रंगभूमि उपन्यास के लेखक

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प्रेमचंद :: :: :: रंगभूमि :: उपन्यास

संध्‍या हो गई थी। किंतु फागुन लगने पर भी सर्दी के मारे हाथ-पाँव अकड़ते थे। ठंडी हवा के झोंके शरीर की हड्डियों में चुभे जाते थे। जाड़ा, इंद्र की मदद पाकर फिर अपनी बिखरी हुई शक्तियों का संचय कर रहा था और प्राणपण से समय-चक्र को पलट देना चाहता था। बादल भी थे, बूँदें भी थीं, ठंडी हवा भी थी, कुहरा भी था। इतनी विभिन्न शक्तियों के मुकाबिले में ऋतुराज की एक न चलती। लोग लिहाफ में यों मुँह छिपाए हुए थे, जैसे चूहे बिलों में से झाँकते हैं। दूकानदार अंगीठियों के सामने, बैठे हाथ सेंकते थे। पैसों के सौदे नहीं, मुरौवत के सौदे बेचते थे। राह चलते लोग अलाव पर यों गिरते थे, मानो दीपक पर पतंगे गिरते हों। बड़े घरों की स्त्रियाँ मनाती थीं-मिसराइन न आए, तो आज भोजन बनाएँ, चूल्हे के सामने बैठने का अवसर मिले। चाय की दूकानों पर जमघट रहता था। ठाकुरदीन के पान छबड़ी में पड़े सड़ रहे थे; पर उसकी हिम्मत न पड़ती थी कि उन्हें फेरे! सूरदास अपनी जगह पर तो आ बैठा था; पर इधार-उधार से सूखी टहनियाँ बटोरकर जला ली थीं और हाथ सेंक रहा था। सवारियाँ आज कहाँ! हाँ, कोई इक्का-दुक्का मुसाफिर निकल जाता था, तो बैठे-बैठे उसका कल्याण मना लेता था। जब से सैयद ताहिर अली ने उसे धामकियाँ दी थीं, जमीन के निकल जाने की शंका उसके हृदय पर छाई रहती थी। सोचता-क्या इसी दिन के लिए, मैंने इस जमीन का इतना जतन किया था? मेरे दिन सदा यों ही थोड़े ही रहेंगे, कभी तो लच्छमी प्रसन्न होंगी! अंधों की आँखें न खुलें; पर भाग खुल सकता है। कौन जाने, कोई दानी मिल जाए, या मेरे ही हाथ में धीरे-धीरे कुछ रुपये इकट्ठे हो जाएँ, बनते देर नहीं लगती। यही अभिलाषा थी कि यहाँ एक कुआँ और एक छोटा-सा मंदिर बनवा देता, मरने के पीछे अपनी कुछ निशानी रहती। नहीं तो कौन जानेगा क...

प्रेमचंद

डाक टिकट पर प्रेमचंद जन्म 31 जुलाई 1880 लमही, वर्तमान - लमही, मृत्यु 8 अक्टूबर 1936 ( 1936-10-08) (उम्र56) व्यवसाय अध्यापक, लेखक, पत्रकार राष्ट्रीयता अवधि/काल विधा कहानी और उपन्यास विषय साहित्यिक आन्दोलन , उल्लेखनीय कार्य हस्ताक्षर धनपत राय श्रीवास्तव ( ३१ जुलाई १८८० – ८अक्टूबर १९३६ जो प्रेमचंद नाम से जाने जाते हैं, वो जागरण तथा साहित्यिक पत्रिका हंस का संपादन और प्रकाशन भी किया। इसके लिए उन्होंने सरस्वती प्रेस खरीदा जो बाद में घाटे में रहा और बन्द करना पड़ा। प्रेमचंद फिल्मों की पटकथा लिखने मुंबई आए और लगभग तीन वर्ष तक रहे। जीवन के अंतिम दिनों तक वे साहित्य सृजन में लगे रहे। महाजनी सभ्यता उनका अंतिम निबन्ध, साहित्य का उद्देश्य अन्तिम व्याख्यान, कफन अन्तिम कहानी, गोदान अन्तिम पूर्ण उपन्यास तथा मंगलसूत्र अन्तिम अपूर्ण उपन्यास माना जाता है। अनुक्रम • 1 जीवन परिचय • 2 साहित्यिक जीवन • 3 रचनाएँ • 3.1 उपन्यास • 3.2 कहानी • 3.3 नाटक • 3.4 कथेतर साहित्य • 3.5 अनुवाद • 3.6 विविध • 4 संपादन • 5 विशेषताएँ • 6 विचारधारा • 7 विरासत • 8 प्रेमचंद संबंधी रचनाएँ • 8.1 जीवनी • 8.2 आलोचनात्मक पुस्तकें • 8.3 प्रेमचंद और सिनेमा • 9 स्मृतियाँ • 10 विवाद • 11 हिन्दी विकिस्रोत पर उपलब्ध प्रेमचन्द साहित्य • 12 सन्दर्भ • 12.1 सहायक पुस्तकें जीवन परिचय प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई इस बात की पुष्टि रामविलास शर्मा के इस कथन से होती है कि- "सौतेली माँ का व्यवहार, बचपन में शादी, पण्डे-पुरोहित का कर्मकाण्ड, किसानों और क्लर्कों का दुखी जीवन-यह सब प्रेमचंद ने सोलह साल की उम्र में ही देख लिया था। इसीलिए उनके ये अनुभव एक जबर्दस्त सचाई लिए हुए उनके कथा-साहित्य में झलक उठे थे।" प्रेमचंद घर में शीर्षक पुस्तक भी लि...

