- महर्षि वाल्मीकि की रामायण और गोस्वामी तुलसीदास की रामचरितमानस के उत्तर कांड में फर्क क्यूं?
- रामायण काल के इन आविष्कारों को जानकर चौंक जाएंगे
- रामायण अयोध्याकाण्ड सर्ग101 हिंदी अर्थ सहित Valmiki Ramayana Ayodhyakanda101
- शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¦à¤µà¤¾à¤²à¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ रामायण में शमà¥à¤¬à¥‚क वध पà¥à¤°à¤¸à¤‚ग तथा सनातन धरà¥à¤® और पà¥à¤°à¤à¥ शà¥à¤°à¥€ राम की निंदा के लिठइसका राजनीतिकरण – SHDVEF
- चूड़ाकर्म (मुंडन) संस्कार: सोलह संस्कारों में आठवां संस्कार, Mundan Sanskar Vidhi
- श्री राम भजन: मेरी झोपड़ी के भाग, आज खुल जाएंगे
- राम
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महर्षि वाल्मीकि की रामायण और गोस्वामी तुलसीदास की रामचरितमानस के उत्तर कांड में फर्क क्यूं?
रामायण या रामचरित मानस के उत्तर कांड के संबंध में बहुत लोगों को इस बात का संशय है कि इसमें घटनाओं का वर्णन वैसा नहीं है जैसा कि शोधकर्ता मानते हैं। रामायण और रामचरित मानस दोनों ही का उत्तर कांड बहुत ही भिन्न है। ऐसा क्यों? यह शोध का विषय हो सकता है। रामानंद सागर द्वारा उत्तर कांड के नाम से उत्तर रामायण नाम का सीरियल बनाया गया है। आओ जानते हैं दोनों ही रामायण के काण्ड का फर्क। 1. वाल्मीकि कृत रामायण का उत्तर कांड : उत्तरकाण्ड में राम के राज्याभिषेक के अनन्तर कौशिकादि महर्षियों का आगमन, महर्षियों के द्वारा राम को रावण के पितामह, पिता तथा रावण का जन्मादि वृत्तान्त सुनाना, सुमाली तथा माल्यवान के वृत्तान्त, रावण, कुम्भकर्ण, विभीषण आदि का जन्म-वर्णन, रावणादि सभी भाइयों को ब्रह्मा से वरदान-प्राप्ति, रावण-पराक्रम-वर्णन के प्रसंग में कुबेरादि देवताओं का घर्षण, रावण सम्बन्धित अनेक कथाएँ, सीता के पूर्वजन्म रूप वेदवती का वृत्तान्त, वेदवती का रावण को शाप, सहस्त्रबाहु अर्जुन के द्वारा नर्मदा अवरोध तथा रावण का बन्धन, रावण का बालि से युद्ध और बालि की कांख में रावण का बन्धन, सीता-परित्याग, सीता का वाल्मीकि आश्रम में निवास, निमि, नहुष, ययाति के चरित, शत्रुघ्न द्वारा लवणासुर वध, शंबूक वध तथा ब्राह्मण पुत्र को जीवन प्राप्ति, भार्गव चरित, वृत्रासुर वध प्रसंग, किंपुरुषोत्पत्ति कथा, राम का अश्वमेध यज्ञ, वाल्मीकि के साथ राम के पुत्र लव कुश का रामायण गाते हुए अश्वमेध यज्ञ में प्रवेश, राम की आज्ञा से वाल्मीकि के साथ आयी सीता का राम से मिलन, सीता का रसातल में प्रवेश, भरत, लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न के पुत्रों का पराक्रम वर्णन, दुर्वासा-राम संवाद, राम का सशरीर स्वर्गगमन, राम के भ्राताओं का स्वर्गगमन, तथा द...
