राजू पाल का इतिहास

  1. BSP MLA राजू पाल मर्डर केस में पूर्व सांसद अतीक अहमद का भाई अशरफ गिरफ्तार, 1 लाख था इनाम
  2. UP Prayagraj Raju Pal challenged in Elections and CM Yogi government registered many cases against Atiq Ahmed
  3. [PDF] राजपूत काल का इतिहास
  4. #NewsBytesExplainer: बसपा विधायक राजू पाल की हत्या का वो मामला, जिसने ढहाया अतीक का आपराधिक साम्राज्य
  5. चांद बाबा, राजू पाल से लेकर उमेश की दिनदहाड़े हत्या... दुर्दांत अतीक अहमद के वो 10 किस्से, जो आपको दहला देंगे
  6. [PDF] राजपूत काल का इतिहास
  7. UP Prayagraj Raju Pal challenged in Elections and CM Yogi government registered many cases against Atiq Ahmed
  8. #NewsBytesExplainer: बसपा विधायक राजू पाल की हत्या का वो मामला, जिसने ढहाया अतीक का आपराधिक साम्राज्य
  9. BSP MLA राजू पाल मर्डर केस में पूर्व सांसद अतीक अहमद का भाई अशरफ गिरफ्तार, 1 लाख था इनाम
  10. #NewsBytesExplainer: बसपा विधायक राजू पाल की हत्या का वो मामला, जिसने ढहाया अतीक का आपराधिक साम्राज्य


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BSP MLA राजू पाल मर्डर केस में पूर्व सांसद अतीक अहमद का भाई अशरफ गिरफ्तार, 1 लाख था इनाम

ग‍िरफ्तार खाल‍िद अजीम उर्फ अशरफ और अतीक अहमद की फाइल फोटो. नई दिल्‍ली: उत्‍तर प्रदेश की पुलिस ने साल 2005 में हुए बहुचर्चित बीएसपी एमएलए राजू पाल की हत्‍या के आरोपी पूर्व सांसद अतीक अहमद के भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ को गिरफ्तार किया है. अशरफ भी इस हत्‍याकांड का आरोपी है. उसकी गिरफ्तारी पर एक लाख रुपए का इनाम था. यह गिरफ्तारी इलाहाबाद में हुई है. Also Read: • • • बता दें अभियोजन पक्ष के अनुसार, 25 जनवरी, 2005 को हमलावरों ने धूमनगंज पुलिस स्टेशन के तहत नीवा क्रॉसिंग पर राजू पाल के वाहन को रोक दिया था और उन पर गोलियां चला दी थीं. राजू अपने साथियों के साथ घर लौट रहा थे, जब हमलावर दो चार पहिया वाहनों पर आए और उसका रास्ता रोक लिया था. गोलीबारी में राजू और उसके दो सहयोगी देवीलाल पाल और संदीप यादव की मौत हो गई, जबकि तीन अन्य, रुकसाना, सैफ, उर्फ ​​सैफुल्ला और ओम प्रकाश पाल को गोली लगी थी. Prayagraj: Police arrests Khaild Ajim alias Ashraf (in pic), the brother of Atiq Ahmed – former MP and accused in the murder case of BSP MLA Raju Pal. Ashraf was carrying a reward of Rs 1 Lakh on his head. — ANI UP (@ANINewsUP) उसी दिन राजू की पत्नी पूजा पाल ने एफआईआर दर्ज कराई थी. धूमनगंज पुलिस स्टेशन में अतीक, अशरफ और सात अज्ञात लोगों पर मारपीट, हत्या की कोशिश और आपराधिक साजिश रचने का आरोप है. उनके विवाह के नौ दिन बाद ही यह घटना घटी. प्रयागराज पुलिस ने 6 अप्रैल, 2005 को एक स्थानीय अदालत में अतीक और अशरफ़ सहित 11 लोगों के खिलाफ एक आरोप पत्र दायर किया और पुलिस के अनुसार, राजू ने प्रयागराज पश्चिम सीट से 2004 का विधानसभा उप-चुनाव जीता था, जिसमें सपा सांसद अतीक अहमद के भाई अशरफ की हार हुई थी. 2004 के ...

