Rajnitik siddhant se aap kya samajhte hain

  1. वैश्वीकरण
  2. राजनीतिक आधुनिकीकरण का अर्थ और विशेषताएं – Gyaan Uday
  3. सामाजिक आंदोलन से आप क्या समझते हैं ? सामाजिक आंदोलनों के प्रमुख कारण बताइए।
  4. राज्य की परिभाषा क्या है
  5. राजनीतिक सिद्धांत का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं, महत्व
  6. रूसो का सामान्य इच्छा का सिद्धान्त
  7. 01: राजनीतिक सिद्धांत


Download: Rajnitik siddhant se aap kya samajhte hain
Size: 34.27 MB

वैश्वीकरण

Table of Contents • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • • आज के आर्टिकल में वैश्वीकरण (Globalization) के बारे में पढ़ेंगे। इसके अन्तर्गत हम वैश्वीकरण/भूमंडलीकरण क्या है (Globalization Meaning in Hindi), वैश्वीकरण का इतिहास (History of globalization in hindi), वैश्वीकरण के कारण (Vaishvikaran Ke Karan), वैश्वीकरण के लाभ और हानि (Vaishvikaran Ke Labh or Haniya), वैश्वीकरण के आयाम (vaishvikaran ke aayam) के बारे में जानेंगे। वैश्वीकरण क्या है – Globalization Meaning in Hindi • वैश्वीकरण अंग्रेजी शब्द ‘Globalization’ (ग्लोबलाइजेशन) का हिन्दी रूपान्तरण है, जिसे भूमंडलीकरण (Bhumandalikaran) भी कहा जाता है। • ग्लोबलाइजेशन शब्द की सर्वप्रथम चर्चा ’जान नेसविर’ की पुस्तक से मिलती है। • ’ग्लोबलाईजेशन’ (1998) समाजशास्त्री मेलकाॅम वाटर्स द्वारा लिखित पुस्तक है। • वैश्वीकरण दो शब्दों से मिलकर बना है विश्व + एकीकरण इन दो शब्दों में विश्व का मतलब है पृथ्वी पर मौजूद विभिन्न देश तथा एकीकरण का मतलब है आपसी सहयोग और एक छत के नीचे आकर एक दूसरे की मदद करना। वैश्वीकरण का अर्थ – Vaishvikaran Ka Arth किसी वस्तु, सेवा, विचार पद्धति, पूँजी, बौद्धिक सम्पदा अथवा सिद्धान्त को विश्वव्यापी करना अर्थात् विश्व के प्रत्येक देश का अन्य देशों के साथ अप्रतिबन्धित आदान-प्रदान करना। वैश्वीकरण/भूमंडलीकरण से आप क्या समझते हैं – Vaishvikaran Se Aap Kya Samajhte Hain वैश्वीकरण (Globalization) विभिन्न देशों के लोगों, कंपनियों और सरकारों के बीच बातचीत और एकीकरण की प्रक्रिया है। वैश्वीकरण में संपूर्ण विश्व को एक बाजार का रूप प्रदान किया जाता है। वैश्वीकरण से आशय विश्व अर्थव्यवस्था में आये खुलेपन,...

राजनीतिक आधुनिकीकरण का अर्थ और विशेषताएं – Gyaan Uday

What is Political Modernisation? Meaning and Characteristics Hello दोस्तों ज्ञानोदय में आपका एक बार फिर स्वागत है और आज हम जानेंगे राजनीति विज्ञान में राजनीतिक आधुनिकीकरण (Political Modernization in hindi) के बारे में । यह राजनीति विज्ञान की एक नई अवधारणा है । जो राजनीतिक चिंतन के द्वारा में पैदा हुई है । इस अवधारणा को राजनीतिक मामलों में रचनात्मक बदलाव का प्रतीक भी माना जाता है । जो राजनीति को प्रगतिशीलता और उन्नति की ओर ले जाती है । आधुनिकीकरण का अर्थ (Meaning of Modernisation) इसे अंग्रेजी भाषा में मॉडर्नाइजेशन कहा जाता है । जो Modern शब्द से बना है और इसका मतलब है, पुरानी परंपराओं को छोड़कर नई और नव परिवर्तित योजनाएं बनाना । आधुनिकीकरण प्रगति की ओर जाने वाली एक प्रक्रिया है । राजनीतिक आधुनिकीकरण एक जटिल तथा उलझी हुई प्रक्रिया है । जिसका प्रभाव हमेशा सभी क्षेत्रों सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक सांस्कृतिक पर पड़ता है । राजनीतिक आधुनिकीकरण का अर्थ (Meaning of Political Modernisation) यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें कोई समाज परंपरागत मूल्यों, पुरानी रीतिरिवाजों और संस्थाओं से आगे बढ़कर आधुनिक युग के अनुरूप जीवन पद्धति अपना लेता है । यह एक व्यापक प्रक्रिया है, जो समाज में सामाजिक संचालन और आर्थिक विकास के फल स्वरुप राजनीतिक परिवर्तनों को अपनाता है । इसे ही राजनीतिक आधुनिकरण का नाम दिया जाता है । आइये अब जानते हैं, राजनीतिक विचारकों ने आधुनिकीकरण के बारे में क्या कहा है । राजनीतिज्ञ विचारक क्लाड केल्ब के अनुसार “आधुनिकीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जो साधनों के विवेकपूर्ण प्रयोग पर आधारित होती है तथा आधुनिक समाज की स्थापना से युक्त होती है ।” कोलमैन के अनुसार “नगरीकरण, व्यापक साक्षरता,...

