लेख के माध्यम से मूल नक्षत्र से जुड़ी खास बातें बताने जा रहे हैं. तो चलिए जानते हैं मूल नक्षत्र कौन से होते हैं और अगर किसी बच्चे का जन्म मूल नक्षत्र में हो तो क्या करना चाहिए. क्या होता है नक्षत्र ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, आकाश में स्थित तारों को समूह को नक्षत्र कहा जाता है. जिनकी कुल संख्या 27 है, जिसमें से कुछ शुभ और कुछ अशुभ माने जाते हैं. जब चंद्रमा पृथ्वी का चक्कर लगाता है, तो इन नक्षत्रों के बीच से होकर गुजरता है. ऐसे में जब भी किसी का जन्म होता है तो उस समय चंद्रमा जिस नक्षत्र में होता है, वही उस बच्चे का जन्म नक्षत्र होता है. ऐसे में उस बच्चे पर इस नक्षत्र का शुभ व अशुभ प्रभाव जीवन भर देखा जाता है. यह भी पढ़ें- कौन-कौन से हैं मूल नक्षत्र ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुल 27 नक्षत्र होते हैं. जो इस प्रकार हैं- अश्विन, आश्लेषा, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, मघा, चित्रा, स्वाति, विशाखा, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी, हस्त, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, घनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद, रेवती हैं. इनमें से 6 नक्षत्रों को मूल नक्षत्र कहा जाता है, इन मूल नक्षत्र में मूल, ज्येष्ठा, ...

मूल नक्षत्र कौन कौन से हैं

मूल नक्षत्र कौन कौन से हैं – मूल नक्षत्र में जन्मे बच्चे का उपाय –ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुल 27 नक्षत्र बताए गए है. ऐसा माना जाता है की किसी जातक के जन्म के समय इन नक्षत्रो का आकलन किया जाता हैं. और आकलन के अनुसार जातक के जीवन के बारे में जाना जाता हैं. जातक के जीवन में क्या अशुभ और क्या शुभ हो सकता हैं. इन सभी बातो का ज्योतिष के द्वारा आकलन किया जाता हैं. इन कुल नक्षत्र में से कुछ नक्षत्र मूल नक्षत्र माने जाते हैं. यह मूल नक्षत्र कौनसे होते हैं. इसके बारे में हम आपको इस आर्टिकल में बताएगे. इसके अलावा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी जानकारी प्रदान करने वाले हैं. यह सभी महत्वपूर्ण जानकारी पाने के लिए हमारा यह आर्टिकल अंत तक जरुर पढ़े. दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से बताने वाले है की मूल नक्षत्र कौन कौन से हैं . इसके अलावा इस टॉपिक से जुडी अन्य और भी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने वाले हैं. तो आइये हम आपको इस बारे में संपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं. सपने में कन्या का जन्म होते हुए देखना / सपने में सफेद वस्त्र में स्त्री देखना मूल नक्षत्र कैसे जाने हमने ऊपर जो छह नक्षत्र बताए हैं. इन नक्षत्रो को ही ज्योतिष में मूल नक्षत्र बताया गया हैं. इनमें से मूल, आश्लेषा, ज्येष्ठा इन तीनो को मूल नक्षत्र माना जाता हैं. तथा मघा, रेवती और अश्विनी नक्षत्र को इन मूल नक्षत्र का सहायक नक्षत्र माना जाता हैं. इस प्रकार से ही आप मूल नक्षत्र के बारे में जान सकते हैं. • अगर किसी बच्चे का जन्म मूल, अश्विनी या मघा नक्षत्र में हुआ हैं. ऐसे बच्चो के माता-पिता को भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करनी चाहिए. अगर आप चाहे तो गणेश मंदिर जाकर भगवान गणेश को पुष्प आदि चढ़ा कर उनकी अच्छे से पूजा-अर्चना कर सकते ...

