राम-लक्ष्मण परशुराम संवाद भावार्थ pdf

  1. NCERT Solutions for Class 10 Hindi Chapter 2 तुलसीदास
  2. Class 10 Hindi Ram Lakshman Parshuram Samvad Explanation
  3. पाठ का सार
  4. श्रीरामचरितमानस
  5. NCERT Solutions for Class 10 हिन्दी


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NCERT Solutions for Class 10 Hindi Chapter 2 तुलसीदास

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Class 10 Hindi Ram Lakshman Parshuram Samvad Explanation

Class 10 Hindi Ram Lakshman Parshuram Samvad Explanation-Class 10 Hindi Kshitij Chapter 2 राम लक्ष्मण परशुराम संवाद - व्याख्या तथा भावार्थ Class 10 Hindi Ram Lakshman Parshuram Samvad Explanation-Class 10 Hindi Kshitij Chapter 2 राम लक्ष्मण परशुराम संवाद - व्याख्या तथा भावार्थ Class 10 Hindi Chapter 2 Ram Lakshman Parshuram Samvad Explanation- लक्ष्मण परशुराम संवाद - दोहा (1) व्याख्या (1) नाथ संभुधनु भंजनिहारा। होइहि केउ एक दासतुम्हारा'।। आयेसु काह कहिअ किन मोही। सुनि रिसाइ बोले मुनि कोही। सेवकु सो जो करै सेवकाई। अरिकरनी करि करिअ लराई ॥ सुनहु राम जेहि सिवधनु तोरा। सहसबाहु सम सो रिपु मोरा || सो बिलगाउ बिहाइ समाजा। न त मारे जैहहिं सब राजा॥ सुनि मुनिबचन लखन मुसुकाने। बोले परसुधरहि अवमाने। बहु धनुही तोरी लरिकाई। कबहुँ न असि रिस कीन्हि गोसाईं। येहि धनु पर ममता केहि हेतू। सुनि रिसाइ कह भृगुकुलकेतू॥ रे नृपबालक कालबस बोलत तोहि न सँभार। धनुही सम त्रिपुरारिधनु बिदित सकल संसार ॥ प्रसंग- प्रस्तुत पंक्तियां हमारे हिंदी की पाठ्यपुस्तक स्थित भाग 2 में संकलित राम लक्ष्मण परशुराम संवाद से अवतरित हैं जिसके रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी हैं यह उनकी रचना रामचरितमानस के पहले कांड बालकांड से ली गई है जब सीता स्वयंवर में श्री राम जी शिव धनुष को तोड़ देते हैं।उस समय की यह कथा है। व्याख्या- श्री राम परशुराम को कहते हैं कि हे !नाथ इस धनुष को तोड़ने वाला आपका कोई दास ही होगा। क्या आज्ञा है आप मुझे क्यों नहीं कहते ?श्री राम के यह वचन सुनकर मुनि क्रोध में होकर बोले सेवक तो वह होता है जो सेवा का कार्य करें जो शत्रुता का कार्य करता है उसके साथ तो लड़ाई ही करनी पड़ती है।हे !राम सुनो जिसने भी इस शिव धनुष को...

पाठ का सार

राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद शिवधनुष टूटने के साथ सीता स्वयंवर की खबर मिलने पर परशुराम जनकपुरी में स्वयंवर स्थान पर आ जाते है। हाथ में फरसा लिए क्राेिधत हो धनुष तोड़ने वाले को सामने आने, सहस्त्रबाहु की तरह दडिंत होने और न आने पर वहाँ उपस्थित सभी राजाओं को मारे जाने की धमकी देते हैं। उनके क्रोध को शांत करने के लिए राम आगे बढ़कर कहते हैं कि धनुष-भंग करने का बड़ा काम उनका कोई दास ही कर सकता है। परशुराम इस पर और क्रोधित होते हैं कि दास होकर भी उसने शिवधनुष को क्यों तोड़ा। यह तो दास के उपयुक्त काम नहीं है। लक्ष्मण परशुराम को यह कहकर और क्रोधित कर देते हैं कि बचपन में शिवधनुष जैसे छोटे कितने ही धनुषों को उन्होंने तोड़ा, तब वे मना करने क्यो नहीं आए आरै अब जब पुराना आरै कमजाोर धनुष् श्रीराम के हाथों में आते ही टूट गया तो क्यों क्रोधित हो रहे हैं। परशुराम जब अपनी ताकत से ध्रती को कई बार क्षत्रियों से हीन करके बा्र ह्मणों को दान देने और गर्भस्थ शिशुओं तक के नाश करने की बात बताते हैं तो लक्ष्मण उन पर शूरवीरों से पाला न पड़े जाने का व्यंग्य करते हैं। वे अपने कुल की परंपरा में स्त्राी, गाय और ब्राह्मण पर वार न करके अपकीर्ति से बचने की बात करते हैं तो दूसरी तरफ स्वयं को पहाड़ और परशुराम को एक फूँक सिद्ध् करते हैं। ऋषि विश्वामित्रा परशुराम के क्रोध को शांत करने के लिए लक्ष्मण को बालक समझकर माफ करने का आगह्र करते है। वे समझाते है। कि राम आरै लक्ष्मण की शक्ति का परशुराम को अंदाजा नहीं है। अंत में लक्ष्मण के द्वारा कही गई गुरुऋण उतारने की बात सुनकर वे अत्यंत क्रुद्ध् होकर फरसा सँभाल लेते हैं। तब सारी सभा में हाहाकार मच जाता है आरै तब श्रीराम अपनी मधुर वाणी से परशुराम की क्रोध रूपी अग्नि को शांत करने ...

