राजनीति विज्ञान के अध्ययन का महत्व बताइए

  1. आधुनिक राजनीति विज्ञान की विशेषताएं
  2. राजनीतिक विज्ञान : अर्थ एवं सिद्धांत – Study Material
  3. # राजनीति विज्ञान का अर्थ एवं परिभाषा
  4. राजनीति विज्ञान के अध्ययन के महत्व
  5. राजनीति विज्ञान की अध्ययन पद्धतियां
  6. राजनीति विज्ञान अध्ययन के उपागम
  7. राजनीति विज्ञान का महत्व आपके करियर में क्या है जानिए यहाँ


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आधुनिक राजनीति विज्ञान की विशेषताएं

• मानव के राजनैतिक व्यवहार का अध्ययन, • विभिन्न अवधारणाओं का अध्ययन, • सार्वजनिक समस्याओं के संदर्भ में संघर्ष व सहमति का अध्ययन। आधुनिक राजनीति विज्ञान की विशेषताएंद्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात राजनीति विज्ञान और अन्य समाज विज्ञानों के क्षेत्र में जो विकास हुए उसकी मुख्य प्रवृत्तियों का उल्लेख निम्न रूपों में किया जा सकता है। (1) मुक्त अध्ययन -राजनीतिशास्त्री अब परम्परागत सीमायें छोड़कर अध्ययन करते हैं। समस्त राजनीतिक तथा औपचारिक घटनायें अब राजनीति शास्त्र का अध्ययन विषय बन गई हैं चाहे वे समाज शास्त्र, अर्थशास्त्र या धर्म के विषय में हों, अथवा व्यक्ति, परिवार राष्ट्र और विश्व से सम्बन्धित हों। यहाँ तक कि वैयक्तिक और सामूहिक स्तर पर बाल्यावस्था और युवावस्था आदि में विकसित राजनीतिेक प्रवृत्तियों को भी सर्वेक्षण और शोध का विषय बनाया जाता है। शोधकर्ताओं की यह भावना रहती है कि वास्तविक परिस्थितियों का अध्ययन किया जाये और उन्हीं को वास्तविकता प्रकट करने वाली अवधारणाओं का आधार बनाया जाये। (3) मूल्य मुक्तता -राजनीतिक विश्लेषण में मानवीय मूल्यों जैसे नैतिकता, स्वतंत्रता, भ्रातृत्व आदि को कोई स्थान नहीं दिया जाता क्योंकि इसका प्रयास एक वैधानिक एवं सटीक विषय का निर्माण करना है। यह उन्हीं घटनाओं और तथ्यों को अपने अध्ययन का विषय बनाता है जिन्हें या तो देखा गया है या भविष्य में देखा जा सकता है। (4) यथार्थवादी अध्ययन -राजनीति विज्ञान के परम्परागत अध्ययन प्रायः ऐतिहासिक,विधिगत तथा संस्थागत संरचना तक ही सीमित रहे और ये आदर्शात्मक, उपदेशात्मक स्थिति के साथ जुड़े हुए और बहुत अधिक सीमा तक केवल सैद्धान्तिक समस्याओं में ही उलझे हुए थे। आधुनिक राजनीतिशास्त्रियों ने यह दृढ़ विश्वास व्यक्त किया कि...

राजनीतिक विज्ञान : अर्थ एवं सिद्धांत – Study Material

राजनीति सिद्धांत के अंतर्गत राजनीति के भित्र – भित्र पक्षों का अध्ययन किया जाता है । राजनीति का संबंध मनुष्यों के सावंजनिक जीवनसे है।राजनीतिक प्रंबध के अंतर्गत समाज के सारे सदस्यों के पर सत्ताका प्रयोग किया जाता है । राजनीतिक सिद्धांत का विचारक्षेत्र • वैज्ञानिक पद्धति • मानकीय पद्बति • दार्शनिक पद्बति • परम्परागत दृष्टिकोण राजनीति के विविध पक्षों के अस्तित्व एवं वैज्ञानिक अध्ययन को राजनीतिक सिद्धांत कहा जाता है। राजनीति के लिए प्रयुक्त अंग्रेजी शब्द पॉलिटिक्स(politics) की उत्पत्ति ग्रीक भाषा के तीन शब्दों ‘Polis'(नगर-राज्य), ‘Polity'(शासन) तथा ‘Politia'(संविधान) से हुई है। इस अर्थ में राजनीति नगर-राज्य तथा उसके प्रशासन का व्यवहारिक एवं दार्शनिक धरातल पर अध्ययन प्रस्तुत करती है।राजनीति को Polis नाम प्रसिद्ध ग्रीक विचारक अरस्तू द्वारा दिया गया है। अतः अरस्तू को ‘राजनीति विज्ञान का पिता’ कहा जाता है। आधुनिक अर्थों में राजनीति शब्द को इन व्यापक अर्थों में प्रयुक्त नहीं किया जाता। आधुनिक समय में इसका संबंध राज्य ,सरकार, प्रशासन, व्यवस्था के तहत समाज के विविध संदर्भों व संबधों के व्यवस्थित एवं क्रमबद्ध ज्ञान एवं अध्ययन से है। प्लेटो, अरस्तू, सिसरो, ऑगस्टाइन व एक्वीनास राजनीति विज्ञान की परम्परागत विचारधारा के विचारक है। आधुनिक राजनीतिक विचारकों में चार्ल्स मेरियम, रॉबर्ट डहल, लासवेल, कैटलिन, मैक्सवेबर, लास्की, मैकाइवर का नाम उल्लेखनीय है। राजनीतिक सिद्धांत में ‘सिद्धांत’ के लिए अंग्रेजी शब्द Theory की उत्पत्ति यूनानी शब्द ‘Theoria'(थ्योरिया) से हुई है, जिसका अर्थ है- “समझने का विशिष्ट दृष्टिकोण”। यह वही समझ है जिससे किसी घटनाक्रम को तार्किक विवेचन द्वारा स्पष्ट किया जाए अर्थात ...