पुनर्वसु नक्षत्र फल ज्योतिष के अनुसार

पुनर्वसु नक्षत्र के जातक का व्यक्तित्व आप सदाचारी, सहनशील और संतोषी स्वभाव के हैं। “सादा जीवन, उच्च विचार” वाली कहावत आप पर हूबहू लागू होती है। ईश्वर पर आपकी अगाध आस्था है और आप परम्पराप्रिय हैं। पुरातन विचारधाराओं व मान्यताओं में आपका दृढ़ विश्वास है। धन संचय करना आपकी आदत नहीं है मगर जीवन में मान-सम्मान आपको ज़रूर मिलेगा। आपकी मासूमियत और साफ़गोई आपको लोकप्रिय बनाती है। ज़रुरतमंदो की सहायता के लिए आप हमेशा खड़े रहेंगे। अवैध या अनैतिक कार्यों का आप जमकर विरोध करते हैं। बुरे विचार और बुरे लोगों की संगति से तो आप कोसों दूर रहते हैं, क्योंकि ऐसे लोगों से मित्रता आपके आध्यात्मिक विकास में बाधा डालती है। आपका मन और मस्तिष्क हमेशा संतुलित रहता है। दूसरों को सुख देने की प्रवृत्ति व किसी की मदद करना या सहयोग देना आपका विशेष गुण है। सौम्य स्वभाव, दयालु और परोपकारी प्रवृत्ति तो आपके गुणों में चार चांद लगा देती है। आप शांत, धीर-गंभीर, आस्थावान, सत्य व न्यायप्रिय तथा अनुशासनप्रिय जीवन जीने वाले हैं और आपकी व्यवहार-कुशलता और अटूट मैत्री तो लोकप्रिय है। व्यर्थ के जोख़िम उठाने से आप हमेशा बचते हैं और अगर कोई मुसीबत या समस्या आपके सामने आती है तो वह ईश्वरीय कृपा से जल्दी दूर हो जाती है। अपने परिवार से आप बहुत प्यार करते हैं और अपने या समाज के कल्याण हेतु बड़ी यात्राएँ करने से भी नहीं झिझकते हैं। जिस तरह एक कुशल धनुर्धारी अपने लक्ष्य को भेदने में सफल होता है उसी तरह आप भी अपनी एकाग्रता से मुश्किल-से-मुश्किल लक्ष्य को पा लेते हैं। चाहे आपको कितनी बार भी असफलता का सामना करना पड़े, परन्तु आप अपनी मंज़िल को पाने के लिए डटे रहते हैं। आप बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं और हर काम को बड़े सलीक़े से पूरा करते हैं...

पुनर्वसु नक्षत्र

पुनर्वसु नक्षत्र पुरुषों का व्यक्तित्व इस नक्षत्र के पुरुष बहुत ही आध्यात्मिक और धार्मिक माने जाते हैं। बचपन में इस नक्षत्र के पुरुषों का व्यवहार अच्छा होता है, लेकिन जैसे-जैसे इनकी उम्र बढ़ती जाती है, इनके स्वभाव में कठोरपन और अभिमान आने लगता है। वयस्कावस्था में ज्यादातर लोग इन्हें नापसंद करने लगते हैं या फिर बहुत कम पसंद करते हैं। इनके साथ दोस्ती करना आसान नहीं है बल्कि जो इनके दोस्त हैं, वे भी इनके साथ ज्यादा घनिष्ठ नहीं होते हैं। ये लोग कभी-कभी किसी ऐसी चीज़ के लिए तरस जाते हैं, जो उनके पास नहीं है। इसके बावजूद इन्हें भौतिकवाद नहीं कहा जा सकता, क्योंकि इनके पास जो है, वे उसी में संतुष्ट हो जाते हैं। इन लोगों को गैर कानूनी काम करना बिल्कुल पसंद नहीं है। गैर कानूनी काम न तो ये खुद करते हैं और न ही अपने आसपास मौजूद लोगों को कभी इस तरह का काम करने की छूट देते हैं। इसके साथ ही इस नक्षत्र के लोग दूसरों के लिए बहुत उदार और मददगार साबित हो सकते हैं। पुरुषों का करियर पुनर्वसु नक्षत्र में जन्मे पुरुष कभी भी साझेदारी का काम नहीं कर सकते। यही कारण है कि किसी भी व्यवसाय में इस नक्षत्र के पुरुषों को सफलता प्राप्त नहीं होती है। इन्हें अपना करियर अध्यापन, स्टेज परफॉर्मर के करियर क्षेत्रों में आजमाना चाहिए। इन क्षेत्रों में इनकी सफल होने की संभावना काफी ज्यादा होती है। 32 वर्ष की आयु तक प्रतिकूल सितारों के कारण महत्वपूर्ण निर्णय लेते समय उन्हें अधिक सावधान रहना चाहिए। ईमानदारी के कारण व्यापार में सफलता और धन कमाना इनके लिए बहुत कठिन होता है। पुरुषों की अनुकूलता पुनर्वसु नक्षत्र के पुरुष अपने माता-पिता और शिक्षकों का बहुत सम्मान करते हैं। लेकिन इनका वैवाहिक जीवन इतना खुशहाल और समृद्ध नह...

