राजस्थान में दीपावली कब है

  1. राजस्थान के प्रमुख त्योहार — Study29 दीपावली, होली, रक्षाबंधन, धनतेरस
  2. जानिए दिवाली पर पटाखों को लेकर आपके राज्य में क्या है नियम ? कब से कब तक कर पाएंगे आतिशबाजी ? – Khabarchalisa News
  3. राजस्थान के प्रमुख उत्सव और मेले
  4. Rajasthan Festival Gk : राजस्थान के प्रमुख मेले और त्यौहार सामान्य ज्ञान
  5. Rajasthan Panchayat Election 2021: राजस्थान में पंचायत चुनाव की तारीखों की घोषणा, कब से कितने चरणों में होगी वोटिंग, जानें
  6. जानें कब है दीपावली और इस त्यौहार का क्या हैं महत्व


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राजस्थान के प्रमुख त्योहार — Study29 दीपावली, होली, रक्षाबंधन, धनतेरस

• Home • हिंदी • हिंदी व्याकरण • हिंदी साहित्य का इतिहास यहाँ पर हम राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित प्राध्यापक भर्ती परीक्षा में हिंदी विषय के “हिंदी साहित्य का इतिहास” बिंदु से संबंधित जानकारी प्राप्त करेंगे • इतिहास • भारत का प्राचीन इतिहास • मध्यकालीन भारत का इतिहास • भारत का इतिहास • विश्व इतिहास • भारतीय राज व्यवस्था • Rajasthan GK • राजस्थान का इतिहास • राजपूत युग • Exam Notes • CET Rajasthan • REET 2022 • पटवारी परीक्षा (Patwari Exam) • First Grade Teacher GK • NCERT Notes • Govt. Jobs • कम्प्यूटर • Toggle website search Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • राजस्थान के प्रमुख त्योहार निम्नानुसार हैं- हिन्दुओं के प्रमुख त्योहार श्रावणी तीज या छोटी तीज (श्रावण शुक्ला 3) – यह त्योहार मुख्यतः नव विवाहिताओं व स्रियों द्वारा मनाया जाता है। जिसमें स्रियाँ अपने पति की लम्बी उम्र के लिए व्रत करती हैं। इस दिन जयपुर में तीज माता की भव्य सवारी निकाली जाती है जो विश्व प्रसिद्ध है। छोटी तीज पार्वती का प्रतीक मानी जाती है। इस त्योहार पर नव विवाहिताएँ पेड़ के झुला-झिलती है और गीत गाती हैं। रक्षा बंधन (श्रावण पूर्णिमा) – इस त्योहार के दिन बहनें भाइयों की कलाइयों पर राखियाँ बाँध कर रक्षा का वचन लेती हैं व उसके जीवन की मंगलकामना करती हैं। बड़ी तीज/सातुड़ी तीज/कजली तीज (भाद्रपद कृष्णा 3) – यह त्योहार महिलाओं द्वारा अपने पति की लम्बी उम्र व मंगलकामना के लिए मनाया जाता है, जिसमें महिलाएँ पुरे दिन निराहार रहकर रात्रि में चंद्रमा के दर्शन कर अर्ध्य देकर भोजन ग्रहण करती हैं। बूंदी में कजली तीज की भव्य सवारी निकाली ज...

जानिए दिवाली पर पटाखों को लेकर आपके राज्य में क्या है नियम ? कब से कब तक कर पाएंगे आतिशबाजी ? – Khabarchalisa News

