प्याज और लहसुन क्यों नहीं खाते

  1. Why you are not allowed to eat onion and garlic during Navratri Fasting know behind science
  2. नवरात्रि में क्यों नहीं खाना चाहिए लहसुन
  3. Healthy Eating: व्रत के दौरान प्याज़
  4. ब्राह्मण प्याज और लहसुन क्यों नहीं खाते
  5. क्यों खाने में लहसुन प्याज का उपयोग मना है? Lahsun aur pyaj kyon nahin khana chahiye
  6. नवरात्रि में ज्यादातर लोग प्याज और लहसुन क्यों नहीं खाते? – Hindi News Website
  7. Explainer : नवरात्र के दिनों में क्यों ज्यादातर लोग प्याज और लहसुन से करते हैं परहेज
  8. व्रत और पूजा में क्यों नहीं होता है लहसुन तथा प्याज का प्रयोग पढ़ें यह पौराणिक कथा
  9. Explainer : नवरात्र के दिनों में क्यों ज्यादातर लोग प्याज और लहसुन से करते हैं परहेज


Download: प्याज और लहसुन क्यों नहीं खाते
Size: 54.27 MB

Why you are not allowed to eat onion and garlic during Navratri Fasting know behind science

नई दिल्ली: नवरात्रि का आज पांचवा दिन है. 9 दिनों तक चलने वाले नवरात्रि के उपवास में फल, सब्जियां, कुट्टू आटा, साबूदाना और सेंधा नमक खाया जाता है, लेकिन इस दौरान 2 ऐसी चीज होती हैं, जिसे इस व्रत में खाने की सख्त मनाही है. यह प्याज और लहसुन है. क्या आप जानते हैं कि इसके पीछे क्या साइंस है. आइए आपको बताते हैं इसके पीछे का कारण. 'टाइम्स ऑफ इंडिया' की एक रिपोर्ट के अनुसार, आयुर्वेद में व्रत के दौरान कुछ खाद्य पदार्थों को उनकी प्रकृति और खाने के बाद शरीर में होने वाले असर के आधार पर 3 श्रेणी में विभाजित किया गया है. सबसे पहले राजसिक भोजन (Raajasic foods ) दूसरा तामसिक भोजन (Taamasic foods) और तीसरा सात्विक भोजन (Saatvik foods) है. व्रत में फल-दही जैसी चीजें खाने का वैज्ञानिक कारण बता दें कि नवरात्रि में व्रत के दौरान भक्त सात्विक भोजन करते हैं, लेकिन इसके पीछे धार्मिक पहलू के अलावा एक वैज्ञानिक कारण भी है. दरअसल, शरद नवरात्रि अक्टूबर-नवंबर के महीने में आती है. वही आपका ये जान लेना जरूरी है कि अक्टूबर-नवंबर के महीने में संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा होता है. मौसमी बदलाव के कारण हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने लगती है. ऐसे में इस मौसम में सात्विक भोजन करने से आपके पाचन तंत्र को कुछ आराम मिलता है और आपके शरीर की सभी अशुद्धियां साफ हो जाती हैं. सात्विक शब्द सत्व शब्द से बना है, जिसका अर्थ है शुद्ध, प्राकृतिक, ऊर्जावान. सात्विक खाद्य पदार्थों में ताजे फल, दही, सेंधा नमक, मौसमी सब्जियां और धनिया और काली मिर्च शामिल है. जानें- व्रत में क्यों नहीं खाते हैं प्याज और लहसुन प्याज और लहसुन को प्रकृति में तामसिक माना जाता है और कहा जाता है कि यह आपकी बॉडी में शारीरिक ऊर्जा का संचार करता है....