सामाजिक आंदोलन से आप क्या समझते हैं ? सामाजिक आंदोलनों के प्रमुख कारण बताइए।

विषय सूची सामाजिक आंदोलन का अर्थ सामाजिक आंदोलन का अर्थ है समाज में पतिवर्तन के लिए किया गया आंदोलन। समाज में अनेक परिवर्तन लोगों द्वारा व्यक्तिगत एवं सामूहिक रूप में प्रयत्नों द्वारा लाये गये हैं। ऐसे प्रयत्नों को सामाजिक आंदोलन की संज्ञा दी जाती है। अतः सामाजिक आंदोलन की परिभाषा करते हुए कहा जा सकता है कि "यह एक समग्रता है जो समाज अथवा समूह, जिसका यह अंग है, में परिवर्तन लाने अथवा रोकने के लिए कुछ निरन्तरता से कार्य कर रहा है।"लुंडबर्ग एवं अन्य ने सामाजिक आंदोलन की परिभाषा इस प्रकार की है, "यह विशालतर समाज से अभिवृत्तियों, व्यवहार एवं सामाजिक सम्बन्धों में परिवर्तन लाने हेत इकट्रे प्रयत्नों में लीन लोगों की ऐच्छिक समिति है।" इस प्रकार, सामाजिक आंदोलन समाज में परिवर्तन लाने के लिए किसी समिति द्वारा प्रयत्न है। सामाजिक आंदोलन किसी परिवर्तन को रोकने के लिये भी किया जा सकता है। कुछ आंदोलनों का उद्देश्य वर्तमान सामाजिक व्यवस्था के कुछेक पहलुओं को बदलना होता है, जबकि अन्य आंदोलनों का उद्देश्य इसे पूर्णतया परिवर्तित करना होता है। पूर्वोक्त को सुधार-आंदोलन तथा अंतोक्त को क्रांतिकारी आंदोलन कहा जाता है। सामाजिक आंदोलन के प्रकार सामाजिक आंदोलन विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं, यथा धार्मिक आंदोलन, सुधार आंदोलन, क्रांतिकारी आंदोलन, राजनीतिक आंदोलन आदि। सामाजिक आंदोलनों का संस्थाओं से अन्तर स्पष्ट कर देना वांछनीय होगा। प्रथमतया सामाजिक संस्थाएँ संस्कृति के अपेक्षतया स्थायी एवं स्थिर तत्व होती हैं, जबकि सामाजिक आंदोलनों का जीवन अनिश्चित होता है। विवाह एक स्थायी सामाजिक संस्था है, परन्तु परिवार नियोजन आंदोलन का काल निश्चित नहीं है। दूसरे, संस्थाओं को संस्थागत स्थिति प्राप्त होती है। उन्हे...