UP Prayagraj Raju Pal challenged in Elections and CM Yogi government registered many cases against Atiq Ahmed

योगी राज में अतीक पर शुरू हुआ केस का दौर राजू पाल हत्याकांड के गवाह उमेश पाल को 2016 में कचहरी में मारापीटा गया था। अतीक के जेल जाने के बाद उमेश पाल ने 2017 में कर्नलगंज थाने में अतीक समेत 49 लोगों के खिलाफ केस दर्ज कराया। आरोप था कि कोर्ट में पेशी के लिए पहुंचे उमेश पाल को अतीक के इशारे पर उनके समर्थकों ने पिस्टल सटाकर जान से मारने की धमकी दी और सरेआम उन्हें मारा पीटा। मरियाडीह हत्याकांड में भी अतीक अहमद अतीक के करीबी आबिद प्रधान की चेचरी बहन और चालक की मरियाडीह में 2015 में गोलियों से भून दिया गया था। आबिद ने कम्मू और जाबिर समेत सात के खिलाफ केस दर्ज कराया था। इस केस की अग्रिम विवेचना शुरू हो गई है। पुलिस ने पूर्व सांसद अतीक समेत 15 का नाम प्रकाश में लाया। लेकिन बाद में धूमनगंज पुलिस ने पूर्व सांसद अतीक को छोड़ अन्य सभी के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल कर दिया। झलवा में किसान नेता की हत्या की साजिश में अतीक तीन साल पहले किसान नेता की झलवा में गोली मारकर हत्या कर दी गई। किसान की मां ने राजूपाल हत्याकांड के गवाह उमेश पाल के खिलाफ केस दर्ज कराया। लेकिन पुलिस की जांच में कुछ और ही कहानी सामने आई। इस मर्डर केस में पुलिस ने पूर्व सांसद को हत्या की साजिश रचने का आरोपी बनाया था लेकिन धूमनगंज अभी तक जेल में बंद अतीक का रिमांड नहीं बनवा सकी। उमेश अपहरण में सजा के बाद अंत अहमदाबाद जेल में बंद अतीक को उमेश पाल अपहरण कांड में सजा होनी वाली थी। इससे पूर्व 24 फरवरी को उमेश पाल की हत्या कर दी गई। इसी केस में अतीक और उसका पूरा परिवार आरोपित किया गया। 28 मार्च को अतीक को उमेश पाल अपहरण कांड में सजा हुई। 13 अप्रैल को अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की कॉल्विन अस्पताल के अंदरहत्याकरदीगई। देवरिया जेल कां...