रंगभूमि: एक विवेचन

31 जुलाई, प्रेमचंद जयंती पर विशेषः प्रेमचंद की उपन्यास यात्रा ‘असरारे मआबिद उर्फ़ देवस्थान रहस्य’ नामक उपन्यास से प्रारंभ होती है। प्रेमचंद का यह उपन्यास प्रथम बार वर्ष 1903 से वर्ष 1905 तक बनारस के साप्ताहिक उर्दू पत्र ‘आवाज-ए-खल्क’ में धारावाहिक रूप में प्रकाशित हुआ था। यह उपन्यास उनके चार प्रारंभिक उपन्यासों के संकलन ‘मंगलाचरण’ में संकलित है। ‘असरारे मआबिद उर्फ़ देवस्थान रहस्य’ उपन्यास मूलतः उर्दू में लिखा गया है। इस उपन्यास के अलावा उनके मंगलाचरण में संकलित तीन अन्य उपन्यासों हमखुर्मा व हमसवाब, प्रेमा और रूठी रानी में से हमखुर्मा व हमसवाब तथा रूठी रानी भी मूलतः उर्दू में ही लिखे गए थे। ‘प्रेमा’ उपन्यास तो वस्तुतः हमखुर्मा व हमसवाब का ही हिंदी रूपांतर है। ‘असरारे मआबिद’ और ‘हमखुर्मा व हमसवाब’ उपन्यासों के बाद प्रेमचंद के क्रमशः किशना (1907 ई.), रूठी रानी (1907 ई.), वरदान (1912 ई.), सेवासदन (1918 ई.), प्रेमाश्रम (1921 ई.), रंगभूमि (1925 ई.), कायाकल्प (1926 ई.), निर्मला (1925-1926 ई.), प्रतिज्ञा (1927 ई.), गबन (1931 ई.), कर्मभूमि (1932 ई.), गोदान (1936 ई.), और मंगलसूत्र (1948 ई.) उपन्यास प्रकाशित हुए। इस प्रकार प्रेमचंद ने कुल 15 उपन्यास लिखे। इन उपन्यासों में ‘किशना’ एक ऐसा उपन्यास है, जो अभी तक अनुपलब्ध है। ‘मंगलसूत्र’ प्रेमचंद का अपूर्ण उपन्यास है, जो उनकी मृत्यु के ग्यारह वर्षों के पश्चात् 1948 में प्रकाशित हुआ। ‘रंगभूमि’ प्रेमचंद का सबसे बड़ा उपन्यास है। इस उपन्यास का प्रकाशन गंगा पुस्तक माला कार्यालय, लखनऊ से जनवरी 1925 में 1 हुआ था। उर्दू में रंगभूमि का अनुवाद ‘चौगाने हस्ती’ सन् 1927 में दारुल इशायत, लाहौर से 2 प्रकाशित हुआ था। वस्तुतः पूर्व के उपन्यासों की तरह प्रेमच...

