रामेश्वर मंदिर कहां पर है

  1. रामेश्वर मंदिर तमिलनाडू का इतिहास rameshwaram temple history in hindi »
  2. क्या है रामेश्वर ज्योतिर्लिंग का इतिहास
  3. Best Temple in South India
  4. रामेश्वर मंदिर: सरयू और रामगंगा का संगम स्थल जहां भगवान राम ने शस्त्र और शास्त्र की शिक्षा ली Rameshwar Temple Pithoragarh
  5. तमिलनाडु राज्य के रामेश्वरम मंदिर का रहस्य
  6. क्या है रामेश्वर ज्योतिर्लिंग का इतिहास
  7. रामेश्वर मंदिर तमिलनाडू का इतिहास rameshwaram temple history in hindi »
  8. रामेश्वर मंदिर: सरयू और रामगंगा का संगम स्थल जहां भगवान राम ने शस्त्र और शास्त्र की शिक्षा ली Rameshwar Temple Pithoragarh


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यात्रा

हिन्दू धर्म में चार दिशाओ के चार धाम का बहुत बडा महत्व माना जाता है। जिनमे एक बद्रीनाथ धाम दूसरा द्वारका धाम तीसरा जगन्नाथ धाम और चौथा रामेश्वरम धाम है। अपने इस लेख में हम रामेश्वरम धाम का वर्णन करेगें और रामेश्वरम यात्रा का सम्पूर्ण विवरण आपको देगें। रामेश्वरम धाम की गणना द्वादश ज्योतिर्लिंगो में भी की जाती है। जिससे इसका महत्व और भी बढ जाता है। चार दिशाओ के चार धामों में रामेश्वरम दक्षिण दिशा का धाम है। यह एक समुद्री द्वीप पर स्थित है। समुंद्र का एक भाग बहुत संकीर्ण हो गया है, उस पर पाम्बन स्टेशन के पास रेलवे पुल है। यह पुल जहाजो के आने जाने के समय ऊठा दिया जाता है। कहा जाता है, कि समुंद्र का यह भाग पहले नही था। रामेश्वर पहले भूमि से मिला था। किसी प्राकृतिक घटना के कारण इस अंतरद्वीप का मध्य भाग दब गया। और वहा समुंद्र आ गया। मद्रास (तमिलनाडू) राज्य के रामनाथपुरम (रामनाद) जिले में भारत की दक्षिण सीमा के अंतिम स्थल पर यह रामेश्वर द्वीप है। यह द्वीप शंख के आकार का है। यही पर बंगाल की खाडी अरब सागर से मिलती है। लगभग 25 किलोमीटर लंबा और 2.5 किलोमीटर चौडा यह द्वीप पुराणो में गंधमादन पर्वत के नाम से वर्णित है। रामेश्वर तीर्थ सभी तीर्थो और क्षेत्रों में उत्तम माना जाता है। जो भगवान श्रीराम द्वारा बंधाए हुए सेतु से और भी पवित्र हो गया है। कहा तो यहा तक जाता है कि इस सेतु के दर्शन मात्र से ही संसार सागर से मुक्ति हो जाती है। तथा भगवान विष्णु एंव शिव में भक्ति तथा पुण्य की वृद्धि होती है। भक्तो के तीनो प्रकार के कायिक, वाचिक, और मानसिक कर्म भी सिद्ध हो जाते है। कहा तो यहा तक जाता है कि भूमि के रज कण तथा आकाश के तारे गिने जा सकते है परंतु सेतु दर्शन से मिलने वाले पुण्य को तो शेषनाग भ...

