रानी लक्ष्मी बाई के बारे में

  1. रानी लक्ष्मी बाई के बारे में 10 लाइन
  2. रानी लक्ष्मी बाई पर 10 वाक्य : 10 Lines On Rani Lakshmi Bai In Hindi
  3. रानी लक्ष्मी बाई के बारे में
  4. रानी लक्ष्मी बाई(झाँसी की रानी) मणिकर्णिका के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी


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रानी लक्ष्मी बाई के बारे में 10 लाइन

आइये आज इस लेख में हम रानी लक्ष्मी बाई के बारे में 10 लाइन यानि 10 lines on rani laxmi bai in hindi के बारे में चर्चा करते है जिससे आपके knowledge मे वृद्धि हो और बच्चो को भी एग्जाम के वक्त अगर रानी लक्ष्मी बाई के बारे में 10 लाइन लिखने के लिए प्रश्न पूछा जाये तो उन्हें भी इस लेख से बहुत मदद मिलेगी। तो आइए लेख की शुरुआत करते है, कृपया अंत तक इसे जरूर पढ़िए। तो एक ऐतिहासिक व्यक्ति के बारे में निबंध लिखने के लिए हंमेशा उस व्यक्ति के बारे में सही रिसर्च और तैयारी की आवश्यकता होती है। एक ऐतिहासिक व्यक्ति पर निबंध लिखना सीखने से, बच्चे तथ्यों को व्यवस्थित करने और उन्हें आकर्षक प्रारूप में प्रस्तुत करने के बारे में बहुत कुछ सीखते हैं। अक्सर, बच्चों को कक्षा 1, 2 और 3 के लिए रानी लक्ष्मी बाई पर एक निबंध लिखने के लिए कहा जाता है और तैयार होने से उन्हें परीक्षा के दृष्टिकोण से मदद मिल सकती है। इसलिए यदि आप रानी लक्ष्मी बाई के बारे में एक निबंध के लिए अपने बच्चे को पढ़ाना चाहते हैं, तो कुछ निश्चित बिंदु और आंकड़े हैं जिनसे आपको उन्हें परिचित कराने की आवश्यकता है। तो आइये जानते है रानी लक्ष्मी बाई के बारे में 10 लाइन(10 lines on rani laxmi bai in hindi) कौनसी है जो बच्चो के ज्ञान में इजाफा करने के लिए और उन्हें परीक्षा के वक़्त पूछे जाने सवाल के समय मदद करेगी। Table of Contents • • • • • • • • • • • रानी लक्ष्मी बाई के बारे में 10 लाइन (10 lines on rani laxmi bai in hindi) • रानी लक्ष्मीबाई एक स्वतंत्रता सेनानी थीं। • उन्हें “झांसी की रानी” के नाम से जाना जाता था। • उनका जन्म वाराणसी में हुआ था। • उनका दूसरा नाम मणिकर्णिका था। • रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों से भारत की आजादी के लिए लड़ा...

रानी लक्ष्मी बाई पर 10 वाक्य : 10 Lines On Rani Lakshmi Bai In Hindi

हेलो दोस्तों आज इस पोस्ट पर 10 रानी लक्ष्मी बाई पर 10 वाक्य : 10 Lines on Rani Lakshmi Bai in Hindi • रानी लक्ष्मीबाई के बचपन का नाम मणिकर्णिका,मनु था। • रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 1828 में वाराणसी जिले में हुआ था। • रानी लक्ष्मीबाई एक मराठा ब्राम्हण परिवार से थी। • रानी लक्ष्मीबाई के पिता का नाम मोरोपंत तांबे और उनकी मां का नाम भागीरथी बाई था। • रानी लक्ष्मीबाई की रुचि हथियार (अस्त-शास्त्र) चलाने, तलवारबाजी, घुड़सवारी, तीरंदाजी मे थी। • रानी लक्ष्मीबाई की शादी राजा गंगाधर राव निंबालकर के साथ हुई थी। • राजा गंगाधर राव निंबालकर झांसी के राजा थे। • इसलिए रानी लक्ष्मीबाई झांसी की रानी कहलाई जाने लगी। • राजा गंगाधर राव और लक्ष्मी बाई के पुत्र का नाम दामोदर था। • रानी लक्ष्मीबाई एक स्वाभिमानी, अभिमानी और वीरांगना महिला थी। 10 Lines on Rani Lakshmi Bai in Hindi • रानी लक्ष्मी बाई का जन्म 19 नवंबर 1828 को वाराणसी के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। • रानी लक्ष्मीबाई के बचपन का नाम मणिकर्णिका रखा गया था और उन्हें प्यार से सभी लोग मनु कह कर पुकारा करते थे। • मणिकर्णिका बचपन से ही अस्त्र शास्त्र चलाने, तीरंदाजी, तलवारबाजी, युद्ध कला, घुड़सवारी इन सभी में वह रुचि रखती थी। • मणिकर्णिका की शादी कम उम्र में ही झांसी के राजा गंगाधर राव निंबालकर से कर दी गई थी। • मणिकर्णिका का नाम शादी के बाद लक्ष्मी बाई रखा गया और वह झांसी की रानी बन गई। • राजा गंगाधर राव निंबालकर की मृत्यु होने के बाद रानी लक्ष्मीबाई ने वीरता का परिचय देते हुये पूरी झांसी की बागडोर खुद ही संभाली। • लक्ष्मी बाई ने अंग्रेजों से कई लड़ाइयां लड़ी लेकिन उन्होंने अपना राज्य अंग्रेजों को कभी नहीं सौंपा। • झांसी की रानी लक्ष्मी बाई ...

