राजस्थान के चार उत्तर पाषाण कालीन स्थलों के नाम लिखिए

  1. पाषाण काल प्रागैतिहासिक कालीन इतिहास
  2. राजस्थान का इतिहास प्राचीन सभ्यताएँ एवं पुरातात्विक स्थल
  3. प्रागैतिहासिक राजस्थान (Prehistoric Rajasthan)
  4. पुरापाषाण, मध्यपाषाण और नवपाषाण काल के विषय में स्मरणीय तथ्य
  5. List of Archaeological Sites of Indus Valley Civilisation
  6. RBSE Solutions for Class 6 Our Rajasthan Chapter 1 राजस्थान
  7. राजस्थान के प्रमुख ऐतिहासिक स्थल
  8. राजस्थान में पाषाण काल
  9. राजस्थान के प्रमुख ऐतिहासिक स्थल
  10. राजस्थान का इतिहास प्राचीन सभ्यताएँ एवं पुरातात्विक स्थल


Download: राजस्थान के चार उत्तर पाषाण कालीन स्थलों के नाम लिखिए
Size: 61.40 MB

पाषाण काल प्रागैतिहासिक कालीन इतिहास

Pashan kal : पाषण युग यानी पत्थरों का युग, जिस युग में मानव के द्वारा पत्थर के बने औजारों का उपयोग प्रमुखता से किया उस युग पाषण युग कहा जाता है| पाषाण काल (pashan kal) को प्रागैतिहासिक काल में अंतर्गत रखा जाता है क्योंकी इस काल के बारे में जानकारी का स्रोत्र पुरातात्विक साक्ष्य है| पत्थरों के उपकरण बनाने तथा उसे इस्तेमाल करने का विश्व में सबसे प्राचीनतम साक्ष्य इथोपिया और केन्या से प्राप्त हुई है संभवतः ऑस्ट्रेलोपिथेकस द्वारा सबसे पहले पत्थर के औजार बनाए गए थे, किन्तु इसका श्रेय होमो हैबिलस नामक प्रजाति को दिया जाता है| भारत में प्रागैतिहासिक संस्कृति व पाषणकालीन वस्तियों की जानकारी की शुरुआत 1863 ई० में जियोलाजिकल सर्वे से संवंधित अधिकारी रॉबर्ट ब्रूसफ्रूड तथा मार्टिन व्हीलर के प्रयासों से हुआ| 1865 ई० में जॉन लुब्बाक ने अपनी पुस्तक ‘प्रीहिस्टोरिक टाइम्स’ में पाषण काल को दो भागों में विभाजित किया था| पुरापाषाण काल और नवपाषाण काल अतः इन दोनों शब्दों पुरापाषाण काल और नवपाषाण काल का प्रयोग सर्वप्रथम जॉन लुब्बाक द्वारा किया गया| लेकिन सामान्य तौर पर इसे तीन भागों में विभाजित किया जाता है| • पुरापाषाण काल • मध्य पाषाण काल • नव पाषाण काल इन सब के बारे में संक्षिप्त विवरण देने का प्रयास करें तो पुरापाषाण काल में पुरापाषाण कालीन लोग नेग्रिटो जनजाति के थे| लोग खानाबदोश यानी घुमक्कड़ जीवन व्यतीत करते थें और जीवका मुख्य आधार आखेट यानी की शिकार था हालाँकि आखेटक के साथ-साथ खाद्य संग्राहक होना इस काल की विशेषता है| कृषि व पशुपालन तथा स्थाई जीवन का प्रारंभ नहीं हुआ था बता दें की आग की खोज पुरापाषाण काल में ही किया गया था किन्तु लोगों को आग का व्यावहारिक उपयोग के बारे में कोई जानकारी नही...