माँ उपन्यास के लेखक कौन हैं

विषयसूची Show • • • • • • • • • • • • • • • नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ माँ क्रांतिकारी कारखाने के कर्मचारियों के बारे में 1906 में मैक्सिम गोर्की द्वारा लिखित एक उपन्यास है। इस काम कई भाषाओं में अनुवाद किया गया था, और फिल्मों की संख्या में बनाया गया था। जर्मन नाटककार बर्टोल्ट ब्रेख्त और उसके सहयोगियों को उनकी 1932 में इस उपन्यास पर माँ ड्रामा आधारित है।[1] संदर्भों[संपादित करें] • ↑ Maxsim Gorky's biography Archived 2015-10-08 at the Wayback Machine, (अंग्रेज़ी), britannica.com "https://hi.wikipedia.org/w/index.php?title=माँ_(उपन्यास)&oldid=4784660" से प्राप्त छुपी हुई श्रेणी: • वेबआर्काइव टेम्पलेट वेबैक कड़ियाँ मां उपन्यास के लेखक कौन थे?... लेखक ज्ञान गंगा हिंदू Manvendra Singh Rathore Teacher 0:19 चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। मां उपन्यास के लेखक कौन थे तो दिखी मां के लिखे गए वह मिक्सिंग गोरकी थी जिन्होंने 1996 कंपनियों के एक क्रांतिकारी संगठन के बारे में उस उपन्यास में लिखें Romanized Version ऐसे और सवाल मां उपन्यास के लेखक कौन हैं?... मां उपन्यास के लेखक का नाम है अनीस उल हक जिन्होंने मां उपन्यास लिखा है... और पढ़ें Rahul kumarEngineer दो उपन्यास का लेखक कौन है?... उपन्यास के दो प्रसिद्ध लेखक में मुंशी प्रेमचंद और सर्वेश्वर दयाल सक्सेना का नाम आता और पढ़ें Rabindra ThakurTeacher महाकाल उपन्यास के लेखक कौन है?... महाकाल उपन्यास के लेखक का नाम गुरुदत्त धाम ऐतिहासिक घटना से पेट भर गया जिसने... और पढ़ें PreetisinghJunior Volunteer गोदान उपन्यास के लेखक कौन हैं?... अनुसार अब उसने गोद...

Allah Miyan Ka Karkhana novel won award

- हिंदी अनुवादक सईद अहमद को 15 लाख की नकद राशि से नवाजा गया फोटो 0 अलीगढ । कार्यालय संवाददाता भारत के प्रमुख सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में से एक बैंक ऑफ़ बड़ौदा ने बैंक ऑफ़ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मान 2023 के विजेता की घोषणा की। उर्दू में लिखित उपन्यास अल्लाह मियां का कारखाना के लेखक मोहसिन खान और हिंदी अनुवादक सईद अहमद इस सम्मान के विजेता घोषित किए गए। विजेता लेखक और अनुवादक की घोषणा दिल्ली में आयोजित सम्मान समारोह में की गई। इसके अलावा पांच अन्य उपन्यासों को उप विजेता घोषित किया गया है। बैंक ऑफ बड़ौदा की परफेक्ट रिलेशन अधिकारी स्नेहा जोशी ने बताया कि उपन्यास के विजेता लेखक मोहसिन खान और हिंदी अनुवादक सईद अहमद को बैंक ऑफ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मान और 21 लाख व 15 लाख की सम्मान राशि प्रदान की गई। अन्य पांच उप विजेता लेखकों और संबंधित हिंदी अनुवादकों प्रत्येक को क्रमशः 3 लाख और 2 लाख की सम्मान राशि से सम्मानित किया गया। पांच सदस्यीय पुरस्कार निर्णायक समिति की अध्यक्षता प्रसिद्ध लेखक और अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार विजेता गीतांजलि ने की। उनके साथ निर्णायक समितिके अन्य सदस्यों प्रसिद्ध भारतीय कवि अरुण कमलय शिक्षाविद्‌ एवं आहार आलोचक पुष्पेश पंतय समकालीन भारतीय कवि और उपन्यासकार अनामिकाय और हिंदी कथा लेखक एवं अनुवादक प्रभात रंजन ने पुरस्कार के लिए छह नामांकित पुस्तकों में से विजेता का चयन किया। बैंक ऑफ बड़ौदा के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी संजीव चड्ढा ने कहा किए बैंक ऑफ़ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मान 2023 के पहले वर्ष के विजेता मोहसिन खान और सईद अहमद और नामांकित अन्य शॉर्टलिस्ट कृतियों के लेखकों और अनुवादकों को मेरी हार्दिक बधाई।

