Rajasthan ka mahadhivakta

  1. राजस्थान के महाधिवक्ता
  2. राजस्थान का एकीकरण
  3. राज्य महाधिवक्ता का कार्यकाल कितना होता है?
  4. महाधिवक्ता बद्दल संपूर्ण माहिती
  5. राजस्थान का इतिहास प्राचीन सभ्यताएँ एवं पुरातात्विक स्थल


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राजस्थान के महाधिवक्ता

Table of Contents • • • • • • अनुच्छेद 165 में महाधिवक्ता की व्यवस्था की गयी है। • महाधिवक्ता राज्य का सर्वोच्च कानूनी अधिकारी होता है। • महाधिवक्ता की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है। महाधिवक्ता पद की अर्हताएँ [अनुच्छेद 165 (1)] • महाधिवक्ता में संविधान में महाधिवक्ता का कार्यकाल • संविधान में महाधिवक्ता का कार्यकाल को निश्चित नहीं माना गया है। • राज्यपाल के प्रसादपर्यन्त बना रहता है अर्थात् [अनुच्छेद 165 (3)] • वह अपने पद से त्यागपत्र देकर भी कार्यमुक्त हो सकता है। सामान्यत: वह त्यागपत्र तब देता है जब सरकार ( • वेतन-भत्तों का निर्धारण राज्यपाल द्वारा ही किया जाता है। (संविधान में निश्चित नहीं किया गया है।) कार्य एवं शक्तियाँ राज्य में वह मुख्य कानून अधिकारी होता है। इस नाते महाधिवक्ता के कार्य निम्न है- • राष्ट्रपति द्वारा सौंपे गए विधि संबंधी विषयों पर राज्य सरकार को सलाह दें। • संविधान या किसी अन्य विधि द्वारा प्रदान किए गए कृत्यों पर निर्वहन करना। • अपने कार्य संबंधी कर्त्तव्यों के तहत उसे राज्य के किसी न्यायालय के समक्ष सुनवाई का अधिकार है। राजस्थान के महाधिवक्ता कौन है वर्तमान • महाधिवक्ता विधानसभा या संबंधित समिति अथवा उस सभा में जहाँ के लिए वह अधिकृत है में बोलने व भाग लेने का अधिकार है लेकिन मताधिकार नहीं है। • राज्य • नव सृजित राजस्थान के पहले एडवोकेट जनरल जी.सी. कासलीवाल को मनोनीत किया गया। • एडवोकेट जनरल का कार्यालय राजस्थान सरकार से संबंधित सभी प्रकार के मुकदमों की पैरवी करता है। • ए.जी. कार्यालय की मुख्य पीठ जोधपुर में है तथा इसकी ब्रांच जयपुर में है। • वर्तमान एडवोकेट जनरल ऑफ राजस्थान:- महेन्द्र सिंह सिंघवी।

