Ram ki shakti puja ke rachnakar hain

  1. Famous Ram Ki Shakti Puja Poem By Suryakant Tripathi Nirala
  2. सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला की बेहतरीन रचना
  3. राम की शक्ति पूजा
  4. राम की शक्त्ति पूजा / Ram Ki Shakti Pooja PDF Download Free Hindi Books by Suryakant Tripathi
  5. राम की शक्ति पूजा
  6. 10 ऐसे चमत्कारी मंत्र, जो करेंगे हर संकट का अंत, खुशियां लौटेंगी तुरंत


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Famous Ram Ki Shakti Puja Poem By Suryakant Tripathi Nirala

Table of Contents • • • Ram ki Shakti puja poem राम की शक्ति पूजा कविता -: रवि हुआ अस्त; ज्योति के पत्र पर लिखा अमर रह गया राम-रावण का अपराजेय समर आज का तीक्ष्ण-शर-विधृत-क्षिप्र-कर, वेग-प्रखर, शतशेल सम्वरणशील, नील नभ-गर्जित-स्वर, प्रतिपल परिवर्तित व्यूह – भेद कौशल समूह राक्षस – विरुद्ध – प्रत्यूह, -क्रुद्ध – कपि विषम हूह, विच्छुरित वह्नि – राजीवनयन – हत लक्ष्य – बाण, लोहित लोचन – रावण मदमोचन – महीयान, राघव-लाघव – रावण – वारण – गत – युग्म – प्रहर, उद्धत – लंकापति – मर्दित – कपि – दल-बल – विस्तर, अनिमेष – राम-विश्वजिद्दिव्य – शर – भंग – भाव, विद्धांग-बद्ध – कोदण्ड – मुष्टि – खर – रुधिर – स्राव, रावण – प्रहार – दुर्वार – विकल वानर – दल – बल, मुर्छित – सुग्रीवांगद – भीषण – गवाक्ष – गय – नल, वारित – सौमित्र – भल्लपति – अगणित – मल्ल – रोध, गर्जित- प्रलयाब्धि – क्षुब्ध हनुमत् – केवल – प्रबोध, उद्गीरित – वह्नि – भीम – पर्वत – कपि चतुःप्रहर, जानकी – भीरू – उर – आशा भर – रावण सम्वर। लौटे युग दल राक्षस – पद तल पृथ्वी टल मल, बिंध महोल्लास से बार – बार आकाश विकल। वानर वाहिनी खिन्न, लख निज – पति – चरणचिह्न चल रही शिविर की ओर स्थविर दल ज्यों विभिन्न। प्रशमित हैं वातावरण, नमित – मुख सान्ध्य कमल लक्ष्मण चिन्ता पल, पीछे वानर वीर – सकल रघुनायक आगे अवनी पर नवनीत-चरण, श्लथ धनु-गुण है, कटिबन्ध त्रस्त तूणीर-धरण, दृढ़ जटा – मुकुट हो विपर्यस्त प्रतिलट से खुल फैला पृष्ठ पर, बाहुओं पर, वक्ष पर, विपुल उतरा ज्यों दुर्गम पर्वत पर नैशान्धकार चमकतीं दूर ताराएं ज्यों हों कहीं पार। आये सब शिविर,सानु पर पर्वत के, मन्थर सुग्रीव, विभीषण, जाम्बवान आदिक वानर सेनापति दल – विशेष के, अंगद, हनुमान नल नील गवाक्ष, प्...

सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला की बेहतरीन रचना

Ram Ki Shakti Pooja Kavita ( Suryakant Tripathi Nirala )– राम की शक्ति पूजा, सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला जी की बेहतरीन रचनाओं में से एक हैं. कलात्मक उड़ान जब अपनी बुलंदी पर होता हैं तब बेहतरीन रचनाओं का निर्माण होता हैं. निराला की की इस कविता/गीत को जरूर पढ़े, समझे और दोस्तों के साथ शेयर करें. राम की शक्ति पूजा – भाग 1 | Ram Ki Shakti Pooja – Part 1 रवि हुआ अस्त; ज्योति के पत्र पर लिखा अमर रह गया राम-रावण का अपराजेय समर आज का तीक्ष्ण शर-विधृत-क्षिप्रकर, वेग-प्रखर, शतशेलसम्वरणशील, नील नभगर्ज्जित-स्वर, प्रतिपल – परिवर्तित – व्यूह – भेद कौशल समूह राक्षस – विरुद्ध प्रत्यूह,-क्रुद्ध – कपि विषम हूह, विच्छुरित वह्नि – राजीवनयन – हतलक्ष्य – बाण, लोहितलोचन – रावण मदमोचन – महीयान, राघव-लाघव – रावण – वारण – गत – युग्म – प्रहर, उद्धत – लंकापति मर्दित – कपि – दल-बल – विस्तर, अनिमेष – राम-विश्वजिद्दिव्य – शर – भंग – भाव, विद्धांग-बद्ध – कोदण्ड – मुष्टि – खर – रुधिर – स्राव, रावण – प्रहार – दुर्वार – विकल वानर – दल – बल, मुर्छित – सुग्रीवांगद – भीषण – गवाक्ष – गय – नल, वारित – सौमित्र – भल्लपति – अगणित – मल्ल – रोध, गर्ज्जित – प्रलयाब्धि – क्षुब्ध हनुमत् – केवल प्रबोध, उद्गीरित – वह्नि – भीम – पर्वत – कपि चतुःप्रहर, जानकी – भीरू – उर – आशा भर – रावण सम्वर। लौटे युग – दल – राक्षस – पदतल पृथ्वी टलमल, बिंध महोल्लास से बार – बार आकाश विकल। वानर वाहिनी खिन्न, लख निज – पति – चरणचिह्न चल रही शिविर की ओर स्थविरदल ज्यों विभिन्न। प्रशमित हैं वातावरण, नमित – मुख सान्ध्य कमल लक्ष्मण चिन्तापल पीछे वानर वीर – सकल रघुनायक आगे अवनी पर नवनीत-चरण, श्लथ धनु-गुण है, कटिबन्ध स्रस्त तूणीर-धरण, दृढ़ जटा – मुकुट ह...

राम की शक्ति पूजा

राम की शक्ति पूजा(Ram ki shakti puja) • राम की शक्ति पूजा 23 अक्टूबर 1936 को रची गई या पूरी हुई और अनुमान है कि वह 26 अक्टूबर 1936 को भारत पत्र में प्रकाशित हुई लेकिन आज भारत (दैनिक, इलाहाबाद) का वह अंक सुलभ नहीं है इसलिए इस कविता के मूल निकटतम पाठ के लिए अनामिका के प्रथम संस्करण में वह जिस रूप में छपी थी उसी रूप पर निर्भर करना पङता है। • अनामिका में छपे इस कविता के उस रूप को देखने से पता चलता है कि सरोज स्मृति की तरह यह कविता भी अनुच्छेदों में विभाजित थी। लेकिन परिवर्ती संस्करणों में उस विभाजन को समाप्त कर दिया गया। लम्बे अंतराल के बाद इस कविता को महत्त्व देकर फिर से निराला रचनावली में स्थान दिया गया। विशेष तथ्य : • इसे संयोग ही कहेंगे कि राम की शक्ति पूजा में भी उतने ही अनुच्छेद हैं जितने सरोज स्मृति में। इन अनुच्छेदों की कुल संख्या 11 है और ये प्रसंग के अनुकूल ही आकार में छोटे-बङे है। यह कविता 312 पंक्तियों की एक ऐसी लम्बी कविता है जिसमें शक्ति पूजा नामक छंद का प्रयोग है यह छंद निराला जी का अपना मौलिक छंद है। • यह कविता चूँकि एक कथात्मक कविता है इसलिए संश्लिष्ट होने के बावजूद भी इसकी संरचना अपेक्षाकृत सरल है। • इस कविता का कथानक प्राचीन काल से सर्वविख्यात रामकथा के एक अंश से है। • किन्तु कृतिवास और राम की शक्ति पूजा में पर्याप्त भेद है पहला तो यह की एक ओर जहां कृतिवास में कथा पौराणिकता से युक्त होकर अर्थ की भूमि पर सपाटता रखती है तो वही दूसरी ओर राम की शक्ति पूजा नामक कविता में कथा आधुनिकता से युक्त होकर अर्थ की कई भूमियों को स्पर्श करती है। इसके साथ साथ कवि निराला ने इसमें युगीन-चेतना व आत्मसंघर्ष का मनोवैज्ञानिक धरातल पर बङा ही प्रभावशाली चित्र प्रस्तुत किया है। • निर...