Full text of "रंगभूमि

Full text of " । प्रेमचंद ० साहित्य रंगभूमि रंगभूमि प्रेमचंद प्रभात प्रकाशन , दिल्ली ISO 9001: 2008 प्रकाशक प्रेमचंद : जीवन और साहित्य जीवन - परिचय आधुनिक हिंदी साहित्य के इतिहास में हिंदी-उर्दू के विश्वविख्यात एवं कालजयी कथाकार प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई, 1880 को वाराणसी के निकट लमही गाँव में हुआ था । पिता का नाम था मुंशी अजायब लाल श्रीवास्तव तथा माता का नाम आनंदी । वे माँ के बड़े लाड़ले थे, क्योंकि वे तीन पुत्रियों के बाद पैदा हुए थे। पिता ने पुत्र का नाम रखा धनपतराय और ताऊ ने नवाबराय, लेकिन वे प्रेमचंद के नाम से हिंदी- उर्दू के प्रसिद्ध लेखक बने । बचपन में वे नटखट और खिलाड़ी बालक थे और गाँव की बाल -मंडली के तो वे सरताज थे। उन्होंने आठ वर्ष की आयु में एक मौलवी साहब से उर्दू- फारसी की शिक्षा प्राप्त की , तभी उनकी माता का देहांत हो गया और पिता ने दो वर्ष बाद दूसरी शादी कर ली । उन्होंने सन् 1899 में एंट्रेंस परीक्षा द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण की और सन् 1900 में बीस रुपए मासिक पर सरकारी स्कूल में अध्यापक की नौकरी शुरू की , जो 16 फरवरी, 1921 तक चलती रही । उन्होंने सन् 1915 में इंटरमीडिएट और सन् 1919 में बी . ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की । वे एम. ए. अंग्रेजी साहित्य में करना चाहते थे, किंतु बीमारी तथा जीवन के झंझटों के कारण नहीं कर सके । उनके जीवन में अनेक बाधाएँ आई और तनाव भी रहे , आर्थिक हानि भी हुई, लेकिन वे साहस के साथ आगे बढ़ते चले गए । उनके जीवन में कई बार अस्थिरता और आर्थिक अनिश्चितता रही , कई बार नौकरी बदली, अर्थ- संकट को दूर करने के लिए बंबई की फिल्मी दुनिया में भी नौकरी की , लेकिन सरस्वती प्रेस तथा प्रकाशन के व्यापार में हुए घाटे एवं बीमारी ने उन्हें इतना पीडित कर दिया ...

[Solved] "रंगभूमि" नामक पुस्तक के लेखक कौन हैं?

विकल्प 1 सही है, यानी प्रेम चंद। • मुंशी प्रेमचंद“ रंगभूमि” नामक पुस्तक के लेखक हैं। • उपन्यास का मुख्यविषय एक भिखारी की भूमि के जबरन अधिग्रहण के खिलाफ संघर्ष है। अतिरिक्त तथ्य: नाम पेशा विवरण हरिवंशराय बच्चन लेखक मधुशाला और सतरंगिनी उनकी प्रसिद्ध पुस्तक थी। गुलजार लेखक उपेक्षित कविताएँ, मौसम, और कोशीश उनकी प्रसिद्ध पुस्तक थी। सत्यजीत रे फिल्म निर्माता और लेखक द इनक्रेडिबल एडवेंचर ऑफ़ प्रोफेसर शंकु, चाइल्डहुड डेज उनकी प्रसिद्ध पुस्तक है। RRB Group D Application Refund Notice has been released.The Railway Recruitment Board has initiated the Refund for RRB Group B Application Fee. The candidates can update their bank details from 14th April 2023 to 30th April 2023.The exam was conducted from 17th August to11th October 2022.The RRB (Railway Recruitment Board) had conducted the