राजस्थान का इतिहास प्राचीन सभ्यताएँ एवं पुरातात्विक स्थल

राजस्थान अपनी जटिल भू-जैविकीय संरचना के लिये जाना जाता है। इस सम्पूर्ण प्रदेश को अरावली पर्वत माला दो भिन्न भागों में बांटती है। इस पर्वतमाला के पूर्व का भाग हरा-भरा क्षेत्र है तो पश्चिमी भाग बलुई स्तूपों वाला रेगिस्तान। प्रागैतिहासिक काल में विश्व दो भूखण्डों- अंगारालैण्ड तथा गौंडवाना लैण्ड में बंटा हुआ था। इन दोनों भूखण्डों के बीच में टेथिस महासागर था। राजस्थान के मरुस्थलीय एवं मैदानी भाग टेथिस सागर को नदियों द्वारा लाई गई मिट्टी से पाट दिये जाने से बने जबकि गौंडवाना लैण्ड के एक अंश के विलग होकर उत्तर की ओर खिसकने से राजस्थान के अरावली पर्वत एवं दक्षिणी पठार बने। प्राचीन सभ्यताएँ एवं पुरातात्विक स्थल • इतिहास को प्रागैतिहासिक काल, आद्यऐतिहासिक काल एवं ऐतिहासिक काल में विभाजित किया जाता है। • ऐसा काल जिसके संबंध में मानव के इतिहास के बारे में कोई लिखित सामग्री उपलब्ध नहीं होती है उसे प्रागैतिहासिक काल कहते हैं। • ऐसा काल जिसके संबंध में लिखित सामग्री उपलब्ध है लेकिन जिसे अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है उसे आद्यऐतिसाहिक काल कहते हैं। जैसे- सिन्धुघाटी सभ्यता। • ऐसा काल जिसके संबंध में प्राप्त लिखित सामग्री को पढ़ा जा सकता है उसे ऐतिहासिक काल कहते हैं। राजस्थान की प्रमुख सभ्यताएँ :- क्र. सं. सभ्यता जिला नदी 1. कालीबंगा हनुमानगढ़ सरस्वती (घग्घर) 2. आहड़ उदयपुर आयड़ (बेड़च) 3. गिलूण्ड राजसमन्द बनास 4. बागोर भीलवाड़ा कोठारी 5. बालाथल उदयपुर बेड़च 6. गणेश्वर सीकर कांतली 7. रंगमहल हनुमानगढ़ सरस्वती (घग्घर) 8. ओझियाना भीलवाड़ा खारी 9. नोह भरतपुर रूपारेल 10. नगरी चित्तौड़गढ़ बेड़च 11. जोधपुरा जयपुर साबी 12. सुनारी झुंझुनूं कांतली 13. तिलवाड़ा बाड़मेर लूनी 14. रैढ़ टोंक ढील 15. गरदड़ा बूँदी छाजा 16. बैरा...

प्रागैतिहासिक राजस्थान (Prehistoric Rajasthan)

Table of Contents • • • • प्रागैतिहासिक राजस्थान (Prehistoric Rajasthan) राजस्थान (Rajasthan) के मरुभूमि क्षेत्र में प्रारंभिक पुरापाषाणकालीन (Palaeolithic) संस्कृति के पाए जाने वाले प्रस्तर उपकरणों मे हस्तकुठार (Hand Axe) कुल्हाडी, क्लीवर और खंडक (चौपर) मुख्य है यहाँ से प्राप्त प्रस्तर उपकरण सोहनघाटी क्षेत्र में पाए जाने वाले प्रस्तर उपकरणों की तरह ही है। प्राप्त उपकरण पंजाब की सोन संस्कृति एवं मद्रास की हस्त कुल्हाडी संस्कृति के मध्य संबंध स्थापित करती है । चित्तौडगढ (मेवाड) मे सर्वेक्षण कर डॉ. वी. एन मिश्रा ने 1959 में गभीरी नदी के पेटे से जो चित्तौड़गढ़ के किले के दक्षिणी किनारे पर स्थित है 242 पाषाण उपकरण खोजे थे। यह 242 उपकरण दो सर्वेक्षण कर एकत्रित किए गए । प्रथम संग्रह मे 135 उपकरण तथा दूसरे संग्रह मे 107 उपकरण एकत्र किए गए हैं। 135 उपकरणों में से तीन हस्त कुल्हाड़ी दो छीलनी (स्क्रेपर) एक कछुए की पीठ, के सहश कोड और नौ फलक है । निम्न पुरापाषाणकालीन उपकरण (Lower Paleolithic Tools) इस काल के उपकरणों में मुख्यत पेबुल, उपकरण, हैन्डएक्स, क्लीवर फ्लेक्स पर बने ब्लेड और स्केपर, चौपर और चापिग उपकरण आदि है, इन्हें कोर उपकरण समूह में सम्मिलित किया जाता है। राजस्थान मे इन उपकरणों को प्रकाश मे लाने का श्रेय प्रो.वी.एनमिश्रा, एस.एन.राजगुरु, डी.पी अग्रवाल, गोढी, गुरदीप सिंह वासन, आर. पी. धीर को जाता है, इन्होने जायल और डीडवाना मेवाड मे चित्तौड़गढ (गंभीरी बेसीन) कोटा (चम्बल बेसीन) और नगरी (बेड़च बेसीन) क्षेत्रों में अनेक निम्न पुरापाषाणकालीन स्थल स्तरीकृत ग्रेवेल से प्राप्त किये । Read Also ... राजस्थान के शिलालेख (Inscriptions of Rajasthan) मध्य पुरापाषाण कालीन उपकरण (Middle Pala...

