रागी फसल का चित्र

  1. रागी की खेती (मडुआ)
  2. सरकारी योजनाओं से रागी को मिल रहा पुनर्जीवन...
  3. रागी की खेती कैसे करें
  4. रागी
  5. रागी की खेती ! रागी से कमाई तथा उपज Finger millet farming mandua
  6. ragi in hindi
  7. रागी (Ragi) के फायदे, उपयोग, पोषक तत्त्व, नुकसान
  8. रागी फसल के बारे में बताइए? » Ragi Fasal Ke Bare Mein Bataiye


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रागी की खेती (मडुआ)

रागी की खेती (मडुआ) -जानें उन्नत कृषि तकनीक भारत में प्राचीन काल से विभिन्न प्रकार की फसलों की खेती होती आ रही है। कृषि क्षेत्र में कुछ फसल तो ऐसी भी है, जो कई हजारों साल पुरानी है। और प्राचीन काल से ही इनकी खेती मुख्य तौर पर की जा रही है। ऐसी ही पुरानी और मुनाफेमंद फसल में रागी भी एक है। भारत में इसकी खेती करीब 4 हजार साल पहले आई थी। यह एक ऐसी फसल है, जो विपरीत परिस्थितियो एवं सीमित वर्षा वाले क्षेत्रो में आसानी से उगाया जा सकता है। इसे अनाज की पहली फसल भी कहते है। इसे फिंगर बाजरा, अफ्रीकन रागी, लाल बाजरा आदि के नाम से जाना जाता है। इसकी खेती सिंचित और असिंचित दोनों जगहों पर की जा सकती है। यह गंभीर सूखे को सहन कर सकती है और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भी आसानी से उगाई जा सकती है। रागी सभी फसलों में सबसे ज्यादा उगाई जाने वाली फसल है। इसमें खनिज, और प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होती है। इसके अलावा इसमें लोह तत्वों की मात्रा भी ज्याादा पाई जाती है। जिस वजह से यह कम हीमोग्लोबिन वाले व्यक्ति के लिए बहुत लाभदायक है। तो आइये ट्रैक्टरगुरु के इस लेख के माध्यम से जानते हैं रागी की खेती कैसे करें। रागी की खेती से पैदावार और लाभ रागी अनाज की पहली फसल है। रागी को सूखा प्रभावित क्षेत्र में भी आसानी से उगाया जा सकता है। क्योंकि यह शुष्क मौसम में उगाई जाने वाली फसल है। यह ऊँचा तापक्रम और गंभीर सूखे को भी सहन कर सकती है। यह कम समय वाली फसल है, 65 दिनों में कटाई कर सकते हैं। रागी की फसल बुवाई के बाद 115 से 125 दिनों में कटाई के तैयार हो जाती है। फसल पूर्ण रूप से पकने पर इसके सिरों को पौधों से काटकर अलग करें, फसल अच्छे से सूख जाएं तब मशीन की सहायता से गहाई के बाद बीज की ओसाई करें। दानो को धूप में ...

सरकारी योजनाओं से रागी को मिल रहा पुनर्जीवन...

पीढिय़ों से रागी आदिवासी इलाकों में निवासरत लोगों का एक प्रमुख खाद्यान्न हुआ करता था। किन्तु समय के साथ इसके उपभोग में कमी आने लगी, लेकिन आज शासन-प्रशासन की योजनाओं से रागी की खेती को पुनर्जीवन मिल रहा है। राज्य शासन द्वारा राजीव गांधी किसान न्याय योजना के अंतर्गत अन्य फसलों को प्रोत्साहन देने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। जिससे रागी का रकबा बढ़ रहा है। रायगढ़ में भी रागी के रकबे में विस्तार हुआ है। जिले के लैलूगा, धरमजयगढ़, घरघोड़ा, तमनार एवं खरसिया जैसे आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में कई पीढिय़ों से रागी की खेती करते रहे है। यही कारण है कि फसल के उत्पादन और विशेषता से अनभिज्ञ नही थे। लेकिन बाजार मेें उचित मांग और मूल्य नही होने से इसका रकबा सीमित हो चुका था। किन्तु आज शासन-प्रशासन से मिले प्रोत्साहन से जिले में खरीफ 2021-22 में लगभग 1680 हेक्टेयर में रागी की फसल ली जा रही है। जिसमें से एक तिहाई से अधिक रकबा सिर्फ लैलूंगा विकासखण्ड में है। यहां पिछले खरीफ वर्ष में रागी की पैदावार नगण्य रही। वहीं इस खरीफ वर्ष में लैलूंगा में किसान 609 हेक्टेयर में रागी की फसल ले रहे है। इससे लैलूंगा को आज रागी विकासखण्ड की एक नई पहचान मिल रही है। पौष्टिक और खुबियों से भरी रागी सुपोषण की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। प्रदेश रागी के फसल को प्रोत्साहन देने के साथ आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से रागी को बच्चों की खुराक में शामिल किया गया है। रागी के उत्पादन को बढ़ावा देने रायगढ़ जिले में 2020-21 में 590 हेक्टेयर का लक्ष्य प्रस्तावित कर शत-प्रतिशत पूर्ति की गई। खरीफ वर्ष 2021 में रकबे में विस्तार करते हुए। जिले में कुल 1680 हेक्टेयर क्षेत्र में कृषकों द्वारा रागी की फसल उत्पादन किया जाना प्र...

