राधा रानी मंदिर बरसाना टाइमिंग

  1. राधा जी की जन्मस्थली है बरसाना
  2. Shri Radha Rani Mandir, Barsana
  3. प्रसिद्ध 10 बरसाना के दर्शनीय स्थल barsana ke darshaniya sthal
  4. श्री राधा रानी मंदिर, बरसाना
  5. कीर्ति मन्दिर : बरसाना में बना राधा रानी की माँ का मंदिर


Download: राधा रानी मंदिर बरसाना टाइमिंग
Size: 21.21 MB

राधा जी की जन्मस्थली है बरसाना

राधा जी की जन्मस्थली है बरसाना जन्माष्टमी का पर्व कुछ ही दिनों में मनाया जाने वाला है। ऐसे में कृष्णभक्तों के लिए कृष्ण और राधा से संबंधित तीर्थ स्थलों की व्यापक जानकारी प्रदान करने के क्रम में प्रस्तुत है राधा जी से संबंधित प्रमुख स्थल 'बरसाना' की जानकारी- बरसाना राधा के पिता वृषभानु का निवास स्थान था। यहीं पर भगवान श्रीकृष्ण की प्रेमिका राधा का जन्म हुआ था। दिल् जन्माष्टमी का पर्व कुछ ही दिनों में मनाया जाने वाला है। ऐसे में कृष्णभक्तों के लिए कृष्ण और राधा से संबंधित तीर्थ स्थलों की व्यापक जानकारी प्रदान करने के क्रम में प्रस्तुत है राधा जी से संबंधित प्रमुख स्थल 'बरसाना' की जानकारी- बरसाना राधा के पिता वृषभानु का निवास स्थान था। यहीं पर भगवान श्रीकृष्ण की प्रेमिका राधा का जन्म हुआ था। दिल्ली से 114 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मथुरा जिले में बरसाना की होली पूरे विश्व भर में लोकप्रिय है। बरसाने में होली का उत्सव 45 दिनों तक मनाया जाता है जिसे देखने के लिए पर्यटक भारी संख्या में यहां आते हैं। कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर भी यहां भक्तों की भारी भीड़ होती है। राधा रानी का विशाल मंदिर बरसाना में राधा रानी का विशाल मंदिर है, जिसे लाड़ली महल के नाम से भी जाना जाता है। यहां सुबह-शाम भक्तों का तांता लगा रहता है। इस मंदिर में स्थापित राधा रानी की प्रतिमा को ब्रजाचार्य श्रील नारायण भट्ट ने बरसाना स्थित ब्रहृमेश्वर गिरि नामक पर्वत में से संवत् 1626 की आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को निकाला था। इस मंदिर में दर्शन के लिए 250 सीढि़यां चढ़नी पड़ती हैं। यहां राधाष्टमी के अवसर पर भाद्र पद शुक्ल एकादशी से चार दिवसीय मेला जुड़ता है। इस मंदिर का निर्माण आज से लगभग 400 वर्ष पूर्व ओरछा नरेश ने कराया था। यहा...

Shri Radha Rani Mandir, Barsana

About Temple A top Bhanugarh, one of the four peaks of Barsana, is the famous temple of Shriji. This deity of Shriji, also known as Ladli Lal (The beloved one), were originally established by Vajranabh, some 5000 years ago but were lost later on. One very great devotee of Lord Chaitanya, Narayan Bhatt Goswami, discovered the deities just close by, and installed them here. The temple is a masterpiece of exquisite stonework with beautiful arches and domes adorning the palace. There are beautiful colorful pictures on the walls and ceiling of this temple, depicting the loving pastimes of Shri Shri Radha and Krishna. This temple is one of the most important places to visit in Vraja. All the Vrajavasis gather together at this particular temple to celebrate Radhashtami, the appearance day festival of Shrimati Radharani. At the foot of the steps that lead to this temple is the palace of Vrishabhanu Maharaj where one can have darshan of Vrishabhanu, Kirtida, Shridama and Shri Radhika. Near this palace is the temple of Brahmaji who is welcoming and blessing devotees going to take darshan of Ladli lal. Also close by is the Ashtasakhi temple where one can have darshan of Shri Radhika alongwith Her principal Sakhis. Barsana Gram also called Vrishabhanupur. Barsana is birth place Radha Rani daughter of Shri Vrisbanu. The celebration of Holi is celebrated for 45 days in Barsana. There are four peaks of these hills- Bhangarh, Maangarh, Daangarh and Vilasgarh and each of these peaks is one...