दिवाली और आतिशबाजी का मेल काफी लंबा है और हर साल दिवाली के मौके पर पटाखों से इस पर्व का जश्न मनाया जाता है. लेकिन, कुछ सालों से वायु प्रदूषण की वजह से दिवाली पर पटाखों की गूंज कम है. इस बार भी कुछ ऐसा ही रहेगा, क्योंकि पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए सरकार ने पटाखों को लेकर कई नियम तय किए हैं. इन नियमों के हिसाब से हर राज्य में अलग- अलग नियम हैं और उन नियमों के हिसाब से ही लोग प्रदेश में दिवाली मना सकेंगे. राजस्थान राजस्थान में सरकार की ओर से पटाखे जलाने और बेचने पर छूट दी गई है. हालांकि, लोग सिर्फ ग्रीन पटाखों का ही इस्तेमाल कर सकेंगे ताकि ध्वनि और वायु प्रदूषण को रोका जा सके. राजस्थान में एनसीआर क्षेत्र को छोड़कर अन्य जिलों में दीपावली पर दो घंटे रात 8 से 10 बजे तक के लिए ग्रीन पटाखों को चलाने की अनुमति प्रदान की गई है. साथ ही क्रिसमस और नववर्ष पर रात्रि 11.55 से रात्रि 12.30 बजे, गुरू पर्व पर रात्रि 8 से रात्रि 10 बजे तक और छठ पर्व पर सुबह 6 से सुबह 8 बजे तक ग्रीन पटाखा चलाने की अनुमति होगी. हरियाणा हरियाणा आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (HDMA) ने रविवार को दिल्ली NCR में आने वाले प्रदेश के सभी 14 जिलों में सभी प्रकार के पटाखों की बिक्री और उपयोग (Cracker Ban) पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया है. आतिशबाजी पर लगाई गई यह रोक दिवाली के बाद गुरुपर्व, क्रिसमस और नए साल तक जारी रहेगी. NCR में शामिल झज्जर, पलवल, सोनीपत, गुड़गांव, पानीपत, रोहतक, मेवात, रेवाड़ी, भिवानी, महेंद्रगढ़, फरीदाबाद, करनाल, दादरी और जींद में आतिशबाजी और पटाखों की खरीद को पूर्ण रूप से प्रतिबंधित कर दिया गया है. हालांकि इसके अलावा NCR से बाहर के जिलों में दो घंटे रात के 8 बजे से दस बजे तक ग्रीन पटाखे...

राजस्थान के प्रमुख उत्सव और मेले

4.3/5 - (11 votes) राजस्थान भारत का एक मुख्य राज्य है, जो पूरे वर्ष भर चलने वाले मेलों और त्योहारों के माध्यम से अपनी जीवंत संस्कृति का जश्न मनाता है। ये शानदार मेले और उत्सव यात्रियों को राजस्थान की कला, संस्कृति और परंपराओं को उजागर करने का मौका देते हैं जो राज्य के शाही इतिहास के साथ बहुत अच्छी तरह से जुड़े हुए हैं। राजस्थान एक अनोखी जगह है, जो अपने उत्सवो और मेलो के लिए पूरे भारत में जानी जाती है और इन उत्सवो और समारोहों को आकर्षक बनाने के लिए विभिन्न गतिविधियाँ और प्रतियोगिताएं आयोजित भी की जाती हैं जो राजस्थान की शुष्क भूमि में बिभिन्न रंगों को बिखेर देती है। यदि आप राजस्थान की लोक संस्कृति और परम्पराओं से रूबरू होना चाहते है, तो आपको राजस्थान के प्रमुख उत्सव और मेलो के दौरान राजस्थान की यात्रा अवश्य करनी चाहिये। इसके अलावा यदि आप राजस्थान के प्रसिद्ध फेस्टिवल्स और मेले के बारे में जानने के लिए उत्सुक है तो इसके लिए आप हमारे इस आर्टिकल को पूरा पढ़े, जहाँ आप राजस्थान के प्रमुख उत्सव और मेले के आयोजन स्थल, उनकी अवधि और उनके प्रमुख आकर्षणों के बारे में जान सकेगें – Rajasthan ke Pramukh festival : फरवरी महीने में आयोजित होने वाला डेजर्ट फेस्टिवल राजस्थान के प्रमुख उत्सव और मेले में से एक है, जिसे स्थानीय लोगो द्वारा बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। आपको बता दे डेजर्ट फेस्टिवल पूर्णिमा से तीन दिन पहले माघ (फरवरी) के हिंदू महीने में सैम टिब्बा में थार रेगिस्तान के खूबसूरत टीलों के बीच मनाया जाता है। त्योहार के प्रमुख आकर्षण कठपुतली, कलाबाज, ऊंट दौड़, ऊंट पोलो, लोक नृत्य आदि का प्रदर्शन हैं, जो स्थानीय लोगो के साथ-साथ पर्यटकों के लिए लोकप्रिय बना हुआ है। डेजर्ट फेस्टिवल समृद्ध औ...