राम की शक्त्ति पूजा / Ram Ki Shakti Pooja PDF Download Free Hindi Books by Suryakant Tripathi

पुस्तककाविवरण (Description of Book of रामकीशक्त्तिपूजा / Ram Ki Shakti Pooja PDF Download) :- नाम📖 रामकीशक्त्तिपूजा / Ram Ki Shakti Pooja PDF Download लेखक🖊️ सूर्यकांतत्रिपाठीनिराला / Suryakant Tripathi आकार 0.007 MB कुलपृष्ठ 9 भाषा Hindi श्रेणी Download Link 📥 Working 'रामकीशक्तिपूजा' (ram ki shakti puja) काव्यकोनिरालाजीने 23 अक्टूबर, 1936 मेंपूराकियाथा. इलाहाबादसेप्रकाशितदैनिकसमाचारपत्र 'भारत' मेंपहलीबारउसीवर्ष 26 अक्टूबरकोइसकविताकाप्रकाशनहुआथा. Nirala Ki Shakti Puja: सूर्यकान्तत्रिपाठी 'निराला' (Suryakant Tripathi Nirala) को 'महाप्राण' भीकहाजाताहै. [adinserter block="1"] पुस्तककाकुछअंश रामकीशक्तिपूजाकाएकअंश- रविहुआअस्त, ज्योतिकेपत्रपरलिखा अमररहगयाराम-रावणकाअपराजेयसमर। आजकातीक्ष्णशरविधृतक्षिप्रकर, वेगप्रखर, शतशेलसम्वरणशील, नीलनभगर्जितस्वर, प्रतिपलपरिवर्तितव्यूहभेदकौशलसमूह राक्षसविरुद्धप्रत्यूह, क्रुद्धकपिविषमहूह, विच्छुरितवह्निराजीवनयनहतलक्ष्यबाण, लोहितलोचनरावणमदमोचनमहीयान, राघवलाघवरावणवारणगतयुग्मप्रहर, उद्धतलंकापतिमर्दितकपिदलबलविस्तर, अनिमेषरामविश्वजिद्दिव्यशरभंगभाव, विद्धांगबद्धकोदण्डमुष्टिखररुधिरस्राव, रावणप्रहारदुर्वारविकलवानरदलबल, मुर्छितसुग्रीवांगदभीषणगवाक्षगयनल, वारितसौमित्रभल्लपतिअगणितमल्लरोध, गर्जितप्रलयाब्धिक्षुब्धहनुमत्केवलप्रबोध, उद्गीरितवह्निभीमपर्वतकपिचतुःप्रहर, जानकीभीरूउरआशाभर, रावणसम्वर। लौटेयुगदल।राक्षसपदतलपृथ्वीटलमल, बिंधमहोल्लाससेबारबारआकाशविकल। वानरवाहिनीखिन्न, लखनिजपतिचरणचिह्न चलरहीशिविरकीओरस्थविरदलज्योंविभिन्न। [adinserter block="1"] 'रामकीशक्तिपूजा' कीकुछअन्तिमपंक्तियाँदेखिए- "साधु, साधु, साधकधीर, धर्म-धनधन्यराम !" कह, लियाभगवतीनेराघवकाहस्तथाम। दे...