राजस्थान का एकीकरण

राजस्थान का एकीकरण, Rajasthankaekikaran, राजप्रमुख, प्रधानमंत्री/मुख्यमंत्री, शामिल रियासते, चरण, राज्यपाल, राजस्थान से संविधान निर्मात्री सभा में सदस्य, स्वतंत्रता के समय प्रमुख राजा के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करगे। राजस्थान के एकीकरण के समय कितनी रियासते और ठिकानो के बारे में जानकारी देंगे। Rajasthankaekikaran Table of Contents • • • • • • • • चरण तिथि नाम शामिल रियासते राजधानी प्रधानमंत्री/मुख्यमंत्री राजप्रमुख विशेष विवरण प्रथम 18 मार्च 1948 मत्स्य संघ– अलवर शोभाराम कुमावत(अलवर) के.एम. मुँशी के सुझाव पर नामकरण मत्स्य संघ रखा। द्वितीय 25 मार्च 1948 पूर्व राजस्थान – कोटा गोकुललाल असावा मत्स्य संघ व पूर्व राजस्थान के उद्घाटनकर्ता एन.वी गॉडगिल थे। तृतीय 18 अप्रैल 1948 संयुक्त राजस्थान – पूर्व राजस्थान + प. जवाहर लाल नेहरू द्वारा उद्घाटन चतुर्थ 30 मार्च 1949 वृहत् राजस्थान– संयुक्त राजस्थान + महाराज प्रमुख सरदार वल्लभ भाई पटेल द्वारा उद्घाटन पंचम 15 मई 1949 संयुक्त वृहत राजस्थान– वृहद् राज. + मत्स्य संघ महाराज प्रमुख सरदार वल्लभ भाई पटेल द्वारा उद्घाटन षष्ठम 26 जनवरी 1950 राजस्थान संघ– संयुक्त वृहद् राजस्थान + महाराज प्रमुख राजस्थान को ‘ख’ श्रेणी के राज्यों में स्थान दिया गया। सप्तम् 1 नवम्बर 1956 राजस्थान – राजस्थान संघ में सरदार गुरुमुख निहालसिंह(राज. के प्रथम राज्यपाल) डॉ. फजल अली कीअध्यक्षता में गठित राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिशों के अनुसार व्यवस्था। नामकरण केवल राजस्थान। राजस्थान का एकीकरण rajasthan ka ekikaran kab hua • भारत स्वतन्त्रता अधिनियम– 1947 की आठवीं धारा के अनुसार देशी रियासतों पर से ब्रिटिश प्रभुसत्ता का अंत हो गया। • इस धारा के अनुसार अब देशी ...

राज्य महाधिवक्ता का कार्यकाल कितना होता है?

राज्य महाधिवक्ता का कार्यकाल निश्चित अवधि का नहीं होता है। वह अपने पद पर राज्यपाल के प्रसादपर्यन्त बना रहता है अर्थात् उसे राज्यपाल द्वारा कभी भी हटाया जा सकता है। वह अपने पद से त्यागपत्र देकर भी कार्यमुक्त हो सकता है। केंद्र की संरचना क समान, संविधान ने राज्यों के लिए अनुच्छेद 165 के तहत राज्य के महाधिवक्ता पद का प्रावधान किया है। महाधिवक्ता की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है। महाधिवक्ता पद के आकांक्षी व्यक्ति में उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनने की योयता होनी चाहिए। राज्य के संदर्भ में उसके लिए वही शक्तियां, कर्तव्य और सेवा शर्तें निर्धारित की गई हैं जो केंद्र के मामले में महान्यायवादी, के लिए निर्धारित है। Tags :

महाधिवक्ता बद्दल संपूर्ण माहिती

Must Read (नक्की वाचा): • राज्य सरकार आणि राज्यपाल यांना कायदेशीर सल्ला देण्यासाठी भारतीय कलम 165 नुसारच एक महाधिवक्त्याचे पद निर्माण केलेले आहे. • हा महाधिवक्ता राज्य सरकारचा वकील म्हणूनदेखील काम करतो. • या महाधिवक्त्याला अनेक वैधानिक स्वरूपाचे कार्य पार पाडावी लागतात. त्यामुळे महाधिवक्याला घटक राज्याचा प्रथम कायदा अधिकारी म्हणून ओळखले जाते. अशा महाधिवक्त्याची नेमणूक पुढीलप्रमाणे केली जाते- 1. नेमणूक • महाधिवक्त्याची नेमणूक राज्याचे राज्यपाल करतात. • महाधिवक्त्याला आपले पदग्रहण करण्यापूर्वी राज्यपालासमोर विशिष्ट स्वरुपात शपथ घ्यावी लागत असते. • राज्यपालाच्या मते अनुभवी व तज्ज्ञ व्यक्तीचीच नेमणूक महाधिवक्ता पदासाठी केली जाते. • 2. पात्रता • भारतीय घटना कलम 165 नुसार महाधिवक्ता पदावर नियुक्त होणार्‍या पुढील पात्रता असणे आवश्यक आहे. • ती व्यक्ती भारताची नागरिक असावी. • त्याचे वय 62 वर्षांपेक्षा जास्त नसावे. • त्यांनी भारतातील कोणत्याही न्यायालयामध्ये 10 वर्षे न्यायाधीश म्हणून किंवा उच्च न्यायालयात 5 वर्षे वकील म्हणून कार्य केले असावे. • संसदेने वेळोवेळी कायदा करून विहित केलेल्या अटी त्याने पूर्ण केलेल्या असाव्यात. • राज्यपालाच्या मते ती व्यक्ती निष्णात कायदेपंडित असावी. • उच्च न्यायालयात न्यायाधीशांच्या पात्रता त्या व्यक्तीच्या अंगी असाव्यात. 3. कार्यकाल • भारतीय राज्यघटनेत महाधिवक्त्याच्या तसा कार्यकाल ठरवून दिलेला नाही परंतु त्याचे निवृत्ती वय 62 वर्षे ठरवून दिलेले आहे. याचाच अर्थ असा की, महाधिवक्ता वयाच्या 62 वर्षापर्यंत आपल्या अधिकारपदावर कार्य करू शकतो असे असले तरी महाधिवक्ता मुदतपूर्व आपल्या पदाचा राजीनामा देऊ शकतो. याशिवाय त्याने घटनेचा भंग केला असेल किंवा घटना विरोधी...