[PDF] राजपूत काल का इतिहास

राजपूत काल का इतिहास राजपूतों का उदय ● हर्षवर्धन की मृत्यु के बाद उत्तर भारत में विकेंद्रीकरण की प्रक्रिया तेज हो गयी। किसी शक्तिशाली केन्द्रीय शक्ति के अभाव में छोटे छोटे स्वतंत्र राज्यों की स्थापना होने लगी। ● सातवीं-वींआठवीं शताब्दी में उन स्थापित राज्यों के शासक ‘ राजपूत’ कहे गए। उनका उत्तर भारत की राजनीति में बारहवीं सदी तक प्रभाव कायम रहा। ● भारतीय इतिहास में यह काल ‘राजपूत काल’ के नाम से जाना जाता है। कुछ इतिहासकर इसे संधिकाल का पूर्व मध्यकाल भी कहते हैं, क्योंकिक्यों यह प्राचीन काल एवं मध्यकाल के बीच कड़ी स्थापित करने का कार्य करता है। ● ‘राजपूत’ शब्द संस्कृत के राजपुत्र का ही अपभ्रंश है। संभवतः प्राचीन काल में इस शब्द का प्रयोग किसी जाति के रूप में न होकर राजपरिवार के सदस्यों के लिए होता था, पर हर्ष की मृत्यु के बाद राजपुत्र शब्द का प्रयोग जाति के रूप में होने लगा। ● इन राजपुत्रों के की उत्पत्ति के विषय में भिन्न-भिन्न मत प्रचलित हैं। कुछ विद्वान इसे भारत में रहने वाली एक जाति मानते हैं, तो कुछ अन्य इन्हें विदेशियों की संतान मानते हैं। ● कुछ विद्वान् राजपूतों को आबू पर्वत पर महर्षि वशिष्ट के अग्निकुंड से उत्पन्न हुआ मानते हैं। प्रतिहार, चालुक्य, चौहान और परमार राजपूतों का जन्म इसी से माना जाता है। ● कर्नल टॉड जैसे विद्वान राजपूतों को शक, कुषाण तथा हूण आदि विदेशी जातियों की संतान मानते हैं। ● डॉ. ईश्वरी प्रसाद तथा भंडारकर आदि विद्वान् भी राजपूतों को विदेशी मानते हैं। ● जी.एन.ओझा. और पी.सी. वैद्य तथा अन्य कई इतिहासकार यही मानते हैं की राजपूत प्राचीन क्षत्रियों की ही संतान हैं। ● स्मिथ का मानना है की राजपूत प्राचीन आदिम जातियों – गोंडगों , खरवार, भर, आदि के वंशज थे। ●...

#NewsBytesExplainer: बसपा विधायक राजू पाल की हत्या का वो मामला, जिसने ढहाया अतीक का आपराधिक साम्राज्य

April 13, 2023 | 07:51 pm 1 मिनट में पढ़ें अतीक अहमद के बेटा असद अहमद को एनकाउंटर में ढेर किया गया गैंगस्टर 25 फरवरी को उमेश पाल हत्याकांड के बाद से ही अतीक और उसके करीबियों पर एक्शन जारी है। इस मामले की शुरुआत साल 2005 में हुए राजू पाल हत्याकांड से होती है। चलिए इस पूरे मामले को समझते हैं। फुलपूर चुनाव में अतीक के भाई की हार साल 2004, अब तक अतीक इलाहाबाद पश्चिम सीट से 5 बार विधायक बन चुका था। इसी साल इससे इलाहबाद पश्चिम सीट खाली हो गई, जिस पर अतीक ने अपने भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ को खड़ा किया। खालिद का सामना नतीजों में राजू ने खालिद को 4,818 वोटों से हरा दिया। अतीक ने इस हार को अपनी इज्जत पर ले लिया। राजू पाल की हत्या 24 जनवरी, 2005 को राजू स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल से खुद कार चलाकर घर लौट रहे थे। इस वाहन में उनके साथ संदीप यादव और देवीलाल भी सवार थे। एक दूसरे वाहन में उनका चालक महेंद्र, ओम प्रकाश और अन्‍य 3 लोग सवार थे। नेहरू पार्क में सुलेम सराय के पास करीब 10 हमलावरों ने राजू की कार को घेर लिया और अंधाधुंध फायरिंग की। राजू के साथ वाले दूसरे वाहन पर भी गोलियां बरसाई गईं। राजू के शरीर से निकली थीं 19 गोलियां हमले के बाद लोग राजू को टैंपो में डालकर अस्पताल ले जाने लगे। हमलावरों को लगा कि राजू अभी जिंदा हैं तो उन्होंने कई किलोमीटर तक टैंपो का पीछा किया और फायरिंग करते रहे। अस्पताल पहुंचते-पहुंचते राजू का पूरा शरीर छलनी हो गया था। संदीप और देवीलाल की मौके पर ही मौत हो गई। पोस्टमार्टम के दौरान राजू के शरीर से 19 गोलियां निकली थीं। हत्याकांड के बाद राजू की पत्नी ने दर्ज कराया अतीक और उसके भाई के खिलाफ केस राजू की हत्‍या के मामले में उनकी पत्नी पूजा ने अतीक अहमद, अशरफ और तीन अन...