रागी की खेती कैसे करें

• गोवर्धन लाल कुम्हार, अमित कुमार • देवी लाल धाकड़ महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर 17 जून 2022, रागी की खेती कैसे करें – रागी की खेती मोटे अनाज के रूप में की जाती है। रागी मुख्य रूप से अफ्रीका और एशिया महाद्वीप में उगाई जाती है। जिसको मडुआ, अफ्रीकन रागी, फिंगर बाजरा और लाल बाजरा के नाम से भी जाना जाता है। इसके पौधे पूरे साल पैदावार देने में सक्षम होते हैं। इसके पौधे सामान्य तौर पर एक से डेढ़ मीटर तक की ऊंचाई के पाए जाते हैं। इसके दानो में खनिज पदार्थों की मात्रा बाकी अनाज फसलों से ज्यादा पाई जाती है इसके दानों का इस्तेमाल खाने में कई तरह से किया जाता है। इसके दानों को पीसकर आटा बनाया जाता है। जिससे मोटी डबल रोटी, साधारण रोटी और डोसा बनाया जाता है। इसके दानों को उबालकर भी खाया जाता है। उपयुक्त मिट्टी रागी की खेती कई तरह की उपजाऊ और कार्बनिक पदार्थों से भरपूर मिट्टी में की जा सकती है। लेकिन इसके अच्छे उत्पादन के लिए बलुई दोमट मिट्टी को सबसे उपयुक्त माना जाता है। इसकी खेती के लिए भूमि में जलभराव नहीं हो। क्योंकि जलभराव होने की वजह से इसके पौधे खराब हो जाते हैं। इसकी खेती के लिए भूमि का पीएच मान 5.5 से 8 के बीच हो। खेत की तैयारी रागी की रोपाई के लिए भुरभुरी मिट्टी को अच्छा माना जाता है। क्योंकि भुरभुरी मिट्टी में इसके बीजों का अंकुरण अच्छे से होता है। रागी की खेती के लिए शुरुआत में खेत की तैयारी के दौरान खेत में मौजूद पुरानी फसलों के अवशेषों को नष्ट कर खेत की मिट्टी पलटने वाले हलों से गहरी जुताई कर दें। उसके बाद कुछ दिन खेत को खुला छोड़ दें। ताकि सूर्य की धूप से मिट्टी में मौजूद हानिकारक कीट नष्ट हो जाएं। खेत को खुला छोडऩे के बाद खेत में जैविक खाद के...

रागी

• • • • अनाज • • • • • • • • चारा • • • • • • • • • • • तेल वाली फसलें • • • • • • • दालें • • • • • • • • फाइबर फसलें • • शूगर और स्टार्च फसलें • • हरी खाद • • • • • • PLANTATION CROPS • • चिकित्सक पौधे • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • जंगलात • • • • • निंबू वर्गीय फल • • • फल • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • फूल • • • • • • • • • मसाले और चटनी • • • • • • सब्जियां • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • पशु • • • • • • • • • मछली पालन • • • मुर्गी पालन • • • • • • • • जोताई के उपकरण • • • • • • • • • मिट्टी और बीजारोपण की तैयारी के उपकरण • • • • बिजाई और रोपाई के उपकरण • • • • • • • • • • • • • • अंतरफसली में काम आने वाले उपकरण • • • • • पौध संरक्षण उपकरण • • • • • • • • • • • • • • • • • • • कटाई और छंटाई उपकरण • • • • • • • • • • • • • Gorru (पशु संचालित) • आलू बोने की मशीन • गन्ना बोने की मशीन • धान बोने की मशीन • धान बोने की मशीन • बीज का इलाज ड्रम • बीज ड्रिल ( मैन्युअल रूप से संचालित और ट्रैक्टर संचालित) • बीज दम ड्रिल उर्वरक ( ट्रैक्टर संचालित) • बीजक सह उर्वरक ड्रिल जीरो • बुवाई उपकरणों • रोपण उपकरणों • विस्तृत बिस्तर पूर्व बुवाई • सब्जी बोने की मशीन • Motorized Backpak स्प्रेयर • उच्च दाब बस्ता स्प्रेयर • टाइकून स्प्रेयर • तूड़ी-वाली-मशीन • धुंध धौंकनी • धुंध धौंकनी सह डस्टर • पावर स्प्रेयर • पावर स्प्रेयर सह डस्टर • पिस्टन पावर स्प्रेयर • पोर्टेबल स्प्रेयर • फुट स्प्रेयर • बस्ता पावर स्प्रेयर • बूम स्प्रेयर • बैटरी स्प्रेयर संचालित • हाथ रोटरी डस्टर • हाथ संपीड़न स्प्रेयर • हाथ स्प्रेयर • ਹਾਈ ਟੈਕ ਪਾਵਰ sprayer फ...

