रानी लक्ष्मी बाई की जीवनी

  1. About Rani lakshmi bai in hindi लक्ष्मी बाई का जीवन परिचय 23
  2. वीरांगना रानी अवंतीबाई जीवनी
  3. Rani Lakshmi bai Biography In Hindi (रानी लक्ष्मी बाई की जीवनी) Biography In Hindi राजा महाराजा
  4. झांसी की रानी लक्ष्मी बाई की जीवनी Jhansi ki Rani Laxmi Bai History Hindi


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About Rani lakshmi bai in hindi लक्ष्मी बाई का जीवन परिचय 23

स्वतंत्रता सेनानी महान वीरांगना झांसी की रानी About Rani lakshmi bai in hindi की जीवनी के बारे में इस लेख में जानने वाले हैं.भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में 1857 का लड़ाई बहुत ही जबरदस्त और प्रमुख लड़ाई था इसमें कई राज्यों से स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना बलिदान दिया था खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी इस कविता को पाठ्यपुस्तक में पढ़ते हैं जो कि भारत की द्वितीय शहीद वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई थी जिन्होंने 29 वर्ष की उम्र में अपने देश को अंग्रेजों से सुरक्षित करने के लिए अंग्रेजी साम्राज्य से लड़ते हुए रणभूमि में वीरगति को प्राप्त हुई थी 1857 की लड़ाई भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजो के खिलाफ यह पहली लड़ाई थी. Jhansi Ki Rani Lakshmi bai बहुत बहादुर और धैर्य रखने वाली स्त्री थी. महाराज के नहीं होते हुए भी उन्होंने ब्रिटिश सरकार के इतने सारे अंग्रेजो के खिलाफ लड़ते हुए उन्हें थोड़ा भी भय नहीं लगा. उन्होंने वीरता पूर्वक अंग्रेजों से लड़ाई किया. सुभद्रा कुमारी चौहान के लिखे हुए कविता झांसी की रानी में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की वीरता का बहुत सुंदर वर्णन हैं. झांसी की रानी के वीरता के कारण ही इस कविता में लिखा हैं खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी इसी से हम लोग अंदाजा लगा सकते हैं की रानी लक्ष्मीबाई कितनी बहादुर और हिम्मतवाली वीरांगना और स्वतंत्रता सेनानी थी. रानी लक्ष्मीबाई का जन्म नाम रानी लक्ष्मी बाई बचपन का नाम छबीली,मणिकर्णिका या मनु जन्‍म 19 नवंबर 1828 जन्‍म स्‍थान बनारस पिता का नाम मोरोपंत तांबे माता का नाम भागीरथी बाई मुंहबोला भाई नानासाहेब पति का नाम राजा गंगाधर राव निंबालकर पुत्र दामोदर राव शिक्षा घुड़सवारी,तलवारबाजी,शस्‍त्रों का ज्ञान कार्यक्षेत्र स्...

