रानी टीला क्यों प्रसिद्ध है

  1. रूठी रानी के नाम से कौन प्रसिद्ध है
  2. रानी नागमती की कहानी
  3. रानी सारन्धा
  4. रानी सारन्धा: मुंशी प्रेमचंद की कहानी
  5. लोथल की प्रसिद्धि के क्या कारण है?


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रूठी रानी के नाम से कौन प्रसिद्ध है

आज का प्रश्न है रूठी रानी के नाम से कौन प्रसिद्ध है? रूठी रानी के नाम से कौन प्रसिद्ध है? रूठी रानी के नाम से राजस्थान की एक रानी प्रसिद्ध है जिनका नाम उमादे है, इनका विवाह मालदेव के साथ हुआ था। कहा जाता कि यह रानी अपने पति से सुहागरात वाले दिन ही रूठ गयी थी और फिर पुरे जीवन भर ही अपने पति से रूठी रही वो उन्हें कभी भी मना नही सका था। इस रानी का पूरा नाम उमादे भटियानी था, जिनका जन्म 1537 में हुआ था, यह बेहद सुंदर और बुद्धिमान थी। इन्हें पिता का नाम रावल लुणकरन भाटी था, इस रानी का निधन 10 नवम्बर 1562 को हुआ था। इस रानी का विवाह 1536 में मालदेव राठौड़ के साथ सम्पन्न हुआ था, यह राजा 52 युद्धों में अजेय रहने वाले मारवाड़ के प्रसिद्ध राजा थे। यह इनकी सुहागरात पर नशे में थे और इनकी पत्नी उमादे इनका इंतजार कर रही थी, समय बीतता देख उमादे ने अपनी दासी भारमली को राजा को बुलाने के लिए भेजा, भारमली जब राजा के पास पहुची तो राजा उसकी खूबसूरती देख उसके साथ ही भोगविलास में लिप्त हो गये, रानी ने जब यह देखा तो वह राजा से इस कदर रूठी की राजा पुरे जीवनभर इस रानी को नही मना सका। FAQs Editor’s Picks • Do You Love Me Ka Reply Kya Hoga – डु यु लव मी का रिप्लाई क्या होगा? • लौकी को इंग्लिश में क्या कहते हैं – Lauki Ko English Mein Kya Kahate Hain? • यदा यदा ही धर्मस्य श्लोक का अर्थ हिंदी में • गायत्री मंत्र का अर्थ, लाभ तथा सावधानियां • लैंडमार्क क्या होता है – Landmark Kya Hota Hai, Meaning in Hindi • आसमान नीला क्यों होता है? यह है इसके पीछे की वजह! • बागेश्वर धाम में घर बैठे अर्जी कैसे लगाएं? 100% करेगी काम! – Bageshwardham Sarkar • चाँद धरती से कितना दूर है? Follow Us • Facebook • Twitter • Inst...

रानी नागमती की कहानी

द्मावत की कथा कवि सिंहलद्वीप, उसके राजा गन्धर्वसेन, राजसभा, नगर, बगीचे इत्यादि का वर्णन करके पद्मावती के जन्म का उल्लेख करता है। राजभवन में हीरामन नाम का एक अद्भुत सुआ था जिसे पद्मावती बहुत चाहती थी और सदा उसी के पास रहकर अनेक प्रकार की बातें कहा करती थी। पद्मावती क्रमश: सयानी हुई और उसके रूप की ज्योति भूमण्डल में सबसे ऊपर हुई। जब उसका कहीं विवाह न हुआ तब वह रात दिन हीरामन से इसी बात की चर्चा किया करती थी। सूए ने एक दिन कहा कि यदि कहो तो देश देशान्तर में फिरकर मैं तुम्हारे योग्य वर ढूँढूँ। राजा को जब इस बातचीत का पता लगा तब उसने क्रुद्ध होकर सूए को मार डालने की आज्ञा दी। पद्मावती ने विनती कर किसी प्रकार सूए के प्राण बचाए। सूए ने पद्मावती से विदा माँगी, पर पद्मावती ने प्रेम के मारे सूए को रोक लिया। सूआ उस समय तो रुक गया, पर उसके मन में खटका बना रहा। एक दिन पद्मावती सखियों को लिए हुए मानसरोवर में स्नान और जलक्रीड़ा करने गई। सूए ने सोचा कि अब यहाँ से चटपट चल देना चाहिए। वह वन की ओर उड़ा, जहाँ पक्षियों ने उसका बड़ा सत्कार किया। दस दिन पीछे एक बहेलिया हरी पत्तियों की टट्टी लिए उस वन में चला आ रहा था। और पक्षी तो उस चलते पेड़ को देखकर उड़ गए पर हीरामन चारे के लोभ में वहीं रहा। अन्त में बहेलिये ने उसे पकड़ लिया और बाजार में उसे बेचने के लिए ले गया। चित्तौर के एक व्यापारी के साथ एक दीन ब्राह्मण भी कहीं से रुपये लेकर लोभ की आशा से सिंहल की हाट में आया था। उसने सूए को पण्डित देख मोल ले लिया और लेकर चित्तौर आया। चित्तौर में उस समय राजा चित्रसेन मर चुका था और उसका बेटा रत्नसेन गद्दी पर बैठा था। प्रशंसा सुनकर रत्नसेन ने लाख रुपये देकर हीरामन सूए को मोल ले लिया। एक दिन रत्नसेन कहीं शिकार को ग...