रामेश्वर मंदिर तमिलनाडू का इतिहास rameshwaram temple history in hindi »

Table of Contents • • • • • • • • रामेश्वर मंदिर तमिलनाडू का इतिहास रामेश्वरम हिन्दू मंदिरो मे से 12 ज्योतिर्लिंगों मे से एक है। जो तमिलनाडू मे स्थित है। श्री राम जी ने जब लंका पे चढ़ाई की थी तब वहा एक तीस मिल लंबे सेतु का निर्माण कराया था। रामेश्वर मंदिर के चारो दिशाओ मे बड़े-बड़े द्वार बनाए गए है। इस मंदिर मे जो गलियारा है वो विश्व का सबसे बड़ा गलियारा कहलाता है। तथा इसके अंदर 22 कुए बने हुये है। जिसमे अलग- अलग नदियो से लाया गया जल है। आश्चर्य की बात ये है की पूरे रामेश्वर मे खारा पानी मिलता है। लेकिन इन कुवों मे मीठा पानी मिलता है। यह मंदिर दक्षिण सभ्यता शैली मे बनाया गया है। इस मंदिर मे बहुत ही अच्छी- अच्छी क्लाकृतीय बनाई गई है। rameshwaram temple history in hindi. मद्रास के राजनाथपुरम जिले मे भारत के दक्षिण सीमा के अंतिम स्थल पर यह रामेश्वर द्वीप है। यही पर बंगाल की खाड़ी अरब सागर से मिलती है। 25 किलोमीटर लंबा और 2.16 किलोमीटर चौड़ा यह दिव्प पुराणो मे गंधमादन पर्वत के नाम से वर्णित है। श्री राम ने यहा स्थापित किया था, इसलिए श्री राम के नाम पर इसका नाम रामेश्वर हुआ। भगवान राम , भगवान शंकर के आदि द्वादश लिंगो मे से एक माना जाता है। रामेश्वरम धाम के एतिहासिक स्थल सुग्रीव की सेना को साथ लेकर श्री राम सीता माता की खोज मे यहा आए। रावण पर आक्रमण करने के लिए समुन्द्र पार करना जरूरी था। राम ने सागर से मार्ग मांगा , परंतु उसने मार्ग नहीं दिया। इस पर भगवान राम को क्रोध आया और उन्होने अग्नि बाण द्वारा सागर को सूखा देने की बात सोची , तब सागर ने ब्रह्मण रूप मे प्रकट होकर उनसे ऐसा न करने को कहा और इसके बाद एक पल निर्माण करने को कहा। श्री राम ने सागर की प्रार्थना को मान लिया और विश्वकर्मा ...

क्या है रामेश्वर ज्योतिर्लिंग का इतिहास

Rameshwaram Temple रामेश्वर ज्योतिर्लिंग पवित्र स्थान तमिलनाडु के सेतु तट से दूर रामेश्वरम द्वीप में स्थित है और समुद्र के ऊपर पंबन पुल के लिए तकनीक द्वारा आता है। विशाल पवित्र स्थान अपनी लंबी समर्थन प्रविष्टियों, टावरों और 36 थीर्थम के लिए जाने जाते हैं। रामेश्वर ज्योतिर्लिंग भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से सबसे दक्षिणी को संबोधित करता है और बनारस की तुलना में एक सम्मानित यात्रा फोकस रहा है। रामेश्वर ज्योतिर्लिंग रामायण के साथ खुशी से जुड़ा हुआ है और राम की श्रीलंका से प्रभावी वापसी. ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के पवित्र मंदिर हैं; ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव ने स्वयं इन स्थानों का दौरा किया था और इसलिए भक्तों के दिलों में उनका एक विशेष स्थान है। इनमें से 12 भारत में हैं। ज्योतिर्लिंग का अर्थ है ‘स्तंभ या प्रकाश का स्तंभ’। ‘ स्तंभ ‘ प्रतीक दर्शाता है कि कोई शुरुआत या अंत नहीं है। जब भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु के बीच इस बात पर बहस हुई कि सर्वोच्च देवता कौन है, तो भगवान शिव प्रकाश के एक स्तंभ के रूप में प्रकट हुए और प्रत्येक को अंत खोजने के लिए कहा। भी नहीं कर सका। ऐसा माना जाता है कि जिन स्थानों पर प्रकाश के ये स्तंभ गिरे थे, वहां ज्योतिर्लिंग स्थित हैं। रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग का नाम इसलिए पड़ा क्योंकि भगवान राम ने इस स्थान पर भगवान शिव जी की पूजा की थी। Table of Contents • • • • • • • • • • Information About Rameshwaram Jyotirlinga Temple in hindi Rameshwaram Temple रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग मंदिर हिंदुओं के प्रमुख तीर्थ केंद्रों में से एक है। मंदिर पूरी तरह से भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर हिंदुओं के चार धामों में से एक है। यह तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित है। ...

