राम रक्षा स्तोत्र हिंदी अनुवाद

  1. राम रक्षा स्तोत्र हिंदी अनुवाद
  2. Ram Raksha Stotra In Hindi
  3. राम रक्षा स्तोत्र
  4. Shri Ram Raksha Stotra: पढ़िए श्री राम रक्षा स्तोत्र, हिन्दी अनुवाद सहित
  5. राम रक्षा स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित


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राम रक्षा स्तोत्र हिंदी अनुवाद

राम रक्षा स्तोत्र पढ़ने से पहले हाथ में जल लेकर इसको पढ़ें… विनियोग: अस्य श्रीरामरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य बुधकौशिक ऋषिः। श्री सीतारामचंद्रो देवता। अनुष्टुप छंदः। सीता शक्तिः। श्रीमान हनुमान कीलकम। श्री सीतारामचंद्रप्रीत्यर्थे रामरक्षास्तोत्रजपे विनियोगः। अर्थ : इस राम रक्षा स्तोत्र मंत्रके रचयिता बुधकौशिक ऋषि हैं, सीता और रामचंद्र देवता हैं, अनुष्टुप छंद हैं, सीता शक्ति हैं, हनुमानजी कीलक है तथा श्रीरामचंद्रजीकी प्रसन्नताके लिए राम रक्षा स्तोत्रके जपमें विनियोग किया जाता है । अब जल को जमीन पर छोड़कर भगवान श्रीराम का ध्‍यान करें… अथ ध्यानम्‌: ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्धपद्मासनस्थं पीतं वासो वसानं नवकमलदलस्पर्धिनेत्रं प्रसन्नम्‌। वामांकारूढसीतामुखकमलमिलल्लोचनं नीरदाभं नानालंकार दीप्तं दधतमुरुजटामंडलं रामचंद्रम। अर्थ : ध्यान धरिए — जो धनुष-बाण धारण किए हुए हैं,बद्ध पद्मासनकी मुद्रामें विराजमान हैं और पीतांबर पहने हुए हैं, जिनके आलोकित नेत्र नए कमल दलके समान स्पर्धा करते हैं, जो बायें ओर स्थित सीताजीके मुख कमलसे मिले हुए हैं- उन आजानु बाहु, मेघश्याम,विभिन्न अलंकारोंसे विभूषित तथा जटाधारी श्रीरामका ध्यान करें । राम रक्षा स्तोत्र: ॥ श्री राम रक्षा स्तोत्र हिंदी में अर्थ सहित॥ (ram raksha stotra in hindi with meaning) ॥ इति ध्यानम्‌ ॥ चरितं रघुनाथस्य शतकोटिप्रविस्तरम्‌ । एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम्‌ ॥१॥ अर्थ : श्री रघुनाथजीका चरित्र सौ कोटि विस्तारवाला हैं ।उसका एक-एक अक्षर महापातकोंको नष्ट करनेवाला है । ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम्‌ । जानकीलक्ष्मणॊपेतं जटामुकुटमण्डितम्‌ ॥२॥ अर्थ : नीले कमलके श्याम वर्णवाले, कमलनेत्रवाले , जटाओंके मुकुटसे सुशोभित, जानकी तथा लक्...

Ram Raksha Stotra In Hindi

Table of Contents • • • • • श्री राम रक्षा स्तोत्र ram raksha stotra का पाठ करने वालों को जीवन में आने वाले कष्टों से राहत मिलती है। भगवान श्री राम का आशीर्वाद मिलने से व्यक्ति को दीर्घायु की प्राप्ति होती है। ऐसी मान्यता है कि इस स्तोत्र के प्रभाव से मंगल का कुप्रभाव कम होता है। श्री राम रक्षा स्तोत्र ram raksha stotra से प्रभु श्रीराम के साथ कहते हैं कि शिव जी ने स्वप्न में बुधकौशिक मुनि को इस स्तोत्र के बारे में बताया था जिसे बुधकौशिक जी ने अक्षरशः लिपिबद्ध कर दिया। जो पुण्यवान पुरुष रामबल से सम्पन्न इस राम रक्षा स्तोत्र ram raksha stotram का पाठ करता है, वह दीर्घायु, सुखी, पुत्रवान, विजयी और विनय सम्पन्न हो जाता है। इस स्तोत्र का पाठ करने वाला सभी प्रकार के संकटों से सुरक्षित रहता है तथा भोग और मोक्ष प्राप्त कर लेता है। तो आईये पढ़ते हैं श्री राम रक्षा स्त्रोत ram raksha stotra को हिन्दी अर्थ के साथ – R am Raksha Stotra ॥ राम रक्षा स्तोत्र ॥ R am Raksha Stotra: विनियोग अस्य श्रीरामरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य बुधकौशिक ऋषिः श्रीसीतारामचन्द्रो देवता अनुष्टुप् छन्दः सीता शक्तिः श्रीमान् हनुमान् कीलकं श्रीरामचन्द्रप्रीत्यर्थे रामरक्षास्तोत्रजपे विनियोगः । अर्थ– इस राम रक्षा स्तोत्र – मन्त्र के बुधकौशिक ऋषि हैं, सीता और रामचन्द्र देवता हैं, अनुष्टुप छन्द है, सीता शक्ति हैं, श्रीमान हनुमान जी कीलक हैं तथा R am Raksha Stotra : ध्यान ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्धपद्मासनस्थं पीतं वासो वसानं नवकमलदलस्पर्धिनेत्रं प्रसन्नम् । वामाङ्कारूढसीतामुखकमलमिलल्लोचनं नीरदाभं नानालंकारदीप्तं दधतमुरुजटामण्डलं रामचन्द्रम् । अर्थ– जो धनुष-बाण धारण किये हुए हैं, बद्ध पद्मासन से विराजमान हैं, पीताम्ब...

