पूर्णिमा कब है march 2023

  1. Guru Purnima 2023 Date: गुरु पूर्णिमा कब है, जानें पूजा की तिथि, शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व
  2. Guru Purnima 2023 Date, Guru Purnima Puja Shubh Muhrut, Kab Hai Guru Purnima
  3. चैत्र पूर्णिमा 2023 (Chaitra Purnima 2023): हिंदू नववर्ष की पहली पूर्णिमा कब है जानें शुभ मुहूर्त शबू समय


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Guru Purnima 2023 Date: गुरु पूर्णिमा कब है, जानें पूजा की तिथि, शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व

Guru Purnima 2023 Kab Hai: सनातन परंपरा में जिस गुरु का स्थान ईश्वर से भी ज्यादा माना गया है, उनकी पूजा के लिए हर साल आषाढ़ मास के शुक्लपक्ष की पूर्णिमा का दिन सबसे ज्यादा शुभ और फलदायी माना गया है. मान्यता है कि यदि इस दिन अपने गुरु की पूजा करने पर व्यक्ति को उनका विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है. पंचांग के अनुसार इस साल गुरु पूर्णिमा का महापर्व 03 जुलाई 2023, सोमवार को मनाया जाएगा. हिंदू मान्यता के अनुसार गुरु पूर्णिमा का पावन पर्व महर्षि वेदव्यास की जयंती के रूप में मनाया जाता है. यही कारण है कि इस पावन पर्व को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. आइए गुरु पूर्णिमा की पूजा विधि और उसका धार्मिक महत्व जानते हैं. गुरु पूर्णिमा 2023 का शुभ मुहूर्त पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि 02 जुलाई 2023 को सायंकाल 08:21 बजे से प्रारंभ होकर 03 जुलाई 2023 को सायंकाल 05:08 बजे तक रहेगी. ऐसे में उदया तिथि के आधार पर गुरु पूजन का महापर्व इस साल 03 जुलाई 2023 को मनाया जाएगा. कैसे करें गुरू का पूजन हिंदू मान्यता के अनुसार गुरु पूर्णिमा के दिन व्यक्ति को अपने गुरू की पूजा करने के लिए स्नान-ध्यान करने के बाद उनके स्थान पर जाकर उन्हें प्रणाम करके विधि-विधान से पूजन करना चाहिए. यदि आप गुरु दिवंगत हो चुके हैं या फिर आप किसी कारण से अपने गुरु के पास उनके स्थान पर नहीं जा सकते हैं तो आप अपने घर में ही पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ उनके चित्र का पुष्प, चंदन, धूप, दीप आदि से पूजन करें. गुरु पूजा करने के बाद उसमें हुई भूलचूक के लिए माफी मांगते हुए उनका आशीर्वाद प्राप्त करें. गुरु पूर्णिमा पर इन बातों का रखें ध्यान • हिंदू मान्यता के अनुसार जिस गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से ...