चांद बाबा, राजू पाल से लेकर उमेश की दिनदहाड़े हत्या... दुर्दांत अतीक अहमद के वो 10 किस्से, जो आपको दहला देंगे

2/2 स्लाइड प्रयागराज: अतीक अहमद ने 1979 में अपराध की दुनिया में कदम रखने के बाद ऐसी घटनाओं को अंजाम दिया, जिनकी चर्चा कर आज भी लोग कांप उठते हैं। अतीक ने अपने खौफ का साम्राज्य स्थापित किया। प्रयागराज और आसपास के इलाकों में हर उठने वाली आवाज को दबाकर अपनी समानांतर सरकार उसने चलाई। 1989 में चांद बाबा की हत्या के बाद राजनीति में उतरे अतीक ने जन प्रतिनिधि बनने के बाद भी अपराध की राह नहीं छोड़ी। उसके खौफ का आलम यह था कि पीड़ित परिवार केस दर्ज कराते थे। मामला कोर्ट में पहुंचता था तो गवाहों को धमकाकर या फिर अपहरण के जरिए अतीक अहमद शांत करा देता था। विरोधियों की जघन्य हत्याओं ने अतीक के खौफ को लगातार बढ़ाया। हाई कोर्ट में केस जाने के बाद जस्टिस तक अतीक मामले की सुनवाई करने से इनकार कर देते थे। अतीक के खिलाफ हाई कोर्ट के 10 जस्टिस ने सुनवाई करने से इनकार करते हुए अपना नाम वापस लिया था। 1979 से लेकर 2023 तक अतीक के खिलाफ 44 साल में 101 केस दर्ज किए गए। आइए इन केसों में से उन 10 घटनाओं के बारे में जानते हैं, जो उसके आतंक की कहानी जानते हैं- चांद बाबा हत्याकांड वर्ष 1979 में चकिया में रहने वाला अतीक अहमद हाई स्कूल में फेल हो गया। इसी साल हत्या के केस में उसका नाम जुड़ा। इसने उसे कुख्यात अपराधी बना दिया। उस दौर में चकिया में शौक इलाही उर्फ चांद बाबा का सिक्का चलता था। चांद बाबा की नजर में वह आया। उसने अतीक को आगे बढ़ाया। अतीक ने अपने खौफ का साम्राज्य आगे बढ़ाना शुरू किया। उसका नाम 1985 तक चांद बाबा से बड़ा हो गया था। वर्ष 1989 में अतीक अहमद इलाहाबाद पश्चिमी से निर्दलीय प्रत्याशी बना। चांद बाबा ने भी चुनाव लड़ने की घोषणा की थी। दोनों के बीच चुनावी मुकाबला हुआ। चांद बाबा को केवल 9281 वोट मिले।...

