Rajnitik siddhant kya hai

  1. क्या राजनीतिक सिद्धांत मूल्य निरपेक्ष हो सकता है?
  2. राजनीतिक सिद्धांत के पतन पर संक्षेप में एक लेख लिखिए।
  3. राजनीतिक दर्शन
  4. राजनीति सिद्धांत क्या है इसकी प्रकृति एवं महत्ता पर प्रकाश डालें?
  5. राजनीति सिद्धांत
  6. राजनीतिक सिद्धांत के पतन के प्रमुख कारणों पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  7. स्वतंत्रता और समानता में अंतर
  8. Class 11 rajnitik Siddhant Notes Chapter 1. राजनीतिक सिद्धांत


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क्या राजनीतिक सिद्धांत मूल्य निरपेक्ष हो सकता है?

क्या राजनीतिक सिद्धांत मूल्य निरपेक्ष हो सकता है? राजनीतिक विज्ञान में मूल्य निरपेक्षता की सम्भावना पर विचारकों में मतभेद है। क्योंकि कुछ विचारकों का यह मानना है कि मूल्य निरपेक्षता की सम्भावना राजनीति में हो सकती है। परन्तु कुछ इसकी सम्भावना को नकारते हैं। अतः इस प्रकार राजनीति विज्ञान में तथ्यों के मूल्य निरपेक्ष के अध्ययन के संबंध में विचारकों के दो दृष्टिकोण बन गए है अनुभववादी तथा अनुभवेतरवादी। पहला दृष्टिकोण विचारकों का मत है कि राजनीति का एक महत्त्वपूर्ण व सारभाग तटस्थ तथा वस्तुनिष्ठ रह कर भी अध्ययन किया जा सकता है। अर्थात् पहले वर्ग के विचारक तथ्य मूल्य पृथकता के समर्थक हैं, लेकिन अनुभवेतरवादी तथ्यों तथा मूल्यों की पृथकता का विरोध करते हैं। उनके अनुसार तथ्यों को मूल्यों से अलग करना अवांछनीय ही नहीं, बल्कि असम्भव भी है। अनुभवेतरवादी का मत है कि राजनीति का अध्ययन वैज्ञानिक नहीं हो सकता है। इसको ऐसा होना भी नहीं चाहिए, लेकिन इसके विपरित अनुभववादियों का मत है कि मूल्यों का कोई भी स्त्रोत हो, लेकिन तथ्यों की उपलब्धि उनके वैज्ञानिक अध्ययन की सम्भावना का प्रतीक है। राजनीतिक विज्ञान का अध्ययन मूल्य निरपेक्ष होना चाहिए। इस समस्या को तथ्य मूल्यों की समस्या की संज्ञा दी जाती है। वे विचारक अनुभववादी कहलाते जो तथ्यों को विश्लेषण का आधार मानते हैं। लेकिन जो विचारक तथ्यों के विश्लेषण को आधार बनाना चाहते हैं वे अनुभवेतरवादी विचारक कहलाते हैं। आधुनिक अनुभववादियों की इस संबंध में दो धारणायें हैं - • पहली धारणा के अन्तर्गत स्वयं को मूल्य निरपेक्ष रखते हुए निर्दिष्ट मूल्यों के साथ तथ्यों का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाये। • दूसरी धारणा यह कि उदात्त व व्यापक मूल्यों का स्पष्ट उल्लेख करके उन...

राजनीतिक सिद्धांत के पतन पर संक्षेप में एक लेख लिखिए।

राजनीतिक सिद्धांत के पतन पर संक्षेप में एक लेख लिखिए। राजनीतिक सिद्धांत का पतन किसी भी सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक उथल-पुथल के न होने के कारण, डेविड ईस्टन के अनुसार - राजनीतिक सिद्धान्तों का पतन हो रहा है। डेविड ईस्टन के अनुसार, “समसामयिक राजनीतिक विचार एक शताब्दी पुराने विचारों पर परजीवी के रूप में जीवित हैं और सबसे बड़ी हतोत्साही बात यह है कि हम नये राजनीतिक संश्लेषणों के विकास की कोई सम्भावना नहीं देखते हैं।" राजनीतिक सिद्धांत के पतन का कारण इस विषय को इतिहास के अध्ययन से ढूँढा जा सकता है। जी० एच० सेबाइन, डनिंग, ऐलन आदि लेखकों की रचनाओं से पता चलता है, इन्हें नये मूल्य सिद्धांत के विश्लेषण और निर्माण करने में रुचि की अपेक्षा पुराने राजनीतिक मूल्यों के ऐतिहासिक विकास एवं आन्तरिक संगतता व अभिप्राय के बारे में जानकारी को बनाये रखने के विचार से प्रेरणा मिलती है। ईस्टन के अनुसार, इतिहासकारों की प्रवृत्ति में गतिशीलता का अभाव है। ईस्टन ने राजनीतिक हास सम्बन्धी वाद-विवाद का आरम्भ किया था। कोबां नीको के अनुसार समसामयिक राजनीतिक सिद्धांत प्रगतिशील विज्ञान नहीं है। यह अपने आपको नई परिस्थितियों के प्रकाश में सुधार नहीं पाया है। यह एक घिसा हुआ सिक्का लगता है जिसको फिर से ढाले जाने की आवश्यकता है। कोबां ने कहा कि राजनीतिक सिद्धांत सक्रिय राजनीतिक जीवन की उपज है। लोकतान्त्रिक प्रणाली की सफलता को एक विशेष अर्थ में राजनीतिक सिद्धांत के ह्रास के लिये जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। कुछ महान् लेखकों और सिद्धांतशास्त्रियों की ऐसी सनक है जिसके द्वारा वह राज्य को सत्ता के रूप में देखते हैं। कोबां भी अपने ध्येय के लिये इतिहासवाद की आलोचना करता है। कोबां इस बात की ओर संकेत करता है कि समसामयिक रा...