Best Temple in South India

Best Temple in South India – रामेश्वरम तमिलनाडु में स्थित है ।यह भारत के चार धाम व 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है ।रामेश्वरम दक्षिणी भारत का तीसरा सबसे बड़ा मंदिर है। और एक लंबे पुल द्वारा भूमि से जुड़ा है। यह मंदिर” स्वामी राम नाथ मंदिर “के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर के पूर्वी द्वार पर 10 और पश्चिम द्वार पर 7 मंजिलों का गोपुरम है ।इसके 4000 फीट लंबे बरामदे संसार के सबसे लंबे बरामदे कहे जाते हैं। हर बरामदा 700 फिट लंबा है। बरामदे के के स्तंभों पर उच्च कोटि की सुंदर नक्काशी देखने योग्य है। पहले यहां मराठा शासकों ने शासन किया इस मंदिर के विकास में हिंदू शासकों की महत्वपूर्ण भूमिका रही उनके योगदान व दान से ही मंदिर का विकास हुआ ।श्रीलंका के राजा पराक्रम भाऊ ने ने इस मंदिर का गर्भ ग्रह बनवाया था। अनेक राजा समय-समय पर इस मंदिर का निर्माण करवाते रहे । इसमंदिर का निर्माण लगभग 350 वर्षों मे पूरा हुआ था। “रामनाथ मंदिर “के रूप में जो शिवलिंग वहां स्थापित है ।इसकी स्थापना श्री राम व सीता जी ने मिलकर की थी। इसी कारण इसे “राम लिंग “भी कहा जाता है। मंदिर के दाहिनी ओर माता पार्वती जी का मंदिर ,उत्तर में शिवलिंग और उसके पास देवी का मंदिर स्थित है। रामेश्वर का मंदिर सफेद पत्थर द्वारा बना उत्कृष्ट शिव मंदिर है । इसकी सुंदरता पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है । मुख्य द्वार ,स्तंभ, गलियारे उच्च कोटि की वास्तुकला के खूबसूरत नमूने हैं ।पूर्व और पश्चिम में लंबी और उत्तर दक्षिण में ऊंची ऊंची दीवारें हैं ।लंबाई की दृष्टि से यह मंदिर संसार का अन्यतम मंदिर माना जाता है । विस्तृत परिसर में स्थित प्रमुख मंदिरों में भगवान विष्णु का शेषषायी मंदिर है। सामने की ओर शंकर जी के मंदिर में नंदी जी की म...

रामेश्वर मंदिर: सरयू और रामगंगा का संगम स्थल जहां भगवान राम ने शस्त्र और शास्त्र की शिक्षा ली Rameshwar Temple Pithoragarh