# राजनीति विज्ञान का अर्थ एवं परिभाषा

राजनीति विज्ञान के जनक होने का श्रेय यूनानियों को दिया जाता है, जिनमें प्लेटो व अरस्तू का योगदान उल्लेखनीय है। यूनानियों ने ही सबसे पहले राजनीतिक प्रश्नों को आलोचनात्मक और तर्क सम्मत चिन्तन की दृष्टि से देखा। हिन्दी भाषा का ‘ राजनीति‘ शब्द, अंग्रेजी भाषा के ‘ पॉलिटिक्स‘ (Politics) का अनुवाद है। अंग्रेजी भाषा का ‘पॉलिटिक्स’ शब्द यूनान भाषा के ‘ पोलिस‘ शब्द का रूपान्तर है। यूनानी भाषा में ‘पोलिस’ शब्द का अर्थ है- नगर-राज्य (City State)। इन नगर राज्यों से सम्बद्ध विषयों को ‘पॉलिटिक्स’ कहा जाता था। उस समय नगर और राज्य पर्यायवाची शब्द थे, परन्तु धीरे-धीरे राज्य के स्वरूप में परिवर्तन आया और आज इन राज्यों का स्थान राष्ट्रीय राज्यों ने ले लिया है, अतः राज्य के इस विकसित और विस्तृत रूप से सम्बन्धित विषय को ‘ राजनीति विज्ञान‘ कहा जाने लगा। प्राचीन भारतीय शास्त्री ‘कौटिल्य’ ने भी अपनी प्रसिद्ध कृति ‘अर्थशास्त्र’ में लिखा है कि “राजनीतिशास्त्र राज्य सम्बन्धी विषयों का अध्ययन करता है।” आधुनिक युग में राज्य के स्वरूप, कार्य-क्षेत्र आदि में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं, जिसके कारण राजनीतिशास्त्र को केवल राज्य के अध्ययन तक सीमित न मानकर उसमें सरकार के अध्ययन को भी सम्मिलित कर लिया गया है। अन्य शब्दों में, राजनीतिशास्त्र राज्य और सरकार दोनों का अध्ययन करता है। राजनीति-शास्त्र (विज्ञान) की परिभाषा : राजनीति विज्ञान की सर्वस्वीकृत परिभाषा देना कठिन है। राजनीति विज्ञान की परिभाषा विभिन्न विद्वानों ने अपने-अपने दृष्टिकोणों से की है। गार्नर ने ठीक ही कहा है कि “राजनीति विज्ञान की उतनी ही परिभाषाएँ हैं, जितने राजनीति विज्ञान के लेखक है।” राजनीति विज्ञान की परिभाषा दो दृष्टिकोणों से की गयी है- • ...