Guru Purnima 2023 Date, Guru Purnima Puja Shubh Muhrut, Kab Hai Guru Purnima

Guru Purnima 2023: पूर्णिमा तिथि की विशेष धार्मिक मान्यता होती है. हर माह शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के अगले दिन पूर्णिमा तिथि पड़ती है. आषाढ़ के मास में पड़ रही पूर्णिमा को आषाढ़ पूर्णिमा कहते हैं और इसे गुरु पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. गुरु पूर्णिमा के दिन ही वेदों के रचयिता महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था. आमतौर पर पूर्णिमा (Purnima) पर खासतौर से पूजा-पाठ और स्नान-दान किया जाता है, लेकिन गुरु पूर्णिमा होने के चलते इस दिन का महत्व और बढ़ जाता है. गुरु पूर्णिमा के दिन विद्यार्थी अपने गुरु की सेवा करते हैं और गुरु को आदरभाव के साथ धन्यवाद देते हैं. गुरु पूर्णिमा कब है पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह की पूर्णिमा के दिन गुरु पूर्णिमा मनाई जाती है. आषाढ़ पूर्णिमा की तिथि 2 जुलाई की रात 8 बजकर 21 मिनट से शुरू हो रही है और इस तिथि का समापन अगले दिन 3 जुलाई शाम 5 बजकर 8 मिनट पर होगा. उदया तिथि को देखते हुए 3 जुलाई के दिन के गुरु पूर्णिमा मनाई जाने वाली है. गुरु पूर्णिमा पर पूजा मान्यतानुसार गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु के आदर-सत्कार के साथ ही पूर्णिमा की पूजा भी की जाती है. पूर्णिमा के दिन सुबह उठकर स्नान किया जाता है. बहुत से भक्त इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने जाते हैं. जो नदी तक स्नान करने नहीं जा सकते वे पानी में गंगाजल मिलाकर भी नहा सकते हैं. स्नान पश्चात भगवान विष्णु (Lord Vishnu) और वेदों के रचयिता वेद व्यास का ध्यान किया जाता है. इसके पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं. सूर्य देव को अर्घ्य देना भी इस दिन बेहद शुभ होता है. गुरु पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और वेद व्यास जी (Ved Vyas) की पूजा की जाती है. फल, फूल, धूप, दीप, अक्षत, दूर्वा और हल्दी आदि पूजा सामग्री म...

चैत्र पूर्णिमा 2023 (Chaitra Purnima 2023): हिंदू नववर्ष की पहली पूर्णिमा कब है जानें शुभ मुहूर्त शबू समय

चैत्र पूर्णिमा का महत्व जब सूर्य और चन्द्रमा का मिलन होता है तब चैत्र पूर्णिमा मनाई जाती है। चैत्र पूर्णिमा को ही चित्रगुप्त जयंती होने के कारण इस दिन भगवान चित्रगुप्त की पूजा का भी विशेष महत्व है। चित्रगुप्त दो शब्दों के संयोग से बना है , ‘ चित्र’ चित्रों को संदर्भित करता है , और ‘गुप्त’ सीक्रेट्स को दर्शाता है। भगवान चित्रगुप्त को भगवान यम का छोटा भाई कहा जाता है। व्यक्ति के कर्मों का लेखा – जोखा रखकर भगवान चित्रगुप्त यमराज की सहायता करते हैं। चैत्र पूर्णिमा के अवसर पर , श्रद्धालुजन ईश्वर को प्रसन्न करने के लिए नदी के किनारे या आसपास की झीलों पर पूजा करते हैं। चैत्र पूर्णिमा के दौरान , अनामला की पहाड़ियों पर हजारों तीर्थयात्रियों की भीड़ लगती है। ये सभी श्रद्धालु यहां 14 किलोमीटर लंबी पैदल प्रदक्षिणा करते हैं और उपवास रखते हैं। इस विशेष दिन पर , भक्त बड़ी संख्या में कांचीपुरम के चित्रगुप्त मंदिर में भी एकत्रित होते हैं , यह मंदिर दक्षिण भारत के प्राचीन मंदिरों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग अपने अच्छे और बुरे कर्मों के बीच फंसे रहते हैं , उन्हें बार – बार इस संसार में जन्म और मृत्यु के चक्र में पिसना पड़ता है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती है। पौराणिक कथा प्राचीन पवित्र शास्त्रों के अनुसार , चैत्र पूर्णिमा की कहानी देवराज इंद्र तथा उनके गुरु बृहस्पति से जुड़ी हुई है। कथा के अनुसार एक बार देवराज इंद्र ने देवगुरु बृहस्पति का अपमान कर दिया जिसकी वजह से उन्हें बाद में पछतावा होने लगा। इस पर देवगुरु गुरु बृहस्पति ने एक मार्गदर्शक और संरक्षक होने के नाते , इंद्र को अपने बुरे कर्मों का नाश करने के लिए पृथ्वी की तीर्थ यात्रा करने का निर्देश दिया। उनकी आज्ञा से द...