• • • • • साझा कलम • बटरोही • अशोक पाण्डे • देवेन मेवाड़ी • ललित मोहन रयाल • अमित श्रीवास्तव • गीता गैरोला • नवीन जोशी • प्रमोद साह • भुवन चन्द्र पन्त • • शंभू राणा • विनीता यशस्वी • गिरीश लोहनी • सुन्दर चन्द ठाकुर • जगमोहन रौतेला • बसंत कुमार भट्ट • केशव भट्ट • गायत्री आर्य • चंद्रशेखर बेंजवाल • • जयमित्र सिंह बिष्ट • दिनेश कर्नाटक • सुधीर कुमार • संजय जोशी • प्रो. मृगेश पाण्डे • प्रिय अभिषेक • विवेक सौनकिया • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • Menu • • • • • साझा कलम • बटरोही • अशोक पाण्डे • देवेन मेवाड़ी • ललित मोहन रयाल • अमित श्रीवास्तव • गीता गैरोला • नवीन जोशी • प्रमोद साह • भुवन चन्द्र पन्त • • शंभू राणा • विनीता यशस्वी • गिरीश लोहनी • सुन्दर चन्द ठाकुर • जगमोहन रौतेला • बसंत कुमार भट्ट • केशव भट्ट • गायत्री आर्य • चंद्रशेखर बेंजवाल • • जयमित्र सिंह बिष्ट • दिनेश कर्नाटक • सुधीर कुमार • संजय जोशी • प्रो. मृगेश पाण्डे • प्रिय अभिषेक • विवेक सौनकिया • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • 527 Shares सरयू और रामगंगा का संगम सोर घाटी और इससे लगे गावों के लिये सदियों से पवित्र रहा है. लोक में मान्यता है कि देव डंगरी को शरीर में देवता के अवतरण से पहले सरयू-रामगंगा के संगम में एकबार स्नान जरुर करना चाहिये. इस संगम पर स्थित है रामेश्वर का मंदिर. रामेश्वर, सोर, गंगोली ओर बारकोट के गाँवों का युगों से श्मशान, क्रिया स्थल, श्रद्धा स्थल और व्रतबन्ध स्थल रहा है. इसे यहां हरिद्वार की तरह तीर्थ की मान्यता प्राप्त है. (Rameshwar Temple Pithoragarh) कहते हैं कि रामेश्वर आदिकाल से ही राजाओं के अधीन न रहने वाला क्षेत्र है. स्कन्दपुराण में इस बात का जिक्र है कि अयोध्या...

तमिलनाडु राज्य के रामेश्वरम मंदिर का रहस्य

Rameshwaram मंदिर तमिलनाडु राज्य के एक रामनाथपुरम ज़िले में स्थित है। रामेश्वरम मंदिर का रहस्य ये एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल है। ये हिंदूओं के सबसे पवित्र स्‍थानों में से ही एक पवित्र स्थान है, ये भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से भी यह एक है। एक ज्योतिर्लिंग है रामेश्वरम मंदिर का रहस्य इस मंदिर को चार धाम की यात्राओं में से एक माना जाता है। यहां पर प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु लोग पहुंचते हैं। एक ज्योतिर्लिंग के रूप में इस मंदिर में मुख्य भगवान है श्री रामनाथस्वामी जी, तमिलनाडु राज्य के रामेश्वरम मंदिर का रहस्य। इस मंदिर के विकास में हिन्दुओ के शासकों की एक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका भी रही है। उनके योगदान के बदौलत ही इस मंदिर का विकास हो पाया था। तमिलनाडु राज्य के रामेश्वरम मंदिर का रहस्य। ऐसी एक मान्यता भी है कि रामेश्वरम मंदिर का रहस्य उस स्‍थान से है जहां पर भगवान राम ने अपने सभी पापों का प्रायश्चित करने का निर्णय लिया था। तमिलनाडु राज्य के रामेश्वरम मंदिर का रहस्य ये भी है की यहां पर भगवान राम ने रावण को मारने के बाद इसी स्‍थान पर अपनी तपस्‍या करने की भी इच्‍छा को जताया था। भगवान राम यहां पर एक बड़ी सी शिवलिंग का निर्माण करना चाहते थे जिसके लिए उन्‍होने अपने भक्त हनुमान जी को चुना और उन्ही से हिमालय से लिंग लाने को भी कहा था। ऐसा माना जाता है की श्री रामनाथस्‍वामी मंदिर में स्थित जो मूर्ति है वे वही मूर्ति है। पुराणों में देखा गया है की रामेश्वरम् का नाम गंधमादन है। वास्‍तव में देखा जाये तो रामेश्वरम् का अर्थ होता है भगवान राम से तो इसलिए ही इस स्‍थान का नाम भी भगवान राम के नाम पर ही रखा है। यहां पर जो स्थित प्रसिद्ध मंदिर है वो रामनाथस्‍वामी मंदिर है। ये मंदिर भ...