पुरापाषाण, मध्यपाषाण और नवपाषाण काल के विषय में स्मरणीय तथ्य

Navigation • Sansar DCA • 📖Buy PDF • Mains • Essay • Previous year Essay • GS1 • History • #AdhunikIndia : Sajiv Sir Notes • Geography • Social • GS2 • Polity • IR • GS3 • Economy • Environment-Bio • Science-Tech • GS4 • Syllabus of GS4 • Ethics Notes • Mains • Sansar Manthan • SMA Assignment • Editorial • Sansar Editorial • Prelims • Weekly Quiz • Static GK Quiz • Mock Test Series • Sansar Surgery • Yojana • Download • E-Books • NCERT, NIOS etc. • Current Affairs PDF • App Download • Syllabus • UPSC • Core Syllabus • PCS • RPSC • BPSC • JPSC • MPPSC • UPPSC • Books • UPSC • RPSC • SSC CHSL • SBI • Donate • Contact • About us • Our Mission • Authors • Want to be author? • Search • Sansar DCA • 📖Buy PDF • Mains • Essay • Previous year Essay • GS1 • History • #AdhunikIndia : Sajiv Sir Notes • Geography • Social • GS2 • Polity • IR • GS3 • Economy • Environment-Bio • Science-Tech • GS4 • Syllabus of GS4 • Ethics Notes • Mains • Sansar Manthan • SMA Assignment • Editorial • Sansar Editorial • Prelims • Weekly Quiz • Static GK Quiz • Mock Test Series • Sansar Surgery • Yojana • Download • E-Books • NCERT, NIOS etc. • Current Affairs PDF • App Download • Syllabus • UPSC • Core Syllabus • PCS • RPSC • BPSC • JPSC • MPPSC • UPPSC • Books • UPSC • RPSC • SSC CHSL • SBI • Donate • Contact • About us • Our Mission • Authors • Want to be author? • Search आज हम आपको पुरापाषाण (Paleolithic Age), मध्यपाषाण (Mesolithic Age) और नवपाषाण (Neolithic Age) काल के विषय में Hindi में बताने जा रहे...

List of Archaeological Sites of Indus Valley Civilisation

सिंधु घाटी सभ्यता दुनिया के चार प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है । रेडियो कार्बन डेटिंग के अनुसार सभ्यता 2500-1750 ई.पू. के आसपास में सभ्यता का विकास हुआ था । हम , यहाँ सिंधु घाटी सभ्यता के पुरातात्विक स्थलों की सूची है दे रहे हैं जो यूपीएससी, एसएससी, राज्य सेवाओं, एनडीए, सीडीएस, और रेलवे आदि जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए बहुत उपयोगी है | सिंधु घाटी सभ्यता का क्षेत्र संसार की सभी प्राचीन सभ्यताओं के क्षेत्र से अनेक गुना बड़ा और विशाल था। इस परिपक्व सभ्यता के केन्द्र-स्थल पंजाब तथा सिन्ध में था। तत्पश्चात इसका विस्तार दक्षिण और पूर्व की दिशा में हुआ। इस प्रकार हड़प्पा संस्कृति के अन्तर्गत पंजाब, सिन्ध और बलूचिस्तान के भाग ही नहीं, बल्कि गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सीमान्त भाग भी थे। सिंधु घाटी सभ्यता के पुरातात्विक स्थलों की सूची सिंधु घाटी सभ्यता (पुरातात्विक स्थल) विवरण / डिस्कवरी / निष्कर्षों के पुरातत्वीय स्थल हड़प्पा 1. दया राम साहनी द्वारा 1921-1923 में खुदाई की गयी थी। 2. पंजाब (पाकिस्तान) मोंटगोमरी जिले में रवी नदी के तट पर स्थित है। 3. पत्थर की नटराज की मूर्ति और कब्रिस्तान-37 यहां खुदाई के दौरान मिली। मोहनजो-दड़ो (मृत के टीले) 1. आर डी बनर्जी ने 1922 द्वारा खुदाई की गयी थी। 2. पंजाब (पाकिस्तान) के लरकाना जिले में सिंधु नदी के तट पर स्थित है। 3. ग्रेट बाथ, मंडल भवन निर्माण और विधानसभा हॉल इस स्थल की विशेषताए हैं। 4. पशुपति महादेव ( आद्य शिव) की मुहर और बुना कपास के टुकडे खुदाई के दौरान मिली है। चाहुदारो (सिंध , पाकिस्तान) 1. 1931 में एन. जी मजूमदार द्वारा खुदाई की गयी थी। 2. सिंध, पाकिस्तान में सिंधु नदी के तट पर स्थित है। 3. यह सिन्धु घटी...