राजनीतिक दर्शन

थॉमस हॉब्स की पुस्तक 'लेवियाथन' राजनीतिक दर्शन की सबसे महत्वपूर्ण रचनाओं में से एक है। विधा विवरण अधिवर्ग विषयवस्तु सामूहिक जीवन को कैसे व्यवस्थित किया जाए - हमारी राजनीतिक-समाजिक संस्थाएं और,आर्थिक प्रणाली और पारिवारिक जीवन की नीति शाखाएं व उपवर्ग प्रमुख विद्वान् इतिहास प्रमुख विचार व अवधारणाएं विधि, संविधान, सरकार के प्रकार, राजनीतिक समानता, अनुक्रम • 1 परिचय • 1.1 राजनीतिक सिद्धान्त की आधारभूत विशेषताएँ • 2 राजनीतिक सिद्धान्त का अन्य विषयों से संबंध • 2.1 राजनीतिक सिद्धान्त और राजनीतिक दर्शन • 2.2 राजनीतिक सिद्धान्त तथा राजनीतिक चिन्तन • 2.3 राजनीतिक सिद्धान्त तथा राजनीति विज्ञान • 3 राजनीतिक सिद्धान्त के लिए महत्त्वपूर्ण प्रश्न • 4 राजनीतिक सिद्धान्त की प्रासंगिकता • 4.1 राजनीतिक चिन्तन का महत्व • 5 प्रमुख राजनीतिक विचारक और उनके सिद्धांत • 5.1 प्राचीन राजनीतिक दार्शनिक • 5.2 मध्यकालीन राजनीतिक दार्शनिक • 5.3 आधुनिक राजनीतिक दार्शनिक • 5.4 समकालीन राजनीतिक दार्शनिक • 6 राजनीतिक सिद्धान्त की महत्त्वपूर्ण धाराएँ • 7 सन्दर्भ • 8 इन्हेंभीदेखें • 9 बाहरी कड़ियाँ परिचय [ ] ' राजनीतिक सिद्धान्त की परिभाषा करते हुए राजनीतिक जीवन के बारे में ऐसी अवधारणाओं और सामान्यीकरणों का एक ताना-बाना है ‘जिनका संबंध सरकार, राज्य और समाज के स्वरूप, प्रयोजन और मुख्य विशेषताओं से तथा मानव प्राणियों की राजनीतिक क्षमताओं से संबंधित विचारों, मान्यताओं एवं अभिकथनों से है। एंड्रू हैकर की परिभाषा के अनुसार- राजनीतिक सिद्धान्त एक ओर अच्छे राज्य और अच्छे समाज के सिद्धान्तों की तटस्थ तलाश और दूसरी ओर राजनीतिक तथा सामाजिक यथार्थ की तटस्थ खोज का संयोग है। गुल्ड और कोल्ब ने • राजनीतिक दर्शन - राजनीति का ए...

राजनीति सिद्धांत क्या है इसकी प्रकृति एवं महत्ता पर प्रकाश डालें?