क्या है रामेश्वर ज्योतिर्लिंग का इतिहास

Rameshwaram Temple रामेश्वर ज्योतिर्लिंग पवित्र स्थान तमिलनाडु के सेतु तट से दूर रामेश्वरम द्वीप में स्थित है और समुद्र के ऊपर पंबन पुल के लिए तकनीक द्वारा आता है। विशाल पवित्र स्थान अपनी लंबी समर्थन प्रविष्टियों, टावरों और 36 थीर्थम के लिए जाने जाते हैं। रामेश्वर ज्योतिर्लिंग भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से सबसे दक्षिणी को संबोधित करता है और बनारस की तुलना में एक सम्मानित यात्रा फोकस रहा है। रामेश्वर ज्योतिर्लिंग रामायण के साथ खुशी से जुड़ा हुआ है और राम की श्रीलंका से प्रभावी वापसी. ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के पवित्र मंदिर हैं; ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव ने स्वयं इन स्थानों का दौरा किया था और इसलिए भक्तों के दिलों में उनका एक विशेष स्थान है। इनमें से 12 भारत में हैं। ज्योतिर्लिंग का अर्थ है ‘स्तंभ या प्रकाश का स्तंभ’। ‘ स्तंभ ‘ प्रतीक दर्शाता है कि कोई शुरुआत या अंत नहीं है। जब भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु के बीच इस बात पर बहस हुई कि सर्वोच्च देवता कौन है, तो भगवान शिव प्रकाश के एक स्तंभ के रूप में प्रकट हुए और प्रत्येक को अंत खोजने के लिए कहा। भी नहीं कर सका। ऐसा माना जाता है कि जिन स्थानों पर प्रकाश के ये स्तंभ गिरे थे, वहां ज्योतिर्लिंग स्थित हैं। रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग का नाम इसलिए पड़ा क्योंकि भगवान राम ने इस स्थान पर भगवान शिव जी की पूजा की थी। Table of Contents • • • • • • • • • • Information About Rameshwaram Jyotirlinga Temple in hindi Rameshwaram Temple रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग मंदिर हिंदुओं के प्रमुख तीर्थ केंद्रों में से एक है। मंदिर पूरी तरह से भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर हिंदुओं के चार धामों में से एक है। यह तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित है। ...

रामेश्वर मंदिर तमिलनाडू का इतिहास rameshwaram temple history in hindi »

Table of Contents • • • • • • • • रामेश्वर मंदिर तमिलनाडू का इतिहास रामेश्वरम हिन्दू मंदिरो मे से 12 ज्योतिर्लिंगों मे से एक है। जो तमिलनाडू मे स्थित है। श्री राम जी ने जब लंका पे चढ़ाई की थी तब वहा एक तीस मिल लंबे सेतु का निर्माण कराया था। रामेश्वर मंदिर के चारो दिशाओ मे बड़े-बड़े द्वार बनाए गए है। इस मंदिर मे जो गलियारा है वो विश्व का सबसे बड़ा गलियारा कहलाता है। तथा इसके अंदर 22 कुए बने हुये है। जिसमे अलग- अलग नदियो से लाया गया जल है। आश्चर्य की बात ये है की पूरे रामेश्वर मे खारा पानी मिलता है। लेकिन इन कुवों मे मीठा पानी मिलता है। यह मंदिर दक्षिण सभ्यता शैली मे बनाया गया है। इस मंदिर मे बहुत ही अच्छी- अच्छी क्लाकृतीय बनाई गई है। rameshwaram temple history in hindi. मद्रास के राजनाथपुरम जिले मे भारत के दक्षिण सीमा के अंतिम स्थल पर यह रामेश्वर द्वीप है। यही पर बंगाल की खाड़ी अरब सागर से मिलती है। 25 किलोमीटर लंबा और 2.16 किलोमीटर चौड़ा यह दिव्प पुराणो मे गंधमादन पर्वत के नाम से वर्णित है। श्री राम ने यहा स्थापित किया था, इसलिए श्री राम के नाम पर इसका नाम रामेश्वर हुआ। भगवान राम , भगवान शंकर के आदि द्वादश लिंगो मे से एक माना जाता है। रामेश्वरम धाम के एतिहासिक स्थल सुग्रीव की सेना को साथ लेकर श्री राम सीता माता की खोज मे यहा आए। रावण पर आक्रमण करने के लिए समुन्द्र पार करना जरूरी था। राम ने सागर से मार्ग मांगा , परंतु उसने मार्ग नहीं दिया। इस पर भगवान राम को क्रोध आया और उन्होने अग्नि बाण द्वारा सागर को सूखा देने की बात सोची , तब सागर ने ब्रह्मण रूप मे प्रकट होकर उनसे ऐसा न करने को कहा और इसके बाद एक पल निर्माण करने को कहा। श्री राम ने सागर की प्रार्थना को मान लिया और विश्वकर्मा ...