नवरात्रि में क्यों नहीं खाना चाहिए लहसुन

Navratri 2019, Durga Puja, navratri Vrat: खाद्य सामग्री सब्जियों के परिवार में गिनी जाती हैं वाबजूद इसके प्याज और लहसुन खाना लोग प्रीफर नहीं करते हैं। आखिर इसका क्या कारण जो इन दोनों सब्जियों को उपवास या किसी भी भगवान की प्रसाद सामग्री में शामिल नहीं किया जाता है। आज हम आपको इस तथ्य के पीछे का कारण बताने जा रहे हैं। Navratri 2019, Durga Puja: नवरात्रि में आखिर लहसुन प्याज का सेवन क्यों नहीं करना चाहिए। वैसे तो जो नौ दिन व्रत में रहता है वह नमक का भी सेवन नहीं करता, बल्कि फलाहार पर रहता है। फिर सवाल ये उठता है कि बाकी जो व्रत नहीं हैं उनको भी लहसुन प्याज से बनी सामग्रियों का त्याग क्यों कर देना चाहिए। क्या ये सिर्फ बिना आधार की मान्यता है या इसके पीछे कोई वैज्ञानिक कारण है? आइए जानते हैं इस बारे में क्या कहते हैं विशेषज्ञ: आयुर्वेद के अनुसार सनातन धर्म में भोजन को तीन भागों में बांटा गया है। इसमें पहले नंबर पर आता है राजसिक भोजन, तामसिक भोजन और सात्विक भोजन। चूंकि उपवास के दौरान लोग सात्विक आहार लेना पसंद करते हैं बजाए तामसिक और राजसिक के। इसके पीछे एक वैज्ञानिक कारण भी है। क्यों नहीं खाते प्याज और लहसुन मनोकामना मांगने के लिए कई भक्‍त नौ दिन तक उपवास भी रखते हैं। वैसे उपवास के पीछे वैज्ञानिक कारण भी है। दरअसल, शरद नवरात्र सितंबर-अक्‍टूबर में आते हैं और यह शरद ऋतु से ठंड की ऋतु में परिवर्तन का समय है। मौसम में आ रहे बदलाव की वजह से हमारे शरीर की इम्‍यूनिटी कम हो जाती है। ऐसे में गरिष्‍ठ, ऑयली और जंक फूड से दूर रहने की सलाह दी जाती है। नवरात्रों के दौरान उपवास रखने से शरीर की सफाई (detox diet) भी हो जाती है। अगर आप व्रत कर रहे हैं तो इस दौरान सोडा-कोला और शराब पूरी तरह से वर...

Healthy Eating: व्रत के दौरान प्याज़

प्राचीन चिकित्सा पद्धति के तौर में प्रचलित आयुर्वेद में प्याज और लहसुन को भोजन से अधिक औषधी के रूप में मान्यता दी गयी है। गौरतलब है कि आयुर्वेदिक भोजन शरीर के दोषों-पित्त, वात और कफ के आधार पर तैयार किया जाता है। लेकिन क्या बिना प्याज़-लहसुन का भोजन खाने से शरीर को कोई फायदा होता है या फिर इस तरह के भोजन से शरीर में किसी प्रकार के पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। आइए समझते हैं आयुर्वेद के सिद्धांतों के आधार पर बिना लहसुन-प्याज़ वाले भोजन की अहमियत। Written by |Updated : October 9, 2019 1:00 PM IST • • • • • सात्विक भोजन की सबसे बड़ी पहचान के तौर पर यही कहा जाता है कि ऐसे भोजन में प्याज और लहसुन (No Onion No Garlic) का प्रयोग नहीं किया जाता है।(Food without Onion and Garlic)) तो वहीं व्रत-उपवास के दौरान भी व्रत करने वाले लोग प्याज़-लहसुन या इससे बनी चीज़ें नहीं खाते। ( Is No Onion-Garlic Food healthy? ) सब्ज़ियों के प्रकार होने के बावजूद शाकाहारी लोगों में भी कई समूह ऐसे हैं जो प्याज़-लहसुन नहीं खाते। तो वहीं कई शाकाहारी परिवारों में लोग इसे नॉन-वेज की कैटेगरी में भी रखते हैं(जी हां, यह सच है)। लेकिन क्या बिना प्याज़-लहसुन का भोजन खाने से शरीर को कोई फायदा होता है या फिर इस तरह के भोजन से शरीर में किसी प्रकार के पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। आइए समझते हैं आयुर्वेद के सिद्धांतों के आधार पर बिना लहसुन-प्याज़ वाले भोजन की अहमियत। ( No Onion-Garlic Food and Ayurveda) आयुर्वेद के अनुसार क्यों नहीं करना चाहिए प्याज-लहसुन का कूकिंग में इस्तेमाल: प्राचीन चिकित्सा पद्धति के तौर में प्रचलित आयुर्वेद में प्याज और लहसुन को भोजन से अधिक औषधी के रूप में मान्यता दी गयी है। गौरतलब है कि आयु...

