रानी लक्ष्मीबाई की मृत्यु कहां हुई थी

  1. रानी लक्ष्मीबाई
  2. रानी लक्ष्मीबाई की जीवनी
  3. झांसी की रानी लक्ष्मी बाई की कहानी: Jhansi ki Rani Lakshmi Bai


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रानी लक्ष्मीबाई

झाँसी 1857 के संग्राम का एक प्रमुख केन्द्र बन गया जहाँ हिंसा भड़क उठी। रानी लक्ष्मीबाई ने झाँसी की सुरक्षा को सुदृढ़ करना शुरू कर दिया और एक स्वयंसेवक सेना का गठन प्रारम्भ किया। इस सेना में महिलाओं की भर्ती की गयी और उन्हें युद्ध का प्रशिक्षण दिया गया। साधारण जनता ने भी इस संग्राम में सहयोग दिया। 1857 के सितम्बर तथा अक्टूबर के महीनों में पड़ोसी राज्य तात्या टोपे और रानी की संयुक्त सेनाओं ने चित्र दीर्घा • रानी लक्ष्मी बाई उद्यान, झांसी इन्हें भी देखें • • • • झांसी की रानी कविता सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी, बूढ़े भारत में भी आई फिर से नयी जवानी थी, गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी, दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी। चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी, बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥ कानपूर के नाना की, मुँहबोली बहन छबीली थी, लक्ष्मीबाई नाम, पिता की वह संतान अकेली थी, नाना के सँग पढ़ती थी वह, नाना के सँग खेली थी, बरछी, ढाल, कृपाण, कटारी उसकी यही सहेली थी। वीर शिवाजी की गाथायें उसको याद ज़बानी थी, बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥ लक्ष्मी थी या दुर्गा थी वह स्वयं वीरता की अवतार, देख मराठे पुलकित होते उसकी तलवारों के वार, नकली युद्ध-व्यूह की रचना और खेलना खूब शिकार, सैन्य घेरना, दुर्ग तोड़ना ये थे उसके प्रिय खिलवाड़। महाराष्ट्र-कुल-देवी उसकी भी आराध्य भवानी थी, बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी॥ हुई वीरता की वैभव के साथ सगाई झाँसी में, ब्याह हुआ रानी बन आई लक्ष्मीबाई झाँसी में, राजमह...

रानी लक्ष्मीबाई की जीवनी

रानी लक्ष्मीबाई भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की अग्रणी वीरांगनाओं में से एक थीं। बहादुरी, देशभक्ति और सम्मान की प्रतीक रानी लक्ष्मी बाई का जन्म 19 नवंबर 1828 को पुणे में हुआ था। रानी लक्ष्मीबाई का वास्तविक नाम मणिकर्णिका था। रानी लक्ष्मीबाई के पिता मोरोपंत तांबे दरबार में एक सलाहकार थे और उनकी माँ भागीरथी एक विद्वान महिला थीं। रानी लक्ष्मीबाई ने बहुत ही कम उम्र में अपनी माँ को खो दिया था। रानी लक्ष्मीबाई के पिता ने बहुत ही असामान्य तरीके से उनका पालन किया और हाथियों और घोड़ों की सवारी का अनुभव प्राप्त कराने और हथियारों का प्रभावी ढंग से इस्तेमाल करने में पूर्ण रुप से सहयोग किया। रानी लक्ष्मीबाई नाना साहिब और तात्या टोपे के साथ बड़ी हुईं, जो स्वतंत्रता के लिए किए जाने वाले पहले विद्रोह में सक्रिय भागीदारी रहे थे। 1842 में, रानी लक्ष्मी बाई का विवाह झांसी के महाराजा राजा गंगाधर राव से हुआ था। अपनी शादी के बाद वह, लक्ष्मीबाई के नाम से जानी जाने लगीं। वर्ष 1851 में, रानी लक्ष्मीबाई ने एक बेटे को जन्म दिया, लेकिन दुर्भाग्यवश चार महीने की आयु में ही उसकी मृत्यु हो गई। इस दुखद घटना के बाद, झांसी के महाराजा ने दामोदर राव को अपने बेटे के रूप में अपनाया था। अपने बेटे की मृत्यु विचलित और खराब स्वास्थ्य की वजह से 21 नवंबर 1853 में महाराजा गंगाधर राव की मृत्यु हो गई। जब महाराजा गंगाधर राव की मृत्यु हुई, उस समय रानी लक्ष्मीबाई सिर्फ अट्ठारह साल की थी, लेकिन रानी लक्ष्मी बाई ने अपना साहस नहीं खोया और अपनी जिम्मेदारियों को अच्छे ढंग से निभाया। उस समय भारत के गवर्नर-जनरल लॉर्ड डलहौजी, जो एक बहुत ही चतुर व्यक्ति था और उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य का विस्तार करने के लिए झांसी के दुर्भाग्यप...

झांसी की रानी लक्ष्मी बाई की कहानी: Jhansi ki Rani Lakshmi Bai

रानी लक्ष्मी बाई का जन्म कब हुआ था | झांसी की रानी का जन्म कब हुआ था | रानी लक्ष्मीबाई की मृत्यु कब हुई थी | झांसी की रानी की मृत्यु कब हुई थी | रानी लक्ष्मी बाई की कहानी | Jhansi ki Rani Lakshmi Bai | Rani Laxmi Bai | लक्ष्मी बाई कहां की रानी थी रानी लक्ष्मी बाई ( Jhansi ki Rani Lakshmi Bai) प्रथम शहीद वीरांगना रानी अवंतीबाई लोधी के बाद भारत की दूसरी शहीद वीरांगना थी, जिन्होंने मात्र 29 वर्ष की उम्र में अंग्रेजों से युद्ध किया और वीरगति को प्राप्त हुईं। उनके वीरता की गाथा भारतीय इतिहास में अमर है। बचपन में उन्हें मणिकर्णिका के नाम से जाना जाता था, लेकिन विवाह के बाद उन्हें लक्ष्मी बाई के नाम से जाना जाने लगा। युद्ध कला में निपुण लक्ष्मीबाई ने अपने राज्य और राज्य के लोगों की रक्षा करने के लिए अंग्रेजों से लोहा लिया था। उस समय लॉर्ड डलहौजी की हड़प नीति के अनुसार झांसी राज्य को भी फड़कने की योजना बनाई गई थी, जिसे उन्होंने स्वीकार नहीं किया। इस आर्टिकल में हम आपको रानी लक्ष्मी बाई का जन्म कब हुआ था, रानी लक्ष्मी बाई कहां की रानी थी और रानी लक्ष्मी बाई की कहानी बताने जा रहे हैं। लक्ष्मी बाई कहां की रानी थी? रानी लक्ष्मीबाई का विवाह झांसी के मराठा शासित राजा गंगाधर राव नेवलकर से 1842 में हुआ था। बचपन में उनका नाम मणिकर्णिका था लेकिन विवाह के बाद उनका नाम लक्ष्मी बाई रख दिया गया। इस तरह से लक्ष्मी बाई झांसी की रानी बन गईं। रानी लक्ष्मी बाई की कहानी: रानी लक्ष्मी बाई की कहानी इतिहास में अमर है। उन्होंने अंग्रेजों से लोहा लेना और वीरगति को प्राप्त होना उचित समझा लेकिन उनकी अधीनता स्वीकार नहीं की। दरअसल सितंबर 1851 में लक्ष्मीबाई ने एक पुत्र को जन्म दिया था लेकिन लगभग 4 महीने बाद उ...