यात्रा

हिन्दू धर्म में चार दिशाओ के चार धाम का बहुत बडा महत्व माना जाता है। जिनमे एक बद्रीनाथ धाम दूसरा द्वारका धाम तीसरा जगन्नाथ धाम और चौथा रामेश्वरम धाम है। अपने इस लेख में हम रामेश्वरम धाम का वर्णन करेगें और रामेश्वरम यात्रा का सम्पूर्ण विवरण आपको देगें। रामेश्वरम धाम की गणना द्वादश ज्योतिर्लिंगो में भी की जाती है। जिससे इसका महत्व और भी बढ जाता है। चार दिशाओ के चार धामों में रामेश्वरम दक्षिण दिशा का धाम है। यह एक समुद्री द्वीप पर स्थित है। समुंद्र का एक भाग बहुत संकीर्ण हो गया है, उस पर पाम्बन स्टेशन के पास रेलवे पुल है। यह पुल जहाजो के आने जाने के समय ऊठा दिया जाता है। कहा जाता है, कि समुंद्र का यह भाग पहले नही था। रामेश्वर पहले भूमि से मिला था। किसी प्राकृतिक घटना के कारण इस अंतरद्वीप का मध्य भाग दब गया। और वहा समुंद्र आ गया। मद्रास (तमिलनाडू) राज्य के रामनाथपुरम (रामनाद) जिले में भारत की दक्षिण सीमा के अंतिम स्थल पर यह रामेश्वर द्वीप है। यह द्वीप शंख के आकार का है। यही पर बंगाल की खाडी अरब सागर से मिलती है। लगभग 25 किलोमीटर लंबा और 2.5 किलोमीटर चौडा यह द्वीप पुराणो में गंधमादन पर्वत के नाम से वर्णित है। रामेश्वर तीर्थ सभी तीर्थो और क्षेत्रों में उत्तम माना जाता है। जो भगवान श्रीराम द्वारा बंधाए हुए सेतु से और भी पवित्र हो गया है। कहा तो यहा तक जाता है कि इस सेतु के दर्शन मात्र से ही संसार सागर से मुक्ति हो जाती है। तथा भगवान विष्णु एंव शिव में भक्ति तथा पुण्य की वृद्धि होती है। भक्तो के तीनो प्रकार के कायिक, वाचिक, और मानसिक कर्म भी सिद्ध हो जाते है। कहा तो यहा तक जाता है कि भूमि के रज कण तथा आकाश के तारे गिने जा सकते है परंतु सेतु दर्शन से मिलने वाले पुण्य को तो शेषनाग भ...

रामेश्वर मंदिर: सरयू और रामगंगा का संगम स्थल जहां भगवान राम ने शस्त्र और शास्त्र की शिक्षा ली Rameshwar Temple Pithoragarh

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