रानी जी की बावड़ी

  1. रानी की वाव
  2. 'रानी जी की बावड़ी' का निर्माण किसने करवाया था?
  3. [Solved] हाड़ी रानी की बावड़ी, राजस्थान के किस जिले में
  4. रानीजी की बावड़ी घूमने की जानकारी


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रानी की वाव

रानी की वाव (भारत) मानचित्र दिखाएँ भारत रानी की वाव पाटण को पहले 'अन्हिलपुर' के नाम से जाना जाता था, जो गुजरात की पूर्व राजधानी थी। कहते हैं कि रानी की वाव (बावड़ी) वर्ष 1063 में वाव के खंभे सोलंकी वंश और उनके 'रानी की वाव' को विश्व विरासत की नई सूची में शामिल किए जाने का औपचारिक ऐलान कर दिया गया है। 11वीं सदी में निर्मित इस वाव को यूनेस्को की विश्व विरासत समिति ने भारत में स्थित सभी बावड़ी या वाव (स्टेपवेल) की रानी का भी खिताब दिया है। इसे जल प्रबंधन प्रणाली में भूजल संसाधनों के उपयोग की तकनीक का बेहतरीन उदाहरण माना है। 11वीं सदी का भारतीय भूमिगत वास्तु संरचना का अनूठे प्रकार का सबसे विकसित एवं व्यापक उदाहरण है यह, जो भारत में वाव निर्माण के विकास की गाथा दर्शाता है। सात मंजिला यह वाव मारू-गुर्जर शैली का साक्ष्य है। ये करीब सात शताब्दी तक सरस्वती नदी के लापता होने के बाद गाद में दबी हुई थी। इसे भारतीय पुरातत्व सर्वे ने वापस खोजा। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने सायआर्क और स्कॉटिस टेन के सहयोग से वाव के दस्तावेजों का डिजिटलाइजेशन भी कर लिया है। सन्दर्भ [ ] • العربية • Català • Deutsch • English • Español • فارسی • Français • ગુજરાતી • עברית • Hrvatski • Italiano • 日本語 • ქართული • ಕನ್ನಡ • Lietuvių • मैथिली • മലയാളം • मराठी • नेपाली • Nederlands • ਪੰਜਾਬੀ • Polski • پنجابی • Português • Русский • Shqip • தமிழ் • తెలుగు • ไทย • Türkçe • Українська • Tiếng Việt • 中文

'रानी जी की बावड़ी' का निर्माण किसने करवाया था?

Q. 'रानी जी की बावड़ी' का निर्माण किसने करवाया था? Answer: [C] रानी नातावन जी Notes: 'रानी जी की बावड़ी' का निर्माण रानी नातावन जी ने 1699 ई. में करवाया था| यह बावड़ियों का सिरमौर है| इस बावड़ी ने मध्यकालीन काल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, इसी कारण इसे महत्वपूर्ण सामाजिक ढ़ांचों के रूप में गिना जाता है| यह सीढ़ीदार कुआँ 165 फीट गहरा है, जो राजपूतों के शासनकाल में एक उल्‍लेखनीय स्‍थापत्‍य शैली को प्रर्दशित करता है। इस कुएं का प्रवेश द्वार काफी संकीर्ण है और इसमें लगे हुए स्‍तंभों पर पत्‍थर के हाथी भी ऊपर बने हुए हैं। सीढ़ी से नीचे जाने पर कुंआ काफी बड़ा और व्‍यापक है। पूरा कुंआ काफी अच्‍छी तरीके से खूबसूरती से की गई खुदाई से एस आकार ब्रेकेट के साथ सजाया गया है| 4 उपर्युक्त प्रश्न GKToday के Android App ऐप्प में उपलब्ध "राजस्थान सामान्य अध्ययन मॉक टेस्ट सिरीज़" का भाग है। 2000 प्रश्नो की ये सिरीज़ GKToday के Android App में उपलब्ध है

[Solved] हाड़ी रानी की बावड़ी, राजस्थान के किस जिले में

सही उत्तर टोंक है । • हाड़ी रानी की बावड़ीराजस्था न के टोंक जिले में स्थित है । Key Points • हाड़ी रानी की बावड़ी : • हाड़ी रानी की बावड़ी राजस्थान के टोंक जिले के टोडारायसिंह शहर में स्थित एक बावड़ी (स्टेपवेल) है। • ऐसा माना जाता है कि इसे 12वीं शताब्दी में बनाया गया था। • स्टेपवेल आयताकार है जिसमें एक तरफ दो मंजिला गलियारे हैं, जिनमें से प्रत्येक में मेहराबदार द्वार हैं और निचली मंजिल के नीचे ब्रह्मा, गणेश और महिषासुरमर्दिनी के चित्र हैं। Additional Information राजस्थान की प्रसिद्ध बावड़ी: राजस्थान की बावड़ी जिला रानी जी बावड़ी बूंदी चांद बावड़ी दौसा एलनपुर बावड़ी सवाई माधोपुर पन्ना मीना का कुंड आमेर अनारकली की बावड़ी कोटा

रानीजी की बावड़ी घूमने की जानकारी

5/5 - (1 vote) Raniji Ki Baori In Hindi, प्राचीन बाउरी और कुएँ एक बूँदी शहर की प्रमुख विशेषता हैं जो पर्यटकों के बीच लोकप्रियता के विषय बने हुए हुए है। रानीजी की बावड़ी का निर्माण 1699 में अकाल ग्रस्त शहर को पानी उपलब्ध कराने के साधन के रूप में किया गया था। यह लगभग 50 सीढ़ियों वाली बूंदी की सबसे बड़ी बावड़ी है। बाउरी को स्टेप वेल्स या स्थानीय बोली में वाव, कुंड या सागर भी कहा जाता है। आपको बता दें कि बूँदी में रानीजी की बावड़ी के साथ –साथ कुल 50 पुराने कुएँ और टैंक हैं,जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए है। अगर आप बूंदी घूमने का प्लान बना रहे है तो आप बूंदी का लोकप्रिय पर्यटक स्थल रानीजी की बावड़ी अवश्य घूमने जा सकते हैं। इस लेख में हम रानीजी की बावड़ी के बारे में विस्तार से बात करने वाले है इसीलिए इस लेख को पूरा जरूर पढ़े – Table of Contents • • • • • • • • • • • • रानीजी की बावड़ी का इतिहास – Raniji Ki Baori History In Hindi रानीजी की बावड़ी का निर्माण रानी नाथावती जी द्वारा 1699 में अकाल ग्रस्त शहर को पानी उपलब्ध कराने के उद्देश्य से किया गया था। और मध्ययुगीन काल के दौरान, यह बाउरी स्थानीय लोगों के लिए सामाजिक और धार्मिक कारणों से बहुत लोकप्रिय बैठक स्थल भी था। रानीजी की बावड़ी की वास्तुकला – Raniji Ki Baori Architecture In Hindi रानीजी की बावड़ी लगभग 50 सीढ़ियों वाली बूंदी की सबसे बड़ी बावरी है। जिसमे हाथियों की पत्थर की संरचनाओं के साथ एक संकीर्ण प्रवेश द्वार है जो एक दूसरे के सामने बने हुए हैं, प्रवेश द्वार पर, चार खंभे हैं, जो सुंदर मूर्तियों को दर्शाते हैं और रानीजी की बावड़ी में एक लंबा मेहराब के आकार का गेट भी है। और पढ़े : रानीजी की बावड़ी बूंदी खुलने और बंद होने क...