पुनर्वसु नक्षत्र, पुनर्वसु नक्षत्र की विशेषताएं, कार्यक्षेत्र, पद, उपचार

पुनर्वसु नक्षत्र पुनर्वसु (मिथुन राशि में 20°00′ से 3°20′ कर्क राशि तक) पुनर्वसु नक्षत्र में दो उज्ज्वल तारों का समावेश है जिन्हें कास्टर (अल्फा-जेमिनोरियम) व पोलक्स (बीटा-जेमिनोरियम) कहा जाता है। ये दो तारे पुनर्वसु नक्षत्र के अंतर्गत पैदा होने वाले लोगों के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि जीवन की शिक्षाएं अक्सर जोड़ों में घटित होती हैं| ज्योतिष में पुनर्वसु नक्षत्र मिथुन राशि से लेकर कर्क राशि तक विस्तारित है| ‘पुनर्र’ का अर्थ आवृत्ति है तथा ‘वसु’ का मतलब प्रकाश की किरण है| इस प्रकार पुनर्वसु का अर्थ ‘पुनः प्रकाश बनने’ से है। इस नक्षत्र का प्रतीक तीरों का तरकश है जो इच्छाओं या महत्वाकांक्षाओं के प्रति प्रयास करने की क्षमता को दर्शाता है। पुनर्वसु नक्षत्र तूफान की अराजकता के बाद सद्भाव लाता है| इसके पीछे रचनात्मक कार्यों को नए विचारों द्वारा नवीनीकृत करने की भावना छुपी हुई है| इस नक्षत्र की अधिपति देवी अदिति है जो प्रचुरता व समस्त ईश्वरीय प्राणियों की माता हैं| अदिति इस नक्षत्र को एक संवेदनशील व पोषण गुण देती है। बृहस्पति इस नक्षत्र का स्वामी ग्रह है तथा आशावाद के साथ-साथ उच्च शिक्षा के प्रति रुझान देता है। पुनर्वसु निवास से संबंधित नक्षत्र है इसलिए इस नक्षत्र में उत्पन्न लोग प्रायः अपने घर में रहना पसंद करते हैं| सामान्य विशेषताएँ: धर्मनिष्ठ; उत्तम व्यवहार; शांत; धैर्यवान; सज्जन; सुख पाने वाला; बौद्धिक और आध्यात्मिक ज्ञान से युक्त अनुवाद:“पुनः उत्तम”, “पुनः धनवान” प्रतीक: धनुष व तरकश के तीर पशु प्रतीक: बिल्ली अधिपति देव: फसल की देवी अदिति शासक ग्रह: गुरु गुरु ग्रह के अधिपति देव: शिव प्रकृति: देवता (देव समान) ढंग: दब्बू संख्या: 7 (संतुलन और सामंजस्य से संबंधित) लिंग: स्त्री दो...

मूल नक्षत्र में जन्मे लोगों का व्यक्तित्व और स्वभाव होता है बेहद अलग, आप भी जानिए कुछ खास बातें

Facebook Twitter WhatsApp Instagram Linkedin Koos Mool Nakshatra: मूल नक्षत्र को सभी आक्रामक ग्रहों का केंद्र माना जाता है. कई बार ग्रहों की स्थिति पर इसका प्रभाव निर्भर करता है. इसका स्वामी ग्रह केतु है. मूल नक्षत्र में जन्मे बच्चे की पूजा करवाकर नक्षत्र (Nakshatra) शांति करवाई जाती है. जानते हैं मूल नक्षत्र में जन्मे लोगों का व्यक्तित्व और स्वभाव (Behavior) कैसा होता है. मूल नक्षत्र में जन्मे लोगों की खास विशेषताएं मूल नक्षत्र में जन्मे लोगों की बात करें तो पुरुष नियम और सिद्धांतों का पालन करते हुए आगे बढ़ते हैं. इन्हें विदेश जाने का भी मौका मिलता है. वहीं, महिलाएं थोड़ी हठी होती हैं, जो इनके लिए नुकसानदेह भी हो सकता है. हालांकि ये दोनों ही पढ़ाई में अव्वल होते हैं. शोध कार्यों में इन्हें सफलता मिलती है. मूल नक्षत्र में जन्म लेने वाले चिकित्सा के क्षेत्र में सफल होते हैं. ये दवा निर्माता या डॉक्टर के साथ ही ज्योतिषी (Astrologer), पुलिस अधिकारी, व्यापारी, नेता आदि कुछ भी हो सकते हैं. इन्हें अपना लक्ष्य साफतौर पर नजर आता है. होते हैं शांतिप्रिय मूल नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोगों की बात करें तो इनका स्वभाव मधुर होता है और ये काफी शांतिप्रिय होते हैं. ये किसी भी विपरीत स्थिति का सामना करने में सक्षम होते हैं और कठिनाइयों की परवाह किए बिना अपना काम करते जाते हैं. भगवान पर भी इनकी आस्था होती है. हालांकि कई बार ये लोग बेहद अकेला रहना पसंद करते हैं. सम्मान को देते हैं महत्व मूल नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोगों की खासियत यह है कि ये मुश्किलों का सामना करते हुए मंजिल को प्राप्त कर लेते हैं. ये जिस भी क्षेत्र में होते हैं वहां सफल होते हैं. हालांकि इन्हें सम्मान पसंद होता है और य...

