रानी केतकी की कहानी

  1. रानी केतकी की कहानी : इंशा अल्ला खाँ 'इंशा' (हिंदी कहानी)
  2. रानी केतकी की कहानी के रचयिता या रचनाकार
  3. इंशा अल्ला खाँ की कहानी
  4. रानी केतकी की कहानी के लेखक कौन हैं?
  5. पृष्ठ:इंशा अल्लाह खान


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रानी केतकी की कहानी : इंशा अल्ला खाँ 'इंशा' (हिंदी कहानी)

यह वह कहानी है कि जिसमें हिंदी छुट। और न किसी बोली का मेल है न पुट॥ सिर झुकाकर नाक रगडता हूं उस अपने बनानेवाले के सामने जिसने हम सब को बनाया और बात में वह कर दिखाया कि जिसका भेद किसी ने न पाया। आतियां जातियां जो साँ सें हैं, उसके बिन ध्यान यह सब फाँ से हैं। यह कल का पुतला जो अपने उस खिलाडी की सुध रक्खे तो खटाई में क्यों पडे और कडवा कसैला क्यों हो। उस फल की मिठाई चक्खे जो बडे से बडे अगलों ने चक्खी है। देखने को दो आँखें दीं ओर सुनने को दो कान। नाक भी सब में ऊँची कर दी मरतों को जी दान।। मिट्टी के बसान को इतनी सकत कहाँ जो अपने कुम्हार के करतब कुछ ताड सके। सच हे, जो बनाया हुआ हो, सो अपने बनाने वाले को क्या सराहे और क्या कहें। यों जिसका जी चाहे, पडा बके। सिर से लगा पांव तक जितने रोंगटे हैं, जो सबके सब बोल उठें और सराहा करें और उतने बरसों उसी ध्यान में रहें जितनी सारी नदियों में रेत और फूल फलियां खेत में हैं, तो भी कुछ न हो सके, कराहा करें। इस सिर झुकाने के साथ ही दिन रात जपता हूं उस अपने दाता के भेजे हुए प्यारे को जिसके लिए यों कहा है- ब्याह उसके घर हुआ, उसकी सुरत मुझे लगी रहती है। मैं फूला अपने आप में नहीं समाता, और जितने उनके लड़के वाले हैं, उन्हीं को मेरे जी में चाह है। और कोई कुछ हो, मुझे नहीं भाता। मुझको उम्र घराने छूट किसी चोर ठग से क्या पड़ी! जीते और मरते आसरा उन्हीं सभों का और उनके घराने का रखता हूँ तीसों घड़ी। डौल डाल एक अनोखी बात का एक दिन बैठे-बैठे यह बात अपने ध्यान में चढ़ी कि कोई कहानी ऐसी कहिए कि जिसमें हिंदवी छुट और किसी बोली का पुट न मिले, तब जाके मेरा जी फूल की कली के रूप में खिले। बाहर की बोली और गँवारी कुछ उसके बीच में न हो। अपने मिलने वालों में से एक कोई पढ़े...

रानी केतकी की कहानी के रचयिता या रचनाकार

रानी केतकी की कहानी के लेखक/रचयिता रानी केतकी की कहानी (Raanee Ketakee Kee Kahani) के लेखक/रचयिता (Lekhak/Rachayitha) " मुंशी इंशा अल्ला खां" ( Munshi Insha Alla Khaan) हैं। Raanee Ketakee Kee Kahani (Lekhak/Rachayitha) नीचे दी गई तालिका में रानी केतकी की कहानी के लेखक/रचयिता को लेखक तथा रचना के रूप में अलग-अलग लिखा गया है। रानी केतकी की कहानी के लेखक/रचयिता की सूची निम्न है:- रचना/रचना लेखक/रचयिता रानी केतकी की कहानी मुंशी इंशा अल्ला खां Raanee Ketakee Kee Kahani Munshi Insha Alla Khaan रानी केतकी की कहानी किस विधा की रचना है? रानी केतकी की कहानी (Raanee Ketakee Kee Kahani) की विधा का प्रकार " रचना" ( Rachna) है। आशा है कि आप " रानी केतकी की कहानी नामक रचना के लेखक/रचयिता कौन?" के उत्तर से संतुष्ट हैं। यदि आपको रानी केतकी की कहानी के लेखक/रचयिता के बारे में में कोई गलती मिली हो त उसे कमेन्ट के माध्यम से हमें अवगत अवश्य कराएं।