रानी सारन्धा

रानी सारन्धा कहानी [ ] अँधेरी रात के सन्नाटे में धसान नदी चट्टानों से टकराती हुई ऐसी सुहावनी मालूम होती थी जैसे घुमुर-घुमुर करती हुई चक्कियाँ। नदी के दाहिने तट पर एक टीला है। उस पर एक पुराना दुर्ग बना हुआ है जिसको जंगली वृक्षों ने घेर रखा है। टीले के पूर्व की ओर छोटा-सा गाँव है। यह गढ़ी और गाँव दोनों एक बुंदेला सरकार के कीर्ति-चिह्न हैं। शताब्दियाँ व्यतीत हो गयीं बुंदेलखंड में कितने ही राज्यों का उदय और अस्त हुआ मुसलमान आये और बुंदेला राजा उठे और गिरे-कोई गाँव कोई इलाका ऐसा न था जो इन दुरवस्थाओं से पीड़ित न हो मगर इस दुर्ग पर किसी शत्रु की विजय-पताका न लहरायी और इस गाँव में किसी विद्रोह का भी पदार्पण न हुआ। यह उसका सौभाग्य था। अनिरुद्धसिंह वीर राजपूत था। वह जमाना ही ऐसा था जब मनुष्यमात्र को अपने बाहुबल और पराक्रम ही का भरोसा था। एक ओर मुसलमान सेनाएँ पैर जमाये खड़ी रहती थीं दूसरी ओर बलवान राजा अपने निर्बल भाइयों का गला घोंटने पर तत्पर रहते थे। अनिरुद्धसिंह के पास सवारों और पियादों का एक छोटा-सा मगर सजीव दल था। इससे वह अपने कुल और मर्यादा की रक्षा किया करता था। उसे कभी चैन से बैठना नसीब न होता था। तीन वर्ष पहले उसका विवाह शीतला देवी से हुआ था मगर अनिरुद्ध विहार के दिन और विलास की रातें पहाड़ों में काटता था और शीतला उसकी जान की खैर मनाने में। वह कितनी बार पति से अनुरोध कर चुकी थी कितनी बार उसके पैरों पर गिर कर रोई थी कि तुम मेरी आँखों से दूर न हो मुझे हरिद्वार ले चलो मुझे तुम्हारे साथ वनवास अच्छा है यह वियोग अब नहीं सहा जाता। उसने प्यार से कहा जिद से कहा विनय की मगर अनिरुद्ध बुंदेला था। शीतला अपने किसी हथियार से उसे परास्त न कर सकी। अँधेरी रात थी। सारी दुनिया सोती थी तारे आका...