राम रक्षा स्तोत्र

राम रक्षा स्तोत्र | Ram Raksha Stotram :->यह स्तोत्रम हमें हर परस्तिथि में रक्षा करता है और यह प्रभु राम जी के चरणों के प्रति हमारे प्रीती बढ़ाता है राम रक्षा स्तोत्र | Ram Raksha Stotram श्रीगणेशायनम: । अस्य श्रीरामरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य । बुधकौशिक ऋषि: । श्रीसीतारामचंद्रोदेवता । अनुष्टुप्‌ छन्द: । सीता शक्ति: । श्रीमद्‌हनुमान्‌ कीलकम्‌ । श्रीसीतारामचंद्रप्रीत्यर्थे जपे विनियोग: ॥ ॥ अथ ध्यानम्‌ ॥ ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्दद्पद्‌मासनस्थं । पीतं वासोवसानं नवकमलदलस्पर्धिनेत्रं प्रसन्नम्‌ ॥ वामाङ्‌कारूढसीता मुखकमलमिलल्लोचनं नीरदाभं । नानालङ्‌कारदीप्तं दधतमुरुजटामण्डनं रामचंद्रम्‌ ॥ ॥ इति ध्यानम्‌ ॥ चरितं रघुनाथस्य शतकोटिप्रविस्तरम्‌ । एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम्‌ ॥१॥ ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम्‌ । जानकीलक्ष्मणॊपेतं जटामुकुटमण्डितम्‌ ॥२॥ सासितूणधनुर्बाणपाणिं नक्तं चरान्तकम्‌ । स्वलीलया जगत्त्रातुमाविर्भूतमजं विभुम्‌ ॥३॥ रामरक्षां पठॆत्प्राज्ञ: पापघ्नीं सर्वकामदाम्‌ । शिरो मे राघव: पातु भालं दशरथात्मज: ॥४॥ कौसल्येयो दृशौ पातु विश्वामित्रप्रिय: श्रुती । घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रिवत्सल: ॥५॥ जिव्हां विद्दानिधि: पातु कण्ठं भरतवंदित: । स्कन्धौ दिव्यायुध: पातु भुजौ भग्नेशकार्मुक: ॥६॥ करौ सीतपति: पातु हृदयं जामदग्न्यजित्‌ । मध्यं पातु खरध्वंसी नाभिं जाम्बवदाश्रय: ॥७॥ सुग्रीवेश: कटी पातु सक्थिनी हनुमत्प्रभु: । ऊरू रघुत्तम: पातु रक्ष:कुलविनाशकृत्‌ ॥८॥ जानुनी सेतुकृत्पातु जङ्‌घे दशमुखान्तक: । पादौ बिभीषणश्रीद: पातु रामोSखिलं वपु: ॥९॥ एतां रामबलोपेतां रक्षां य: सुकृती पठॆत्‌ । स चिरायु: सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत्‌ ॥१०॥ पातालभूतलव्योम चारिणश्छद्‌मचारिण: । न...