[PDF] राजपूत काल का इतिहास

राजपूत काल का इतिहास राजपूतों का उदय ● हर्षवर्धन की मृत्यु के बाद उत्तर भारत में विकेंद्रीकरण की प्रक्रिया तेज हो गयी। किसी शक्तिशाली केन्द्रीय शक्ति के अभाव में छोटे छोटे स्वतंत्र राज्यों की स्थापना होने लगी। ● सातवीं-वींआठवीं शताब्दी में उन स्थापित राज्यों के शासक ‘ राजपूत’ कहे गए। उनका उत्तर भारत की राजनीति में बारहवीं सदी तक प्रभाव कायम रहा। ● भारतीय इतिहास में यह काल ‘राजपूत काल’ के नाम से जाना जाता है। कुछ इतिहासकर इसे संधिकाल का पूर्व मध्यकाल भी कहते हैं, क्योंकिक्यों यह प्राचीन काल एवं मध्यकाल के बीच कड़ी स्थापित करने का कार्य करता है। ● ‘राजपूत’ शब्द संस्कृत के राजपुत्र का ही अपभ्रंश है। संभवतः प्राचीन काल में इस शब्द का प्रयोग किसी जाति के रूप में न होकर राजपरिवार के सदस्यों के लिए होता था, पर हर्ष की मृत्यु के बाद राजपुत्र शब्द का प्रयोग जाति के रूप में होने लगा। ● इन राजपुत्रों के की उत्पत्ति के विषय में भिन्न-भिन्न मत प्रचलित हैं। कुछ विद्वान इसे भारत में रहने वाली एक जाति मानते हैं, तो कुछ अन्य इन्हें विदेशियों की संतान मानते हैं। ● कुछ विद्वान् राजपूतों को आबू पर्वत पर महर्षि वशिष्ट के अग्निकुंड से उत्पन्न हुआ मानते हैं। प्रतिहार, चालुक्य, चौहान और परमार राजपूतों का जन्म इसी से माना जाता है। ● कर्नल टॉड जैसे विद्वान राजपूतों को शक, कुषाण तथा हूण आदि विदेशी जातियों की संतान मानते हैं। ● डॉ. ईश्वरी प्रसाद तथा भंडारकर आदि विद्वान् भी राजपूतों को विदेशी मानते हैं। ● जी.एन.ओझा. और पी.सी. वैद्य तथा अन्य कई इतिहासकार यही मानते हैं की राजपूत प्राचीन क्षत्रियों की ही संतान हैं। ● स्मिथ का मानना है की राजपूत प्राचीन आदिम जातियों – गोंडगों , खरवार, भर, आदि के वंशज थे। ●...

UP Prayagraj Raju Pal challenged in Elections and CM Yogi government registered many cases against Atiq Ahmed

योगी राज में अतीक पर शुरू हुआ केस का दौर राजू पाल हत्याकांड के गवाह उमेश पाल को 2016 में कचहरी में मारापीटा गया था। अतीक के जेल जाने के बाद उमेश पाल ने 2017 में कर्नलगंज थाने में अतीक समेत 49 लोगों के खिलाफ केस दर्ज कराया। आरोप था कि कोर्ट में पेशी के लिए पहुंचे उमेश पाल को अतीक के इशारे पर उनके समर्थकों ने पिस्टल सटाकर जान से मारने की धमकी दी और सरेआम उन्हें मारा पीटा। मरियाडीह हत्याकांड में भी अतीक अहमद अतीक के करीबी आबिद प्रधान की चेचरी बहन और चालक की मरियाडीह में 2015 में गोलियों से भून दिया गया था। आबिद ने कम्मू और जाबिर समेत सात के खिलाफ केस दर्ज कराया था। इस केस की अग्रिम विवेचना शुरू हो गई है। पुलिस ने पूर्व सांसद अतीक समेत 15 का नाम प्रकाश में लाया। लेकिन बाद में धूमनगंज पुलिस ने पूर्व सांसद अतीक को छोड़ अन्य सभी के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल कर दिया। झलवा में किसान नेता की हत्या की साजिश में अतीक तीन साल पहले किसान नेता की झलवा में गोली मारकर हत्या कर दी गई। किसान की मां ने राजूपाल हत्याकांड के गवाह उमेश पाल के खिलाफ केस दर्ज कराया। लेकिन पुलिस की जांच में कुछ और ही कहानी सामने आई। इस मर्डर केस में पुलिस ने पूर्व सांसद को हत्या की साजिश रचने का आरोपी बनाया था लेकिन धूमनगंज अभी तक जेल में बंद अतीक का रिमांड नहीं बनवा सकी। उमेश अपहरण में सजा के बाद अंत अहमदाबाद जेल में बंद अतीक को उमेश पाल अपहरण कांड में सजा होनी वाली थी। इससे पूर्व 24 फरवरी को उमेश पाल की हत्या कर दी गई। इसी केस में अतीक और उसका पूरा परिवार आरोपित किया गया। 28 मार्च को अतीक को उमेश पाल अपहरण कांड में सजा हुई। 13 अप्रैल को अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की कॉल्विन अस्पताल के अंदरहत्याकरदीगई। देवरिया जेल कां...