RBSE Solutions for Class 6 Our Rajasthan Chapter 1 राजस्थान

The questions presented in the RBSE Class 6 Our Rajasthan Solutions Chapter 1 राजस्थान-एक परिचय RBSE Class 6 Our Rajasthan राजस्थान-एक परिचय In-text Questions and Answers पृष्ठ 2 आओ अभ्यास करें (क) भारत के मानचित्र को देखकर पता लगाइए कि प्रश्न 1. राजस्थान की अन्तर्राष्ट्रीय सीमा किस देश से मिलती है? उत्तर: राजस्थान की अन्तर्राष्ट्रीय सीमा पाकिस्तान से मिलती प्रन 2. राजस्थान के पड़ोसी राज्यों के नाम बताइए (क) उत्तर में (ख) पूर्व में (ग) दक्षिण-पूर्व में (घ) दक्षिण में उत्तर: (क) उत्तर में-पंजाब (ख) पूर्व में-उत्तर प्रदेश (ग) दक्षिण-पूर्व में-मध्य प्रदेश (घ) दक्षिण में-गुजरात पृष्ठ 3 आओ अभ्यास करें उपर्युक्त मानचित्र (पाठ्यपुस्तक का पृष्ठ संख्या 2) को देखकर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए प्रश्न 1. राजस्थान के सभी जिलों की सूची बनाइये। उत्तर: राजस्थान के जिले प्रश्न 2. राजस्थान के सबसे उत्तरी, दक्षिणी, पूर्वी व पश्चिमी जिलों के नाम लिखिए। उत्तर: सबसे उत्तरी जिल्ला - श्रीगंगानगर सबसे दक्षिणी जिला - बाँसवाड़ा सबसे पूर्वी जिला - धौलपुर सबसे पश्चिमी जिला - जैसलमेर प्रश्न 3. राजस्थान के कौन-कौन से जिले पाकिस्तान की सीमा पर स्थित हैं? उत्तर: राजस्थान के श्रीगंगानगर, बीकानेर, जैसलमेर तथा बाड़मेर जिले पाकिस्तान की सीमा पर स्थित हैं। पृष्ठ 4-1 आओ अभ्यास करें प्रश्न 1. आपका जिला किस संभाग में सम्मिलित किया गया है? आपके संभाग के अन्य जिलों को पहचानिए। उत्तर: [ नोट-आपका जिला जिस संभाग में आता है, उसका नाम तथा उसमें आने वाले अन्य जिलों के नाम लिखिए।] (पृष्ठ 4-II) आओ अभ्यास करें प्रश्न 1. मानचित्र 1.2 (पाठ्यपुस्तक में) को देखकर निम्नलिखित रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए। उत्तर: राज्य का ...

राजस्थान के प्रमुख ऐतिहासिक स्थल

राजस्थान का अतीत कई शक्तिशाली राजाओं की उपस्थिति से भरा हुआ है, यही कारण है कि इस राज्य को “राजाओं की भूमि” के रूप में जाना जाता है। इन शक्तिशाली राजाओं द्वारा निर्मित राजस्थान के प्रमुख ऐतिहासिक स्थल (Historical Places of Rajasthan in Hindi) जैसे किले, महल, मंदिर और स्मारकों में आज भी उनके वंश की ऐतिहासिक झलक मिलती है जो इतिहास प्रेमियों और पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। जब भारत के सच्चे और रोचक इतिहास की जानकारी एकत्र करने और देखने की बात आती है तो राजस्थान से अच्छी जगह कोई नहीं हो सकती क्योंकि राजस्थान एक ऐसा राज्य है जिसने अपने ऐतिहासिक स्थलों को आज भी संभाल कर रखा है। इस लेख में हम राजस्थान के प्रमुख ऐतिहासिक स्थल (Historical Places of Rajasthan in Hindi) , राजस्थान के किले, महलों, धार्मिक स्थलों, आदि पर विस्तार से चर्चा करेंगे। राजस्थान के प्रमुख ऐतिहासिक स्थल (Historical Places of Rajasthan in Hindi) राजस्थान लोक सेवा आयोग और आरआरएमएसएसबी द्वारा आयोजित की जाने वाली विभिन्न परीक्षाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। राजस्थान के प्रमुख ऐतिहासिक स्थल (Historical Places of Rajasthan in Hindi) एक ऐसा टॉपिक है जिससे लगातार विभिन्न परीक्षाओं में प्रश्न पूछे जाते हैं। Table of Contents • • • • राजस्थान के प्रमुख ऐतिहासिक स्थल : किले | Major historical sites of Rajasthan: Forts आमेर किला | Amer Fort • आमेर का किला राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित राजस्थान के सबसे अच्छे पहाड़ी किलों में से एक है और इसे राजा मान सिंह ने बनवाया था। • आमेर में स्थित, राजस्थान का आमेर किला उस समय के लोगों की स्थापत्य उत्कृष्टता का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। किला क्षेत्र के शासकों का निवास स्...