राज्य की परिभाषा क्या है

राज्य उस संगठित इकाई को कहते हैं जो एक शासन (सरकार) के अधीन हो। राज्य संप्रभुतासम्पन्न हो सकते हैं। इसके अलावा किसी शासकीय इकाई या उसके किसी प्रभाग को भी राज्य कहते हैं, जैसे भारत के प्रदेशों को भी राज्य कहते हैं। राज्य की परिभाषा विभिन्न दृष्टिकोणों से की गर्इ है। इस कारण राज्य की अनेक परिभाषाएं हैं, उनमें निम्नलिखित मुख्य हैं- अरस्तु के अनुसार - ‘‘राज्य परिवारों व ग्रामों का एक ऐसा समुदाय है, जिसका उद्देश्य पूर्ण और आत्म-निर्भर जीवन की प्राप्ति है। ‘‘ जीन बोदाँ के अनुसार - ‘‘राज्य परिवारों का एक संघ है, जो किसी सर्वोच्च शक्ति और तर्क बुद्धि द्वारा शासित होता है।’’ डॉ. गार्नर के अनुसार - ‘‘राजनीति विज्ञान और सार्वजनिक कानून की धारणा के रूप में राज्य, संख्या के कम या अधिक व्यक्तियों का एक ऐसा समुदय है जो कि किसी निश्चित भू-भाग पर स्थायी रूप से निवास करता हो तथा बाह्य नियंत्रण से पूर्णत: या लगभग स्वतंत्र हो और जिसकी एक ऐसी संगठित सरकार हो, जिसके आदेशों का पालन निवासियों का विशाल समुदाय स्वभावत: करता है।’’

राजनीतिक सिद्धांत का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं, महत्व

• थ्यूरिया (Theoria) जिसका अर्थ है जो हमारे आसपास घटित हो रहा है उसे समझने की क्रिया अथवा प्रक्रिया इसे‘सैद्धान्तीकरण’ (Theorizing) कहा जाता है तथा • थ्योरमा (Theorema) जिसका अर्थ है वह निष्कर्ष जो इस सैद्धान्तीकरण की प्रक्रिया के परिणामस्वरूप निकलते हैं, इन्हें थ्योरम (Theorem) कहा जाता है। इन दोनों शब्दावलियों की पहली विशिष्टता यह है कि ये सैद्धान्तीकरण प्रक्रिया (activity of theorizing) तथा इस प्रक्रिया से निकलने वाले निष्कर्षों (outcome of the activity) में अन्तर करती हैं। अर्थात् शब्द सैद्धान्तीकरण का सम्बन्ध किसी घटना को समझने का प्रयत्न है। इसका अभिप्राय किसी परिणाम अथवा निष्कर्ष को सिद्ध करना अथवा उसे वैध ठहराना नहीं है। यह केवल खोज, अन्वेषण अथवा जाँच की प्रक्रिया है। सैद्धान्तीकरण उन घटनाओं के इर्द-गिर्द आरम्भ होता है जो हमारे आसपास घटित हो रही होती है और जिनके बारे में हम थोड़ा-बहुत जानते हैं और सैद्धान्तीकरण की प्रक्रिया इसलिए आरम्भ होती है क्योंकि सिद्धांतकार इन घटनाओं के प्रति अधूरे ज्ञान से असंतुष्ट होता है और वह इसे विस्तारपूर्वक एवं तार्किक स्तर पर समझना चाहता है। अत: सैद्धान्तीकरण का अभिप्राय किसी विषय अथवा घटना को समझने का निरन्तर, अविरल, अबाध प्रयत्न होता है। यह ऐसे विषय अथवा घटना से आरम्भ होता है जिसके बारे में हम थोड़ा बहुत जानते हैं परन्तु जिसे विस्तारपूर्वक और स्पष्ट रूप से जानने की आवश्यकता है अर्थात् यह किसी घटना अथवा विषय के बारे में और अधिक जानने तथा ज्ञान प्राप्त करने की प्रक्रिया है और इसका मूल मन्त्र है-’समाप्त’ शब्द का नाम मत लो (Never say the end) अर्थात् समझने की यह प्रक्रिया उतनी देर तक चलती रहेगी जब तक कि घटनाएँ अथवा विषय पूरी तरह पारदश्र...