#NewsBytesExplainer: बसपा विधायक राजू पाल की हत्या का वो मामला, जिसने ढहाया अतीक का आपराधिक साम्राज्य

April 13, 2023 | 07:51 pm 1 मिनट में पढ़ें अतीक अहमद के बेटा असद अहमद को एनकाउंटर में ढेर किया गया गैंगस्टर 25 फरवरी को उमेश पाल हत्याकांड के बाद से ही अतीक और उसके करीबियों पर एक्शन जारी है। इस मामले की शुरुआत साल 2005 में हुए राजू पाल हत्याकांड से होती है। चलिए इस पूरे मामले को समझते हैं। फुलपूर चुनाव में अतीक के भाई की हार साल 2004, अब तक अतीक इलाहाबाद पश्चिम सीट से 5 बार विधायक बन चुका था। इसी साल इससे इलाहबाद पश्चिम सीट खाली हो गई, जिस पर अतीक ने अपने भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ को खड़ा किया। खालिद का सामना नतीजों में राजू ने खालिद को 4,818 वोटों से हरा दिया। अतीक ने इस हार को अपनी इज्जत पर ले लिया। राजू पाल की हत्या 24 जनवरी, 2005 को राजू स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल से खुद कार चलाकर घर लौट रहे थे। इस वाहन में उनके साथ संदीप यादव और देवीलाल भी सवार थे। एक दूसरे वाहन में उनका चालक महेंद्र, ओम प्रकाश और अन्‍य 3 लोग सवार थे। नेहरू पार्क में सुलेम सराय के पास करीब 10 हमलावरों ने राजू की कार को घेर लिया और अंधाधुंध फायरिंग की। राजू के साथ वाले दूसरे वाहन पर भी गोलियां बरसाई गईं। राजू के शरीर से निकली थीं 19 गोलियां हमले के बाद लोग राजू को टैंपो में डालकर अस्पताल ले जाने लगे। हमलावरों को लगा कि राजू अभी जिंदा हैं तो उन्होंने कई किलोमीटर तक टैंपो का पीछा किया और फायरिंग करते रहे। अस्पताल पहुंचते-पहुंचते राजू का पूरा शरीर छलनी हो गया था। संदीप और देवीलाल की मौके पर ही मौत हो गई। पोस्टमार्टम के दौरान राजू के शरीर से 19 गोलियां निकली थीं। हत्याकांड के बाद राजू की पत्नी ने दर्ज कराया अतीक और उसके भाई के खिलाफ केस राजू की हत्‍या के मामले में उनकी पत्नी पूजा ने अतीक अहमद, अशरफ और तीन अन...

BSP MLA राजू पाल मर्डर केस में पूर्व सांसद अतीक अहमद का भाई अशरफ गिरफ्तार, 1 लाख था इनाम