मुअनजो

अनुक्रम • 1 मोहन जोदड़ो सभ्यता • 2 इतिहास • 3 विशेषताएँ • 4 प्रसिद्ध जल कुंड • 5 कृषि • 6 नगर नियोजन • 7 संग्रहालय • 8 कला • 9 इन्हें भी देखें • 10 सन्दर्भ • 11 बाहरी कड़ियाँ मोहन जोदड़ो सभ्यता [ ] मोहन जोदड़ो का सिन्धी भाषा में अर्थ है " मुर्दों का टीला "। यह दुनिया का सबसे पुराना नियोजित और उत्कृष्ट शहर माना जाता है। यह सिंघु घाटी सभ्यता का सबसे परिपक्व शहर है। यह नगर अवशेष सिन्धु नदी के किनारे इतिहास [ ] मोहन जोदड़ो- ( मोहन जोदड़ो- को 1922ए में बर्तानवी माहिर असारे क़दीमा विशेषताएँ [ ] मोहन जोदड़ो की खूबी यह है कि इस प्राचीन शहर की सड़कों और गलियों में आप आज भी घूम-फिर सकते हैं। यहाँ की सभ्यता और संस्कृति का सामान भले ही अजायबघरों की शोभा बढ़ा रहें हों, यह शहर जहाँ था आज भी वहीं है। यहाँ की दीवारें आज भी मजबूत हैं, आप यहाँ पर पीठ टिका कर सुस्ता सकते हैं। वह एक खंडहर क्यों न हो, किसी घर की देहलीज़ पर पाँव रखकर आप सहसा-सहम सकतें हैं, रसोई की खिड़की पर खड़े होकर उसकी गंध महसूस कर सकतें है। या शहर के किसी सुनसान मार्ग पर कान देकर उस बैलगाड़ी की रून-झुन सुन सकते हैं जिसे आपने पुरातत्व की तसवीरो में मिट्टी के रंग में देखा है। सच है कि यहाँ किसी आँगन की टूटी-फूटी सीढ़ियाँ अब आपको कहीं नहीं ले जातीं; वे आकाश की तरफ़ अधुरी रह जाती हैं। लेकिन उन अधूरे पायदानों पर खड़े होकर अनुभव किया जा सकता है कि आप दुनिया की छत पर हैं; वहाँ से आप इतिहास को नहीं, उसके वर्तमान पार झाँक रहें हैं। यह नागर भारत का सबसे पुराना थल चिह्न कहा गया है। मोहन जोदड़ो के सबसे खास हिस्से पर बौद्ध स्तूप हैं। प्रसिद्ध जल कुंड [ ] मोहन जोदड़ो की दैव-मार्ग (डिविनिटि स्ट्रीट) नामक गली में करीब चालीस फ़ुट लम्बा और प...

रानी सारन्धा: मुंशी प्रेमचंद की कहानी

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लोथल की प्रसिद्धि के क्या कारण है?

विषयसूची Show • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • 1 लोथल गोदी क्या है? • 2 जहां लोथल स्थित है क्यों लोथल प्रसिद्ध था? • 3 प्र 1 लोथल नगर क्यों प्रसिद्ध था? • 4 लोथल की प्रसिद्धि का क्या कारण है? • 5 हड़प्पा सभ्यता कौन सी नदी पर है? • 6 सिंधु सभ्यता का बंदरगाह कौन सा था? लोथल गोदी क्या है? इसे सुनेंरोकेंलोथल गोदी जो कि विश्व की प्राचीनतम ज्ञात गोदी है, सिंध में स्थित हड़प्पा के शहरों और सौराष्ट्र प्रायद्वीप के बीच बहने वाली साबरमती नदी की प्राचीन धारा के द्वारा शहर से जुड़ी थी, जो इन स्थानों के मध्य एक व्यापार मार्ग था। उस समय इसके आसपास का कच्छ का मरुस्थल, अरब सागर का एक हिस्सा था। मोहनजोदड़ो की खुदाई में क्या मिला? इसे सुनेंरोकेंइनमें गेहूँ, ताँबे और काँसे के बर्तन, मुहरें, वाद्य यंत्र, चाक पर बने बड़े-बड़े मिट्टी के मटके, ताँबे का शीशा, दो पाटों वाली चक्की, माप-तोल के पत्थर, चौपड़ की गोटियाँ, मिट्टी के कंगन, रंग-बिरंगे मनके आदि प्रमुख हैं। जहां लोथल स्थित है क्यों लोथल प्रसिद्ध था? इसे सुनेंरोकेंलोथल (गुजराती: લોથલ), प्राचीन सिंधु घाटी सभ्यता के शहरों में से एक बहुत ही महत्वपूर्ण शहर है। लोथल गोदी जो कि विश्व की प्राचीनतम ज्ञात गोदी है, सिंध में स्थित हड़प्पा के शहरों और सौराष्ट्र प्रायद्वीप के बीच बहने वाली साबरमती नदी की प्राचीन धारा के द्वारा शहर से जुड़ी थी, जो इन स्थानों के मध्य एक व्यापार मार्ग था। रंगपुर कहाँ स्थित है? इसे सुनेंरोकेंरंगपुर गुजरात के काठियावाड़ प्रायद्वीप में सुकभादर नदी के समीप स्थित है। इस स्थल की खुदाई वर्ष 1953-1954 में ए. रंगनाथ राव द्वारा की गई थी। यहाँ पर पूर्व हड़प्पा कालीन संस्कृति के अवशेष मिले हैं। प्र 1 लोथल नगर क्यों प्रसिद्ध थ...