राजस्थान में पाषाण काल

राजस्थान में प्राप्त आदि मानव द्वारा प्रयुक्त पाषाण उपकरण लगभग डेढ़ लाख वर्ष प्राचीन है। 1871 ईस्वी में A.C.L कार्लाइल द्वारा किया गया था। इसके पश्चात् व्यापक स्तर पर उत्खनन कार्य का श्रेय एस.आर. राव, डी.आर. भंडारकर, दयाराम साहनी, एच.डी. सांकलिया, बी.एन. मिश्र, आर.सी. अग्रवाल, बी.बी. लाल, एस.एन. राजगुरु, डी.पी. अग्रवाल, विजय कुमार, ललित, पांडे जीवन खारवाल जैसे विद्वानों को जाता है। राजस्थान से प्राप्त शैलचित्र राजस्थान में अरावली श्रेणी व चम्बल नदी घाटी क्षेत्रों में प्रागैतिहासिक काल के विभिन्न शैलाश्रय प्राप्त हुए हैं, इनमे पाषाण उपकरण, अस्थि अवशेष एवं अन्य पुरा सामग्री है। इन शैलाश्रयों की छत, भित्ति आदि पर प्राचीन मानव द्वारा उकेरे गये शैलचित्र तत्कालीन मानव जीवन का विवरण प्रस्तुत करते हैं। इनमें सर्वाधिक आखेट दृश्य उपलब्ध होते हैं। यह बूंदी में छाजा नदी तथा कोटा में चम्बल नदी क्षेत्र में प्राप्त हुए है। इनके अतिरिक्त विराटनगर (जयपुर), सोहनपुरा (सीकर) तथा हरसौरा (अलवर) आदि स्थलों से भी चित्रित शैलाश्रय प्राप्त हुए हैं। भरतपुर के ‘दर’ नामक स्थान से प्राप्त चित्रित शैलाश्रय में मानवाकृति, व्याघ्र, बारहसिंहा तथा सूर्य आदि के अंकन प्रमुख हैं। पूर्व पाषाण-काल राजस्थान में प्रागैतिहासिक काल के अवशेषों का वैज्ञानिक शोध सीमित स्तर पर हुआ हैं।इन अध्ययनों और सर्वेक्षणों से ज्ञात होता है कि पुरापाषाणकाल में इस प्रान्त के कई क्षेत्रों ने मानव को आकर्षित किया। पुरापाषाण युग को तीन स्तरों में विभाजित किया गया है। • निम्न पुरापाषाण काल 5,00,000 – 1,00,000 ईसा पूर्व[ डीडवाना ] • मध्य पुरापाषाण काल 1,00,000 – 40,000 ईसा पूर्व[ लूणी घाटी | बूढ़ा पुष्कर ] • उच्च पुरापाषाण काल 40,000 – 10,0...