Rajasthan Festival Gk : राजस्थान के प्रमुख मेले और त्यौहार सामान्य ज्ञान

राजस्थान के त्योहार और मेले Question Answer • निम्न मेलों से सम्बंधित स्थान है- • तेजाजी का मेला- पर्व तसर, नागौर • भर्तहरि का मेला- अलवर • गोगाजी का मेला- गोगामेडी, हनुमानगढ • करणी माता का मेला- देशनोंक, बीकानेर • राणी सती का मेला- झुंझुनू • माता कुंडालिनी का मेला- रश्मी गांव, चित्तौडगढ • केशररया नाथ जी का मेला- घुलेव, राजसमन्द • घुश्मेश्वर का मेला- कशवाड, सवाई माधोपुर • जीणमाता का मेला- रेवासा, सीकर • जाम्भेश्वर का मेला- नोखा, बीकानेर • गलियाकोट-उसा- गकलयाकोट, • बाणगंगा मेला- विराटनगर, जयपुर • वीरपुरी का मेला- मण्डौर, जोधपुर • रामदेवरा का मेला- पोकरण, जैसलमेर • गणेश मेला- रणथम्भौर, सवाई माधोपुर निम्न समारोह के स्थल हैं- • मेवाड समारोह- उदयपुर • मरू महोत्सव- जैसलमेर • गैर नृत्य समारोह- भीलवाडा • थार समारोह- बाडमेर • कपिल मुनि का मेला लगता है- कोलायत, बीकानेर • कोलायत मेला की तिथि है- शुक्ल पक्ष पूर्निमा (कार्तिक माह) • ‘कोलायत’ मेले का सर्वाधिक आकर्षण है- दीपदान • ‘गधों के मेले’ हेतु प्रसिद्ध है- लूकणयावास • जाम्भेश्वर मेला किस सम्प्रदाय का है- विश्नोई • रामदेवी जी का मेला लगता है- रूणेचा • तिलवाडा पशु मेला का कजला है- बाडमेर • राजस्थान का तीथाराज कहलाता है- पुष्कर, अजमेर • सर्वाधिक विदेशी किस मेलें में आते हैं- पुष्कर, अजमेर • अजमेर में उर्ष अर्थात मेला किस दरगाह पर लगता है- ख्वाजा मोइनुिद्दीन चिश्ती • राजस्थान का सबसे बडा मेला है- पुष्कर • तेजाजी का प्रसिद्ध मेला है- परवतसर नागौर • खाटू श्याम जी का मेला- सीकर • केशररया नाथ जी का मेला- धुलेव गांव मेवाड • घूघरे मेले का आयोजन आदिवासी करते हैं- पौर् • किस जनजाति में लोग मेलों में अपना जीवन साथी चुनते हैं- सहरिया जनजाति • बे...

Rajasthan Panchayat Election 2021: राजस्थान में पंचायत चुनाव की तारीखों की घोषणा, कब से कितने चरणों में होगी वोटिंग, जानें