रागी की खेती ! रागी से कमाई तथा उपज Finger millet farming mandua

रागी या मंडुआ को फिंगर मिलेट भी कहा जाता है ! रागी की खेती भारत और अफ्रीका के शुष्क और अर्धशुष्क क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर की जाती है। अनाजों में यह भारत में गेहूं, चावल, मक्का, ज्वार और बाजरा के बाद उत्पादन में छठे स्थान पर है ! देश में रागी 9.5 लाख हैक्टर क्षेत्र में उगाया जाता है तथा इसका वार्षिक उत्पादन 13.2 लाख टन है। भारत में रागी की खेती मुख्यतः कर्नाटक (4.51 लाख हैक्टर), तमिलनाडु (0.26 लाख हैक्टर), ओडिशा (1.14 लाख हैक्टर), आंध्र प्रदेश (0.23 लाख हैक्टर), उत्तराखंड (1.09 लाख हैक्टर) एवं महाराष्ट्र (0.90 लाख हैक्टर) राज्यों में की जाती है। बिहार में रागी की खेती दियारा, पठारी तथा आदिवासी क्षेत्रों के शुष्क और अर्धशुष्क भागों में की जाती है। पहाड़ी क्षेत्रों के निर्धन लोगों द्वारा रागी को प्रमुख भोजन के रूप में भी प्रयोग किया जाता है ! यह पोषक तत्वों एवं रेशे से परिपूर्ण है, जिससे इसका औषधीय उपयोग भी है। रागी कैल्शियम, आयरन, प्रोटीन तथा अन्य खनिजों का बढ़िया स्रोत है ! लोग इसे रोटी के रूप में उपयोग करते हैं तथा पशुओं के लिए चारा भी मिल जाता है ! फसल उत्पादन की दृष्टि से रागी को बहुत कम पानी की आवश्यकता होती है एवं यह सूखे को आसानी से सहन कर लेता है ! अतः रागी की खेती शुष्क क्षेत्रों में, जहां दूसरी मुख्य अन्न वाली फसलें नहीं उगाई जा सकती, सुगमतापूर्वक की जा सकती है। रागी की अवधि मुख्य फसलों से कम (90-115 दिन) होती है ! इसकी फसलों पर कीट-पतंगों व रोगों का आक्रमण भी बहुत कम होता है ! (ज्यादा जानकारी के लिए इसे पढ़े – रागी की खेती की उन्नत विधि मृदा एवं जलवायु रागी की खेती के लिए गर्म क्षेत्र उपयुक्त है ! बीज के अंकुरण के लिए इसके लिए कम से कम 8-10 डिग्री सेल्सियस तापम...

ragi in hindi

विषय सूची एक पीढ़ी पहले, बहुत सारे भारतीय, खास तौर पर दक्षिण भारत में, रागी या फिंगर मिलेट (फ्लेयुसीन कोराकेना एल) से परिचित थे। पर एक समय का जाना माना अनाज आज अधिकतर लोगों के आहार में से गायब हो चुका है। ये बहुत ही अचरज भरा और दुर्भाग्यपूर्ण है - क्योंकि मनुष्य के शरीर के लिये इसके पोषक और मेडिकल फायदे बहुत हैं। इसके अलावा ये बहुत ही अनुकूल फसल है जो भारत की जलवायु के हिसाब से एकदम सही है। इस तरह, इसका दुगुना महत्व है। आइये, हम फिंगर मिलेट के कुछ फायदों की चर्चा करें और रागी के लड्डू, कुकीज़ और पकोड़ों जैसे कुछ पदार्थों को बनाने की विधि जानें। #1. . रागी : इसका इतिहास फिंगर मिलेट की शुरुआत अफ्रीका से हुई और इसकी फसल उगांडा और इथोपिया में हज़ारों सालों से उगायी जा रही है। भारत में ये लगभग 4000 साल पहले आयी, और हड़प्पन सभ्यता की पुरातत्व खुदाईयों में इसके होने के संकेत मिले हैं। #2. . रागी के 7 फायदे