राजनीति विज्ञान के अध्ययन के महत्व

विषयसूची Show • • • • • • अथवा" राजनीति विज्ञान का महत्व बताइए। अथवा' राजनीति विज्ञान के अध्ययन के महत्व का वर्णन कीजिए। उत्तर-- राजनीति विज्ञान के अध्ययन का महत्व rajniti vigyan ke adhyayan ka mahatva;आज का युग समाजिकता एवं भौतिकवादी युग हैं, इस युग में राज्य का महत्व तथा कार्यक्षेत्र बहुत बढ़ गया है। आज राज्य मनुष्य के जीवन के प्रत्येक पहलू को प्रभावित करता हैं। प्राचीनकाल में राज्य तथा राजनीति को केवल राजा-महाराजा और राजपुरूषों के लिए जानना जरूरी था, पर आज लोकतंत्र, समाजवाद तथा लोक-कल्याणकारी राज्य का युग हैं। इस युग में व्यक्ति राज्य और राजनीति से सम्बद्ध हैं, अतः हर व्यक्ति हेतु राजनीति विज्ञान का अध्ययन जरूरी हैं। राजनीति विज्ञान का अध्ययन करे बगैर व्यक्ति अपने आसपास के परिवेश को नहीं समझ सकता। आजकल राजनीति मानव-जीवन के प्रत्येक पहलू पर छायी हुई हैं। हमारे जीवन का कोई भाग राजनीति के प्रभाव से अछूता नहीं रहा हैं। आधुनिक राज्य 'पालने' से लेकर 'मरघट' तक मनुष्य के जीवन को नियमित और नियंत्रित करता है तथा राजनीतिशास्त्र ऐसे ही अध्ययन का विज्ञान हैं। संक्षेप में राजनीति विज्ञान के अध्ययन का महत्व निम्नलिखित हैं-- 1. मानव-अधिकारों तथा कर्त्तव्यों का ज्ञान राजनीति विज्ञान व्यक्ति को मानव-अधिकारों एवं कर्त्तव्यों का ज्ञान प्रदान कर उसे राज्य या समाज की श्रेष्ठतम इकाई के रूप में जीवन गुजारने के लिए प्रेरित करता हैं। राजनीति विज्ञान नागरिकों में परस्पर अच्छे संबंध स्थापित करके संघर्ष के स्थान पर सहयोग के सिद्धांतों को प्रतिष्ठित करने के लिए प्रयासरत हैं। इस रूप में राजनीति विज्ञान का अध्ययन नागरिक एवं समाज (राज्य) दोनों के लिए महत्वपूर्ण हैं। यह भी पढ़े; राजनीति विज्ञान का अर्थ,...

राजनीति विज्ञान की अध्ययन पद्धतियां

rajniti vigyan ke adhyayan paddhati;किसी भी विषय के व्यवस्थित ज्ञान के लिए जरूरी हैं कि उसके अध्ययन की एक उचित पद्धित हो। प्राकृतिक विज्ञानों के क्षेत्र में अध्ययन पद्धतियों के संबंध में कोई विवाद नही हैं, क्योंकि उनमें प्रत्येक सिद्धांत को प्रयोगशाला में परखा जा सकता है। किन्तु प्राकृतिक विज्ञान की घटनाओं के समान राजनीति विज्ञान की घटनाओं का क्रम निश्चित नहीं हैं। इसके नियमों व निष्कर्षों की जाँच किसी प्रयोगशाला में संभव नहीं हैं। अतः स्वाभाविक रूप से यह प्रश्न उपस्थित होता है कि राजनीति-विज्ञान का अध्ययन किस पद्धित से किया जायें? राजनीति विज्ञान की अध्ययन पद्धतियां राजनीति विज्ञान के अध्ययन की जो पद्धतियां विकसित हुई है उन्हें दो वर्गों मे वर्गीकृत किया जाता है। व्यवहारवादी क्रांति के पूर्व जो भी पद्धतियां प्रयोग मे लायी जाती थी वे सभी परम्परागत पद्धति मानी जाती है तथा व्यवहारवादी क्रांति के साथ और बाद मे प्रयुक्त पद्धतियाँ आधुनिक पद्धतियां मानी जाती है। (A) राजनीति विज्ञान की परम्परागत अध्ययन पद्धतियां 3. सादृश्यमूलक पद्धति (Anlogical method) 1. आगमनात्मक पद्धति (Inductive) इसके अन्तर्गत तथ्यों का संग्रह किया जाता है, संग्रहित तथ्यों की तुलना की जाती है और तब एक निष्कर्ष तक पहुंचा जाता है। इस प्रकार इसमे विशिष्ट तथ्यों से समान्य सिद्धांत की प्राप्ति हो जाती है। आगमनात्मक पद्धति के अंतर्गत निम्न चार पद्धतियों का प्रयोग किया जाता है-- (अ) प्रयोगात्मक पद्धति (Experimental Method) (ब) पर्यवेक्षणात्मक पद्धति (Observational Methord) (स) तुलनात्मक पद्धति (Comparativ Method) (द) ऐतिहासिक पद्धति (Historical Method)। (अ) प्रयोगात्मक पद्धित राजनीतिशास्त्र का अध्ययन प्रयोगात्मक पद्...