Shri Ram Raksha Stotra: पढ़िए श्री राम रक्षा स्तोत्र, हिन्दी अनुवाद सहित

New Delhi: श्रीरामरक्षा स्तोत्र सभी तरह की विपत्तियों से व्यक्ति की रक्षा करता है। इस स्तोत्र का पाठ करने से मनुष्य भय रहित हो जाता है। एक कथा है कि भगवान शंकर ने बुधकौशिक ऋषि को स्वप्न में दर्शन देकर, उन्हें रामरक्षास्तोत्र सुनाया और प्रातःकाल उठने पर उन्होंने वह लिख लिया। यह स्तोत्र संस्कृत भाषा में है। इस स्तोत्र के नित्य पाठ से घर के कष्ट व भूतबाधा भी दूर होती है। जो इस स्तोत्र का पाठ करता है वह दीर्घायु, सुखी, संततिवान, विजयी तथा विनयसंपन्न होता है। रामरक्षा स्तोत्र का नियमित एक पाठ करने से शरीर रक्षा होती है। रामरक्षा स्तोत्र के प्रभाव से व्यक्ति के चारों और एक सुरक्षा कवच बन जाता है जिससे हर प्रकार की विपत्ति से रक्षा होती है। यदि गर्भवती स्त्री रोजाना इस स्तोत्र का पाठ करे तो इसके शुभ प्रभाव से गर्भ रक्षा होती है। स्वस्थ, सौभाग्यशाली एवं आज्ञाकारी संतान प्राप्त होती है। रामरक्षा स्तोत्र पाठ से भगवान राम के साथ पवनपुत्र हनुमान भी प्रसन्न होते हैं। सर्वप्रथम हाथ में जल लेकर विनियोग मंत्र बोलें- विनियोग अस्य श्री रामरक्षा स्तोत्र मंत्रस्य बुधकौशिक ऋषिः श्रीसीतारामचंद्रो देवता अनुष्टुप छंदः सीता शक्तिः श्रीमान हनुमान कीलकम श्री रामचंद्र प्रीत्यर्थे रामरक्षा स्तोत्रजपे विनियोगः। जल को जमीन पर छोड़ दें। अब इस ध्यान मंत्र से श्री राम के दिव्य स्वरुप का चिंतन करें ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्धपदमासनस्थं पीतं वासो वसानं नवकमल दल स्पर्धिनेत्रम् प्रसन्नम। वामांकारूढ़ सीता मुखकमलमिलल्लोचनम् नीरदाभम् नानालंकारदीप्तं दधतमुरुजटामण्डलम् रामचंद्रम ।। ॥ श्रीरामरक्षास्तोत्रम्‌ ॥ ॥ श्रीगणेशायनम:॥ अस्य श्रीरामरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य । बुधकौशिक ऋषि: । श्रीसीतारामचंद्रोदेवता । अनुष्टुप...

राम रक्षा स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित

राम रक्षा स्तोत्र राम भक्तों के लिए ईश्वर का वरदान है। कहते हैं कि शिव जी ने स्वप्न में बुधकौशिक मुनि को इस स्तोत्र के बारे में बताया था जिसे बुधकौशिक जी ने अक्षरशः लिपिबद्ध कर दिया। जो पुण्यवान पुरुष रामबल से सम्पन्न इस राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करता है, वह दीर्घायु, सुखी, पुत्रवान, विजयी और विनय सम्पन्न हो जाता है। इस स्तोत्र का पाठ करने वाला सभी प्रकार के संकटों से सुरक्षित रहता है तथा भोग और मोक्ष प्राप्त कर लेता है। ॥ राम रक्षा स्तोत्र ॥ विनियोग अस्य श्रीरामरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य बुधकौशिक ऋषिः श्रीसीतारामचन्द्रो देवता अनुष्टुप् छन्दः सीता शक्तिः श्रीमान् हनुमान् कीलकं श्रीरामचन्द्रप्रीत्यर्थे रामरक्षास्तोत्रजपे विनियोगः । अर्थ – इस राम रक्षा स्तोत्र – मन्त्र के बुधकौशिक ऋषि हैं, सीता और रामचन्द्र देवता हैं, अनुष्टुप छन्द है, सीता शक्ति हैं, श्रीमान हनुमान जी कीलक हैं तथा श्रीरामचन्द्र जी की प्रसन्नता के लिये राम रक्षा स्तोत्र के जप में विनियोग किया जाता है। ध्यान ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्धपद्मासनस्थं पीतं वासो वसानं नवकमलदलस्पर्धिनेत्रं प्रसन्नम् । वामाङ्कारूढसीतामुखकमलमिलल्लोचनं नीरदाभं नानालंकारदीप्तं दधतमुरुजटामण्डलं रामचन्द्रम् । अर्थ – जो धनुष-बाण धारण किये हुए हैं, बद्ध पद्मासन से विराजमान हैं, पीताम्बर पहने हुए हैं, जिनके प्रसन्न नयन नूतन कमलदल से स्पर्धा करते तथा वामभाग में विराजमान श्री सीता जी के मुखकमल से मिले हुए हैं, उन आजानुबाहु, मेघश्याम, नाना प्रकार के अलंकारों से विभूषित तथा विशाल जटाजूटधारी श्रीरामचन्द्र जी का ध्यान करे। स्तोत्र चरितं रघुनाथस्य शतकोटिप्रविस्तरम् । एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम् ॥1॥ अर्थ – श्री रघुनाथ जी का चरित्र सौ करोड़ विस्ता...