प्रसिद्ध 10 बरसाना के दर्शनीय स्थल barsana ke darshaniya sthal

श्री राधा रानी मंदिर को श्रीजी मंदिर और श्री लाडली लाल मंदिर भी कहा जाता है। मंदिर देवी राधा को समर्पित है। मंदिर भानुगढ़ की पहाड़ी पर लगभग 250 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। मंदिर अपने लोकप्रिय त्योहारों राधाष्टमी और लट्ठमार होली के लिए प्रसिद्ध है और दुनियाभर से भक्तों और पर्यटकों को आकर्षित करता है। यह बरसाना के दर्शनीय स्थल में मुख्य मंदिर है। बरसाना के सबसे पुराने मंदिरों में से एक यह मंदिर लगभग 800 साल पुराना है। बृज के कई मंदिरों की तरह इस मंदिर के नाम के साथ एक दिलचस्प पौराणिक कथा जुड़ी है। "दान" शब्द का अर्थ दान जबकि "बिहारी" कृष्ण भगवान को संबोधित करता है। यह कहा जाता है कि एक बार एक गरीब ब्राह्मण अपनी बेटी की शादी के लिए धन जुटाने में असमर्थ था। तब कृष्ण भगवान ने उस ब्राह्मण को राधा के बजन के बराबर सोना दान दिया था। इस तरह कृष्ण ने अपनी एक और दिव्य कृपा का प्रदर्शन किया था। 4 - पीली पोखर pili pokhar (priya kund) : प्रेम सरोवर बरसाना से एक मील दूर नंदगांव के रास्ते पर एक नाव के आकार में स्थित है। भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करने वाला यह मनमोहक स्थान के बारे में माना जाता है कि यहां राधा रानी श्रीकृष्ण के अलगाव से रोने लगी और श्री कृष्ण भी रोने लगे। उनके आसुओं से प्रेम सरोवर का निर्माण हुआ। 6 - रंगीली महल rangili mahal : रंगीली महल जगतगुरु कृपालु परिषद के मुख्य केंद्रों में से एक है जो राधा रानी के साश्वत निवास बरसाना में स्थित है। इसकी स्थापना 1996 में की गई थी। रंगीली महल में हाल के चारो ओर कृष्ण की लीलाओं के चित्रण के साथ एक बड़ा सत्संग हाल है। यहां पर सुंदर गार्डन, झरने और अन्य आकर्षण भी हैं। रंगीली महल परिसर में कीर्ति मंदिर भी है जो देश में राधा रानी की माँ का पहला मं...

श्री राधा रानी मंदिर, बरसाना

श्री राधा रानी मंदिर, भानुगढ़ पहाड़ियों की चोटी पर स्थित बरसाने की प्रथम पूज्य `प्रेम की देवी` श्री राधा रानी का पहला मंदिर है। बरसाना राधा रानी की जन्म स्थली है, और वहाँ के लोग उन्हें प्रेम से लाड़लीजी और श्रीजी पुकारते हैं। अतः यह मंदिर श्रीजी मंदिर तथा लाडली सरकार महल के नाम से भी जाना जाता है। होली और राधाष्टमी लाडली लाल मंदिर के विश्व प्रसिद्ध उत्सव हैं. इन त्यौहारों पर लाखों की संख्या में लाडलीजी भक्त यहाँ दर्शन के लिए पधारते हैं। About Temple अतः इसे वृषभानुपुर ग्राम भी बुलाते हैं। बरसाना राधा के पिता वृषभानु का निवास स्थान था। बरसाने में होली का उत्सव 45 दिनों तक मनाया जाता है. यहां स्थित जिन चार पहाड़ों पर राधा रानी का भानुगढ़, दान गढ़, विलासगढ़ व मानगढ़ हैं, वे ब्रह्मा के चार मुख माने गए हैं। इसी तरह यहां के चारों ओर सुनहरा की जो पहाड़ियां हैं उनके आगे पर्वत शिखर राधा रानी की अष्टसखी रंग देवी, सुदेवी, ललिता, विशाखा, चंपकलता, चित्रा, तुंग विद्या व इंदुलेखा के निवास स्थान हैं। यहां स्थित मोर कुटी, गहवखन व सांकरी खोर आदि भी अत्यंत प्रसिद्ध हैं। सांकरी खोर दो पहाड़ियों के बीच एक संकरा मार्ग है।

कीर्ति मन्दिर : बरसाना में बना राधा रानी की माँ का मंदिर

कीर्ति महारानी यानी राधा रानी की माँ। बरसाना में राधा रानी का मंदिर है। उनके पिता वृषभानु जी का मंदिर है। उनके दादी-बाबा का मंदिर है। उनकी अष्टसखियों का मंदिर है। उनकी माँ का कोई मन्दिर नहीं था। अब यह कमी भी पूरी हुई। कृपालु महाराज के बरसाना स्थित आश्रम में कीर्ति मन्दिर बन कर तैयार हो चुका है। 11 फरवरी से इस भव्य मंदिर के द्वार आमजन के लिए खुले होंगे। बारह वर्ष से अधिक समय में बनकर हुआ तैयार कीर्ति मन्दिर। कीर्ति मन्दिर के निर्माण में बारह वर्ष से अधिक समय लग गया। आठ मई 2006 को कृपालु महाराज ने इस मंदिर की आधार शिला रखी थी। नवम्बर 2013 में कृपालु महाराज का स्वर्गवास हो गया। उनके अनुयायियों ने अपने आध्यात्मिक मार्गदर्शक के स्वप्न को श्रद्धा से पूरा किया। कीर्ति मन्दिर का अलौकिक सौंदर्य और भव्य वास्तु इसकी तस्दीक करते हैं। जानिए कृपालु महाराज के बारे में अक्तूबर 1922 में कृपालु महाराज का जन्म संयुक्त प्रान्त में इलाहाबाद के पास मनगढ़ गांव में हुआ था। मनगढ़ में इनकी ननिहाल थी।वर्तमान में यह उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के अंतर्गत आता है। इनका नाम रामकृपालु त्रिपाठी था। ये बचपन से ही विलक्षण थे और प्रखर आध्यात्मिक चेतना इनमें व्याप्त थी। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा गांव में ही हुई। आगे की पढ़ाई के लिए ये मध्यप्रदेश के महू चले गए। अपनी विलक्षण मेधा के बल पर इन्होंने साहित्याचार्य, आयुर्वेदाचार्य और व्याकरणाचार्य जैसी उपाधियां कम उम्र में ही प्राप्त कर लीं। 1957 में काशी विद्वत परिषद द्वारा जगद्गुरु की उपाधि दी गई। जल्द ही वे अपने तर्कसंगत प्रवचनों के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध हो गए। ब्रजचार्य श्रील नारायण भट्टजी के बाद राधा तत्व का ज्ञान रखने वाले और प्रचार-प्रसार करने वाले दूसरे...