Table of Contents Show • • • • • • • अथवा" राजनीतिक सिद्धांत से आप क्या समझते है? राजनीतिक सिद्धांत की उपयोगिता पर प्रकाश डालिए। अथवा" राजनीतिक सिद्धांत क्या है? राजनीतिक सिद्धांत के लाभों का वर्णन कीजिए। अथवा" राजनीतिक विज्ञान में राजनीतिक सिद्धांत की भूमिका स्पष्ट कीजिए। उत्तर-- राजनीतिक सिद्धांत का अर्थ (rajnitik siddhant kya hia) राजनीतिक सिद्धांत राजनीतिक घटनाओं, तथ्यों और अवलोकन पर आधारित निष्कर्षों के समूह को कहते हैं। ये निष्कर्ष परस्पर सम्बद्ध होते हैं तथा इनके आधार पर वैसे ही तथ्यों या घटनाओं की व्याख्या या पूर्व कथन किया जा सकता हैं। नवीन घटनाओं एवं तथ्यों के सन्दर्भ में उक्त निष्कर्षों एवं उपलब्धियों में सुधार या संशोधन किया जाता हैं। अनुभव पर आधारित तथ्यों की जांच की जा सकती हैं तथा उन्हें दूसरे व्यक्तियों तक संचारित या प्रेषित किया जा सकता हैं। इस तरह राजनीतिक सिद्धांत राजनीति से निष्कर्षों का समूह हैं। राजनीतिक सिद्धांत अंग्रेजी भाषा के शब्द Political Theory का हिंदी रूपांतरण हैं। Theory शब्द की उत्पत्ति यूनायी भाषा के Theoria से हुई हैं, जिसका अर्थ होता हैं-- एक ऐसी मानसिक दृष्टि जो एक वस्तु के अस्तित्व और उसके कारणों को प्रकट करती हैं। कार्ल पाॅपर की के मतानुसार सिद्धांत एक प्रकार का जाल है, जिसमें संसार को समझा जा सकता हैं। ये एक ऐसी मानसिक स्थिति है जो एक वस्तु के अस्तित्व और उसके कारणों को सामने रखती हैं। वर्तमान समय में राजनीति सिद्धान्त शब्दावली का प्रयोग विस्तृत अर्थ में होता है। राजनीति सिद्धान्त, राजनीति के अथवा उसके विषय से जुड़ा एक सिद्धान्त है। यह राजनीति का विज्ञान है, उसका दर्शन है और उसका इतिहास भी है। अपने शाब्दिक रूप में यह दो शब्दों से मिल...

राजनीति सिद्धांत

राजनीति सिद्धांत-एक परिचय (An introduction of Political Theory) इसको पढ़कर हम जानेंगे कि राजनीति किसे कहते हैं । राजनीति का अध्ययन हम सबके लिए क्यों जरूरी है । राजनीति के सिद्धांत को किस तरीके से व्यवहार में लाया जाता है । और व्यवहार में कौन-कौन सी समस्याएं आती हैं । राजनीति का अर्थ Meaning of Political Science सबसे पहले हम जानते हैं कि राजनीति किसे कहते हैं ? राजनीति को अधिकतर नकारात्मक अर्थों में ही जाना जाता है । राजनीति का नकारात्मक अर्थ है । “अच्छे और बुरे सभी साधनों का इस्तेमाल करके अपनी आवश्यकता और उद्देश्यों को पूरा करना ।” इस वजह से ही राजनीति को कई हिस्सों में बांटा जाने लगा है । जैसे घरेलू राजनीति, स्कूल की राजनीति, कॉलेज की राजनीति, मोहल्ले की राजनीति, गांव की राजनीति, शहरों की राजनीति आदि । इस तरीके से झूठ बोलकर, धोखा देकर या बेईमानी कर के अपने उद्देश्यों को पूरा करना ही राजनीति कहलाता है । लेकिन यह राजनीति का असली मतलब नहीं है । “राजनीति का असली मतलब है निर्णय लेने की प्रक्रिया । “ निर्णय लेने की प्रक्रिया सार्वभौमिक होती है यानी सभी जगह एक समान होती है । प्राचीन काल में निर्णय लेने की प्रक्रिया के अंदर कुछ सीमित लोग ही भाग लेते थे । जैसे कि राजतंत्र के अंदर राजा और राज घराने के लोग, कुलीन तंत्र के अंदर कुलीन वर्ग के लोग, सैनिक शासन के अंदर सैनिक अधिकारी और बड़े बड़े अधिकारी ही राजनीतिक निर्णय के अंदर भाग लेते थे । यानी Participate करते थे । लेकिन 20 वी शताब्दी में ज्यादातर देशों में लोकतंत्र को अपनाया जाने लगा । लोकतंत्र के आने की वजह से निर्णय लेने की प्रक्रिया सार्वभौमिक हो गई है । क्योंकि सभी लोगो को वोट डालने का अधिकार दिया गया है, जिससे जनता को भी निर्ण...