ब्राह्मण प्याज और लहसुन क्यों नहीं खाते

त्वरित अलर्ट के लिए अभी सदस्यता लें हाइपरट्रॉफिक कार्डियोमायोपैथी: लक्षण, कारण, उपचार और रोकथाम त्वरित अलर्ट अधिसूचना के लिए नमूना देखें दैनिक अलर्ट के लिए बस में • 6 घंटे पहले चैत्र नवरात्रि 2021: तिथि, मुहूर्त, अनुष्ठान और इस पर्व का महत्व • • 7 घंटे पहले हिना खान ने कॉपर ग्रीन आई शैडो और ग्लॉसी न्यूड लिप्स के साथ ग्लैमरस लुक पाएं कुछ आसान स्टेप्स! • 9 घंटे पहले उगादि और बैसाखी 2021: सेलेब्स से प्रेरित पारंपरिक सूट के साथ अपने उत्सव के रूप में सजाना • 12 घंटे पहले दैनिक राशिफल: 13 अप्रैल 2021 जरूर देखो याद मत करो • समाचार • खेल • ऑटोमोबाइल • चलचित्र • वित्त • प्रौद्योगिकी • शिक्षा • यात्रा घर योग अध्यात्म विश्वास रहस्यवाद विश्वास रहस्यवाद ओइ-सौम्या द्वारा सौम्या शकर | प्रकाशित: शुक्रवार, 22 जनवरी 2016, 16:30 [IST] ब्राह्मण हिंदू धर्म में एक जाति है, जहाँ बहुसंख्यक लोग पुजारी और विद्वान हैं। ब्राह्मणों को आगे वैष्णवों में विभाजित किया जा सकता है जो भगवान विष्णु, श्री वैष्णवों का पालन करते हैं जो भगवान नारायण के भक्त हैं और भगवान शिव और स्तुति की प्रार्थना नहीं करते हैं जो भगवान विष्णु और भगवान शिव का प्रचार करते हैं। सिवाय सख्ती के संस्कृति और पारंपरिक विश्वास , ब्राह्मण एक निश्चित भोजन शैली का भी पालन करते हैं। वे किसी भी मसालेदार भोजन का सेवन नहीं करते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात, ब्राह्मण प्याज और लहसुन का सेवन नहीं करते हैं। पुराने समय में, लोग कभी भी प्याज और लहसुन नहीं खाते थे। इन दोनों सब्जियों को कभी भी किसी ब्राह्मण के घर नहीं लाया जाता था। हालांकि, देर से, इस अवधारणा को बदल दिया गया है। हालाँकि, कई लोग स्मार्टहा, अयंगर और माधव परिवारों में आज भी प्याज या लहसुन का स...

क्यों खाने में लहसुन प्याज का उपयोग मना है? Lahsun aur pyaj kyon nahin khana chahiye

Lahsun aur pyaj kyon nahin khana chahiye? अक्सर कई संप्रदायों में देखा जाता है कि कई लोग लहसून प्याज को भोजन में इस्तेमाल नहीं करते हैं। जैन समाज, वैष्णव संप्रदाय इन दोनों तरह के समाजों में यह अधिकतर पाया जाता है। लहसुन और प्याज से परहेज किया जाता है। क्यों इसे खाने में उपयोग करने से बचा जाता है? क्यों इन्हें संन्यासियों के भोजन में भी जगह नहीं मिलती? वास्तव में लहसुन और प्याज कोई शापित या धर्म के विरूद्ध नहीं हैं। इनकी तासीर या गुणों के कारण ही इनका त्याग किया गया है। Advertisement लहसुन और प्याज दोनों ही गर्म तासीर के होते हैं। ये शरीर में गर्मी पैदा करते हैं। इसलिए इन्हें तामसिक भोजन की श्रेणी में रखा गया है। दोनों ही अपना असर गर्मी के रूप में दिखाते हैं, शरीर को गर्मी देते हैं जिससे व्यक्ति की काम वासना में बढ़ोत्तरी होती है। ऐसे में उसका मन अध्यात्म से भटक जाता है। अध्यात्म और भक्ति में मन को एकाग्र करने के लिए वासना से दूर होना जरूरी होता है। केवल लहसुन प्याज ही नहीं, वैष्णव और जैन समाज ऐसी सभी चीजों से परहेज करते हैं, जिससे कि शरीर या मन में किसी तरह की तामसिक प्रवृत्ति को बढ़ावा मिले। Advertisement अमूमन ऐसा सुना जाता है कि विधवाओं को लहसुन-प्याज नहीं खाने चाहिए। क्योंकि ये हार्मोंस को प्रभावित करते हैं। ये काम के लिए प्रेरित करते हैं और व्यक्ति के भीतर कामेच्छा बढ़ाते हैं, इसलिए विधवाओं के लिए लहसुन और प्याज का सेवन करना वर्जित कहा गया है। विदेशों में भी है चर्चित: प्राचीन मिस्त्र के पुरोहित प्याज और लहसुन को नहीं खाते थे। चीन में रहने वाले बौद्ध धर्म के अनुयायी भी इन कंद सब्जियों को खाना पसंद नहीं करते। हिंदू धर्म के आधार यानी वेदों में उल्लेखित है कि प्याज और लहसु...