रामायण काल के इन आविष्कारों को जानकर चौंक जाएंगे
'रामायण' का शब्दार्थ है- राम का ‘अयण' अर्थात ‘भ्रमण'। वाल्मीकि रामायण और उसके समकालीन ग्रंथों में ‘इतिहास' को ‘पुरावृत्त' कहा गया है। कालिदास के ‘रघुवंश' में विश्वामित्र श्रीराम को पुरावृत्त सुनाते हैं। मार्क्सवादी चिंतक डॉ.रामविलास शर्मा ने रामायण को महाकाव्यात्मक इतिहास की श्रेणी में रखा है। रामायण और महाभारत में विज्ञानसम्मत अनेक सूत्र व स्रोत मौजूद हैं। रामायण काल को लगभग 7323 ईसा पूर्व अर्थात आज से लगभग 9339 वर्ष पूर्व का बताया है, जबकि भगवान श्रीराम का जन्म 5114 ईसा पूर्व चैत्र मास की नवमी को हुआ था। इतिहास तथ्य और घटनाओं के साथ मानव की विकास यात्रा की खोज भी है। यह तय है कि मानव अपने विकास के अनुक्रम में ही वैज्ञानिक अनुसंधानों से सायास-अनायास जुड़ता रहा और आगे बढ़ता रहा है। रामायण काल में कई वैज्ञानिक थे। नल, नील, मय दानव, विश्वकर्मा, अग्निवेश, सुबाहू, ऋषि अगत्स्य, वशिष्ठ, विश्वामित्र आदि कई वैज्ञानिक थे। रामायण भारत के जीवन का वृत्तांतभर नहीं है। इसमें कौटुम्बिक सांसारिकता है। राष्ट्रीयता, शासन और समाज संचालन के कूट-सूत्र हैं। भूगोल, वनस्पति और जीव-जगत हैं। अस्त्र-शस्त्र और यौद्धिक कौशल के गुण हैं। भौतिकवाद और अध्यात्मवाद के बीच संतुलन है। षठ दर्शन और अनेक वैज्ञानिक उपलब्धियां हैं। वाल्मीकि ने अपने ग्रंथ में वे सारी बातें समाहित करने का प्रयास किया, जो उस काल में प्रचलित थीं। विमान : रामायण के अनुसार रावण के पास कई लड़ाकू विमान थे। पुष्पक विमान के निर्माता ब्रह्मा थे। ब्रह्मा ने यह विमान कुबेर को भेंट किया था। कुबेर से इसे रावण ने छीन लिया। रावण की मृत्यु के बाद विभीषण इसका अधिपति बना और उसने फिर से इसे कुबेर को दे दिया। कुबेर ने इसे राम को उपहार मे...
रामायण अयोध्याकाण्ड सर्ग101 हिंदी अर्थ सहित Valmiki Ramayana Ayodhyakanda101
॥श्रीसीतारामचन्द्राभ्यांनमः॥ श्रीमद्वाल्मीकीयरामायण अयोध्याकाण्डम् एकाधिकशततमःसर्गः (सर्ग 101) श्रीरामकाभरतसेवनमेंआगमनकाप्रयोजनपूछना, भरतकाउनसेराज्यग्रहणकरनेकेलियेकहनाऔरश्रीरामकाउसेअस्वीकारकरदेना तंतुरामःसमाज्ञायभ्रातरंगुरुवत्सलम्। लक्ष्मणेनसहभ्रात्राप्रष्टुंसमुपचक्रमे॥१॥ लक्ष्मणसहितश्रीरामचन्द्रजीनेअपनेगुरुभक्तभाईभरतकोअच्छीतरहसमझाकरअथवाउन्हेंअपनेमेंअनुरक्तजानकरउनसेइसप्रकारपूछनाआरम्भकिया—॥१॥ किमेतदिच्छेयमहंश्रोतुंप्रव्याहृतंत्वया। यन्निमित्तमिमंदेशंकृष्णाजिनजटाधरः।। हित्वाराज्यंप्रविष्टस्त्वंतत्सर्वंवक्तुमर्हसि॥३॥ ‘भाई! तुमराज्यछोड़करवल्कल, कृष्णमृगचर्मऔरजटाधारणकरकेजोइसदेशमेंआयेहो, इसकाक्याकारणहै? जिसनिमित्तसेइसवनमेंतुम्हाराप्रवेशहुआहै, यहमैंतुम्हारेमुँहसेसुननाचाहताहूँ।तुम्हेंसबकुछसाफ-साफबतानाचाहिये’॥२-३॥ इत्युक्तःकेकयीपुत्रःकाकुत्स्थेनमहात्मना। प्रगृह्यबलवद्भूयःप्राञ्जलिर्वाक्यमब्रवीत्॥४॥ ककुत्स्थवंशीमहात्माश्रीरामचन्द्रजीकेइसप्रकारपूछनेपरभरतनेबलपूर्वकआन्तरिकशोककोदबापुनःहाथजोड़करइसप्रकारकहा- ॥४॥ आर्यतातःपरित्यज्यकृत्वाकर्मसुदुष्करम्। गतःस्वर्गंमहाबाहःपुत्रशोकाभिपीडितः॥५॥ ‘आर्य! हमारेमहाबाहुपिताअत्यन्तदुष्करकर्मकरकेपुत्रशोकसेपीड़ितहोहमेंछोड़करस्वर्गलोककोचलेगये॥५॥ चकारसामहत्पापमिदमात्मयशोहरम्॥६॥ ‘शत्रुओंकोसंतापदेनेवालेरघुनन्दन! अपनीस्त्रीएवंमेरीमाताकैकेयीकीप्रेरणासेहीविवशहो।पिताजीनेऐसाकठोरकार्यकियाथा।मेरीमाँनेअपनेसुयशकोनष्टकरनेवालायहबड़ाभारीपापकियाहै॥६॥ साराज्यफलमप्राप्यविधवाशोककर्शिता। पतिष्यतिमहाघोरेनरकेजननीमम॥७॥ ‘अतःवहराज्यरूपीफलनपाकरविधवाहोगयी।अबमेरीमाताशोकसेदुर्बलहोमहाघोरनरकमेंपड़ेगी॥७॥ तस्यमेदासभूतस्यप्रसादंकर्तुमर्हसि। अभिषिञ्चस्वचाद्यैवराज्येनमघवानिव॥८॥ ‘अबआपअपनेदास...
शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¦à¤µà¤¾à¤²à¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ रामायण में शमà¥à¤¬à¥‚क वध पà¥à¤°à¤¸à¤‚ग तथा सनातन धरà¥à¤® और पà¥à¤°à¤à¥ शà¥à¤°à¥€ राम की निंदा के लिठइसका राजनीतिकरण – SHDVEF
शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¦à¤µà¤¾à¤²à¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ रामायण के उतà¥à¤¤à¤° कांड में वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ शमà¥à¤¬à¥‚क वध पà¥à¤°à¤¸à¤‚ग का सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• राजनीतिकरण किया गया है। विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ राजनेताओं और समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¥‹à¤‚ ने समय समय पर हिनà¥à¤¦à¥‚ धरà¥à¤® को विà¤à¤¾à¤œà¤¿à¤¤ करने तथा अपने निहित सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का पोषण करने के लिठइस पà¥à¤°à¤¸à¤‚ग का उपयोग किया है। विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ समà¥à¤ªà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ इस पà¥à¤°à¤•à¤°à¤£ के अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• दà¥à¤·à¥à¤ªà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° के कारण विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ वरà¥à¤—ों में इस पà¥à¤°à¤•à¤°à¤£ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अतà¥à¤¯à¤‚त संवेदनशीलता है और पà¥à¤°à¤¾à¤¯: इसका उपयोग पà¥à¤°à¤à¥ शà¥à¤°à¥€ राम, शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¦à¤µà¤¾à¤²à¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ रामायण तथा समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ हिनà¥à¤¦à¥‚ धरà¥à¤® की निंदा करने के लिठकिया जाता है I यदà¥à¤¯à¤ªà¥€ राजनीती से पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ विषयों पर टिपà¥à¤ªà¤£à¥€ करना हमारा उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ नहीं हà¥...