राजस्थान के प्रमुख ऐतिहासिक स्थल

राजस्थान का अतीत कई शक्तिशाली राजाओं की उपस्थिति से भरा हुआ है, यही कारण है कि इस राज्य को “राजाओं की भूमि” के रूप में जाना जाता है। इन शक्तिशाली राजाओं द्वारा निर्मित राजस्थान के प्रमुख ऐतिहासिक स्थल (Historical Places of Rajasthan in Hindi) जैसे किले, महल, मंदिर और स्मारकों में आज भी उनके वंश की ऐतिहासिक झलक मिलती है जो इतिहास प्रेमियों और पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। जब भारत के सच्चे और रोचक इतिहास की जानकारी एकत्र करने और देखने की बात आती है तो राजस्थान से अच्छी जगह कोई नहीं हो सकती क्योंकि राजस्थान एक ऐसा राज्य है जिसने अपने ऐतिहासिक स्थलों को आज भी संभाल कर रखा है। इस लेख में हम राजस्थान के प्रमुख ऐतिहासिक स्थल (Historical Places of Rajasthan in Hindi) , राजस्थान के किले, महलों, धार्मिक स्थलों, आदि पर विस्तार से चर्चा करेंगे। राजस्थान के प्रमुख ऐतिहासिक स्थल (Historical Places of Rajasthan in Hindi) राजस्थान लोक सेवा आयोग और आरआरएमएसएसबी द्वारा आयोजित की जाने वाली विभिन्न परीक्षाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। राजस्थान के प्रमुख ऐतिहासिक स्थल (Historical Places of Rajasthan in Hindi) एक ऐसा टॉपिक है जिससे लगातार विभिन्न परीक्षाओं में प्रश्न पूछे जाते हैं। Table of Contents • • • • राजस्थान के प्रमुख ऐतिहासिक स्थल : किले | Major historical sites of Rajasthan: Forts आमेर किला | Amer Fort • आमेर का किला राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित राजस्थान के सबसे अच्छे पहाड़ी किलों में से एक है और इसे राजा मान सिंह ने बनवाया था। • आमेर में स्थित, राजस्थान का आमेर किला उस समय के लोगों की स्थापत्य उत्कृष्टता का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। किला क्षेत्र के शासकों का निवास स्...

राजस्थान का इतिहास प्राचीन सभ्यताएँ एवं पुरातात्विक स्थल

राजस्थान अपनी जटिल भू-जैविकीय संरचना के लिये जाना जाता है। इस सम्पूर्ण प्रदेश को अरावली पर्वत माला दो भिन्न भागों में बांटती है। इस पर्वतमाला के पूर्व का भाग हरा-भरा क्षेत्र है तो पश्चिमी भाग बलुई स्तूपों वाला रेगिस्तान। प्रागैतिहासिक काल में विश्व दो भूखण्डों- अंगारालैण्ड तथा गौंडवाना लैण्ड में बंटा हुआ था। इन दोनों भूखण्डों के बीच में टेथिस महासागर था। राजस्थान के मरुस्थलीय एवं मैदानी भाग टेथिस सागर को नदियों द्वारा लाई गई मिट्टी से पाट दिये जाने से बने जबकि गौंडवाना लैण्ड के एक अंश के विलग होकर उत्तर की ओर खिसकने से राजस्थान के अरावली पर्वत एवं दक्षिणी पठार बने। प्राचीन सभ्यताएँ एवं पुरातात्विक स्थल • इतिहास को प्रागैतिहासिक काल, आद्यऐतिहासिक काल एवं ऐतिहासिक काल में विभाजित किया जाता है। • ऐसा काल जिसके संबंध में मानव के इतिहास के बारे में कोई लिखित सामग्री उपलब्ध नहीं होती है उसे प्रागैतिहासिक काल कहते हैं। • ऐसा काल जिसके संबंध में लिखित सामग्री उपलब्ध है लेकिन जिसे अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है उसे आद्यऐतिसाहिक काल कहते हैं। जैसे- सिन्धुघाटी सभ्यता। • ऐसा काल जिसके संबंध में प्राप्त लिखित सामग्री को पढ़ा जा सकता है उसे ऐतिहासिक काल कहते हैं। राजस्थान की प्रमुख सभ्यताएँ :- क्र. सं. सभ्यता जिला नदी 1. कालीबंगा हनुमानगढ़ सरस्वती (घग्घर) 2. आहड़ उदयपुर आयड़ (बेड़च) 3. गिलूण्ड राजसमन्द बनास 4. बागोर भीलवाड़ा कोठारी 5. बालाथल उदयपुर बेड़च 6. गणेश्वर सीकर कांतली 7. रंगमहल हनुमानगढ़ सरस्वती (घग्घर) 8. ओझियाना भीलवाड़ा खारी 9. नोह भरतपुर रूपारेल 10. नगरी चित्तौड़गढ़ बेड़च 11. जोधपुरा जयपुर साबी 12. सुनारी झुंझुनूं कांतली 13. तिलवाड़ा बाड़मेर लूनी 14. रैढ़ टोंक ढील 15. गरदड़ा बूँदी छाजा 16. बैरा...