अनुराधा नक्षत्र

वृश्चिक राशि के ३ अंश २० कला से १६ अंश ४० कला तक जो नक्षत्र व्याप्त है उसे अनुराधा कहते हैं। वैदिक खगोल विज्ञान में यह सत्रहवां नक्षत्र है। आधुनिक खगोल विज्ञान के अनुसार अनुराधा नक्षत्र को β Acrab, δ Dschubba and π Fang Scorpionis कहते हैं। व्यक्तित्व और विशेषताएं अनुराधा नक्षत्र में जन्म लेने वालों की विशेषताएं - • बुद्धिमान • कड़ी मेहनती • निपुण • संवेगात्मक अस्थिरता • तनावपूर्ण • जीवन में आकस्मिक बदलाव • छोटी - छोटी बातों पर भी तनाव • विदेश में प्रगति • अपनी राय पर कायम रहता है • सहानुभूतिपूर्ण • चुनौतियों का सामना करने की क्षमता • प्रतिशोधपूर्ण • जल्दी उत्तेजित हो जानेवाला • धर्मपरायण • कला में दिलचसà...

nakshatra, mool nakshatra, gandmool nakshatra, mool nakshatra baby, astrology, astro tips, spiritual

1 / 3 शास्त्रों में नक्षत्र भी कई प्रकार के होते है। जैसे अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, अश्लेषा, मघा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती। इन नक्षत्रों का लोगों के जीवन में भी बहुत प्रभाव पड़ता है। ज्योतिषशास्त्र में कहा गया है कि गण्डमूल नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक स्वयं व अपने माता-पिता मामा आदि के लिए कष्ट प्रदान करने वाला होता है। मूल नक्षत्र में जन्म लेने वाला बालक शुभ प्रभाव में है तो वह सामान्य बालक से कुछ अलग विचारों वाला होता है यदि उसे सामाजिक तथा पारिवारिक बंधन से मुक्त कर दिया जाए तो ऐसा बालक जिस भी क्षेत्र में जाएगा एक अलग मुकाम हासिल करेगा। ऐसे बालक तेजस्वी, यशस्वी, नित्य नव चेतन कला अन्वेषी होते है। यह इसके अच्छे प्रभाव हैं। अगर वह अशुभ प्रभाव में है तो इसी नक्षत्रों में जन्मा बच्चा क्रोधी, रोगी, र्इष्यावान होगा इसमें कोई आश्चर्य नहीं है। इस अशुभता की शुभता के लिए गण्डमूल दोष की विधिवत शांति करा लेना चाहिए। 2 / 3 कैसे बनता है मूल नक्षत्र? राशि और नक्षत्र के एक ही स्थान पर उदय और मिलन के आधार पर गण्डमूल नक्षत्रों का निर्माण होता है। इसके निर्माण में कुल छह 6 स्थितियां बनती हैं। इसमें से तीन नक्षत्र गण्ड के होते हैं और तीन मूल नक्षत्र के होते है। कर्क राशि तथा आश्लेषा नक्षत्र की समाप्ति साथ-साथ होती है वही सिंह राशि का समापन और मघा राशि का उदय एक साथ होता है। इसी कारण इसे अश्लेषा गण्ड संज्ञक और मघा मूल संज्ञक नक्षत्र कहा जाता हैं। वृश्चिक राशि और ज्येष्ठा नक्षत्र की समाप्ति एक सा...