रागी (Ragi) के फायदे, उपयोग, पोषक तत्त्व, नुकसान

आज हम जानेंगे रागी के फायदे और नुकसान क्या हैपूरी जानकारी (Ragi in Hindi)के बारे में क्योंकि हर इंसान को दैनिक तौर पर खाना खाना आवश्यक होता ही है, क्योंकि खाना खाने पर ही उसका पाचन हमारी बॉडी में सही से होता है और खाने में उपलब्ध सभी पोषक तत्व हमारी बॉडी को लगते हैं। मुख्य तौर पर तो हम एनर्जी पाने के लिए खाना खाते हैं परंतु खाना सिर्फ एनर्जी देने के लिए ही नहीं होता है बल्कि इससे हमें पौष्टिक तत्व मिलते हैं जिससे हमारी बॉडी का पूरा विकास होता है। अनाज और साग सब्जी यह दोनों ऐसी चीजें हैं जो हमारे शरीर को ताकतवर बनाती हैं। अनाज की बात आती है तो रागी को हम कैसे भूल सकते हैं। रागी के कई हेल्थ बेनिफिट है। इसीलिए इसे भोजन में अवश्य शामिल किया जाना चाहिए। आज के इस लेख में जानेंगे कि Ragi Kya Hai, रागी के फायदे, Ragi in Hindi, रागी के नुकसान, Ragi meaning in Hindi, आदि की जानकारीयां पूरा डिटेल्स में जानने को मिलेगा, इसलिये इस लेख को सुरू से अंत तक जरूर पढे़ं। रागी क्या होता है? – What is the Ragi in Hindi Ragi In Hindi अफ्रीका एक ऐसा देश है जहां पर भारी पैमाने पर किसानों के द्वारा Ragi की पैदावार की जाती है। इसके अलावा हमारे इंडिया में भी इसकी गिनती एक प्रमुख अनाज के तौर पर होती है और इंडिया के कई राज्यों जैसे कि केरल, तमिलनाडु, असम, बंगाल, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, पंजाब मे भी रागी को उगाया जाता है। Ragi को पूरे भारत में अलग-अलग जगह पर अलग-अलग नामों से जाना जाता है। हिंदी भाषा में इसे मंडुवा और रागी कहा जाता है। उसके अलावा तेलुगू लैंग्वेज में इसे केझवारगु कहकर बुलाया जाता है, वही कन्नड़ भाषा में इसे रागी ही कहा जाता है। इसमें विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व जैसे कि प्रोटीन, फाइब...

रागी फसल के बारे में बताइए? » Ragi Fasal Ke Bare Mein Bataiye

चेतावनी: इस टेक्स्ट में गलतियाँ हो सकती हैं। सॉफ्टवेर के द्वारा ऑडियो को टेक्स्ट में बदला गया है। ऑडियो सुन्ना चाहिये। नमस्कार रागी फसल को भारत में मड़वा का फसल कहते हैं जो बिहार के लिए मरुआ का आटा बहुत फेमस होता है तो मरवा का फसल लगभग 3 महीना 3:30 महीने में तैयार हो जाता है यह मडुआ का फसल लगभग 4000 वर्ष पुराना है और मड़वा सुखा और पहाड़ी पथरी जमीन पर हो जाता है और पहले के जमाने में सिंचाई की व्यवस्था नहीं था तो मरवा का खेती भारत में ज्यादा मात्रा में होती थी अभी के जमाने में मड़वा की खेती बस परब त्यौहार के लिए होता है यह मोटा अनाज के नाम से जाना जाता है namaskar ragi fasal ko bharat me madava ka fasal kehte hain jo bihar ke liye maruaa ka atta bahut famous hota hai toh marava ka fasal lagbhag 3 mahina 3 30 mahine me taiyar ho jata hai yah maduaa ka fasal lagbhag 4000 varsh purana hai aur madava sukha aur pahadi pathari jameen par ho jata hai aur pehle ke jamane me sinchai ki vyavastha nahi tha toh marava ka kheti bharat me zyada matra me hoti thi abhi ke jamane me madava ki kheti bus parab tyohar ke liye hota hai yah mota anaaj ke naam se jana jata hai नमस्कार रागी फसल को भारत में मड़वा का फसल कहते हैं जो बिहार के लिए मरुआ का आटा बहुत फेमस ह