नवरात्रि में ज्यादातर लोग प्याज और लहसुन क्यों नहीं खाते? – Hindi News Website

हाइलाइट्स प्याज को आयुर्वेद तामसिक कहता है तो लहसुन को राजसी, खानपान में इनसे दूर रहने को कहा गया है किस तरह के भोजन को सात्विक कहते हैं और किनका इस्तेमाल व्रत की स्थितियों में किया जाना चाहिए खासकर हिंदू और जैन धर्म में प्याज और लहसुन के निषेध की बात की गई है चैत्र नवरात्र का मतलब है देवी दुर्गा के नौ रूपों की आराधना के 09 पवित्र दिन. हिंदू धर्म में बड़े पैमाने पर इन दिनों लोग उपवास रखते हैं. जो उपवास नहीं भी रखते हैं, वो अपने खानपान और जीवन में कुछ पाबंदियों और शुचिताओं का पालन करने लगते हैं. आमतौर पर हिंदू धर्म में नवरात्र या किसी भी पवित्र त्योहार दिनों मेंप्याज और लहसुन(Onion & Garlic) से दूरी बरती जाती है. उनका सेवन मना होता है. पवित्र भोजन उसे माना जाता है, जो इनके बगैर बना हो. अगर आयुर्वेद की बात करें तो वो इन दोनों का इस्तेमाल नहीं करने की सलाह देता है. प्याज को आयुर्वेद तामसिक कहता है तो लहसुन को राजसिक. शास्त्रों में तो सख्त तौर पर ब्राह्मणों को इन दोनों से निषेध रखते हुए इनसे दूर रहने को कहा गया है. शरीर की बायोलॉजिकल क्रियाओं पर भोजन कैसे प्रभाव डालता है, इसे लेकर आमतौर से आयुर्वेद में भोजन को तीन रूपों में बांटा गया है – सात्विक, तामसिक और राजसी. इन तीन तरह के भोजन करने पर शरीर में सत, तमस और रज गुणों का संचार होता है. सात्विक भोजन क्या है? सात्विक भोजन का संबंध सत् शब्द से बताया गया है. इसका एक मतलब तो ये है कि शुद्ध, प्राकृतिक और पाचन में आसान भोजन हो और इस शब्द से दूसरा अर्थ रस का भी निकलता है यानी जिसमें जीवन के लिए उपयोगी रस हो. इन तमाम अर्थों के बाद बात ये है कि ताज़े फल, ताज़ी सब्ज़ियां, दही, दूध जैसे भोजन सात्विक हैं और इनका प्रयोग उपवास के दौरान ही न...

Explainer : नवरात्र के दिनों में क्यों ज्यादातर लोग प्याज और लहसुन से करते हैं परहेज