राजनीतिक सिद्धांत के पतन के प्रमुख कारणों पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।

राजनीतिक सिद्धांत के पतन के प्रमुख कारणों पर प्रकाश डालिए। • इतिहासवाद का राजनीतिक सिद्धांत के पतन में योगदान । • राजनीतिक सिद्धांत के पतन हेतु उत्तरदायी कारकों का उल्लेख कीजिए। • राजनीतिक सिद्धांत के पतन के कारणों का उल्लेख कीजिए। राजनीतिक सिद्धांत के पतन के कारण (Causes for the Decline of Political Theory) डेविड ईस्टन तथा अल्फ्रेड कॉबेन जैसे विद्वानों ने राजनीतिक सिद्धान्तों के ह्रास (पतन) कारणों की विस्तार से विवेचना की है। डेविड ईस्टन के अनुसार राजनीतिक सिद्धान्तों का अभ्युदय और उत्कर्ष सामाजिक अस्त-व्यस्तता और परिवर्तन की दशा में होता है। प्राचीन यूनान सामाजिक-राजनीतिक उथल-पुथल ने प्लेटो और अरस्तू जैसे महान् विचारकों को जन्म दिया, इसी प्रकार मध्ययुग ने सामाजिक चिन्तकों को जन्म दिया। उनमें एक ओर सन्त आगस्टाइन सन्त और टॉमस एक्वीनास जैसे महान विचारक हैं जिन्होंने चर्च की सर्वोपरिता का समर्थन किया दूसरी ओर पाडुआ के मार्सीलियो और ओकम के विलियम हुए जिन्होंने राज्य को सर्वोच्च स्थानदिया। इंग्लैण्ड में 16वीं और 17वीं शताब्दी में राजदर्शन के अभ्युदय का कारण गहन धार्मिकऔर राजनीतिक विवाद की स्थिति रही है अथवा 18वीं शताब्दी में महान क्रान्ति की कोख से फ्रांसमें नवीन राजनीतिक विचारों का उदय हुआ। 20वीं शताब्दी के मध्य में जैसा कि डेविड ईस्टन का कहना है हम सामाजिक तनाव औरसांस्कृतिक परिवर्तन के बुनियादी संकट से गुजर रहे हैं। किन्तु यह आश्चर्य की बात है कि दुनियाके किसी भी कोने में राजनीतिक दर्शन का उत्कर्ष नहीं हुआ। डेविड ईस्टन के शब्दों में, “समसामयिक राजनीतिक विचार एक शताब्दी पुराने विचारों पर परजीवी के रूप में जीवित हैं और सबसे बड़ी हतोत्साही बात यह है कि हम नए राजनीतिक संश्लेषणों...

स्वतंत्रता और समानता में अंतर

समानता और स्वतंत्रता के बीच संबंध: विचारकों के एक समूह द्वारा स्वतंत्रता और समानता की अवधारणाओं को व्यक्तिगत शक्ति के प्रभाव के अपवाद के रूप में परिभाषित किया गया है। स्वतंत्रता को संस्करण क्या करना है के बजाय प्रभाव से स्वतंत्रता के रूप विचार विमर्श किया गया है। इससे पता चलता है कि आदर्श वैचारिक स्तर पर पूर्ण स्वतंत्रता ही समानता का अर्थ है। स्वतंत्रता और समानता के बीच का संबंध जटिल है क्योंकि इसके लिए कुछ लोग हैं जिन्होंने समय की शुरुआत से संघर्ष किया है और आज तक संघर्षरत है। ये दो शब्द दृढ़ता से जुड़े हुए हैं, हालांकि अविभाज्य नहीं हैं। समानता का सरल अर्थ है। यह गुणवत्ता, शक्ति, स्थिति या डिग्री में समानता या समानता है। सरल शब्दों में, यह अन्य लोगों के समान ही है। स्वतंत्रता नियंत्रित या सीमित होने के बावजूद कार्य करने और सोचने में सक्षम होने की स्थिति है। इन दोनों के बीच संबंध स्वतंत्रता प्राप्त करने से पहले शुरू होता है। स्वतंत्रता के बिना, किसी के पास दूसरों के बराबर होने की क्षमता नहीं है, क्योंकि वह वह नहीं कर सकता जो वह चाहता है। टोकेविले ने कहा कि "जब तक मनुष्य पूरी तरह से स्वतन्त्र नहीं हो जाते, वे बिल्कुल समान नहीं हो सकते।" जो स्वतंत्र नहीं है उसके पास एक मालिक है जो उसके लिए अपनी पसंद के हिसाब से नियम कानून बनाता है। अपने आप को स्वामी से छुटकारा दिलाने और राजनीतिक स्वतंत्रता हासिल करने का एकमात्र तरीका शासन के खिलाफ सफलतापूर्वक विद्रोह करना है। इस विद्रोह के साथ, सभी लोगों के पास अब कार्य करने का अवसर है जो वे चाहते हैं और इस वजह से उन्हें समान माना जाता है। एक बार जब वे अपने मानव स्वामी से मुक्त हो जाते हैं, तो वे अपनी मर्जी से निर्देशित जीवन जीने में सक्षम ...

Class 11 rajnitik Siddhant Notes Chapter 1. राजनीतिक सिद्धांत

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