रानी लक्ष्मी बाई के बारे में

रानी लक्ष्मीबाई (जन्म: 19 नवम्बर 1828 – मृत्यु: 18 जून 1858) मराठा शासित झाँसी राज्य की रानी और 1857 के प्रथम भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम की वीरांगना थीं। उन्होंने सिर्फ़ 23 साल की उम्र में अंग्रेज़ साम्राज्य की सेना से जद्दोजहद की और रणभूमि में उनकी मौत हुई थी। लक्ष्मीबाई का जन्म वाराणसी(काशी) ज़िले के भदैनी नामक शहर में 19 नवम्बर 1835 को हुआ था। उनका बचपन का नाम मणिकर्णिका था लेकिन प्यार से उन्हें मनु कहा जाता था। उनकी माँ का नाम भागीरथीबाई और पिता का नाम मोरोपंत तांबे था। मोरोपंत एक मराठी थे और मराठा बाजीराव की सेवा में थे। माता भागीरथीबाई एक सुसंस्कृत, बुद्धिमान और धर्मनिष्ठ साल की थी तब उकी माँ की मृत्यु हो गयी। क्योंकि घर में मनु की देखभाल के लिये कोई नहीं था इसलिए पिता मनु को अपने साथ पेशवा बाजीराव द्वितीय के दरबार में ले जाने लगे। जहाँ चंचल और सुन्दर मनु ने सब लोग उसे प्यार से "ली" कहकर बुलाने लगे। मनु ने बचपन में शास्त्रों की शिक्षा के साथ शस्त्र की शिक्षा भी ली।सन् 1842 में उनका विवाह झाँसी के मराठा शासित राजा गंगाधर राव नेवालकर के साथ हुआ और वे झाँसी की रानी बनीं। विवाह के बाद उनका नाम लक्ष्मीबाई रखा गया। सन् 1851 में रानी लक्ष्मीबाई ने एक पुत्र को जन्म दिया। परन्तु चार महीने की उम्र में ही उसकी मृत्यु हो गयी। सन् 1853 में राजा गंगाधर राव का स्वास्थ्य बहुत अधिक बिगड़ जाने पर उन्हें दत्तक पुत्र लेने की सलाह दी गयी। पुत्र गोद लेने के बाद 21 नवम्बर 1853 को राजा गंगाधर राव की मृत्यु हो गयी। दत्तक पुत्र का नाम आनंद राव रखा गया। ब्रितानी राज ने अपनी राज्य हड़प नीति के तहत बालक दामोदर राव के ख़िलाफ़ अदालत में मुक़दमा दायर कर दिया। हालांकि मुक़दमे में बहुत बहस हुई, परन्त...

रानी लक्ष्मी बाई(झाँसी की रानी) मणिकर्णिका के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी

• रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवंबर 1835 को वाराणसी शहर में एक मराठी करहदे ब्राह्मण परिवार में हुआ था। • रानी लक्ष्मीबाई का नाम मणिकर्णिका तांबे रखा गया और उनका उपनाम मनु रखा गया। उनके पिता मोरोपंत तांबे और उनकी मां भागीरथी सप्रे (भागीरथी बाई) थीं। उसके माता-पिता महाराष्ट्र से आए थे और नाना साहिब के चचेरे भाई थे। • जब वह चार साल की थी उसकी माँ की मृत्यु हो गई। उनके पिता ने बिठूर जिले के एक पेशवा के लिए काम किया। • पेशवा ने उसे “ छबीली ” कहा , जिसका अर्थ है “ चंचल ” ।वह घर पर शिक्षित थी और अपनी उम्र के अन्य लोगों की तुलना में बचपन में अधिक स्वतंत्र थी ; उनकी पढ़ाई में उनके बचपन के दोस्त नाना साहिब और तांतिया टोपे के साथ शूटिंग , घुड़सवारी , तलवारबाजी और मल्लखंभ शामिल थे। • उसके घोड़ों में सारंगी , पावन और बादल शामिल थे ; इतिहासकारों के अनुसार 1858 में किले से भागते समय उसने बेदाल की सवारी की थी। झाँसी की रानी- विलय का सिद्धान्त • मणिकर्णिका का विवाह झाँसी के महाराजा , राजा गंगाधर नयालकर से हुआ था और बाद में उन्हें लक्ष्मीबाई कहा गया। • उसने 1851 में एक लड़के को जन्म दिया , जिसका नाम दामोदर राव था , जिसकी चार महीने बाद मृत्यु हो गई। महाराजा ने आनंद राव नामक एक बच्चे को गोद लिया। • नवंबर 1853 में महाराजा की मृत्यु के बाद , क्योंकि दामोदर राव (जन्म आनंद राव) एक दत्तक पुत्र थे , ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी , गवर्नर-जनरल लॉर्ड डलहौजी के अधीन , ने विलय का सिद्धान्त लागू किया , जिसने सिंहासन पर दामोदर राव के दावे को खारिज कर दिया। राज्य को उसके क्षेत्रों से अलग करना। इन्कार और राज्य ग्रहण • ईस्ट इंडिया कंपनी का एक एजेंट प्रशासनिक मामलों की देखभाल के लिए छोटे राज्य में तैनात था। • 22 ...