इंशा अल्ला खाँ की कहानी

गौरव गाथा हिन्दी साहित्य को अपने अस्तित्व से गौरवान्वित करने वाली विशेष कहानियों के इस संग्रह में प्रस्तुत है— यह वह कहानी है कि जिसमें हिंदी छुट। और न किसी बोली का मेल है न पुट।। सिर झुकाकर नाक रगड़ता हूँ उस अपने बनानेवाले के सामने जिसने हम सब को बनाया और बात में वह कर दिखाया कि जिसका भेद किसी ने न पाया। आतियाँ जातियाँ जो साँसें हैं, उसके बिन ध्यान यह सब फाँसे हैं। यह कल का पुतला जो अपने उस खेलाड़ी की सुध रक्खे तो खटाई में क्यों पड़े और कड़वा कसैला क्यों हो। उस फल की मिठाई चक्खे जो बड़े से बड़े अगलों ने चक्खी है। देखने को दो आँखें दीं और सुनने के दो कान। नाक भी सब में ऊँची कर दी मरतों को जी दान।। मिट्टी के बासन को इतनी सकत कहाँ जो अपने कुम्हार के करतब कुछ ताड़ सके। सच है, जो बनाया हुआ हो, सो अपने बनानेवालो को क्या सराहे और क्या कहे। यों जिसका जी चाहे, पड़ा बके। सिर से लगा पाँव तक जितने रोंगटे हैं, जो सबके सब बोल उठें और सराहा करें और उतने बरसों उसी ध्यान में रहें जितनी सारी नदियों में रेत और फूल फलियाँ खेत में हैं, तो भी कुछ न हो सके, कराहा करैं। इस सिर झुकाने के साथ ही दिन रात जपता हूँ उस अपने दाता के भेजे हुए प्यारे को जिसके लिये यों कहा है - पृष्ठ- 1 पुरालेख अपनी प्रतिक्रिया 1 1 ©सर्वा धिकार सुरक्षित "अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है।

रानी केतकी की कहानी के लेखक कौन हैं?

रानी केतकी की कहानी के लेखक/कहानीकार/रचयिता रानी केतकी की कहानी (Raanee Ketakee Kee Kahani) के लेखक/कहानीकार/रचयिता (Lekhak/Kahanikar/Rachayitha) " इंशाअल्ला खाँ" ( Inshaalla Khaan) हैं। Raanee Ketakee Kee Kahani (Lekhak/Kahanikar/Rachayitha) नीचे दी गई तालिका में रानी केतकी की कहानी के लेखक/कहानीकार/रचयिता को लेखक/कहानीकार तथा कहानी के रूप में अलग-अलग लिखा गया है। रानी केतकी की कहानी के लेखक/कहानीकार/रचयिता की सूची निम्न है:- रचना/कहानी लेखक/कहानीकार/रचयिता रानी केतकी की कहानी इंशाअल्ला खाँ Raanee Ketakee Kee Kahani Inshaalla Khaan रानी केतकी की कहानी किस विधा की रचना है? रानी केतकी की कहानी (Raanee Ketakee Kee Kahani) की विधा का प्रकार " कहानी" ( Kahani) है। आशा है कि आप " रानी केतकी की कहानी नामक कहानी के लेखक/कहानीकार/रचयिता कौन?" के उत्तर से संतुष्ट हैं। यदि आपको रानी केतकी की कहानी के लेखक/कहानीकार/रचयिता के बारे में में कोई गलती मिली हो त उसे कमेन्ट के माध्यम से हमें अवगत अवश्य कराएं।

पृष्ठ:इंशा अल्लाह खान

आ पहुँचना कुँवर उदैमान का ब्याह के ठाट के साथ दुल्हन की ड्योढ़ी पर ⁠इस धूमधाम के साथ कुँवर उदैमान सेहरा बाँधे दूल्हन के घर तक आ पहुँचा और जो रीतें उनके घराने में चली आई थों, होने लगियाँ। मदनबान रानी केतकी से ठठोली करके बोली—"लीजिए, अब सुख समेटिए, भर भर झोली। सिर निहुराए, क्या बैठी हो, आओ न टुक हम तुम मिलके झरोखों से उन्हें झाँकें।" रानो केतकी ने कहा—'न री, ऐसी नीच बातें न कर। हमें ऐसो क्या पड़ी जो इस घड़ी ऐसी मेल कर रेल पेल ऐसी उठें और तेल फुलेल भरी हुई उनके झाँकने को जा खड़ी हों।" मदनवान उसकी इस रुखाई को उड़नझाई की बातों में डालकर बोली— बोलचाल मदनवान की अपनी बोली के दोनों में यों तो देखो वा छड़े जो वा छड़े जी वा छड़े। हम से जो आने लगी हैं आप यो मुहरे कड़े॥ छान मारे बन के बन थे आपने जिनके लिये। वह हिरन जोवन के मद में हैं बने दूल्हा खड़े॥ तुम न जाओ देखने को जो उन्हें क्या बात है। ले चलेंगी आपको हम हैं इसी धुन पर अड़े॥ है कहावत जी को भावे और यो मुदिया हिले। झाँकने के ध्यान में उनके हैं सब छोटे बड़े॥ साँस ठंडी भरके रानी केतकी बोली कि सच। सब तो अच्छा कुछ हुआ पर अब बखेड़े में पड़े॥