चूड़ाकर्म (मुंडन) संस्कार: सोलह संस्कारों में आठवां संस्कार, Mundan Sanskar Vidhi
हिंदू धर्म में मनुष्य जीवन के कुल सोलह संस्कार माने गए हैं जिनमें से मुंडन संस्कार (Mundan Sanskar In Hindi) जिसे चूड़ाकर्म संस्कार भी कहते हैं, आठवां संस्कार माना गया है। इस संस्कार में शिशु को जन्म के दोषों से संपूर्ण रूप से मुक्ति मिल जाती है तथा अब वह पूरी तरह से पवित्र (Mundan Karne Ki Vidhi In Hindi) माना जाता है। चूड़ाकर्म संस्कार में शिशु को जन्म के समय मिले केश/ सिर के बाल (Mundan Karane Ke Fayde) काट दिए जाते है जिससे उसकी बौद्धिक क्षमता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। हिंदू धर्म में बच्चों के मुंडन संस्कार का विशेष महत्त्व है। आज हम इसी के बारे में विस्तार से जानेंगे। मुंडन संस्कार के बारे में जानकारी (Mundan Sanskar In Hindi) मुंडन संस्कार कब किया जाता है? (Mundan Kab Karna Chahiye) धार्मिक शास्त्रों के अनुसार इसे शिशु के जन्म के एक वर्ष या तीन वर्ष के होने के पश्चात किया जाना चाहिए। चूँकि अलग-अलग शास्त्रों में इसके लिए अलग-अलग समयकाल दिया गया हैं लेकिन मुख्यतया इसे तीसरे वर्ष की अवधि में किया जाना शुभ माना गया है। कुछ लोग अपने कुल की मान्यताओं के अनुसार इसे बच्चे के जन्म के पांचवें तथा सातवें वर्ष में भी आयोजित करवाते है। इस बात का ध्यान रखे कि इसे एक वर्ष से पहले कदापि न किया जाये क्योंकि शिशु का मस्तिष्ट अत्यधिक कोमल होता है तथा उस समय मुंडन संस्कार किये जाने से उस पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। कुछ लोग इसे एक वर्ष के पश्चात इसलिये भी नही करवाते क्योंकि उस समय तक भी कुछ शिशुओं का शरीर पूरी तरह से परिपक्व नही हुआ होता है। इसलिये ज्यादातर माता-पिता अपने बच्चों का मुंडन संस्कार तीसरे वर्ष में ही करवाते है। मुंडन संस्कार क्या होता है? (Mundan Sanskar Kya Hai) मुंडन ...
श्री राम भजन: मेरी झोपड़ी के भाग, आज खुल जाएंगे
Read in English मेरी झोपड़ी के भाग, आज खुल जाएंगे, राम आएँगे, राम आएँगे आएँगे, राम आएँगे, मेरी झोपडी के भाग, आज खुल जाएंगे, राम आएँगे ॥ राम आएँगे तो, आंगना सजाऊँगी, दिप जलाके, दिवाली मनाऊँगी, मेरे जन्मो के सारे, पाप मिट जाएंगे, राम आएँगे, मेरी झोपडी के भाग, आज खुल जाएंगे, राम आएँगे ॥ राम झूलेंगे तो, पालना झुलाऊँगी, मीठे मीठे मैं, भजन सुनाऊँगी, मेरी जिंदगी के, सारे दुःख मिट जाएँगे, राम आएँगे, मेरी झोपडी के भाग, आज खुल जाएंगे, राम आएँगे ॥ मैं तो रूचि रूचि, भोग लगाऊँगी, माखन मिश्री मैं, राम को खिलाऊंगी, प्यारी प्यारी राधे, प्यारे श्याम संग आएँगे, श्याम आएँगे, मेरी झोपडी के भाग, आज खुल जाएंगे, राम आएँगे ॥ मेरा जनम सफल, हो जाएगा, तन झूमेगा और, मन गीत गाएगा, राम सुन्दर मेरी, किस्मत चमकाएंगे, राम आएँगे, मेरी झोपड़ी के भाग, आज खुल जाएंगे, राम आएँगे ॥ मेरी झोपड़ी के भाग, आज खुल जाएंगे, राम आएँगे, राम आएँगे आएँगे, राम आएँगे, मेरी झोपडी के भाग, आज खुल जाएंगे, राम आएँगे ॥ ------------------- मेरी झोपड़ी के भाग, आज खुल जाएंगे, श्याम आएँगे, श्याम आएँगे आएँगे, श्याम आएँगे, मेरी झोपडी के भाग, आज खुल जाएंगे, श्याम आएँगे ॥ श्याम झूलेंगे तो, पालना झुलाऊँगी, मीठे मीठे मैं, भजन सुनाऊँगी, मेरी जिंदगी के, सारे दुःख मिट जाएँगे, श्याम आएँगे, मेरी झोपडी के भाग, आज खुल जाएंगे, श्याम आएँगे ॥ श्याम आएँगे तो, आंगना सजाऊँगी, दिप जलाके, दिवाली मनाऊँगी, मेरे जन्मो के सारे, पाप मिट जाएंगे, श्याम आएँगे, मेरी झोपडी के भाग, आज खुल जाएंगे, श्याम आएँगे ॥ मैं तो रूचि रूचि, भोग लगाऊँगी, माखन मिश्री मैं, श्याम को खिलाऊंगी, प्यारी प्यारी राधे, प्यारे श्याम संग आएँगे, श्याम आएँगे, मेरी झोपडी के भाग, आज खुल जाएंगे, श्याम...
राम
इस मार्च 2020 में विकिपीडिया के राम श्रीरामजी ( श्रीरामचन्द्रजी ) भगवान श्रीराम की अन्य नाम व्रिशा, वैकर्तन(सुर्य का अन्श), श्रीरामचंद्रजी , श्रीदशरथसुतजी , श्रीकौशल्यानंदनजी , श्रीसीतावल्लभजी , श्रीरघुनन्दनजी ,श्रीरघुवरजी,श्रीरघुनाथजी,ककुत्स्थकुलनंदन आदि। निवासस्थान ॐ श्री रामचन्द्राय:नमः: ॐ रां रामाय नमः अस्त्र धनुष बाण ( जीवनसाथी माता-पिता अनुक्रम • 1 नाम-व्युत्पत्ति एवं अर्थ • 2 आदि राम • 3 अवतार रूप में प्राचीनता • 4 जन्म • 4.1 भगवान राम के जन्म-समय पर पौराणिक शोध • 5 भगवान श्री राम के जीवन की प्रमुख घटनाएं • 5.1 बालपन और सीता-स्वयंवर • 5.2 वनवास • 5.3 सीता जी का अपहरण • 5.4 रावण का वध • 5.5 अयोध्या वापसी • 6 दैहिक त्याग • 7 इन्हें भी देखें • 8 सन्दर्भ • 9 बाहरी कड़ियां नाम-व्युत्पत्ति एवं अर्थ [ ] 'रम्' धातु में 'घञ्' प्रत्यय के योग से 'राम' शब्द निष्पन्न होता है। नित्यानन्दस्वरूप भगवान् में योगिजन रमण करते हैं, इसलिए वे 'राम' हैं। आदि राम [ ] आदि राम की परिभाषा बताते है की आदि राम वह अविनाशी परमात्मा है जो सब का सृजनहार व पालनहार है। जिसके एक इशारे पर धरती और आकाश काम करते हैं जिसकी स्तुति में तैंतीस कोटि देवी-देवता नतमस्तक रहते हैं। जो पूर्ण मोक्षदायक व स्वयंभू है। "एक राम दशरथ का बेटा, एक राम घट घट में बैठा, एक राम का सकल उजियारा, एक राम जगत से न्यारा"।। अवतार रूप में प्राचीनता [ ] ब्राह्मण साहित्य में 'राम' शब्द का प्रयोग जन्म [ ] कुछ हिंदू ग्रंथों में, राम के बारे में कहा गया है कि वे त्रेता युग या द्वापर युग में रहते थे कि उनके लेखकों का अनुमान लगभग 5,000 ईसा पूर्व था। कुछ अन्य शोधकर्ता राम को कुरु और वृष्णि नेताओं की पुन: सूचियों के आधार पर 1250 ईसा पूर्व, ...