राजस्थान का इतिहास प्राचीन सभ्यताएँ एवं पुरातात्विक स्थल

राजस्थान अपनी जटिल भू-जैविकीय संरचना के लिये जाना जाता है। इस सम्पूर्ण प्रदेश को अरावली पर्वत माला दो भिन्न भागों में बांटती है। इस पर्वतमाला के पूर्व का भाग हरा-भरा क्षेत्र है तो पश्चिमी भाग बलुई स्तूपों वाला रेगिस्तान। प्रागैतिहासिक काल में विश्व दो भूखण्डों- अंगारालैण्ड तथा गौंडवाना लैण्ड में बंटा हुआ था। इन दोनों भूखण्डों के बीच में टेथिस महासागर था। राजस्थान के मरुस्थलीय एवं मैदानी भाग टेथिस सागर को नदियों द्वारा लाई गई मिट्टी से पाट दिये जाने से बने जबकि गौंडवाना लैण्ड के एक अंश के विलग होकर उत्तर की ओर खिसकने से राजस्थान के अरावली पर्वत एवं दक्षिणी पठार बने। प्राचीन सभ्यताएँ एवं पुरातात्विक स्थल • इतिहास को प्रागैतिहासिक काल, आद्यऐतिहासिक काल एवं ऐतिहासिक काल में विभाजित किया जाता है। • ऐसा काल जिसके संबंध में मानव के इतिहास के बारे में कोई लिखित सामग्री उपलब्ध नहीं होती है उसे प्रागैतिहासिक काल कहते हैं। • ऐसा काल जिसके संबंध में लिखित सामग्री उपलब्ध है लेकिन जिसे अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है उसे आद्यऐतिसाहिक काल कहते हैं। जैसे- सिन्धुघाटी सभ्यता। • ऐसा काल जिसके संबंध में प्राप्त लिखित सामग्री को पढ़ा जा सकता है उसे ऐतिहासिक काल कहते हैं। राजस्थान की प्रमुख सभ्यताएँ :- क्र. सं. सभ्यता जिला नदी 1. कालीबंगा हनुमानगढ़ सरस्वती (घग्घर) 2. आहड़ उदयपुर आयड़ (बेड़च) 3. गिलूण्ड राजसमन्द बनास 4. बागोर भीलवाड़ा कोठारी 5. बालाथल उदयपुर बेड़च 6. गणेश्वर सीकर कांतली 7. रंगमहल हनुमानगढ़ सरस्वती (घग्घर) 8. ओझियाना भीलवाड़ा खारी 9. नोह भरतपुर रूपारेल 10. नगरी चित्तौड़गढ़ बेड़च 11. जोधपुरा जयपुर साबी 12. सुनारी झुंझुनूं कांतली 13. तिलवाड़ा बाड़मेर लूनी 14. रैढ़ टोंक ढील 15. गरदड़ा बूँदी छाजा 16. बैरा...