रूसो का सामान्य इच्छा का सिद्धान्त

B. A. II, Political Science I प्रश्न 10. रूसो के सामान्य इच्छा के सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए। अथवा "रूसो का प्रभुसत्ताधारी हॉब्स का शीशविहीन लेवियाथन है।" परीक्षण कीजिए। अथवा ''रूसो के सामान्य इच्छा के सिद्धान्त का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए। अथवा "रूसो का राजसत्ताधारी पुरुष हॉब्स का लेवियाथन है , जिसका सिर कटा हुआ है।" समीक्षा कीजिए। उत्तर – जीन जैक्स रूसो फ्रांस के 18 वीं शताब्दी के उन विचारकों में था जिसे फ्रांस की राज्यक्रान्तिका अग्रदूत कहा जा सकता है। रूसो ने राज्यक्रान्ति सम्बन्धी अपने विचार अपने ग्रन्थ 'Social Contract' में दिए हैं , जो 1762 ई. में प्रकाशित हुआ। रूसो के विचार में एक ओर व्यक्तिवाद और दूसरी ओर निरंकुशता की झलक दिखाई देती है। इसीलिए प्रो. वॉहन ( Vaughan) ने लिखा है कि " रूसो राज्य का परम समर्थक और व्यक्ति का परम भक्त था , जो एक आदर्श को दूसरे पर न्योछावर करने में सफल हो सका।" रूसो के समझौता सम्बन्धी विचार- रूसो भी हॉब्स और लॉक की भाँति यही मानता है कि राज्य का जन्म सामाजिक समझौते द्वारा हुआ है , फिर भी रूसो दोनों के विचारों से असहमत है। रूसो का कहना है कि प्राकृतिक अवस्था में व्यक्ति सरल व सुखपूर्ण जीवन व्यतीत करता था। परन्तु यह स्थिति अधिक दिनों तक नहीं रह सकी , क्योंकि जनसंख्या की वृद्धि व व्यक्तिगत सम्पत्ति प्रथा के कारण ' मेरे-तेरे ' का प्रश्न उठ खड़ा हुआ। अब रूसो का साधु पुरुष ( Noble Savage ) कपटी , स्वार्थी आदमी बन गया और प्राकृतिक अवस्था का सौन्दर्य नष्ट हो गया व हॉब्स की बताई हुई प्राकृतिक अवस्था का उदय हुआ , जिसे समाप्त करने के लिए सामाजिक समझौता हुआ। रूसो के अनुसार उपर्युक्त दु:खदायी प्राकृतिक अवस्था से बचने के लिए व्यक्तियों ने परस्पर एक सम...

01: राजनीतिक सिद्धांत

मनुष्य दो मामलों में अद्वितीय है- उसके पास विवेक होता है और अपनी गतिविधियों में उसे व्यक्त करने की योग्यता होती है। उसके पास भाषा का प्रयोग और एक-दूसरे से संवाद करने की क्षमता भी होती है। अन्य प्राणियों से इतर, मनुष्य अपने अंतरतम भावनाओं और आकांक्षाओं को व्यक्त कर सकता है; वह जिन्हें अच्छा और वांछनीय मानता है, अपने उन विचारों का साझा कर सकता है और उन पर चर्चा कर सकता है। राजनीतिक सिद्धांत की जड़ें मानव अस्मिता के इन जुड़वा पहलुओं में होती हैं। यह कुछ खास बुनियादी प्रश्नों का विश्लेषण करता है। जैसे, समाज को कैसे संगठित होना चाहिए? हमें सरकार की ज़रूरत क्यों है? सरकार का सर्वश्रेष्ठ रूप कौन-सा है? क्या कानून हमारी आज़ादी को सीमित करता है? राजसत्ता की अपने नागरिकों के प्रति क्या देनदारी होती है? नागरिक के रूप में एक-दूसरे के प्रति हमारी क्या देनदारी होती है? राजनीतिक सिद्धांत इस तरह के प्रश्नों की पड़ताल करता है और राजनीतिक जीवन को अनुप्राणित करने वाले स्वतंत्रता, समानता और न्याय जैसे मूल्यों के बारे में सुव्यवस्थित रूप से विचार करता है। यह इनके और अन्य संबद्ध अवधारणाओं के अर्थ और महत्त्व की व्याख्या करता है। यह अतीत और वर्तमान के कुछ प्रमुख राजनीतिक चिंतकों को केंद्र में रखकर इन अवधारणाओं की मौजूदा परिभाषाओं को स्पष्ट करता है। यह विद्यालय, दुकान, बस, ट्रेन या सरकारी कार्यालय जैसी दैनिक जीवन से जुड़ी संस्थाओं में स्वतंत्रता या समानता के विस्तार की वास्तविकता की परख भी करता है। और आगे जाकर, यह देखता है कि वर्तमान परिभाषाएँ कितनी उपयुक्त हैं और कैसे वर्तमान संस्थाओं (सरकार, नौकरशाही) और नीतियों के अनुपालन को अधिक लोकतांत्रिक बनाने के लिए उनका परिमार्जन किया जाय। राजनीतिक सिद्धांत का ...