ग‍िरफ्तार खाल‍िद अजीम उर्फ अशरफ और अतीक अहमद की फाइल फोटो. नई दिल्‍ली: उत्‍तर प्रदेश की पुलिस ने साल 2005 में हुए बहुचर्चित बीएसपी एमएलए राजू पाल की हत्‍या के आरोपी पूर्व सांसद अतीक अहमद के भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ को गिरफ्तार किया है. अशरफ भी इस हत्‍याकांड का आरोपी है. उसकी गिरफ्तारी पर एक लाख रुपए का इनाम था. यह गिरफ्तारी इलाहाबाद में हुई है. Also Read: • • • बता दें अभियोजन पक्ष के अनुसार, 25 जनवरी, 2005 को हमलावरों ने धूमनगंज पुलिस स्टेशन के तहत नीवा क्रॉसिंग पर राजू पाल के वाहन को रोक दिया था और उन पर गोलियां चला दी थीं. राजू अपने साथियों के साथ घर लौट रहा थे, जब हमलावर दो चार पहिया वाहनों पर आए और उसका रास्ता रोक लिया था. गोलीबारी में राजू और उसके दो सहयोगी देवीलाल पाल और संदीप यादव की मौत हो गई, जबकि तीन अन्य, रुकसाना, सैफ, उर्फ ​​सैफुल्ला और ओम प्रकाश पाल को गोली लगी थी. Prayagraj: Police arrests Khaild Ajim alias Ashraf (in pic), the brother of Atiq Ahmed – former MP and accused in the murder case of BSP MLA Raju Pal. Ashraf was carrying a reward of Rs 1 Lakh on his head. — ANI UP (@ANINewsUP) उसी दिन राजू की पत्नी पूजा पाल ने एफआईआर दर्ज कराई थी. धूमनगंज पुलिस स्टेशन में अतीक, अशरफ और सात अज्ञात लोगों पर मारपीट, हत्या की कोशिश और आपराधिक साजिश रचने का आरोप है. उनके विवाह के नौ दिन बाद ही यह घटना घटी. प्रयागराज पुलिस ने 6 अप्रैल, 2005 को एक स्थानीय अदालत में अतीक और अशरफ़ सहित 11 लोगों के खिलाफ एक आरोप पत्र दायर किया और पुलिस के अनुसार, राजू ने प्रयागराज पश्चिम सीट से 2004 का विधानसभा उप-चुनाव जीता था, जिसमें सपा सांसद अतीक अहमद के भाई अशरफ की हार हुई थी. 2004 के ...

#NewsBytesExplainer: बसपा विधायक राजू पाल की हत्या का वो मामला, जिसने ढहाया अतीक का आपराधिक साम्राज्य

April 13, 2023 | 07:51 pm 1 मिनट में पढ़ें अतीक अहमद के बेटा असद अहमद को एनकाउंटर में ढेर किया गया गैंगस्टर 25 फरवरी को उमेश पाल हत्याकांड के बाद से ही अतीक और उसके करीबियों पर एक्शन जारी है। इस मामले की शुरुआत साल 2005 में हुए राजू पाल हत्याकांड से होती है। चलिए इस पूरे मामले को समझते हैं। फुलपूर चुनाव में अतीक के भाई की हार साल 2004, अब तक अतीक इलाहाबाद पश्चिम सीट से 5 बार विधायक बन चुका था। इसी साल इससे इलाहबाद पश्चिम सीट खाली हो गई, जिस पर अतीक ने अपने भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ को खड़ा किया। खालिद का सामना नतीजों में राजू ने खालिद को 4,818 वोटों से हरा दिया। अतीक ने इस हार को अपनी इज्जत पर ले लिया। राजू पाल की हत्या 24 जनवरी, 2005 को राजू स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल से खुद कार चलाकर घर लौट रहे थे। इस वाहन में उनके साथ संदीप यादव और देवीलाल भी सवार थे। एक दूसरे वाहन में उनका चालक महेंद्र, ओम प्रकाश और अन्‍य 3 लोग सवार थे। नेहरू पार्क में सुलेम सराय के पास करीब 10 हमलावरों ने राजू की कार को घेर लिया और अंधाधुंध फायरिंग की। राजू के साथ वाले दूसरे वाहन पर भी गोलियां बरसाई गईं। राजू के शरीर से निकली थीं 19 गोलियां हमले के बाद लोग राजू को टैंपो में डालकर अस्पताल ले जाने लगे। हमलावरों को लगा कि राजू अभी जिंदा हैं तो उन्होंने कई किलोमीटर तक टैंपो का पीछा किया और फायरिंग करते रहे। अस्पताल पहुंचते-पहुंचते राजू का पूरा शरीर छलनी हो गया था। संदीप और देवीलाल की मौके पर ही मौत हो गई। पोस्टमार्टम के दौरान राजू के शरीर से 19 गोलियां निकली थीं। हत्याकांड के बाद राजू की पत्नी ने दर्ज कराया अतीक और उसके भाई के खिलाफ केस राजू की हत्‍या के मामले में उनकी पत्नी पूजा ने अतीक अहमद, अशरफ और तीन अन...