तुलसीदास:राम

लर्निंगआउटकम्स • इस अध्याय को पढकर छात्र रामचरितमानसमें विशेष रूप से बालकाण्डके महात्म्य को समझ सकेंगे। • इस अध्याय को पढकर छात्र अपने जीवन में नीति, स्नेह, शील, विनय, त्याग जैसे उच्च आदर्शों को प्रतिष्ठित एवं आत्मसात कर सकेंगे। • इस अध्याय को पढकर छात्र,मर्यादा के पालन और शीलयुक्तआचरण की शिक्षा ग्रहण कर सकेंगे। • इस अध्याय को पढकर छात्र तुलसीदासजी की रामभक्ति की पराकाष्ठा की अनुभूति कर सकेंगे। अवधारणा मानचित्र एवं पाठ का सार : अध्याय का भावार्थ : VIDEO अध्याय के लिए वर्क शीट : • परशुराम के क्रोध करने पर लक्ष्मण ने धनुष के टूट जाने के लिए कौन –कौन से तर्क दिए? • परशुराम के क्रोध करने पर राम और लक्ष्मण की जो प्रतिक्रियाएँ हुईं उनके आधार पर दोनों के स्वभाव की विशेषताओं को अपने शब्दों में लिखिए? • लक्ष्मण ने वीर योद्धा की क्या –क्या विशेषताएँ बताईं? • राम-लक्ष्मण –परशुराम संवाद से हमें क्या संदेश प्राप्त होता है? REFERENCE

श्रीरामचरितमानस

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राम

(क) यहाँ मुनीसु 'मुनि परशुराम' को कहा गया है। लक्ष्मण उनसे इसलिए बहस कर रहे हैं क्योंकि परशुराम स्वयं को इस धरती को नृप विहीन करने वाले योद्धा बताते हुए व फरसे का भय दिखा रहे हैं और राम, लक्ष्मण को अत्यंत सुकोमल मान रहे हैं। लक्ष्मण को यह बर्दाश्त नहीं होता है और वह बहस करके स्वयं की वीरता प्रमाणित करना चाहते हैं।

NCERT Solutions for Class 10 हिन्दी

उत्तर– धनुष टूटने पर जब परशुराम ने क्रोध प्रकट किया, तब लक्ष्मण ने निम्नलिखित तर्क दिए • हम तो इस धनुष को अन्य धनुषों के समान साधारण धनुष समझ रहे थे। • मेरी समझ के अनुसार तो सभी धनुष एक समान ही होते हैं। • यह धनुष तो पुराना होने के कारण श्रीराम के छूने मात्र से ही टूट गया। इसमें उनका कोई दोष नहीं। • हम धनुष को तोड़ने में लाभ-हानि नहीं देखते। इसमें श्री रामचंद्र जी का कोई दोष नहीं है। • बचपन में हमसे कितने धनुष टूटे, परंतु आपने उन पर कभी क्रोध नहीं किया। इस विशेष धनुष पर आपकी क्या ममता है? उत्तर– राम स्वभाव से कोमल और विनयी हैं। उनके मन में बड़ों के प्रति श्रद्धा और आदर है। वे गुरुजनों के सामने झुकना अपना धर्म समझते हैं। वे महाक्रोधी परशुराम के क्रुद्ध होने पर भी स्वयं को उनका दास कहते हैं। इस प्रकार वे परशुराम का दिल जीत लेते हैं। लक्ष्मण राम से एकदम विपरीत हैं। वे बहुत उग्र और प्रचंड हैं। उनकी जुबान छुरी से भी अधिक तेज है। वे व्यंग्य-वचनों से परशुराम को छलनी-छलनी कर देते हैं। उनकी उग्रता और कठोर वचनों को सुनकर न केवल परशुराम भड़क उठते हैं बल्कि अन्य सभाजन भी उन्हें अनुचित कहने लगते हैं। वास्तव में राम छाया है तो लक्ष्मण धूप। राम शीतल जल हैं तो लक्ष्मण आग। प्रश्न 3. लक्ष्मण और परशुराम के संवाद का जो अंश आपको सबसे अच्छा लगा उसे अपने शब्दों में संवाद शैली में लिखिए। लक्ष्मण: हे मुनि! आप स्वयं को बहुत योद्धा मान रहे हैं। और मुझे बार-बार अपना फरसा दिखाकर डराने का प्रयत्न कर रहे हैं। आप फूंक से पहाड़ उड़ाना चाहते हैं। हम भी कुम्हड़ा के बतिया के समान कोमल बालक नहीं है जो आपकी धमकियों से डर जाएँगे। आपके वचन ही अत्यंत कठोर हैं आपको धनुष-बाण और फरसे की कोई जरूरत नहीं। मातु पितहि जन...