राम की शक्ति पूजा

निराला की राम की शक्ति पूजा अंधकार से होकर प्रकाश में आने की कविता है। यहाँ कवि निराला ने अतीत वर्तमान एवं भविष्य को एक साथ जीता है। 1936 में कवि निराला ने “राम की शक्ति पूजा” कविता लिखी ! इस कविता में बाहर-भीतर एक टकराहट है जिसके फेनिल शोर में अलौकिकता एवं मानवीयता, पौराणिकता एवं आधुनिकता आदि के स्वर घुलमिल गए है। कवि निराला की यह कविता सर्वश्रेष्ठ हिन्दी की कविताओं में से एक है। राम कथा इस देश की सबसे लोकप्रिय कथा है। यह कविता “रवि हुआ अस्त” से शुरू हुई है। कवि पहले ही संकेत दे देता है कि राम-रावण के युद्ध का वर्णन करना इस कविता में उसका उद्देश्य नहीं है और न ही इस युद्ध के बहाने कोई लंका काण्ड रचना है। दूसरी बात यह की राम सूर्य वंशी हैं। कवि शुरू में ही सूर्य का अस्त दिखाकर यह संकेत देता है कि राम जिस लड़ाई में कूद पड़े हैं वह लड़ाई वे किसी वंश परम्परा की ताकत से नहीं जीतेंगें। और न ही अपनी पूर्वजों की अर्जित ताकत इस लड़ाई में उनकी मदद करेगी। यह युद्ध सामान्य युद्ध नहीं है। यह राम-रावण का युद्ध उतना नहीं जितना यह रामत्व और रावणत्व के बीच का युद्ध है। हर युग में रावणत्व के खिलाफ राम संघर्ष करता है। रावणत्व बार-बार पराजित होता है तथा हर नए युग में वह फिर सर उठाता है। कवि का कहना है कि रावणत्व एवं रामत्व के बीच होने वाला युद्ध कभी खत्म नहीं हुआ यह युद्ध अपराजेय और निरंतर है। इस युद्ध में राम की चिंता का सबसे बड़ा कारण है “अन्याय जिधर है उधर शक्ति” यहीं चिंता निराला के युग की भी चिंता थी और आज तो यह चिंता कुछ अधिक ही प्रासंगिक है। आज जो लोग दिन रात पसीने से भीगे हुए है उनको आज जीवन की मूलभूत सुविधा भी मयस्सर नहीं है और जो जितना ही कपटी छली है वो दिन दूना रात चौगूना फल फूल रहा है...

10 ऐसे चमत्कारी मंत्र, जो करेंगे हर संकट का अंत, खुशियां लौटेंगी तुरंत

मंत्र प्रभाव : हनुमानजी भी राम नाम का ही जप करते रहते हैं। कहते हैं राम से भी बढ़कर श्रीराम का नाम है। इस मंत्र का निरंतर जप करते रहने से मन में शांति का प्रसार होता है, चिंताओं से छुटकारा मिलता है तथा दिमाग शांत रहता है। राम नाम के जप को सबसे उत्तम माना गया है। यह सभी तरह के नकारात्मक विचारों को समाप्त कर देता है और हृदय को निर्मल बनाकर भक्ति भाव का संचार करता है। मंत्र प्रभाव : भगवान विष्णु को जगतपालक माना जाता है। वे ही हम सभी के पालनहार हैं इसलिए पीले फूल व पीला वस्त्र चढ़ाकर उक्त किसी एक मंत्र से उनका स्मरण करते रहेंगे, तो जीवन में सकारात्मक विचारों और घटनाओं का विकास होकर जीवन खुशहाल बन जाएगा। विष्णु और लक्ष्मी की पूजा एवं प्रार्थना करते रहने से सुख और समृद्धि का विकास होता है। मंत्र प्रभाव : शिव का महामृंत्युजय मंत्र मृत्यु व काल को टालने वाला माना जाता है इसलिए शिवलिंग पर दूध मिला जल, धतूरा चढ़ाकर यह मंत्र हर रोज बोलना संकटमोचक होता है। यदि आपके घर का कोई सदस्य अस्पताल में भर्ती है या बहुत ज्यादा बीमार है तो नियमपूर्वक इस मंत्र का सहारा लें। बस शर्त यह है कि इसे जपने वाले को शुद्ध और पवित्र रहना जरूरी है अन्यथा यह मंत्र अपना असर छोड़ देता है। मंत्र प्रभाव : यह दुनिया का एकमात्र ऐसा मंत्र है, जो ईश्वर के प्रति, ईश्वर का साक्षी और ईश्वर के लिए है। यह मंत्रों का मंत्र सभी हिन्दू शास्त्रों में प्रथम और 'महामंत्र' कहा गया है। हर समस्या के लिए मात्र यह एक ही मंत्र कारगर है। बस शर्त यह है कि इसे जपने वाले को शुद्ध और पवित्र रहना जरूरी है अन्यथा यह मंत्र अपना असर छोड़ देता है।