• • Rajasthan • Rajasthan Panchayat Election 2021: राजस्थान में पंचायत चुनाव की तारीखों की घोषणा, कब से कितने चरणों में होगी वोटिंग, जानें Rajasthan Panchayat Election 2021: राजस्थान में पंचायत चुनाव की तारीखों की घोषणा, कब से कितने चरणों में होगी वोटिंग, जानें राजस्थान में पंचायत चुनाव (Rajasthan Panchayat Chunav) की तारीखों का ऐलान कर दिया गया है. Madhya Pradesh Panchayat Chunav Rajasthan Panchayat Election 2021: राजस्थान में पंचायत चुनाव (Rajasthan Panchayat Chunav) की तारीखों का ऐलान कर दिया गया है. राजस्थान के चार जिलों में पंचायत चुनाव (Rajasthan Panchayat Chunav Kab Se Hain) होने हैं. इसकी तारीखों का ऐलान हुआ है. घोषणा के अनुसार, राजस्थान के इन चार जिलों में तीन चरणों में पंचायत चुनाव होंगे. राज्य निर्वाचन आयोग (State Election Commission) ने पूरी डिटेल जारी कर दी है. चुनाव की घोषणा के साथ ही इन जिलों में आचार संहिता भी लागू हो गई है. इन चार जिलों में होने वाले पंचायत चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया 29 नवंबर से नामांकन शुरू हो जाएगी. इसकी आखिरी तारीख 2 दिसंबर है. प्रत्याशी अपना नामांकन 4 दिसंबर तक वापस ले सकते हैं. चुनाव आयोग ने राजस्थान के इस पंचायत चुनाव के लिए वोटिंग के साथ मतगणना की घोषणा भी कर दी है. आखिरी चरण के तीन दिन बाद मतगणना 21 दिसंबर को होगी. जिला परिषद प्रमुख और प्रधान चुनने के लिए वोटिंग 23 दिसंबर को होगी. इन चारों जिलों में जिला परिषद चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया 29 नवंबर से शुरू होगी. नामांकन पत्र दाखिल करने की आखिरी तारीख 2 दिसंबर है. जबकि नामांकन वापसी की प्रक्रिया 4 दिसंबर को दोपहर 3:00 बजे तक होगी.

जानें कब है दीपावली और इस त्यौहार का क्या हैं महत्व

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| दीपावली भारत में मनाया जाने वाला सबसे बड़ा हिंदू त्यौहार है। दीपावली का मतलब- दीप जिसका मतलब है रोशनी और वली जिसका मतलब है पंक्ति, अर्थात रोशनी की एक पंक्ति। दीपावली का त्यौहार चार दिनों के समारोहों से चिह्नित होता है जो अपनी प्रतिभा के साथ हमारी धरती को रोशन करता है और हर किसी को अपनी खुशी के साथ प्रभावित करता है। इस दौरान भगवान श्री गणेश और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। पुराणों के अनुसार, दीपावली के दिन ही भगवान राम अयोध्या लौटे थे। भगवान राम के आने की खुशी में अयोध्यावासियों ने उनका दीप जलाकर स्वागत किया था। सुख-समृद्धि की कामना के लिए दिवाली से बढ़कर कोई त्यौहार नहीं होता इसलिये इस अवसर पर लक्ष्मी की पूजा भी की जाती है। दीपदान, धनतेरस, गोवर्धन पूजा, भैया दूज आदि त्यौहार दिवाली के साथ-साथ ही मनाए जाते हैं। आइए ज्योतिषाचार्य पं. दयानंद शास्त्री से जानते हैं कि इस वर्ष दिवाली किस दिन पड़ रही है और क्या है इसका महत्व। दिवाली का महत्व: पुराणों के अनुसार, त्रेतायुग में जब भगवान श्री राम रावण का वध कर वापस अयोध्या लौट थे तब वहां के लगों ने उनका स्वागत दीप जलाकर किया था। इसी स्वागत को हर वर्ष लोग दिवाली के त्योहार के रूप में मनाते हैं। दिवाली के दिन भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस दिन घर के मुख्य द्वार पर रंगोली बनाई जाती है। साथ ही पूरे घर को दीपों से सजाकर मां लक्ष्मी के आगमन का स्वागत किया जाता है। भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा के बाद खील और बतासे का प्रसाद बांटकर एक दूसरे को दिवाली की शुभकामनाएं दी जाती हैं। मान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से मां लक्ष्मी घर में वास करती हैं। इससे व्यक्ति के घर में धन की कोई कमी नहीं रहती है। दी...