राजनीति विज्ञान अध्ययन के उपागम

राजनीति विज्ञान अध्ययन के उपागम 1 दार्शनिक उपागम 2 ऐतिहासिक उपागम 3 कानूनी उपागम 4 संस्थात्मक उपागम 5 प्रयोगात्मक उपागम 6 पर्यवेक्षात्मक उपागम 7 तुलनात्मक उपागम परम्परागत उपागम - राजनीतिक विज्ञान के अध्ययन के ईसा पूर्व छठी सदी से बीसवीं सदी में लगभग द्वितीय महायुद्ध से पूर्व तक जिस राजनीतिक दृष्टिकोण का प्रचलन रहा है उसे अध्ययन की सुविधा की दृष्टि से परम्परागत राजनीतिक दृष्टिकोण कहा जाता है। परम्परागत राजनीतिक सिद्धान्त के निर्माण एवं विकास में अनेक राजनीतिक विचारकों का योगदान रहा है। यथा- प्लेटो , अरस्तु , सन्त ऑक्सटाइन , एक्विनास , लॉक , रूसो , मान्टेस्क्यू , कान्ट , हीगल तथा ग्रीन आदि राजनीतिक सिद्धान्तों के निर्माण के लिए इन विचारकों ने दर्शनशास्त्र , नीतिशास्त्र , इतिहास व विधि का सहारा लिया। अतः इनके द्वारा अपनायी गयी पद्धति को दार्शनिक , ऐतिहासिक , कानूनी तथा संस्थात्मक पद्धति के नाम से जाना जाता है। 1 दार्शनिक उपागम • यूनानी दार्शनिकों के युग से लेकर आधुनिक युग के विचारकों ने आदर्श राज्य की स्थापना पर फ ध्यान दिया है। इस दृष्टि से उन्होंने कल्पना का सहारा लिया है। राजनीतिक विज्ञान सिर्फ इस बात पर ही ध्यान नहीं देता कि राज्य कैसा है। वरन् उसे इसकी भी चिन्ता है कि राज्य कैसा होना चाहिए। यह उपागम राज्य के लक्ष्य अथवा उद्देश्य के सम्बन्ध में कुछ पूर्व निर्धारित धारणाओं को लेकर चलता है। और इसके बाद यह निश्चित करता है कि उन उद्देश्यों की सिद्धि के लिए किस प्रकार के कानून अधिक उपयुक्त होंगे और कैसी संस्थाएँ अधिक उचित होंगी। वर्तमान कानून तथा संस्थानों में क्या कमी है , उन कमियों को किस प्रकार की संस्थाओं द्वारा दूर किया जा सकता है। इस प्रकार यह पद्धि अपने प्रतिष्ठित नियमो...

राजनीति विज्ञान का महत्व आपके करियर में क्या है जानिए यहाँ

This Blog Includes: • • • • • • • • • • • • • राजनीतिक विज्ञान क्या है? राजनीति विज्ञान वह विज्ञान है, जो मानव के एक राजनीतिक और सामाजिक प्राणी होने के नाते उससे संबंधित राज्य और सरकार दोनों के कार्यों का अध्ययन करता है। राजनीति विज्ञान, अध्ययन का एक विस्तृत विषय या क्षेत्र है। राजनीति विज्ञान में ये तमाम बातें शामिल हैं: राजनीतिक चिन्तन, राजनीतिक सिद्धान्त, राजनीतिक दर्शन, राजनीतिक विचारधारा, संस्थागत या संरचनागत ढाँचा, तुलनात्मक राजनीति, लोक प्रशासन, अन्तरराष्ट्रीय कानून और संगठन आदि। आसान भाषा में कहें तो, राजनीतिक विज्ञान में राजनीतिक संस्थानों, सिद्धांतों, संगठनों और सरकार के काम करने के तौरतरीकों की पढ़ाई होती है। “राजनीति भौतिक विज्ञान से ज्यादा मुश्किल है”– अल्बर्ट आइंस्टीन राजनीति विज्ञान की प्रकृति राजनीति विज्ञान की प्रकृतिके सम्बन्ध में कहा गया है कि यह विषय एक समाजविज्ञानका विषय है, इसमें भौतिक विज्ञान की तरह भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है किन्तु इसमें वैज्ञानिकता की कई कसौटियां, जैसे सिस्टेमेटिक स्टडी, लिमिटेड भविष्यवाणी आदि की जा सकती है। अतःराजनीति विज्ञानभी एकविज्ञानहै। राजनीतिक विज्ञान में करियर क्यों बनायें? राजनीति विज्ञान में • ये आपको बदलाव लाने में मदद करेगा- राजनीतिक विज्ञान में करियर आपको समाज में व्यापक बदलाव लाने में मदद करेगा। आपके पास एक ऐसे करियर का मौका होगा जिसमें सरकारी मुद्दों, समाज और सार्वजनिक नीतियों पर काम किया जाता है। • राष्ट्र का नेतृत्व- राजनीतिक विज्ञान में करियर केवल लोगों के जीवन में बदलाव लाने तक ही सीमित नहीं है। ऐसे कई अवसर आएंगे जब नेतृत्व करने और प्रभार लेने का मौका मिलेगा और ये प्रभार कितना भी ऊँचा हो सकता है। आप एक जिला, श...