प्याज को आयुर्वेद तामसिक कहता है तो लहसुन को राजसी, खानपान में इनसे दूर रहने को कहा गया है किस तरह के भोजन को सात्विक कहते हैं और किनका इस्तेमाल व्रत की स्थितियों में किया जाना चाहिए खासकर हिंदू और जैन धर्म में प्याज और लहसुन के निषेध की बात की गई है चैत्र नवरात्र का मतलब है देवी दुर्गा के नौ रूपों की आराधना के 09 पवित्र दिन. हिंदू धर्म में बड़े पैमाने पर इन दिनों लोग उपवास रखते हैं. जो उपवास नहीं भी रखते हैं, वो अपने खानपान और जीवन में कुछ पाबंदियों और शुचिताओं का पालन करने लगते हैं. आमतौर पर हिंदू धर्म में नवरात्र या किसी भी पवित्र त्योहार दिनों में प्याज और लहसुन (Onion & Garlic) से दूरी बरती जाती है. उनका सेवन मना होता है. पवित्र भोजन उसे माना जाता है, जो इनके बगैर बना हो. अगर आयुर्वेद की बात करें तो वो इन दोनों का इस्तेमाल नहीं करने की सलाह देता है. प्याज को आयुर्वेद तामसिक कहता है तो लहसुन को राजसिक. शास्त्रों में तो सख्त तौर पर ब्राह्मणों को इन दोनों से निषेध रखते हुए इनसे दूर रहने को कहा गया है. शरीर की बायोलॉजिकल क्रियाओं पर भोजन कैसे प्रभाव डालता है, इसे लेकर आमतौर से आयुर्वेद में भोजन को तीन रूपों में बांटा गया है – सात्विक, तामसिक और राजसी. इन तीन तरह के भोजन करने पर शरीर में सत, तमस और रज गुणों का संचार होता है. सात्विक भोजन क्या है? सात्विक भोजन का संबंध सत् शब्द से बताया गया है. इसका एक मतलब तो ये है कि शुद्ध, प्राकृतिक और पाचन में आसान भोजन हो और इस शब्द से दूसरा अर्थ रस का भी निकलता है यानी जिसमें जीवन के लिए उपयोगी रस हो. इन तमाम अर्थों के बाद बात ये है कि ताज़े फल, ताज़ी सब्ज़ियां, दही, दूध जैसे भोजन सात्विक हैं और इनका प्रयोग उपवास के दौरान ही नहीं बल्क...

Shape

नवरात्रि के नौ दिनों के बारे में मान्यता है कि देवी दुर्गा खुद पृथ्वी पर आती हैं और अपने भक्तों के घर रहकर उन्हें ताकत और समृद्धि का आशीर्वाद देकर जाती हैं। इन नौ दिनों में कई लोग नौ दिनों का उपवास रखते हैं तो कुछ लोग शुरू का एक दिन और अंत का एक दिन। इस समय सिंघाड़े का आटा, कुट्टू का आटा, समक के चावल, साबूदाना, सेंधा नमक जैसे व्रत वाले फूड्स या फल खाने का चलन है। लेकिन जो लोग व्रत नहीं रखते हैं, वे भी अमूमन सादा खाना ही खाते हैं। इन नौ दिनों में प्याज और लहसुन का सेवन नहीं करने का चलन है। नवरात्रि के इन नौ दिनों में प्याज और लहसुन खाने की अनुमति नहीं होती है जबकि ये दोनों भी सब्जी ही हैं। Table of Contents • • • • • • • • • • क्या कहता है आयुर्वेद आयुर्वेद के अनुसार, फूड को तीन कैटेगरी - राजसिक भोजन, तामसिक भोजन और सात्विक भोजन में बांटा गया है, जो इनके नेचर और बॉडी में किये गए रिस्पॉन्स पर आधारित हैं। चैत्र नवरात्रि हो या शरद नवरात्रि, यह साल में दो बार उस समय आता है, जब मौसम बदलता है। मौसम में हो रहे इन बदलावों के कारण हमारी बॉडी का इम्यून पावर कमजोर हो जाता है। ऐसे में सात्विक फूड्स के सेवन से इस बदलते मौसम में भी खाना आसानी से डाइजेस्ट हो जाता है और बॉडी से हर तरह की इंप्योरिटी भी निकल जाती है। क्या है सात्विक भोजन TOI ‘सात्विक’ शब्द ‘सत्व’ से निकला है, जिसका मतलब शुद्ध, नैचुरल, साफ, एनर्जी प्रदान करने वाला है। सात्विक फूड्स में फल, दही, काला नमक, मौसमी सब्जियां और धनिया, काली मिर्च जैसे हल्के मसाले शामिल हैं। सात्विक भोजन के सेवन से शरीर से टॉक्सिन को दूर करने में भी मदद मिलती है, जो तले-भुने, अनहेल्दी खाने के साथ शरीर में इंटर करता है। क्या है राजसिक और तामसिक भोजन रा...

व्रत और पूजा में क्यों नहीं होता है लहसुन तथा प्याज का प्रयोग पढ़ें यह पौराणिक कथा