वीरांगना रानी अवंतीबाई जीवनी

रानी अवन्ती बाई (Rani Avanti bai) भारत की महान वीरांगना थीं जिन्होंने 1857 की लडाई में अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए थे और अपनी मातृभूमि की रक्षा हेतु अपने प्राण न्योछावर कर दिए | 1857 के क्रान्ति में रानी अवन्ती बाई का वही योगदान है जो रानी लक्ष्मी बाई का है , इसी कारण रानी अवन्ती बाई की तुलना रानी लक्ष्मी बाई से की जाती है , परन्तु रानी अवन्ती बाई को इतिहास में वह स्थान नहीं मिला पाया जो रानी लक्ष्मी बाई को मिला हुआ है | इतिहास इन दोनों महान वीरांगनाओं का हमेशा ऋणी रहेगा | रानी अवन्ती बाई का जन्म 16 अगस्त 1831 को ग्राम मनकेहणी जिला सिवनी के जमींदार राव जुझार सिंह के यहां हुआ था , अवंती बाई की शिक्षा दीक्षा ग्राम मनकेहणी में हुई | जुझार सिंह ने अपनी कन्या अवंती बाई का विवाह लक्ष्मण सिंह 1817 से 1850 तक रामगढ़ के शासक थे | 1850 में राजा लक्ष्मण सिंह के निधन के बाद राजकुमार विक्रमादित्य ने राजगद्दी संभाली | रानी अवन्तीबाई ( Rani Avantibai) ही करती थीं | इनके दो पुत्र थे अमान सिंह और शेर सिंह | इनके दोनों पुत्र अमन सिंह और शेर सिंह छोटे ही थे की राजा विक्षिप्त हो गए और राज्य की जिम्मेदारी रानी अवन्तीबाई के कन्धों पर आ गई | रामगढ पर कोर्ट ऑफ़ वार्ड्स की कार्यवाही - यह समाचार सुनकर अंग्रेजों ने '' कोर्ट ऑफ़ वार्ड्स '' की कार्यवाही की एवं राज्य के प्रशासन के लिए सरबराहकार नियुक्त कर शेख मोहम्मद और मोहम्मद अब्दुल्ला को रामगढ़ भेजा | जिससे रामगढ राज्य '' कोर्ट ऑफ़ वार्ड्स '' के अधीन चला गया |अंग्रेजों कि इस हड़प नीति को रानी जानती थी और दोनों सरबराहकारों को रामगढ़ से बाहर निकाल दिया | इसी बीच 1855 में अचानक राजा विक्रमादित्य का निधन हो गया और राज्य की पूरी जिम्मेदारी रानी के ऊपर आ गई | Ra...

Rani Lakshmi bai Biography In Hindi (रानी लक्ष्मी बाई की जीवनी) Biography In Hindi राजा महाराजा

हमारे देश की स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ने के लिए कई सारे लोगों ने अपना योगदान दिया कई राजा महाराजाओं ने यह लड़ाई लड़ी कई वीर पुरुषों और वीरांगनाओं ने अपना बलिदान दिया| आज हम आपको ऐसे ही वीरांगना के बारे में बताने वाले हैं जिनका नाम है झांसी की रानी लक्ष्मीबाई रानी लक्ष्मीबाई को कौन नहीं जानता इनके द्वारा लड़ी गई ब्रिटिश सरकार के खिलाफ लड़ाई पूरी दुनिया में मशहूर है | रानी लक्ष्मी जी का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में सन 1828 में काशी यानी वाराणसी में हुआ था| इनके पिताजी मेरोपंत तांबे बिठूर जो न्यायालय में पेशवा का कार्य करते थे रानी लक्ष्मीबाई बचपन से ही स्वतंत्रता के लिए कई योगदान दी उनका ध्यान शिक्षा दीक्षा के साथ-साथ आत्मरक्षा घुड़सवारी निशानेबाजी और घेराबंदी जैसे कार्य में भाग लेने और सीखने किडनी हमेशा उत्साहित रहता था| उनकी माता जी का नाम भागीरथीbai जो एक ग्रहणी थी पर अपने परिवार को संभाला कर दीजिए रानी लक्ष्मी बाई के बचपन का नाम मणिकर्णिका था और इनके परिवार मेरी ने मनु के नाम से पुकारा जाता था | जब मैं सिर्फ 4 वर्ष की थी तभी उनके माता जी का देहांत हो गया और पूरे परिवार की जिम्मेदारी इनके पिताजी पर आ गई इसके बाद उनके पिताजी ने रानी लक्ष्मीबाई का पालन पोषण किया और उनका विवाह सन 1842 में उत्तर भारत में स्थित झांसी राज्य के महाराज गंगाधर राव के साथ करवाया तभी से इनका नाम झांसी की रानी लक्ष्मीबाई पड़ा जमीन का विवाह हुआ तब वह सिर्फ 14 वर्ष की थी इनका विवाह झांसी में स्थित एक गणेश मंदिर में हुआ था 1851 में इन्होंने एक पुत्र को जन्म दिया जिसका नाम दामोदर राव रखा परंतु दुर्भाग्यवश वे 4 maah तक जीवित रह पाया और ऐसा कहा जाता है कि महाराज गंगाधर अपने पुत्र की मृत्यु के कारण बीमार रहने ...

झांसी की रानी लक्ष्मी बाई की जीवनी Jhansi ki Rani Laxmi Bai History Hindi

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