लहसुन तथा प्याज के आयुर्वेदिक गुणों से हर कोई वाकिफ है। लहसुन तथा प्याज सब्जियों का हिस्सा है। हालांकि अधिकतर लोगों के मन में यह सवाल आता है कि लहसुन तथा प्याज का प्रयोग व्रत और पूजा में क्यों नहीं किया जाता है? इस सवाल का जवाब समुद्र मंथन की पौराणिक घटना में छिपा है। आइए जानते हैं कि समुद्र मंथन के समय ऐसा क्या हुआ था, जिसके कारण लहसुन और प्याज का प्रयोग पूजा तथा व्रत में वर्जित है। सबसे पहले अमृत पान की बारी देवताओं की थी, तो भगवान विष्णु क्रमश: देवताओं को अमृत पान कराने लगे। तभी एक राक्षस देवता का रूप धारण कर उनकी पंक्ति में खड़ा हो गया। सूर्य देव और चंद्र देव उसे पहचान गए। उन्होंने विष्णु भगवान से उस राक्षस की सच्चाई बताई, तब भगवान विष्णु ने अपने चक्र से उसका सिर धड़ से अलग कर दिया। उसने थोड़ा अमृत पान किया था, जो अभी उसके मुख में था। सिर कटने से खून और अमृत की कुछ बूंदें जमीन पर गिर गईं। उससे ही लहसुन और प्याज की उत्पत्ति हुई। जिस राक्षस का सिर और धड़ भगवान विष्णु ने काटा था, उसका सिर राहु और धड़ केतु के रूप में जाना जाने लगा। राक्षस के अंश से लहसुन और प्याज की उत्पत्ति राक्षस के अंश से लहसुन और प्याज की उत्पत्ति हुई थी, इस कारण से उसे व्रत या पूजा में शामिल नहीं किया जाता है। उनकी जहां उत्पत्ति हुई थी, वहां अमृत की बूंदें भी गिरी थीं, इस कारण से लहसुन और प्याज में अमृत स्वरूप औषधीय गुण विद्यमान हो गए। लहसुन और प्याज कई तरह की बीमारियों में लाभदायक होता है। राक्षस के अंश से उत्पत्ति के कारण इसे काफी लोग अपने भोजन में भी शामिल नहीं करते हैं। लहसुन और प्याज को तामसिक भोज्य पदार्थ माना जाता है। इस वजह से भी इसे पूजा आदि में वर्जित किया गया है।

Explainer : नवरात्र के दिनों में क्यों ज्यादातर लोग प्याज और लहसुन से करते हैं परहेज

प्याज को आयुर्वेद तामसिक कहता है तो लहसुन को राजसी, खानपान में इनसे दूर रहने को कहा गया है किस तरह के भोजन को सात्विक कहते हैं और किनका इस्तेमाल व्रत की स्थितियों में किया जाना चाहिए खासकर हिंदू और जैन धर्म में प्याज और लहसुन के निषेध की बात की गई है चैत्र नवरात्र का मतलब है देवी दुर्गा के नौ रूपों की आराधना के 09 पवित्र दिन. हिंदू धर्म में बड़े पैमाने पर इन दिनों लोग उपवास रखते हैं. जो उपवास नहीं भी रखते हैं, वो अपने खानपान और जीवन में कुछ पाबंदियों और शुचिताओं का पालन करने लगते हैं. आमतौर पर हिंदू धर्म में नवरात्र या किसी भी पवित्र त्योहार दिनों में प्याज और लहसुन (Onion & Garlic) से दूरी बरती जाती है. उनका सेवन मना होता है. पवित्र भोजन उसे माना जाता है, जो इनके बगैर बना हो. अगर आयुर्वेद की बात करें तो वो इन दोनों का इस्तेमाल नहीं करने की सलाह देता है. प्याज को आयुर्वेद तामसिक कहता है तो लहसुन को राजसिक. शास्त्रों में तो सख्त तौर पर ब्राह्मणों को इन दोनों से निषेध रखते हुए इनसे दूर रहने को कहा गया है. शरीर की बायोलॉजिकल क्रियाओं पर भोजन कैसे प्रभाव डालता है, इसे लेकर आमतौर से आयुर्वेद में भोजन को तीन रूपों में बांटा गया है – सात्विक, तामसिक और राजसी. इन तीन तरह के भोजन करने पर शरीर में सत, तमस और रज गुणों का संचार होता है. सात्विक भोजन क्या है? सात्विक भोजन का संबंध सत् शब्द से बताया गया है. इसका एक मतलब तो ये है कि शुद्ध, प्राकृतिक और पाचन में आसान भोजन हो और इस शब्द से दूसरा अर्थ रस का भी निकलता है यानी जिसमें जीवन के लिए उपयोगी रस हो. इन तमाम अर्थों के बाद बात ये है कि ताज़े फल, ताज़ी सब्ज़ियां, दही, दूध जैसे भोजन सात्विक हैं और इनका प्रयोग उपवास के दौरान ही नहीं बल्क...